सत्यानाशी दिव्य औषधि – जाने इसके गुण, उपयोग एवं स्वास्थ्य प्रयोग ||

सत्यानाशी / Satyanashi 

परिचय – सम्पूर्ण भारत के राज्यों में सत्यानाशी के पौधे बंजर भूमि, सड़क के किनारे या खुले क्षेत्रो में उगते है | इसे भटकटैया, भडभांड, घमोई आदि नामों से भी जाना जाता है | संस्कृत में इसे स्वर्णक्षीरी नाम से पुकारा जाता है |

सत्यानाशी
commons.wikimedia.org

अधिकतर लोग इसे खरपतवार या व्यर्थ वनस्पति समझते है | लेकिन घरेलु चिकित्सा में यह एक दिव्य औषधि साबित होती है | सत्यानाशी का पौधा 2 से 3 फीट तक ऊँचा होता है | इसके पते और फलों पर कांटे लगते है | पौधे पर पीले रंग के फुल आते है एवं फूलों एवं तने को तोड़ने पर पीले रंग का द्रव्य भी निकलता है |

पौधे का रंग कुच्छ नीलापन लिए हुए हरा होता है पतों पर सफ़ेद रेखाएं होती है | सत्यानाशी के फल लम्बे कटोरी नुमा होते है जिनमे राई या चायपति की तरह बीज होते है | सत्यानाशी के बीज को जलते अंगारे पर डालने से भडभड की आवाज आती है इसीलिए कई राज्यों में इसे भडभड भी पुकारा जाता है |

वैसे यह अमेरिका की देशज वनस्पति है जो भारत में खरपतवार स्वरुप आई मानी जा सकती है |

सत्यानाशी के गुण धर्म 

यह स्वाद में चरपरी एवं कड़वी होती है | गुणों में लघु और रुक्ष एवं उष्ण वीर्य होती है | यह दस्तावर, शीत, मितली लानेवाली, विष, कफ, रक्तपित, कोढ़ सुजन, पित्ज्वर, सुजाक, पत्थरी एवं गठिया रोग का नाश करने वाली होती है | सत्यानाशी की जड़, तना, पते एवं बीज सभी का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है |

खांसी की समस्या में यह फायदेमंद होती है | फोड़े – फुंसियों एवं सभी त्वचा विकारों में पतों का रस, सत्यानाशी के बीज का तेल और दूध का प्रयोग बाह्य रूप से किया जाता है | इसकी जड़ का रस विष, उदरकृमि (पेट के कीड़े) एवं रक्तविकारों को दूर करने में फायदेमंद होता है |

सत्यानाशी के स्वास्थ्य उपयोग या फायदे 

1. आँखों की सुजन – सत्यानाशी के पतों को थोड़े से जल में उबालकर, उस जल से आँखे धोने से आँखों में आई हुई सुजन तुरंत कम हो जाती है | इसी प्रकार इसके पतों का रस आँखों में अंजने से आँखों की फूली और जालों से आराम मिलता है |

2. खुजली – अगर शरीर पर बहुत अधिक खुजली हो रही हो तो सत्यानाशी के पतों को जल में उबालकर स्नान करने से खुजली से राहत मिलती है |

  • इसीप्रकार से इसकी पतों का रस खुजली वाले स्थान पर लगाने से भी राहत मिलती है |
  • सत्यानाशी के बीजों को जलाकर राख बना ले | इस राख को सरसों के तेल में मिलाकर लगाने से भी खुजली से राहत मिलती है |

3. फोड़ा – फोड़े फुंसियों एवं पुराने घावों पर इसके दूध को लगाने से आराम मिलता है | पौधे के पतों या तने को तोड़ने से एक पीले रंग का दूध निकलता है जिसका उपयोग सभी प्रकार के त्वचा विकारों में किया जा सकता है | यह फोड़े – फुंसी एवं व्रण को ठीक करने में लाभदायक सिद्ध होता है |

4. सत्यानाशी का तेल – इसका तेल बनाने के लिए एक पाव बीजों को सरसों के तेल में कूटकर डालें और अच्छी तरह उबाल लें | जब बीज जल जावे तो उतार कर ठंडा करके छान ले | इस तेल को बवासीर में उपयोग लेने से बहुत फायदा मिलता है | बादी बवासीर में सत्यानाशी तेल का प्रयोग करने से अत्यंत लाभ मिलता है |

5. कुष्ठ रोग – कोढ़ फूटने पर सत्यानाशी के एक तोला रस को सुबह – शाम खाली पेट सेवन करवाने से आराम मिलता है | कुष्ठ के रोगी को सत्यानाशी के काढ़े से नहलाना बहुत लाभदायक होता है | इस रोग में इसका प्रयोग जानकर वैद्य की देख रेख में करना चाहिए |

6. विष विकार – किसी जीव जंतु के काटने या शरीर में विष विकार होने पर इसके बीजों को पानी में पीसकर सेवन करवाने से लाभ मिलता है | विषैले जीव के काटे स्थान पर इसके रस को लगाने से लाभ मिलता है |

7. मूत्रविकार – सत्यानाशी के पीले दूध को घी के साथ 5 मिली. की मात्रा में उपयोग लेने से सभी प्रकार के मूत्र विकार दूर होते है |

8. सत्यानाशी का तेल दाद एवं खाज खुजली वाली जगह लगाने से तुरंत आराम मिलता है |

9. उदरविकार – पेट के रोगों में सत्यानाशी की जड़ का चूर्ण एक ग्राम की मात्रा में पानी या घी के साथ सेवन करवाने से पेट के रोग मिटते है | पेट के कीड़ों में भी इस चूर्ण के सेवन से छुटकारा मिलता है |

10. पाचन सम्बन्धी समस्या – इसकी जड़ को अल्प मात्रा में अदरक और 2 कालीमिर्च के साथ पीसकर मात्र 5 दिन सेवन करने से सभी प्रकार के पाचन विकार दूर होने लगते है | मन्दाग्नि, गैस, अजीर्ण, अपच, पेट दर्द, दस्त और संग्रहणी जैसे रोगों से छुटकारा मिलता है |

11. श्वास – कास = दमे और कास की समस्या में इसकी जड़ का चूर्ण गरम जल के साथ सेवन करना लाभदायक होता है | गरम जल के साथ सेवन करने से कफ पिघलकर बाहर आने लगता है | इसके दूध की 3 बूंद बतासे में डालकर सेवन करने से भी अस्थमा कफज विकारों में लाभ मिलता है |

12. शीघ्रपतन या नपुंसकता – सत्यानाशी के छाल के चूर्ण के साथ बरगद के पेड़ का दूध गरम करके छोटी – छोटी चने के सामान गोलियों का निर्माण करले | इन गोलियों का सेवन सुबह – शाम दूध के साथ करने से नपुंसकता से छुटकारा मिलता है |

धन्यवाद |

 

2 thoughts on “सत्यानाशी दिव्य औषधि – जाने इसके गुण, उपयोग एवं स्वास्थ्य प्रयोग ||

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *