आयुर्वेद बहुत ही विस्तृत चिकित्सा विज्ञानं है | हमारे ऋषि मुनियों और वैद्यों ने अपने ज्ञान और अनुभव के आधार पर इस प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति को समय के साथ विकसित किया | उनका यह ज्ञान आधुनिक समय में बहुत उपयोगी साबित हो रहा है | धरती पर आज तमाम तरह का प्रदुषण फ़ैल जाने और हमारी दिनचर्या विकृत हो जाने के कारण आयुर्वेद की उपयोगिता बहुत अधिक बढ़ गयी है |
जहाँ एक तरफ आधुनिक चिकित्सा शैली में रासायनिक दवाओं के अत्यधिक उपयोग के कारण दुष्प्रभाव के रूप में बहुत सी व्याधियां उत्पन्न हुयी हैं वहीं आयुर्वेद ने इस क्षेत्र में नयी उम्मीद की किरण प्रदान की है | यही कारण है की हाल के वर्षों में आयुर्वेद का उपयोग बहुत तेज गति बढ़ा है | लोग इस प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति के बारे में जान रहें हैं और लाभ ले रहें है |
अधिकतर आयुर्वेद ग्रंथ संस्कृत भाषा में लिखे गये हैं और इनमें बहुत सी ऐसी परिभाषाएं और नाम है जिनका मतलब आम व्यक्ति को नहीं पता होता है | इस लेख में हम ऐसे ही जानकारी देने वाले हैं जिससे आम आदमी इन चीजों से अवगत होकर आयुर्वेद से लाभ ले सके | यहाँ पर हम त्रिकटु, त्रिफला, शुक्रल, मूत्रल, ग्राही, पाचन, दीपन, योगवाही जैसे सांकेतिक नामों को परिभाषित करेंगे जिससे आपको इन्हें समझने में और आयुर्वेद दवाओं को सेवन करने में आसानी रहेगी |
आयुर्वेदिक परिभाषाएं / सांकेतिक नाम और उनके मतलब
आपने देखा होगा आप जब भी आयुर्वेद के बारें में या आयुर्वेदिक दवाओं के बारें में पढ़ते हैं या फिर चिकित्सक से परामर्श लेते हैं तो कुछ ऐसे नाम सुनने या पढने को मिलते हैं जिनका मतलब आपको नहीं पता होता है जैसे त्रिफला, मूत्रल, शुक्रल, छेदन, लेखन, स्वेदन, स्तम्भन, रसायन, बाजीकरण, विदाही, विष, मदकारी आदि |
अगर आपको इन सांकेतिक नामों का अर्थ पता होगा तो आप आयुर्वेद और इसकी दवाओं को सही समझ पाएंगे तथा सेवन करके लाभ भी ले सकेंगे | तो आइये जानते हैं इन सांकेतिक नामों के बारे में :-
पाचन द्रव्य क्या हैं ?
जो द्रव्य आम को पचाता हो लेकिन जठराग्नि (Digestive fire) प्रदीप्त नहीं करता पाचन द्रव्य कहलाता है | जैसे नागकेशर पाचन गुणों वाला है |
दीपन गुणों वाले द्रव्य की क्या विशेषता होती है ?
वह द्रव्य जो जठराग्नि को प्रदीप्त करता किन्तु आम को नहीं पचाता “दीपन” गुणों वाला होता है | जैसे – सौंफ
संशमन द्रव्य कोनसे होते हैं ?
वो द्रव्य जो वात, पित्त और कफ़ किसी भी दोष का न तो शमन करते हैं और न ही प्रकुपित करते हैं लेकिन बढ़े हुए दोष का शमन कर देते हैं उन्हें संशमन द्रव्य कहा जाता है | जैसे – गिलोय
अनुलोमन गुण से क्या अभिप्राय है ?
ऐसे द्रव्य जो अपक्व मल को पकाकर अधोमार्ग से बाहर निकाल दे, जैसे – हरड
स्त्रंसन से क्या अभिप्राय है ?
ऐसे द्रव्य जो बिना पकाए ही मल को अधोमार्ग से बाहर निकाल दे जैसे – अमलतास का गुदा
भेदन द्रव्य कोनसे होते हैं / भेदन गुण से का क्या मतलब है ?
ऐसे वह द्रव्य जिनमें मल को भेदन करके अधोमार्ग से बाहर निकालने का गुण होता है जैसे कुटकी |
विरेचन क्या होता है / द्रव्यों के विरेचन गुण से क्या अभिप्राय है ?
वह द्रव्य जो मल को पतला करके उसे अधोमार्ग से बाहर फेंक देते हैं विरेचन द्रव्य कहलाते हैं | जैसे – दंती, इन्द्रायण मूल
वामक/ वमनकारक गुणों से क्या अभिप्राय है ?
कुछ द्रव्य ऐसे होते हैं जो कच्चे ही कफ़, पित्त अन्न आदि को उल्टी के द्वारा बाहर निकाल देते हैं इन्हें वामक द्रव्य बोलते हैं | जैसे – मैनफल
शोधक गुण से क्या अभिप्राय है / शोधक द्रव्यों की क्या विशेषता होती है ?
जो द्रव्य देह में संचित/ जमा मल को अपने स्थान से हटाकर मुख या अधोमार्ग से बाहर निकाल देते हैं उन्हें शोधक कहते हैं |जैसे – देवदाली का फल
छेदन द्रव्यों से क्या अभिप्राय है / छेदन द्रव्य क्या काम करते हैं ?
ऐसे द्रव्य जो देह में चिपके दूषित कफ आदि को बाहर निकाल देते हैं | जैसे – काली मिर्च, शिलाजीत आदि
लेखन द्रव्य कोनसे होते हैं / द्रव्यों के लेखन गुण का क्या मतलब है ?
कुछ ऐसे द्रव्य जो शरीरस्थ रस रक्तादि धातुओं और मल आदि को सुखाकर बाहर निकाल देते हैं जैसे गर्म जल, बच और शहद|
ग्राही गुणों वाले द्रव्य की क्या विशेषता होती है ?
ऐसे द्रव्य जो दीपन और पाचन गुणों वाले होते हैं तथा उष्ण वीर्य होते हैं ग्राही द्रव्य कहलाते हैं | यह शरीर में रहने वाले द्रव को सुखा देते हैं | जैसे – सोंठ, जीरा, गज पीपल आदि
स्तम्भन गुण वाले द्रव्य की क्या विशेषता है / स्तम्भन गुण का मतलब ?
जो द्रव्य रुक्ष, शीतल, कषाय गुण के साथ वातवर्धक और स्तंभक गुण वाला उसे स्तम्भन द्रव्य कहते हैं | जैसे – इन्द्रजौ, श्योनाक
रसायन किसे कहते हैं / द्रव्यों के रसायन गुण से क्या अभिप्राय है ?
ऐसे प्रभावी द्रव्य जो जरा (वृद्धावस्था) और व्याधियों से शरीर की रक्षा करें उन्हें रसायन कहते हैं | जैसे – गिलोय, गुग्गुल, हर्रे
वाजीकरण द्रव्य कोनसे होते हैं / बाजीकरण द्रव्यों की क्या विशेषता है ?
ऐसे द्रव्य जिनके सेवन से पुरुषों की कामशक्ति में वृद्धि होती है वाजीकरण द्रव्य होते हैं | जैसे नागबला, कौंच बीज, असगंध
शुक्रल द्रव्यों से क्या अभिप्राय है ?
जो द्रव्य शुक्राणुओं की वृद्धि करते है | जैसे मिश्री, अश्वगंधा, सफ़ेद मूसली
शुक्र प्रवर्तक द्रव्य कोनसे हैं ?
ऐसे द्रव्य वीर्य उत्पन्न करने में मदद करते हैं और शुक्र का प्रवर्तन करते हैं | जैसे – गाय का दूध, उड़द
विकाशी द्रव्य क्या हैं / विकाशी गुण से क्या अभिप्राय है ?
ऐसे द्रव्य जो शरीर में फ़ैल कर औज को सुखाकर जोड़ो के बंधन को ढीला करते हैं | जैसे – सुपारी
मदकारी द्रव्य कोनसे हैं / मदकारी गुण का मतलब ?
जो द्रव्य तमोगुण प्रधान होते हैं और नशा करते हैं | जैसे – मद्य, सूरा, अफ़ीम
विष गुण वाले द्रव्य की क्या विशेषता होती है ?
ऐसे द्रव्य जो विकाशी, मदकारक, योगवाही और जीवन नाशक होते हैं | जैसे बच्छनाग, संखिया
योगवाही गुण से क्या अभिप्राय है ?
ऐसे द्रव्य जो पच्यमनावास्था में सांसर्गिक गुण को धारण कर लेते हैं उन्हें योगवाही कहते हैं | जैसे – शहद, घी, पारा, लौह
विदाही द्रव्य से क्या अभिप्राय है ?
ऐसे द्रव्य जिनके सेवन से खट्टी डकार आने लगे, प्यास लगे, सिने में जलन होती हो |
शीतल या शीत वीर्य गुण से क्या मतलब है ?
ऐसे द्रव्य जिनकी तासीर ठंडी हो, स्तंभक और मन को प्रसन्न करने वाले हो | दाह, प्यास, पसीने का शमन करने वाले हों |
उष्ण वीर्य द्रव्य से क्या अभिप्राय है ?
ऐसे द्रव्य जो तासीर में बहुत गर्म हों जिनके सेवन से प्यास लगना, पसीना आना, दाह होना आदि होता हो और जो घाव को पकाने वाले हो |
स्निग्ध गुण वाले द्रव्य की क्या विशेषता होती है ?
ऐसे द्रव्य जो कोमल. चिकनायी उत्पन्न करने वाला तथा बल एवं वर्ण की वृद्धि करने वाला हो स्निग्ध कहलाता है |
त्रिकटु किसे कहते है / त्रिकटु में क्या क्या जड़ी बूटी होती है ?
सोंठ, पीपल और काली मिर्च के समान मिश्रण को त्रिकटु कहते हैं |
त्रिफला क्या है / त्रिफला में क्या क्या होता है ?
आंवला, हर्रे और बहेड़ा के समान मात्रा में मिश्रण को त्रिफला कहते हैं |
त्रिकंटक क्या होता है / त्रिकंटक में क्या क्या जड़ी बूटी होती है ?
कटेली, धमासा और गोखरू के मिश्रण को त्रिकंटक कहते हैं |
त्रिमद में क्या क्या जड़ी बूटी होती है / त्रिमद क्या है ?
वायविडंग, नागरमोथा और चित्रक के मिश्रण को त्रिमद कहते हैं |
त्रिजात क्या है / त्रिजात में किन जड़ी बूटियों का मिश्रण होता है ?
दालचीनी, तेजपता और इलायची का मिश्रण त्रिजात कहलाता है |
त्रिलवण में क्या क्या जड़ी बूटी होती है / त्रिलवण किसे कहते हैं ?
काला नमक, सेंधा नमक और विडनमक के मिश्रण को त्रिलवण कहते हैं |
क्षारत्रय किसे कहते हैं ?
यवक्षार, सज्जीखार और सुहागा के मिश्रण को क्षारत्रय कहते हैं |
मधुरत्रय से क्या अभिप्राय है ?
घृत, शहद और गुड़ के मिश्रण को मधुरत्रय कहते हैं |
त्रिगंध क्या है / त्रिगंध में क्या क्या होता है ?
गंधक, मैनशील और हरताल के मिश्रण को त्रिगंध कहते हैं |
चतुर्जात क्या है / चतुर्जात के घटक ?
दालचीनी, तेजपता, नागकेशर, इलायची के मिश्रण को चतुर्जात कहते हैं |
चातुर्बीज क्या है / चातुर्बीज के घटक द्रव्य ?
मेथी, काला जीरा, अजवायन और हालों के बीज के मिश्रण को चातुर्बीज कहते हैं |
चतुरुष्ण किसे कहते हैं / इसमें क्या क्या होता है ?
सोंठ, काली मिर्च, पीपल और पीपलामुल के मिश्रण को चतुरुष्ण कहते हैं |
पंचवक्कल क्या है / इसके घटक क्या हैं ?
आम, बड़, गूलर, पीपल, पाकड़ इन पंचक्षीर वृक्षों के वक्कलों के मिश्रण पंचवक्कल कहते हैं |
लघुपंचक मूल क्या है / लघुपंचक मूल के घटक ?
शालप्रणी, प्रश्नप्रणी, छोटी कटेली, बड़ी कटेली और गोखरू को लघुपंचक मूल कहते हैं |
वृहतपंचमूल क्या है ?
अरणी, श्योनाक, पाढ़ की छाल, बेल और गंभारी को वृहत पंचमूल कहते हैं |
पंच पल्लव क्या है / पंच पल्लव किसे कहते हैं ?
आम, कैथ, बिजौरा, बेल और जामुन के पते के मिश्रण को पंच पल्लव कहते हैं |
मित्र पंचक क्या है / मित्र पंचक में क्या क्या होता है ?
गुड़, घी, घुघची, सुहागा और गुगल के मिश्रण को मित्र पंचक कहते हैं |
पंचकोल से क्या अभिप्राय है / पंचकोल क्या है ?
पीपल, पीपलामुल, चित्रक, चव्य और सोंठ के मिश्रण को पंचकोल कहते हैं |
पंचगव्य क्या है / पंचगव्य में क्या क्या होता है ?
गाय के दूध, दही, घृत, गोबर और मूत्र को पंच गव्य कहते हैं |
पंचलवण क्या है / पंचलवण में कोनसे लवण होते हैं ?
सेंधा, काला, विड, समुद्र और सोंचल नमक के मिश्रण को पंचलवण कहते हैं |
पंचक्षार क्या है ?
तिल क्षार, अपामार्ग क्षार, पलाश क्षार, यवक्षार और सज्जी क्षार को पंचक्षार कहते हैं |
षडूषण क्या है ?
पंचकोल द्रव्यों में कालीमिर्च मिला देने पर इसे षडूषण कहते हैं |
सप्तधातु क्या है / सप्त धातु में कोन कोनसी धातु होती हैं ?
स्वर्ण, चांदी, बंग, ताम्र, यशद, शीशा और लौह को सप्त धातु कहते हैं |
सप्त उपरत्न क्या है ?
वैक्रांत, राजवर्त, पिरोजा, शुक्ति, शंख, सूर्यकांत और चन्द्रकांत को सप्त उपरत्न कहते हैं |
सप्त उपधातु कोनसी हैं ?
सुवर्ण माक्षिक, रोप्यमाक्षिक, नीलाथोथा, मुर्दाशंख, खर्पर, सिंदूर और मंडूर को सप्त उपधातु कहते हैं |
सप्त सुगन्धि क्या है ?
अगर, शीतल, लोबान, मिर्च, लौंग, कपूर, केशर और चतुर्जात को सप्त सुगंधी कहते हैं |
अष्टवर्ग क्या है / अष्टवर्ग में क्या क्या होता है ?
मेदा, महामेदा, काकोली, क्षीरकाकोली, जीवक, ऋषभक, ऋद्धि, वृद्धि को अष्ट वर्ग कहते हैं |
मुत्राष्टक क्या है ?
गाय, भैंस, बकरी, भेड़, ऊंटनी, गधी, घोड़ी, हथीनी के मूत्र को मुत्राष्टक कहते हैं |
नवरत्न क्या है / नवरत्न में क्या क्या होता है ?
हीरा, मोती, पन्ना, प्रवाल, लहसुनियाँ, गोमेदमणी, माणिक्य, नीलम और पुखराज को नव रत्न कहते हैं |
नव उपविष किसे कहते हैं ?
थहर, आक, कलिहारी, ,चिरभीटी, जमालघोटा, कनेर, धतुर और अफीम नव उपविष कहलाते हैं |
दशमूल क्या है / दशमूल में क्या क्या होता है ?
लघुपंचमूल और वृहत पंचमूल के मिश्रण को दशमूल कहते हैं |
कज्जली किसे कहते हैं / कज्जली क्या है ?
पारद और गंधक को खरल में बहुत महीन पीस लेने पर यह काजल जैसा बन जाता है इसे कज्जली कहते हैं |
धन्यवाद ||