नित्यानंद रस : यह आयुर्वेदिक औषधि हाथीपांव या फीलपांव रोग की सुप्रसिद्ध दवा है | यह कीटाणुनाशक, योगवाही एवं रसायन औषधीय गुणों वाली दवा है | श्लीपद या हाथीपांव रोग दूषित जलवायु के कारण होने वाला रोग है, आधुनिक मतानुसार यह रोग फिलेरिया नामक कीटाणु के कारण उत्पन्न होता है | यह रोग वात कफ़ प्रधान होता है | नित्यानंद रस वात कफ़ नाशक एवं कीटाणु नाशक गुणों के कारण इस रोग में बहुत फायदेमंद रहता है |
आइये जानते हैं हाथीपांव की दवा नित्यानंद रस के बारे में :-
दवा का नाम (Name of Medicine) | नित्यानंद रस |
प्रकार (Type) | गोली |
परिकल्पना (Thesis) | रस रसायन परिकल्पना |
प्रधान द्रव्य (Basic Content) | शुद्ध पारा, गंधक, हरताल, कांस्य भस्म |
औषधीय गुण (Medicinal properties) | योगवाही, कीटाणुनाशक, रसायन पाचक, दीपक |
त्रिदोष गुण | वात कफ़ नाशक |
उपयोग (Uses) | हाथीपांव, कीटाणुनाशक, गंडमाला वातरक्त आदि रोगों में |
सेवन की विधि (How to use) | एक या दो गोली दिन में दो बार शीतल जल या गोमूत्र के साथ |
नुकसान (Side effects) | कोई ज्ञात दुष्प्रभाव नहीं |
सावधानियां (Precautions) | गर्भवती महिलाओं एवं बच्चों को बिना चिकित्सक की सलाह के सेवन न करायें |
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नित्यानंद रस क्या है / What is Nityanand ras ?
यह आयुर्वेदिक औषधि एक कीटाणुनाशक रसायन है | हाथीपांव, गंडमाला एवं आंत बढ़ जाने की समस्या में यह औषधि बहुत गुणकारी है | सिंगरफ से निकला हुवा पारा, शुद्ध गंधक, ताम्र भस्म, कांस्य भस्म जैसे अवयवों से बनी यह दवा वात एवं कफ़ नाशक गुणों वाली है | दूषित जलवायु के कारण होने वाले रोग फीलपांव की यह सुप्रसिद्ध दवा है | इस रोग के प्रारंभ में शरीर के मांसल वाले हिस्से में सुजन होती है एवं धीरे धीरे यह रोग शरीर में घर कर लेता है |
हाथीपांव रोग का प्रकोप विशेषकर पैरो पर होता है | इसमें पैर में सुजन आ जाना, त्वचा काली पड़ जाना, दर्द होना जैसे विकार हो जाते हैं | ऐसे में नित्यानंद रस का निरंतर सेवन करने से इस समस्या में लाभ मिलता है |
घटक द्रव्य / Ingredietns
- सिंगरफ से निकला हुआ पारा
- कांस्य भस्म
- शुद्ध गंधक
- ताम्र भस्म
- बंग भस्म
- शुद्ध हरताल
- शंख भस्म
- कौड़ी भस्म
- शुद्ध तूतिया
- सोंठ
- मिर्च
- पीपल
- आंवला
- हर्रे
- बहेड़ा
- लौह भस्म
- वायविडंग, सेंधा नमक
- सोचर नमक, विड नमक
- कांच नमक, समुद्र नमक
- चव्य, पीपल मूल, बच
- कपूर, पाठा, देवदारु
- इलायची, निशोथ
- दंती, चीतामूल
नित्यानंद रस कैसे बनाया जाता है / How to prepare Nityanand ras ?
इस औषधि को बनाने के लिए सबसे पहले पारा और गंधक की कज्जली बनाई जाती है | इसके बाद अन्य भस्में एवं औषधियों को चूर्ण बना कर मिला लिया जाता है | अब इस मिश्रण में हर्रे के क्वाथ की भावना देकर छोटी छोटी गोलियां बना ली जाती हैं | इस तरह से नित्यानंद रस तैयार हो जाता है |
सेवन कैसे करें / How to use Nityanand ras ?
इसकी एक से दो गोली चिकित्सक के निर्देशानुसार शीतल जल या गोमूत्र के साथ करना चाहिए |
नित्यानंद रस के गुणधर्म एवं प्रभाव / Properties and effects of Nityanand ras
- वात कफ़ नाशक
- पाचक एवं दीपक
- कीटाणु नाशक
- शक्तिवर्धक
- रसायन
- शोथहर
नित्यानंद रस के फायदे एवं उपयोग / Benefits and uses of Nityanand ras
पारद, गंधक, लौह भस्म, बंग भस्म एवं शंख भस्म जैसे ताकतवर अवयवों से बनी यह औषधि बहुत उपयोगी है | अपने कीटाणु नाशक एवं वात कफ़ नाशक गुणों के कारण इसका उपयोग फीलपांव, हाथीपांव, आंत्रवृद्धि, अर्बुद, गंडमाला जैसे रोगों में होता है | हाथीपांव रोग की तो यह सबसे अच्छी आयुर्वेदिक दवा है | नित्यानंद रस का सेवन पथ्य अपथ्य के अनुसार निरंतर करने से इस समस्या में बहुत राहत मिलती है |
यह रोग दूषित जलवायु के कारण होता है | प्रारंभ में इस रोग में हल्का ज्वर होता है शरीर के अंगो में सुजन होती है | फिर धीरे धीरे जैसे ज्वर कम होता है सुजन भी कम हो जाती है | लेकिन जैसे ही यह रोग पुरे शरीर में फ़ैल जाता है तो इसका प्रभाव दिखने लगता है | इसमें अधिकतर पांव में बहुत अधिक सुजन हो जाती है एवं दर्द रहने लगता है | इसके अलावा कभी कभी हाथ, होंठ, अंडकोष या लिंग आदि पर भी सुजन आने लग जाती है | ऐसे में नित्यानंद रस का सेवन लगातार करने से फायदा होता है |
नुकसान एवं सावधानियां / Side effects and precautions
यूँ तो इस दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं है | लेकिन पारद गंधक एवं अन्य खनिज भस्मों के कारण इसका सेवन बहुत सावधानी से करना चाहिए | अधिक मात्रा में या अधिक समय तक इसका सेवन करना खतरनाक हो सकता है | इसलिए बिना चिकित्सक की सलाह के इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए | गर्भवती महिलाओं एवं बच्चों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए |
Frequently asked questions / सवाल जवाब
नित्यानंद रस का उपयोग किन रोगों में किया जाता है ?
इस दवा का उपयोग फीलपांव, गंडमाला, सुजन दूर करने, अर्बुद आदि रोगों में किया जाता है |
नित्यानंद रस का सेवन अंग्रेजी दवाओं के साथ कर सकते हैं क्या ?
इसका उपयोग चिकित्सक की सलाह से अन्य दवाओं के साथ किया जा सकता है |
क्या गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन करना चाहिए ?
गर्भवती महिलाओं को नित्यानंद रस का सेवन करने से बचना चाहिए |
नित्यानंद रस का सेवन करते समय क्या क्या सावधानी रखनी चाहिए ?
इस औषधि का उपयोग अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए |
क्या बच्चो को इस दवा का सेवन कराया जा सकता है ?
चिकित्सक की सलाह के बिना इस दवा का सेवन बच्चों को नहीं करना चाहिए |
धन्यवाद ||
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