जानें क्या होती है – अरण्य तम्बाकू || फायदे एवं औषधीय गुण धर्म

हमारे देश में अनगिनत औषधीय वनस्पतियाँ है | सर्वत्र भारत में क्षेत्र अनुसार अलग – अलग वनस्पतियाँ मिलती है | इनमे से कुछ वनस्पतियाँ सम्पूर्ण भारत में प्राप्त होती है चाहे वह उत्तरी भारत हो या दक्षिणी |

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source – bharatdiscovery.org

तम्बाकू की तरह दिखने वाली जंगली तम्बाकू को अरण्य तम्बाकू कहा जाता है | भले ही यह नशीली वनस्पति है फिर भी आयुर्वेद चिकित्सा में जैसा आप सभी जानते है, सभी वनस्पतियाँ किसी न किसी उपयोग में ली जा सकती है |

वानस्पतिक परिचय

यह सम्पूर्ण भारत वर्ष में पाई जाती है | पौधा तम्बाकू के पौधे के सामान ही प्रतीत होता है | इसे हिंदी में वन तम्बाकू, भिदड, वन तमाल आदि नामों से पुकारा जाता है | पौधे पर भूरे रंग के रोयें होते है जो कुछ पीलापन लिए रहते है |

अरण्य तम्बाकू के फुल पीले रंग के होते है | औषधीय प्रयोग में इसके पीले फूलों का ही इस्तेमाल अधिक किया जाता है | अगर आप इसके फूलों को सूंघते है तो इनमे से पुष्कर मूल के जैसी गंध आती है |

फलियाँ कुछ लम्बी एवं गोलाकृति में रहती है | स्वाद मे यह कड़वी होती है | फलियों में से बीज निकलते है तो छोटे गोलाकार चपटे एवं सख्त रहते है |

अरण्य तम्बाकू के औषधीय गुण धर्म

यह गर्म एवं रुक्ष प्रकार की औषधि है | इस वन तम्बाकू के पते दर्द को दूर करने वाले होते है | यह पेशाब को लाने वाली अर्थात मूत्रल औषधि है | इसका सेवन स्निग्धता देने वाला, नींद लाने वाला एवं नशीला होता है |

यह दर्द, आमवात (गठिया), जोड़ो के दर्द, कफ की अधिकता एवं आमातिसार में उपयोगी औषधि मानी जाती है |

अरण्य तम्बाकू के फायदे या स्वास्थ्य उपयोग

  • इसके ताजा पतों से शराब के साथ मिलाकर एक प्रकार का टिंचर तैयार किया जाता है जो सिरदर्द में फायदेमंद रहता है |
  • इसका तेल जीवाणुनाशक एवं कान के दर्द में आराम पहुँचाने वाला होता है | इस तेल के प्रयोग से कान के अन्दर होने वाली जलन एवं सुजन से राहत मिलती है |
  • तम्बाकू के सूखे पतों को चिलम या हुक्के में डालकर पिया जावे तो कफज विकार जैसे – श्वास, खांसी एवं टीबी आदि में आराम मिलता है |
  • इसकी जड़ के काढ़े का सेवन सिरदर्द आदि में सेवन किया जाता है |
  • अरण्य तम्बाकू टीबी में उपयोगी है | यह खांसी को कम करती है , आँतो की कार्यक्षमता को बढ़ाती है एवं रात्रि में आने वाले रात्रिस्वेद से रक्षा करती है |
  • वन तम्बाकू के ढाई तोले पतों को अढाई पाव दूध के साथ उबाल कर काढ़ा बना कर दिन में दो बार सेवन करने से श्वास रुकने की समस्या से निजात मिलती है |

अरण्य तम्बाकू के विभिन्न नाम

हिंदी – वन तम्बाकू, भिदड, तम्बाकू, वन तमाल |

संस्कृत – अरण्य तम्बाकू |

पंजाबी – बन तम्बाकू, एक बीर, फुन्टर, रेबंद |

अरबी – माहिजहरज |

फारसी – दूसीर, माही जहरज |

साभार – प्रेम कुमार जी |

धन्यवाद ||

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