लीवर सिरोसिस / Liver Cirrhosis – पहचान, कारण, लक्षण एवं इलाज

लीवर सिरोसिस का इलाज / Liver Cirrhosis in Hindi

परिचय – लीवर अर्थात यकृत हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग होता है | शरीर की अशुद्धियों को दूर करने में इसका अपना अहम् भाग होता है | लेकिन व्यक्ति अपनी जीवन शैली और आहार – विहार के कारण शराब, तम्बाकू एवं अन्य सभी प्रकार के गलत आहार का सेवन करके यकृत के कार्य भार को और अधिक बढ़ा देता है जिससे इसकी कोशिकाएं नष्ट होने लगती है | लीवर सिरोसिस का इलाज और अन्य लीवर सिरोसिस का इलाज इस रोग में यकृत की कोशिकाओं का क्षयकरण (Degeneration) एवं तंतुमय उत्तक द्वारा यकृत का अत्यधिक इनफिल्ट्रेशन होने लगता है | इसके कारण लीवर की कोशिकाएं दबकर मरने लगती है | शुरूआती अवस्था में इसका पता नहीं चलता, लेकिन जब निरंतर कोशिकाएं मरने लगती है तो लीवर का सिरोसिस रोग हो जाता है | गंभीर स्टेज में लीवर अपना कार्य करना भी बंद कर देता है और लीवर ट्रांसप्लांट करवाने के सिवा कोई उपाय नहीं बचता | अगर लीवर ट्रांसप्लांट नहीं किया गया तो रोगी की मृत्यु भी हो जाती है |

लीवर सिरोसिस के कारण 

वैसे इस रोग के कोई परिभाषित कारण नहीं ज्ञात है | लेकिन अधिक शराब का सेवन, धुम्रपान आदि का सेवन करने वालों में इसकी अधिकता होती है | जो लोग शराब का सेवन नहीं करते या धुम्रपान का सेवन नहीं करते उनमे इसके होने के पुख्ता कारण अज्ञात है |
  • शराब का अधिक सेवन करना |
  • धुम्रपान का अधिक सेवन करना |
  • लीवर को प्रभावित करने वाली दवाइयों का लम्बे समय तक सेवन करना |
  • शरीर में विटामिन और प्रोटीन की कमी होने से भी इसके होने का खतरा रहता है |
  • शरीर में वसा की अधिकता भी इसका एक कारण बन सकती है |
  • हेपेटाईटिस का रोगी , जिसका रोग पूर्ण रूप से ठीक न हुआ हो | उसे भी लीवर सिरोसिस का खतरा रहता है |
  • Leptospirosis या Weil’s disease के कारण |
  • शरीर के चयापचय सम्बन्धी विकारों के कारण |

लीवर सिरोसिस के लक्षण 

इस रोग के अधिकांस लक्षण यकृत में संकुचित तंतुमय उत्तक के कारण पैदा हुए अवरोध और पितीय मार्ग में होने वाले अवरोधन के कारण प्रकट होते है |
  • रोगी को अधिकतर गंभीर अपच की शिकायत रहती है |
  • रोग में रक्त युक्त उलटी और बवासीर के रूप में रक्त का स्राव भी सामान्य लक्षण है |
  • शरीर में कमजोरी |
  • व्यक्ति के व्यवहार में बदलाव होने लगता है |
  • शारीरिक थकावट और रोगी का वजन कम होने लगता है |
  • आंतो का रक्तस्राव |
  • रोगी का सामान्य स्वास्थ्य प्रभावित होने लगता है |
  • जैसे – जैसे रोग बढ़ता है रोगी का स्वास्थ्य भी निचे गिरने लगता है |
  • गंभीर अवस्था में रोगी बिस्तर से उठ भी नहीं सकता और यकृत के फ़ैल होने से रोगी की मृत्यु तक हो जाती है |

लीवर सिरोसिस का इलाज 

लीवर सिरोसिस का इलाज तुरंत प्रारम्भ कर देना चाहिए | अगर रोगी शराब का सेवन करता है तो इसे तुरंत पूर्ण रूप से बंद करदें | क्योंकि शराब का सेवन जारी रखने से रोग अधिक गंभीर होने लगता है | इस रोग के इलाज में उपचार के साथ – साथ रोगी का सहयोग भी जरुरी है | अत: रोगी को पूर्ण रूप से समझना चाहिए की रोग की गंभीरता और परिणाम वास्तव में ही कष्टप्रद हो सकते है, इसलिए उपचार में रोगी का आहार – विहार अधिक मायने रखता है | इसके उपचार में यकृत की कोशिकाओं के नुक्सान और उनकी जटिलताओं को कम करने की कोशिश की जाती है | इसके अधिक गंभीर मामलों में ऐसाइटीज को मूत्रवर्द्धक दवाइयां देकर कम किया जाता है | ये मुत्र्वर्द्धक दवाइयां अवधारित ऐसाइटिक द्रव को बाहर निकालने में प्रभावी होती है | साथ ही रोगी के आहार में प्रोटीन को पूर्णतया बंद कर दिया जाता है | क्योंकि क्षतिग्रष्त उत्तक प्रोटीन का चयापचय ठीक ढंग से नहीं कर सकते | इस रोग में लीवर विषाक्त पदार्थो को विषरहित करने में असमर्थ होता है , इसलिए आंतो से विषाक्त पदार्थों के शोषण को रोकने के लिए चिकित्सक एंटीबायोटिक्स आदि देकर आँत को विसंक्रमित करते है | अगर रोग अधिक गंभीर अवस्था में है तो लीवर ट्रांसप्लांट (Liver Transplant) ही एक जरिया बचता है जिससे रोगी की जान बचाई जा सकती है | अत: यकृत से सम्बन्धित समस्याओं में चिकित्सकीय जांच आदि करवानी आवश्यक होती है | ताकि समय से पहले रोग का पता लगाया जा सके |    

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