प्रभाकर वटी आयुर्वेद में बटी परिकल्पना की औषधि है | इसके बटी के उपयोग से सभी प्रकार के हृदय रोगों में लाभ मिलता है | इसके सेवन से दिल के धड़कन बढ़ने, साँस फूलना, घबराहट होना जैसी समस्याओं में बहुत फायदा होता है | हृदय की समस्या बहुत अधिक बढ़ जाने पर आयुर्वेद में अभ्रक भस्म, बंग भस्म, कर्पुर बटी, प्रभाकर वटी और अहिफेन आसव जैसी दवाओं का उपयोग किया जाता है |
इस लेख में हम प्रभाकर वटी के फायदे, इसे बनाने की विधि, घटक द्रव्यों और इसके क्या नुकसान हो सकते हैं आदि के बारे में बतायेंगे |
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प्रभाकर वटी क्या है, इसके फायदे, उपयोग बनाने की विधि एवं घटक / What is Prabhakar vati and its benefits
यह आयुर्वेदिक बटी या गोली हृदय और फेफड़ो के लिए अमृत योग्य औषधि है | लीवर के बढ़ने की समस्या में भी इस वटी का उपयोग किया जाता है | हार्ट से जुड़ी सभी प्रकार की समस्याओं के लिए इस वटी का उपयोग किया जाता है | इसमें स्वर्णमाक्षिक भस्म, लौह भस्म और शिलाजीत जैसे प्रभावी द्रव्यों का उपयोग होता है जो हृदय को बल देने वाले एवं शोथ (सुजन) को हरने वाले होते हैं |
प्रभाकर वटी के घटक द्रव्य / Prabhakar vati Ingredients
इस वटी में निम्न द्रव्यों का उपयोग किया जाता है :-
- स्वर्ण माक्षिक भस्म
- लौह भस्म
- शिलाजीत
- वंशलोचन
- अभ्रक भस्म
- अर्जुन छाल का क्वाथ
प्रभाकर वटी बनाने की विधि / Prabhakar vati kaise banaye
- इस औषधि को बनाने के लिए ऊपर बताए गए द्रव्यों को समान मात्रा में लेकर महीन चूर्ण बना लें |
- अर्जुन छाल का क्वाथ बना कर इस मिश्रण में उसकी भावना दें |
- अब इसका अच्छे से मर्दन करें |
- जब यह गोली बनाने लायक हो जाए तो इसकी छोटी छोटी गोलियां बना लें |
- इन गोलियों को छाँव में सुखाकर किसी शीशी में रख लें |
- इस तरह से आप प्रभाकर वटी बना सकते हैं |
प्रभाकर वटी का सेवन कैसे करें / How to use prabhakar vati ?
हृदय से जुडी किसी भी समस्या में इस वटी का सेवन किया जा सकता है | इसकी एक या दो गोली सुबह शाम अर्जुन छाल के क्वाथ के साथ सेवन करना चाहिए | आंवले और मिश्री के चूर्ण के साथ इसका सेवन करने से भी अच्छा लाभ होता है |
प्रभाकर वटी के फायदे एवं उपयोग / Prabhakar vati uses and benefits
हृदय कमजोर हो जाने या रक्त वाहिनी और वातवाहिनी नाड़ियो में रुकावट आ जाने से दिल की बीमारी हो जाती है | इसमें ह्रदय की गती अनियमित हो जाना, दर्द होना, साँस फूल जाना, चक्कर आना और थकावट जैसी समस्याएं हो जाती हैं | इस समस्या को नजरंदाज करने से यह प्राणघातक हो जाती है और कभी भी दौरा पड़ने की संभावना बढ़ जाती है | ऐसे में उचित खान पान और दवा का सेवन करना बहुत आवश्यक होता है |
प्रभाकर वटी एक ऐसी आयुर्वेदिक दवा है जो ह्रदय से जुड़े सभी प्रकार के रोगों में लाभदायक है | इसके साथ यह फेफड़ो के विकारों, लीवर की समस्या और रक्ताल्पता जैसी समस्याओं में भी उपयोगी है | आइये जानते हैं रोगानुसार इसके फायदे एवं उपयोग :-
दिल की कमजोरी और अन्य हृदय रोगों में प्रभाकर वटी के फायदे / Prabhakar vati uses in heart disease
इस औषधि का असर हृदय पर होता है यह हृदय को बल प्रदान करती है | इसलिए इसका उपयोग हृदय की धड़कन की अनियमितता, दर्द होना, सांसे फूल जाना, ब्लोकेज की समस्या में किया जाता है | ह्रदय विकारों में इसका उपयोग अर्जुन छाल के क्वाथ के साथ करना चाहिए |
लीवर बढ़ने की समस्या में प्रभाकर वटी का उपयोग कैसे करें / How to use prabhakar vati in liver disease
जब लीवर बढ़ने की समस्या हो तो प्रभाकर वटी का सेवन करना चाहिए | लीवर बढ़ने के कारण शरीर में अनेकों तरह के विकार उत्पन्न हो जाते हैं और यह ह्रदय की समस्या को भी उत्पन्न करता है | इसलिए ऐसा होने पर प्रभाकर वटी का उपयोग आंवले के चूर्ण और मिश्री के साथ करें |
जानें खून की कमी में प्रभाकर वटी के फायदे / Prabhakar vati benefits in anemia
पाचन ख़राब हो जाने या अन्य किसी रोग के कारण और आयरन की कमी हो जाने पर शरीर में नवीन रक्त का निर्माण धीमा हो जाता है जिससे खून की कमी होने लगती है | इस वटी में लौह भस्म और अभ्रक भस्म जैसे द्रव्य हैं जो खून बढाने के लिए बहुत उपयोगी होते हैं | इसलिए खून की कमी हो जाने पर इस दवा का उपयोग करने से बहुत लाभ देखने को मिलता है |
खांसी और अस्थमा में प्रभाकर वटी के उपयोग / Uses of prabhakar vati in cough and Asthma
कफ़ जम जाने एवं अस्थमा रोग में इस वटी का उपयोग करने से बहुत लाभ होता है | इसमें स्वर्ण माक्षिक भस्म और अभ्रक भस्म कफ निसारण के लिए बहुत उपयोगी हैं | अधिक समय तक कफ़ और श्वास की दिक्कत होने पर प्रभाकर वटी के साथ सितोपलादि चूर्ण को शहद के साथ सेवन करने से बहुत लाभ होता है |
फेफड़ो के विकारों में प्रभाकर वटी के क्या फायदे हैं / Prabhakar vati benefits for lungs
अधिक समय तक अस्थमा की समस्या रहने या प्रयाप्त ऑक्सीजन नहीं मिलने और धुम्रपान से फेफड़े कमजोर हो जाते हैं | यह औषधि फेफड़ों को बल प्रदान करने वाली है एवं इसके सेवन से जमा हुवा कफ भी निकल जाता है | इसलिए फेफड़े कमजोर हो जाने पर इस दवा का उपयोग करना बहुत लाभकारी होता है |
मधुमेह (शुगर) में प्रभाकर वटी के फायदे बताएं / Prabhakar vati benefits in diabetes
डायबिटीज या मधुमेह आज बहुत व्यापक रूप से फ़ैल चूका है | इस वटी में शिलाजीत की मात्रा है जो डायबिटीज के लिए उत्तम मानी जाती है | इसलिए इसका उपयोग डायबिटीज में करने से बहुत लाभ होता है और शरीर में बल एवं स्फूर्ति का संचार होता है |
प्रभाकर वटी वाजीकारक भी है जानें इसके फायदे
इस औषधि में स्वर्ण माक्षिक भस्म और शिलाजीत और अभ्रक भस्म बल एवं वीर्य वर्धक हैं | इसलिए वीर्य की कमी और इसके कारण आयी नपुंसकता की समस्या में इस वटी का सेवन धातुपौष्टिक चूर्ण के साथ करने पर बहुत लाभ होता है |
प्रभाकर वटी के नुकसान / side effects of prabhakar vati
यह औषधि बहुत गुणकारी एवं बलवर्धक है | लेकिन इसमें विशेष धातुओं की भस्मों का उपयोग किया जाता है इसलिए इसका उपयोग करते समय निम्न बातों का ध्यान जरुर रखें :-
- बिना चिकित्सक की सलाह के इसका सेवन न करें |
- निश्चित समयावधि तक ही इसका सेवन करें |
- गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों का इसका सेवन ना कराएं |
- डॉक्टर द्वारा बतायी गयी मात्रा में ही इसका सेवन करें |
धन्यवाद !
सन्दर्भ/ reference :-
- OA01.05. Role of prabhakara vati and lekhana basti treatment in the management of coronary artery disease (Hridroga)
- Quality of Ayurvedic health care delivery in provinces of India: Lessons from essential drugs availability at State run Ayurveda dispensaries
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