महामृत्युंजय रस के फायदे | घटक द्रव्य एवं सेवन की विधि

महामृत्युंजय रस (Mahamrityunjay Ras) : यह आयुर्वेद की शास्त्रोक्त औषधि है | कफ प्रधान बुखार, प्लेग, खांसी, मलेरिया, भोजन में अरुचि एवं वमन में यह अत्यंत लाभदायक औषधि है | आयुर्वेद चिकित्सा में यह रस औषधियों में आती है | महामृत्युंजय रस हृदय को उतेजना देता है एवं नाड़ियों में रहे कफ एवं आम का शोषण करके मल एवं मुत्रावरोध को दूर करता है |

सबसे महत्वपूर्ण इसका प्रयोग रक्त में रहे कीटाणुओं को दुर करने में किया जाता है | यह औषधि प्लेग एवं मलेरिया के पश्चात शरीर में रहे कीटाणुओं को नष्ट करने में अत्यंत उपयोगी है |

आज इस आर्टिकल में हम आपको महामृत्युंजय रस के फायदे, घटक द्रव्य एवं इसे बनाने की विधि एवं सेवन की सावधानियों का वर्णन करेंगे |

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महामृत्युंजय रस के घटक द्रव्य / Ingredients of Mahamrityunjay Ras in Hindi

यहाँ हमने रसतंत्रसार एवं सिद्धप्रयोग संग्रह के अनुसार इसके घटक द्रव्यों के बारे में बताया है | बाजार में रसेन्द्रसार संग्रह के अनुसार बनी हुई महामृत्युंजय रस अधिक उपलब्ध होती है | भले ही दोनों के कुच्छ घटक अलग हो लेकिन रोगोपयोग समान ही प्रतीत होता है |

महामृत्युंजय रस बनाने की विधि

महामृत्युंजय रस

मृत्युन्जय रस (महा) बनाने के लिए सभी औषध द्रव्यों को ऊपर निर्देशित मात्रा में ले लिया जाता है |

Total Time: 2 hours and 30 minutes

शुद्ध मल्ल, हरताल, जमालघोटा एवं वत्सनाभ का महीन चूर्ण करना

सबसे पहले शुद्ध मल, शुद्ध हरताल, शुद्ध वत्सनाभ एवं शुद्ध जमालघोटा प्रत्येक को 10 – 10 ग्राम की मात्रा में लेकर खरल में महीन चूर्ण करलिया जाता है |

सुहागे का फुला एवं सोंठ का चूर्ण

सुहागे का फुला एवं सोंठ दोनों को 20 – 20 ग्राम की मात्रा में लेकर इनका भी खरल में महीन चूर्ण बना लिया जाता है |

हिंगुल एवं सफ़ेद कत्था

अब हिंगुल एवं सफ़ेद कत्था को 40 – 40 ग्राम की मात्रा में लेकर इनका भी बारीक़ चूर्ण करलिया जाता है |

सत्यानाशी का स्वरस या क्वाथ

अगर सत्यानाशी ताजा उपलब्ध होती है तो इसका स्वरस इतनी मात्रा में निकाल लिया जाता है कि ऊपर निर्देशित सभी चूर्ण इसमें मिल जावे | स्वरस की जगह क्वाथ भी उपयोग में लिया जा सकता है अगर सत्यानाशी ताजा उपलब्ध न हो तो |

स्वरस में घोंटना

सबसे अंत में सभी चूर्ण को मिलाकर सत्यानाशी के उपलब्ध स्वरस या क्वाथ में डालकर लगातार खरल में घोंटते है जिससे बिलकुल महीन एवं शुद्ध महामृत्युंजय रस प्राप्त होता है | यह प्रक्रिया लगभग 12 घंटे तक की जाती है |

गोलियां बनाना

भावना देने (घोंटने) के पश्चात इसकी आधा – आधा रति अर्थात लगभग 60 mg की गोलियां बना ली जाती है | इस प्रकार से महामृत्युंजय रस तैयार होता है |

यहाँ बताई गई महामृत्युंजय रस बनाने की विधि महज शैक्षणिक है अर्थात इसका निर्माण घर पर नहीं किया जा सकता | रस औषधियों का निर्माण निपुण वैद्य एवं फार्मासिस्ट की निगरानी में आधुनिक आयुर्वेदिक फार्मेसियों में किया जाता है जहाँ निर्माण के पश्चात इनकी क्वालिटी भी चेक की जाती है |

महामृत्युंजय रस के फायदे / Health Benefits of Mahamrityunjay Ras in Hindi

  • यह प्लेग रोग में अत्यंत फायदेमंद आयुर्वेदिक औषधि है |
  • विषम ज्वर अर्थात मलेरिया बुखार में भी बहुत फायदेमंद है |
  • रक्त में बचे प्लेग एवं मलेरिया के कीटाणुओं को नष्ट करके रोग को जड़ से ख़त्म करता है |
  • कफ प्रधान बुखारों में आयुर्वेदिक वैद्य परामर्श से इसका सेवन लाभ देता है |
  • श्वांस एवं खांसी रोग में महामृत्युंजय रस का सेवन फायदेमंद है यह अतिरिक्त कफ को नष्ट करके रोग में लाभ पहुंचाती है |
  • यह नाड़ी की गति को सामान्य करता है | इसमें वत्सनाभ औषध द्रव्य है जो ज्वर के कारण तीव्र चलने वाली नाड़ी की गति को सामान्य करता है
  • एसी बुखार जो किसी भी औषधि से नहीं उतरती उसमे इसका प्रयोग मृत्यु पर विजय प्राप्त करने जैसा है | यह तुरंत बुखार को उतारती है |
  • घटक द्रव्यों में हिंगुल होने के कारण कीटाणुनाशक गुणों से युक्त औषधि है |
  • हरिताल मिला होने के कारण विष दोष को दूर करने में सक्षम औषधि है |
  • महामृत्युंजय रस शरीर का शोधन भी करती है क्योंकि इसमें रेचक द्रव्य जमालघोटा मिला हुआ है जो रेचन का कार्य करता है एवं शरीर से गंदगी को बाहर निकालता है |

सेवन की विधि / Method of Intake

इसके सेवन को आयुर्वेद चिकित्सा में विभिन्न रोगों में भिन्न – भिन्न अनुपानों के साथ प्रयोग करवाया जाता है | इसे आप निम्न प्रकार से समझ सकते है |

रोग (कौनसे रोग में)अनुपान (किसके साथ लेना चाहिए)
वात ज्वर में दही के साथ 1 – 1 गोली
सन्निपात ज्वर या प्लेग में अदरक स्वरस के साथ 1 – 1 गोली दिन में 3 बार
जीर्ण ज्वर (पुराने बुखार) में नागरबेल के पान के रस के साथ 1 – 1 गोली सुबह – शाम
अजीर्ण बुखार / पाचन दोष निम्बू रस के साथ – 1 गोली की मात्रा में दिन में दो बार
मलेरिया रोग में काला जीरा या गुड़ के साथ 1 – 1 गोली दिन में 3 बार
कफज ज्वर में शहद के साथ 1 – 1 गोली सुबह – शाम
महामृत्युंजय रस की सेवन विधि

सावधानियां / नुकसान

यह आयुर्वेद की रस औषधि है जिसका प्रयोग बिना वैद्य परामर्श नहीं करना चाहिए | क्योंकि अनुचित मात्रा एवं गलत अनुपान के साथ लिया गया महामृत्युंजय रस आपके लिए नुकसान दायक हो सकता है | अगर बुखार तेज हो एवं रक्त भी आ रहा हो साथ में पतले दस्त लगे हुए हो तो एसी स्थिति में इस औषधि का सेवन नहीं करना चाहिए |

अधिक मात्रा में सेवन करने पर पेचिस, पेट में दर्द एवं चक्कर आने जैसी समस्याएं हो सकती है |

सामान्य सवाल – जवाब / FAQ

क्या महामृत्युंजय रस को बिना सलाह लिया जा सकता है ?

जी नहीं ! इसका सेवन बिना वैद्य परामर्श नहीं करना चाहिए |

कितने दिन तक इसका नियमित सेवन किया जा सकता है ?

रोग के प्रकार एवं स्थिति के आधार पर आपका डॉ इसका निर्धारण करता है की कितने समय एवं कितनी मात्रा में इसका सेवन करना है |

महामृत्युंजय रस के साइड इफेक्ट्स क्या है ?

अगर आप अधिकृत आयुर्वेदिक फिजिशियन से सलाह लेकर निर्देशित मात्रा में इसका सेवन करते है तो इसके कोई भी दुष्प्रभाव नहीं है | अधिक मात्रा में प्रयोग करने से कुछ शारीरिक नुकसान हो सकते है |

कौन – कौनसी फार्मेसियां इसका निर्माण करती है ?

अधिकतर सभी आयुर्वेदिक फार्मेसियां इसका निर्माण करती है | बाजार में यह बैद्यनाथ, डाबर, पतंजलि, कोट्टकल आयुर्वेद एवं धूतपापेश्वर फार्मेसियों का आसानी से उपलब्ध हो जाता है |

महामृत्युंजय रस कहाँ मिलेगा ?

आपके नजदीकी आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर एवं ऑनलाइन अमेज़न एवं अन्य प्लेटफॉर्म पर आसानी से उपलब्ध हो जायेगा |

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