इलायची / Elaichi
इलायची से आप सभी परिचित है | भारतीय रसोई में इसकी विशिष्ट महता है | इसे मसाले या माउथ फ्रेशनर के रूप में काम में लिया जाता है | वैसे इलायची की दो किस्मे है – छोटी इलायची और बड़ी इलायची | बड़ी इलायची का प्रयोग लजीज व्यंजनों और आयुर्वेदिक औषधियों के निर्माण के लिए किया जाता है , वहीँ छोटी एला का इस्तेमाल मिठाइयों , चाय , दूध का जयका बढाने और आयुर्वेदिक औषधि निर्माण के लिए किया जाता है | लेकिन इसके आलावा एला के कई घरेलु प्रयोग है जिसका इस्तेमाल करके हम कई रोगों में राहत प्राप्त कर सकते है |
इलायची/एला का क्षुप बहुवर्षायु होता है जो सदा हरा – भरा देखा जा सकता है | इसका पौधा 5 से 10 फीट तक लम्बा हो सकता है | इसके भूमिशायी शाखायुक्त काण्ड से अनेक काण्ड निकलते है जिन पर इसके पते लगे रहते है | इलायची के पत्र 1 से 3 तक लम्बे हो सकते है , ये एकांतर , अंडाकार और कोषमय पत्र होते है जिनकी आकृति बरछे के सामान होती है | इसके पुष्प 2 से 4 फीट लम्बे पुष्प वृंत पर लगते है जो सीधे काण्ड के मूलभाग से निकलते है | ये फुल 1.5 इंच लम्बे – हलके श्वेत और हरे रंग के होते है |
एला (इलाइची) के फल को ही औषध उपयोग और अन्य घरेलु प्रयोगों में लिया जाता है | ये त्रिकोष्ठीय , अंडाकार होते है जिनका रंग हल्का हरा या पीला होता है | फलो के अन्दर गहरे भूरे काले रंग के कोणीय बीज निकलते है | जिनसे हम सभी परिचित है |
इलायची का रासायनिक संगठन
इलाइची के बीजो में 2 से 8% उड़नशील तेल पाया जाता है , इसके आलावा पोटेशियम लवण 3% , स्टार्च – 3% , पिच्छिल द्रव्य 2% , पीत रंजक द्रव्य – 2% और भस्म 6 से 10% तक पायी जाती है |
इलायची के गुण – धर्म
इसका रस कटु और मधुर होता है | गुणों में यह लघु और रुक्ष होती है एवं इसका विपाक मधुर होता है | एला शीत वीर्य की होती है | एला का इस्तेमाल कर के आयुर्वेद में कई औषधियां बनाई जाती है जैसे – एलादीचूर्ण , एलाध्रिष्ट, एलाध्यमोदक, एलादिक्वाथ और एलाध्यगुटिका आदि |
इलायची के पर्याय – इलायची को एला , त्रिपुटा , त्रुटी , सुक्ष्मैला द्राविड़ी आदि नामों से भी जाना जाता है |
इलायची के फायदे और घरेलु प्रयोग
निम्न रोगों में आप एला का घरेलु नुस्खो के द्वारा प्रयोग करे , निश्चित ही वर्णित रोगों में लाभ मिलेगा |
केले का अजीर्ण हो तो करे इलायची का प्रयोग
कई व्यक्तियों को केला हजम नहीं होता और उन्हें इससे अपच जैसी शिकायत हो जाती है | अगर आपके साथ भी कभी एसा हो तो केला खाने के बाद एक इलायची खाले | केले से होने वाली अजीर्ण ख़त्म हो जाएगी | इस प्रयोग को मैंने भी आजमाया हुआ है | दरशल मुझे भी केले खाने के बाद अजीर्ण की शिकायत हो जाती है | इसलिए केला खाने के बाद एक एला अच्छी तरह चबाकर खाए , तुरंत राहत मिलेगी |
अच्छी माउथ फ्रेशनर है इलाइची
एला की भीनी खुशबु किसे नहीं भाती | अगर आप अपने मुंह की दुर्गन्ध से परेशान है तो इलायची इसमें मददगार साबित हो सकती है | खाना खाने , प्याज – लहसुन खाने के बाद आप एक इलायची रोज खाने की आदत डालले | आपके मुंह की दुर्गन्ध दूर चली जाएगी | इलायची में एक सुगन्धित तेल पाया जाता है जो आपके मुंह की बदबू के आलावा पेट से आने वाली दुर्गन्ध को भी काबू में करने में कारगर है |
मुंह के छाले
अगर मुंह में छाले हो गए हो तो एक इलायची के दाने निकाल कर इनको पीसले | पीसे हुए दानों में आधा चम्मच शहद मिलाकर मुंह में लगाये | तीन या चार प्रयोग में ही मुंह के छाले ठीक हो जायेंगे |
हिक्का ( हिचकी )
हिचकी वैसे तो कोई रोग नहीं है , यह हमारे दूषित भोजन पदार्थ का सेवन करने पर डाईजेसन का एक इशारा मात्र है | लेकिन अधिक समय तक अगर हिचकी आये तो जीना मुस्किल कर देती है | इसलिए अगर आप भी कभी हिचकी से परेशान हो तो बड़ी एला के आधा चम्मच दाने निकाल ले | इसमें 2 चम्मच चीनी मिलाकर पीस ले | तैयार चूर्ण की आधा घंटे के अन्तराल से आधा चम्मच की मात्रा में फंकी ले | जल्द ही हिचकी बंद हो जायेगी |
घबराहट में
शरीर में गर्मी और पित्त की अधिकता के कारण घबराहट होने लगती है | घबराहट होने पर एक एला को पीस ले और इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर चाटने से घबराहट जाती रहती है |
गर्मी के रोग में इलायची के फायदे
चार इलायची एवं दो चम्मच सौंफ को एक गिलास पानी में उबाल ले | उबाले हुए पानी को ठंडा कर के छान ले और इसमें शक्कर मिलकर पिने से गर्मी और गर्मी जन्य व्याधियों में आराम मिलता है | एला और सौंफ दोनों शीत वीर्य की होती है अत: इनके इस्तेमाल से शरीर में गरमी की शिकायत नहीं होगी |
अधिक प्यास लगने की शिकायत में इलायची के फायदे
बहुत अधिक प्यास लगने की शिकायत हो तो 12 छोटी एला के छिल्को को एक गिलास पानी में उबाले | जब पानी आधा रह जाए तो इसके चार हिस्से कर ले | हर एक हिस्से को तीन घंटे के अंतराल से पी ले | इससे अधिक प्यास लगने की शिकायत मिटेगी और पेट स्वस्थ होकर भूख भी खुल कर लगेगी |
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