आयुर्वेदिक औषधि के नाम : यहाँ आपको आयुर्वेद की सभी औषधियों के नाम एवं उनके उपयोग की जानकारी मिलेगी | औषधि से तात्पर्य आयुर्वेदिक दवा है | अर्थात आयुर्वेद की सभी शास्त्रोक्त औषधियों की जानकारी हमने यहाँ पर उपलब्ध करवाई है | इन सभी औषधियों को A से लेकर Z तक के कर्म में हमने लिखा है |
ताकि आयुर्वेदिक औषधि के नाम एवं उनका उपयोग समझने में आसानी हो | तो चलिए आपको बताते है सभी आयुर्वेदिक औषधियों के नाम एवं उनका संक्षिप्त उपयोग
A आयुर्वेदिक औषधि के नाम एवं उनका उपयोग
1. अकीक पिष्टी (विशेष) – इसका उपयोग हृदय की उष्णता, निर्बलता एवं सभी हृदय रोगों में किया जाता है | नेत्ररोग, रक्तप्रदर, एवं मष्तिष्क को शांत करने वाली है | यह शीतल स्वाभाव की आयुर्वेदिक दवा है |
2. अकीक भस्म – इसका उपयोग भी हृदय विकारों के लिए किया जाता है | यह भी शीतल वीर्य औषधि है | अधिकतर इन रोगों में अकीक भस्म का ही उपयोग होता है |
3. अभ्रक भस्म – यह आयुर्वेद चिकित्सा की प्रसिद्द भस्म औषधि है | इसका उपयोग विभिन रोगों में किया जाता है जैसे – आँखों के रोग, श्वास, कास, कफवृद्धि, जीर्णज्वर, प्रमेह, धातु दुर्बलता, खून की कमी, भूख न लगना एवं शुक्र स्तंभन में उपयोगी औषधि है |
4. अगस्ति सुतराज रस – आयुर्वेद की शास्त्रोक रस औषधि है | यह पाचक, दीपन एवं आमपाचन औषधि है | इसका उपयोग अनिद्रा, भूख की कमी एवं कमजोर पाचन को सुधारने में किया जाता है |
5. अग्निकुमार रस – इस आयुर्वेदिक औषधि का नाम भी पाचन एवं दीपन के लिए आता है | यह पाचन को सुधारने, भूख बढ़ाने एवं अग्नि को प्रदीप्त करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है |
6. अग्नितुंडी वटी – यह आफरा, मन्दाग्नि, दर्द, भोजन पचना, आमातिसार, कुते का विष एवं निर्बलता, हृद्य रोग आदि में लाभदायक औषधि है |
7. अग्नि रस – यह औषधि भी आयुर्वेद की शास्त्रोक्त रस औषधि है | यह सौम्य औषधि है जो टीबी की खांसी, टीबी, एवं फेफड़ों के लिए अतिउत्तम आयुर्वेदिक औषधि है |
8. अचिन्त्यशक्ति रस – यह रस औषधि फेफड़ों का सुजन, श्वांस रोग, खांसी, कफ के साथ आने वाली बुखार और सन्निपात ज्वर में अत्यंत चमत्कारी रसायन सिद्ध होता है |
9. अमरसुंदरी वटी – इसका उपयोग मिर्गी, श्वांस, खांसी, बवासीर एवं सन्निपातज वात रोगों में किया जाता है | यह औषधि सभी उम्र के व्यक्तियों को नि: संदेह उपयोग करवाई जा सकती है |
10. अमीर रस – इसका उपयोग उपदंश, संधिवात एवं उपदंश के कारण उत्पन्न उपद्रव को ठीक करने के लिए किया जाता है |
11. अर्धांगवातारी रस – यह अर्धांगवात एवं एकांगवात की प्रसिद्द औषधि है | अर्धांगवात से तात्पर्य आधे अंगों में वात की पीड़ा होना होता है |
12. अर्शकुठार रस – यह रस औषधि विशेषकर अर्श रोग में उपयोग होने वाली प्रचलित औषधि है |
13. अश्वकंचुकी रस – इसका उपयोग वात एवं पित्त कफज दोषों को दूर करने के लिए किया जाता है | यकृत विकारों में इसका प्रमुखता से उपयोग किया जाता है |
14. अश्विनीकुमार रस – यह रस औषधि भी आयुर्वेद चिकित्सा की शास्त्रोक्त औषधि है | इसका उपयोग ज्वर, मूत्रकृच्छ एवं पित्त प्रधान विषम ज्वर का नाश होता है एवं बल की वृद्धि होती है साथ ही अमाशय, पक्वाशय एवं मलाशय की सुद्धि होती है |
15. आखुविशान्तक रस – इसका उपयोग जहर को उतरने के लिए किया जाता है | जहरी जंतुओं के विष को दूर करने के लिए इस औषधि का प्रयोग आयुर्वेदिक चिकित्सक करवाते है |
16. आनन्दभैरव रस – यह रस कफ ज्वर, खांसी, श्वांस, जुकाम, भूख की कमी, दस्त आदि में इसका विशेष लाभ मिलता है |
17. आमवात प्रमथिनी वटी – यह औषधि आमवात, कफ वृद्धि एवं कफ के प्रकोप से होने वाले रोगों में उपयोग में ली जाती है |
18. अरोग्यवर्द्धिनी वटी – यह कुष्ठ, वात, पित्त, कफज ज्वर में उपयोगी है | यह गुटिका पाचन, दीपन एवं पथ्य्कारक है | इसका उपयोग सामान्यत: सभी रोगों में किया जाता है |
19. आंत्रवृद्धिहर गुटिका – यह औषधि नियमित सेवन की जाये तो आँतों से सम्बंधित सभी रोगों में लाभ मिलता है | पेटदर्द, कब्ज एवं पेट की वायु आदि में भी उपयोगी है |
20. अभ्यादी मोदक – इसका उपयोग एनीमिया (खून की कमी), विषविकार, खांसी, मलेरिया एवं भूख न लगने की समस्या में किया जाता है |
21. अजमोदादी चूर्ण – यह आयुर्वेद का शास्त्रोक्त चूर्ण कल्पना की दवा है | इसका उपयोग आमवात, कटिवात, अपच एवं अजीर्ण में किया जाता है |
22. अमृत चूर्ण – इसका उपयोग नए बुखार, पुराने बुखार एवं ठण्ड के साथ चढ़ने वाली बुखार में उपयोग किया जाता है | इन रोगों में इस औषधि का उपयोग अत्यंत लाभदायक साबित होता है |
23. अविपत्तिकर चूर्ण – सीने की जलन, एसिडिटी, पेट दर्द, कमजोर पाचन एवं अजीर्ण के कारण आने वाली समस्याओं में उप्ग्यो किया जाता है |
24. अर्जुनारिष्ट – यह आयुर्वेद की अरिष्ट कल्पना की दवा है | इसका उपयोग हृदय विकारों में अधिकतर किया जाता है |
25. अभ्यारिष्ट – अभ्यारिष्ट औषधि भी अरिष्ट कल्पना की औषधि है | इसका उपयोग बवासीर, कब्ज, भूख की कमी, एवं अजीर्ण – अपच आदि में किया जाता है |
B आयुर्वेदिक औषधि के नाम एवं उनका उपयोग
1. बोलप्रपटी – यह औषधि खुनी बवासीर जैसे रोगों में रक्त को रोकने का कार्य करती है |
2. बालचंद्र रस – इसका उपयोग टीबी रोग में होने वाले उपद्रवों को दूर करने के लिए किया जाता है | कफ के साथ खून आने, मूत्र का पीलापन, जलन, अधिक पसीना आना, व्याकुलता एवं अनिद्रा जैसे रोगों में किया जाता है |
3. बालसंजीवन रस – यह रस बच्चों की बुखार, खांसी , दस्त, उल्टी एवं जुकाम, अपच आदि में बहुत लाभप्रद है |
4. बालार्क गुटिका – इस आयुर्वेदिक औषदी का नाम स्वर्ण मालिनी के सामान रस आदि सातों धातुओं का पौषण करती है | यह कमजोर बालको को पुष्ट करने में अत्यंत फायदेमंद दवा है |
5. बोलबद्ध रस – इसका उपयोग खुनी बवासीर, भगंदर, रक्त – पित्त, रक्तप्रदर, पेशाब का रुक – रुक के आना, प्रमेह एवं वातज रोगों में किया जाता है |
6. बृहद योगराज गुग्गुलु – यह रस वात व्याधि, आमवात, वात रक्त, अर्श, कुष्ठ, संग्रहणी (IBS), नाभि में दर्द होना, भगंदर, मिर्गी, श्वांस, खांसी एवं भूख न लगने की समस्या में अधिकतर उपयोग होता है |
7. बृहद वंगेश्वर रस – इसका उपयोग साध्य एवं असाध्य प्रमेह, पेशाब की समस्या, खून की कमी, ज्वर, आमदोश, भूख की कमी, बार – बार पेशाब आना आदि में किया जाता है |
8. ब्राह्मी वटी – इसका उपयोग बुखार के कारण आई कमजोरी, पुराने बुखार, मष्तिष्क की कमजोरी एवं हृदय की निर्बलता भूलने की बीमारी एवं धातु स्राव आदि में किया जाता है |
9. बालजीवन वटी – इसका उपयोग बच्चों की समस्याओं में किया जाता है | बच्चो की पसली रोग, खांसी, कब्ज, आफरा एवं पेशाब न लगने की समस्या में किया जाता है |
10. बालरक्षक गुटिका – बालको के पतले दस्त, अजीर्ण, उल्टी, वायु, मन्दाग्नि एवं निर्बलता में इसका उपयोग किया जाता है |
C आयुर्वेदिक औषधि के नाम एवं उपयोग
यहाँ हमने हिंदी के ‘च’ एव ‘छ’ नाम से शुरू होने वाली आयुर्वेदिक औषधियों के नाम एवं उनका उपयोग की सूचि बताई है | देखें –
1. चतुर्मुख रस : यह टीबी रोग में उपयोग की जाती है | इस रस को अग्निदीपक, पाचक, बल वर्द्धक, रसायन, आदि औषधियों की भावना देने से इसमें पाचन एवं भूख बढ़ाने वाले गुण आ जाते है | साथ ही प्रमेह रोग में भी उपयोगी होती है |
2. चंद्रान्शु रस : इसका उपयोग स्त्रियों के गर्भाशय शोधन, योनीशूल, योनी में होने वाले दर्द, जलन, खाज – खुजली एवं हिस्टीरिया आदि विकारों को शीघ्र दूर करता है |
3. चंदनादी लौह (ज्वर) : इसका उपयोग सभी प्रकार के विषम ज्वर अर्थात मलेरिया जैसी बुखारों में प्रमुखता से किया जाता है | साथ ही आँखों की जलन, प्लीहा की वृद्धि, मन्दाग्नि (भूख कम लगना) एवं खून की कमी आदि में भी लाभदायक है |
4. चंदनादी लौह (प्रमेह) : इसका उपयोग प्रमेह, श्वांस, खांसी, पुरानी बुखार, बवासीर एवं पीलिया आदि में किया जाता है |
5. चन्द्रकला रस : यह रस सभी प्रकार की खून की खराबी, रक्तप्रदर, मूत्रकृच्छ, पत्थरी, प्रमेह, अम्लपित, अंतरदाह एवं मूर्च्छा आदि में उपयोगी है |
6. चन्द्रशेखर रस : इसका उपयोग बच्चे एवं बूढ़े सभी को करवाया जा सकता है | यह अजीर्ण, वमन, दस्त, दर्द, जुकाम आदि रोगों में उपयोगी है
7. चंद्रामृत रस : इसका उपयोग खांसी, श्वांस, अधिक प्यास लगना, आदि रोगों में उपयोगी है |इसके सेवन से खांसी का वेग कम होता है |
8. चित्रकादी वटी : यह आम दोष का नाश करने वाली एवं भूख को बढ़ाने वाली औषधि है |
9. चान्गेरी घृत : इसको पिलाने से गुदभ्रिंश रोग दूर होता है | यह पेट की पीड़ा, दस्त, भूख की कमी आदि को भी दूर करता है |
10. छर्दीरिपु वटी : उल्टी को रोकने के लिए प्रयोग होती है | साथ ही भोजन में अरुचि को भी दूर करती है |
D से शुरू होने वाली आयुर्वेदिक औषधियां / Ayurvedic Aushdhi Name Started with D in Hindi
1. दशमूल क्वाथ : इसका उपयोग स्त्री प्रसूति विकारों में बुखार, खांसी, जुकाम आदि में किया जाता है |
2. द्राक्षावलेह : यह अवलेह प्रकरण की औषधि है | इसका उपयोग स्वांस रोग, खांसी, उदर विकार आदि में किया जाता है |
3. दशांग लेप : शास्त्रोक्त औषधि है | त्वचा विकारों में इसका प्रयोग किया जाता है |
4. दन्तप्रभाकर मंजन : इसका उपयोग दांतों की सफाई के लिए मंजन के रूप में किया जाता है |
5. दन्तदोषहर मंजन : दांतों एवं मसूड़ों की समस्याओं में दन्तदोषहर मंजन का उपयोग किया जाता है |
6. धनंजय वटी : यह प्रभावशाली वीर्यवान औषधि है | इसका उपयोग दुष्टसाध्य कब्ज रोग में किया जाता है |
7. दुग्ध वटी : इसका उपयोग विभिन्न प्रकार की सुजन, दस्त, पेचिस, विषमज्वर एवं खून की कमी में किया जाता है |
8. धातक्यादी तेल : इसका उपयोग फोड़े-फुंसी, घाव, सुजन एवं योनी में पिच्चू धारण के लिए किया जाता है |
9. दशमूलारिष्ट : इसके सेवन से संग्रहनी, अरुचि, अपच, खांसी, श्वांस, भगंदर आदि रोगों में लाभ मिलता है |
10. दुर्जलजेता रस : इसका उपयोग आफरा, मौसम के कारण होने वाली बुखार, मन्दाग्नि, कब्ज आदि में किया जाता है |
E आयुर्वेदिक औषधि के नाम
- इच्छाभेदी रस
- एकांगवीर रस
- एलादी गुटिका
- एरंडपाक
- इंदुकला वटी
- एरिमेदादी तेल
- एलादी मन्थ
- एलाध्यरिष्ट
- एलादी वटी
F नाम वाली आयुर्वेदिक औषधियां
- फलासव
- फिटकरी भस्म
- फलघृत
- फलवर्ती
G से शुरू होने वाली आयुर्वेदिक औषधियों के नाम की लिस्ट
- गगनसुन्दर रस
- गजानंद वटी
- गंडमलान्तक लेप
- गंडमालाहर अर्क
- गंधक मलहम
- गंडमालाहर योग
- गर्भधारण योग
- गर्भपोषक योग
- गर्भाशयशोधन योग
- गर्भधारक योग
- गर्भिणीरोग हर योग
- गलगंडहर लेप
- गुग्गुलुपंचतिक्त घृत
- गुड़दी मोदक
- गुदुच्यादी क्वाथ
- गुडूच्यादी रसायन
- गुडूच्यादी लौह
- गूंजागर्भ रस
- गूंजाभद्र रस
- गुल्महर रस
- ग्रधसीहर गुटिका
- गोरक्ष वटी
- गोखरू चूर्ण
- गौक्षुरादी गुग्गुलु
- गोक्षुरादी घृत
- ग्रंथिज्वरहर गुटिका
- गृहणीहर योग
- गजकेशरी रस
- गर्भचिंतामणि रस
- गदमुरारी रस
- गर्भपाल रस
- गुल्मकुठार रस
- गोदंती भस्म
- गोमेदमणि रस
- गोमूत्र क्षार चूर्ण
- गुड़मार अर्क
- गंधक घृत
- घाव तेल
H नाम वाली आयुर्वेदिक औषधियों की सूचि
- हरताल भस्म
- हरताल गोदंती भस्म
- हरताल पुष्प
- हिंगुल रसायन
- हिंगुल वटी
- हेमनाथ रस
- हेमगर्भ पोटली रस
- हिस्टीरियानाशक वटी
- हिंग्वादी वटी
- हिंग्वाष्टक चूर्ण
- हिस्टीरिया नाशक चूर्ण
- हरड पाक
- हरित्क्यादी अवलेह
- हरिद्रा खंड
- हरित्क्यादी क्वाथ
- हरीतकी वटी
- हिमसागर तेल
- हीरक भस्म
- हृदय चूर्ण
- हृदयपौष्टिक चूर्ण
- हेमाभ्रसिंदूर
J नाम वाली आयुर्वेदिक औषधियां
यहाँ हमने ‘ज’ और ‘झ’ नाम से शुरू होने वाली आयुर्वेदिक औषधियों की लिस्ट उपलब्ध करवाई है | इनका उपयोग हम जल्द ही अपडेट करेंगे
- जसद भस्म
- जहरमोहरा पिष्टी
- जयमंगल रस
- जलोदरारी रस
- जातिफलादी वटी
- ज्वरकेशरी वटी
- ज्वरमुरारी गुटिका
- ज्वरारी वटी
- जातीपत्रादि क्वाथ
- जीरकाध्यरिष्ट
- जम्भिरी द्राव
- ज्वरमुरारी अर्क
- जिर्कादी मोदक
- जात्यादी घृत
- जीवन्त्यादी घृत
- जात्यादी धुप
- ज्वरसंहार रस
- ज्वरांतक चूर्ण
- ज्वारघनी गुटिका
- ज्वरारी अभ्र
K आयुर्वेदिक औषधि के नाम देखें निचे
यहाँ हमने ‘क’ नाम वाली आयुर्वेदिक औषधि के नाम की सूचि उपलब्ध करवाई है | इनका उपयोग भी हम जल्द ही अपडेट करेंगे | कृपया हमारे पेज को बुकमार्क करलें ताकि आपको देखने में आसानी हो
- कर्कट भस्म
- कान्तलौह भस्म
- कासीस भस्म
- कासीस गोदंती भस्म
- कुक्कुटांडत्वक भस्म
- कुर्मस्थी भस्म
- कांस्य भस्म
- कनकसुन्दर रस
- कर्पुर रस
- कफकर्तन रस
- कफकुठार रस
- कस्तूरी भैरव रस
- कामदुधा रस
- कामधेनु रस
- कामिनी विद्रावण रस
- कालकूट रस
- कालारी रस
- कुमार कल्याण रस
- कुमूदेश्वर रस
- कुष्ठ कुठार रस
- कुमिमुद्गर रस
- कार्व्यद रस
- कर्पुरादी चूर्ण
- कांचनार गुग्गुलु
- कैशोर गुग्गुलु
- करन्जादी गुटिका
- कर्पुरादी गुटिका
- कन्यालौहादि वटी
- कंठसुधार रस
- कासिसादी वटी
- कंकायण वटी
- कासमर्दन वटी
- कूटजादि वटी
- कृमिघन चूर्ण
- कंटकार्यदि क्वाथ
- कुटजदि कषाय
- कनकासव
- कर्पुरासव
- कर्परारिष्ट
- कुट्जारिष्ट
- कुमार्यासव
- खदिरारिष्ट
- कुष्मांड अवलेह
- कौच पाक
- करवीर तेल
- कटु तुम्बी तेल
- कुष्ठहर लेप
L नाम वाली आयुर्वेदिक औषधियां की लिस्ट
- लौह भस्म
- लघुमालिनी बसंत
- लघुसूतशेखर रस
- लक्ष्मी नारायण रस
- लक्ष्मी विलास रस
- लक्ष्मीविलास रस नारदीय
- लक्ष्मीविलास रस स्वर्णयुक्त
- लवंगादी तालसिंदूर
- लांग्ल्यादी लौह
- लाही चूर्ण
- लीलाविलास रस
- लोकनाथ रस
- लाक्षादी गुग्गुलु
- लवंगादी गुटिका
- लह्सुनादी वाटिका
- लघुगंगाधर चूर्ण
- लवणभास्कर चूर्ण
- लवंगादी चूर्ण
- लघु मंजिष्ठादी क्वाथ
- लोध्रासव
- लाक्षा अर्क
- लबुब कबीर
- लाक्षादी तेल
- लिंग तेल
- लघुविषगर्भ तेल
M आयुर्वेदिक औषधियों के नाम जानें
इस सूचि में हमने ‘म’ से शुरु होने वाली आयुर्वेदिक दवाओं की सूचि बताई है | यहाँ बताई गई सभी औषधियां शास्त्रोक्त है | इनका वर्णन आयुर्वेदिक ग्रंथो में उपलब्ध होता है | हालाँकि म से शुरू होने वाली आयुर्वेदिक औषधि के नाम बहुत है लेकिन हमने यहाँ सिर्फ शास्त्रोक्त के बारे में बताया है |
- मंडूर भस्म
- मंडूर माक्षिक भस्म
- मल्ल भस्म
- माणिक्य भस्म
- माणिक्य पिष्टी
- मुक्ता पिष्टी
- मल्ल चंद्रोदय
- मल्ल सिंदूर
- माणिक्य रस
- मल्ल पर्पटी
- मल्लादी वटी फिरंग रोग के लिए
- मल्लादी वटी मलेरिया के लिए
- मल्लादी वटी श्वांस
- मल्लसिंदूर वटी
- मधुरान्तक वटी
- मलेरिया वटी
- महाज्वरांकुश रस
- महामृत्युंजय रस
- महावात राज रस
- महावात विध्वंसन रस
- महामृगांक रस
- माणिक्य रसादि गुटिका
- मूत्रकृच्छन्तक रस
- मेहान्तक रस
- मृगनाभ्यादी वटी
- मृद्वीरेचन रस
- मृत्युंजय रस
- मरिचादी गुटिका
- मंजिष्ठादी चूर्ण
- महासुदर्शन चूर्ण
- मूत्रविरेचन चूर्ण
- मधुकादी हिम
- मधुरज्वरांतक क्वाथ
- महारस्नादी क्वाथ
- मूत्रशोधक द्रव
- महाद्राक्षासव
- मृद्विकासव
- मेदोहर अर्क
- महासुदर्शन अर्क
- माजून नुकरा
- मदन मोदक
- माजून कचूर
- माजून चोबचीनी
- महाविषगर्भ तेल
- मल्ल तेल
- मल्ल सर्पी
- मन: शिलादी तेल
- माहेश्वर धुप
- मुर्छान्तक नस्य
- मधुकादी लेप
N नाम वाली आयुर्वेदिक औषधियां
- नागभस्म
- नीलमणि भस्म
- नीलांजन रस
- नवायस चूर्ण लौह
- नारायण ज्वरांकुश रस
- नागार्जुनाभ्र रस
- नित्यानंद रस
- नित्योदित रस
- निद्रोदय रस
- नीलकंठ रस
- नागगुटिका
- नारसिंह चूर्ण
- नारायण चूर्ण
- न्यग्रोधाती चूर्ण
- निम्बू द्राव
- निम्बू शरबत
- नेत्र शुलान्तक मोदक
- नतादी तेल
- नाड़ीव्रणहर तेल
- नाराच घृत
- नारायण तेल
- नासा कृमिहर घृत
- निम्बादी तेल
- नेत्र प्रभाकर अंजन
- नेत्र बिंदु अंजन
- नजला नाशक नस्य
- निम्बादी मलहम
- निर्मला गुदवर्ती
- निशादी लेप
- नारायण चूर्ण
O नाम वाली आयुर्वेदिक औषधि की लिस्ट
यहाँ ‘ओ’ एवं औ से शुरू होने वाली औषधियों की सूचि है | ओ नाम से शुरू होने वाली सिर्फ दो ही शास्त्रोक्त औषधियां जिनका विवरण आपको निचे की लिस्ट में मिल जायेगा |
- ओपसर्गिक मेदहर मिश्रण
- औपसर्गिक मेदहर योग
P आयुर्वेदिक औषधि के नाम की सूचि
यहाँ पर हमने ‘प’ एवं ‘फ’ से शुरू होने वाली आयुर्वेदिक औषधि के नाम बताये है जो शास्त्रोक्त दवाएं है | इनका विवरण आप निचे की table में देख सकते है |
- प्रवाल भस्म
- प्रवाल पिष्टी
- पारद भस्म
- पिरोजा भस्म
- पीतल भस्म
- पुष्पराग भस्म
- पञ्चसूत कुपीपक्व रसायन
- पूर्णचन्द्रोदय रस
- पंचामृत पर्पटी
- प्राणदा गुटिका
- पञ्चनिम्ब चूर्ण
- पञ्चवक्त्र रस
- पाषणव्ज्रक रस
- पुनर्नवा मंडूर
- पुष्पधन्वा रस
- प्रताप लंकेश्वर रस
- प्रदरान्तक रस
- प्रदरान्तक लौह
- प्रद्रारी रस
- प्रभाकर वटी
- प्रमेहगज केशरी रस
- प्रमेहन्तक वटी
- प्रवाल पंचामृत रस
- प्लीहान्तक वटी
- पञ्चतिक्त घृत गुग्गुलु
- प्रदरान्तक वटी
- पञ्चसम चूर्ण
- पञ्चसकार चूर्ण
- पठादी चूर्ण
- प्लिहान्तक चूर्ण
- प्रदरान्तक चूर्ण
- प्रवाहीकारिपू चूर्ण
- फल घृत
- पञ्चमुलादी कषाय
- पतोलादी क्वाथ
- पर्पटदि क्वाथ
- पुनर्नवाषटक
- पुनर्नवा अर्क
- प्रतिश्याय हर शरबत
- पंचगव्य घृत
- पंचतिक्त घृत
- पीड़ा शामक
- पथ्यादी अंजन
- पुष्पहर अंजन
- फल वर्ती
Q नाम से कोई भी आयुर्वेदिक औषधि का नाम शुरू नहीं होता अत: इसके आगे आने वाले अल्फाबेट से हमने सूचि बनाई है |
R नाम वाली आयुर्वेदिक औषधियों की सूचि
- राजावर्त भस्म
- रौप्य भस्म
- रस सिंदूर
- रस कर्पुर
- रस पर्पटी
- रत्नगिरी रस
- रस कर्पुर
- रस माणिक्य
- रसादि चूर्ण
- राजावर्त रस
- रामबाण रस
- राजरेचन चूर्ण
- रज: प्रवर्तक क्वाथ
- रक्तशोधकारिष्ट
- रोहितारिष्ट
- रसकेश्वर गुटिका
- रक्त नेत्रांजन
- रजपरिवर्तनी वटी
- रज: परिवर्तनी वर्ती
- रसांजनादी लेप
S से शुरू होने वाली आयुर्वेदिक औषधि के नाम
- शंख भस्म
- शम्बूक भस्म
- शुभ्र भस्म
- शुक्ति भस्म
- शुक्ति पिष्टी
- श्रंग भस्म
- संगेयसव पिष्टी
- संगजराहत भस्म
- संगेयहुद भस्म
- सुवर्ण भस्म
- स्वर्णमाक्षिक भस्म
- स्फटिकमणि भस्म
- संघात सिंदूर रस
- समीर पन्नग रस
- सुवर्णभूपति रस
- सुवर्ण वंग
- शीतल पर्पटी
- सुवर्ण पर्पटी
- शतायु रसायन
- शंख वटी
- शंखोदर रस
- शिलासिंदूर वटी
- शीतभंजी रस
- शुक्रमातृका वटी
- शूल वर्जिनि वटी
- श्वास कुठार रस
- श्वास रोगान्तक वटी
- श्वासदमन चूर्ण
- समीर गजकेसरी रस
- सर्वांग सुन्दर रस
- संचेतनी गुटिका
- संशमनी वटी
- सारिवादी वटी
- सिद्ध प्राणेश्वर
- सुवर्ण मालिनी वसंत
- सूचिकाभरण रस
- सुतिकारी रस
- स्मृति सागर रस
- शतावरी गुग्गुलु
- सप्तविंशतिको गुग्गुलु
- सिंहनाद गुग्गुल
- शुक्र स्तंभन गुटिका
- संजीवनी वटी
- सर्पगन्धादी गुटिका
- शिवाक्षर पाचन चूर्ण
- श्रंग्यादी चूर्ण
- शिलाजितु वटी
- सामुद्रादी चूर्ण
- स्वादिष्ट पाचन चूर्ण
- सितोपलादि चूर्ण
- स्वादिष्ट विरेचन चूर्ण
- षडंग पानीय
- सरिवासव
- सरस्वतारिष्ट
- शंख द्राव
- शोथनाशक अर्क
- सौंफ का अर्क
- शुंठीदि पाक
- सालम पाक
T नाम से शुरू होने वाली आयुर्वेदिक औषधियां
इस सूचि में हमने ‘ट’ एवं ‘त’ से शुरू होने वाली आयुर्वेदिक औषधियों की सूचि के बारे में बताया है | इसमें चूर्ण, पाक, आसव – अरिष्ट, तेल, रस – रसायन सभी दवाओं को संम्मिलित किया है | इसकी सूचि आप इस लिस्ट के माध्यम से देख सकते है |
- ताल चंद्रोदय
- ताल सिंदूर
- तक्र मंडूर
- ताप्यादी लौह
- त्रिनेत्र रस
- त्रिभुवन कीर्ति रस
- त्रिविक्रम रस
- त्रिलोक्य चिंतामणि रस
- त्रयुषण लौह
- तिन्दुकादी वटी
- त्रिवृदशटक चूर्ण
- तलिसदी चूर्ण
- त्रिफला चूर्ण
- तृष्णाघ्नी गुटिका
- त्रिकंटकादी क्वाथ
- तगरादि क्वाथ
- त्रिफलादी घृत
- तुथादी लेप
- त्वकपत्रादि उर्द्ववर्तन
- त्रयुषण क्वाथ
U नाम से शुरू होने वाली आयुर्वेदिक औषधियां
यहाँ हमने ‘उ’ से शुरू होने वाली सभी दवाओं की सूचि उपलब्ध करवाई है | इस पुरे लेख में आपको आयुर्वेद की जीतनी भी शास्त्रोक्त औषधियां है | उनका वर्णन मिलता है | यहाँ हमने सभी आयुर्वेदिक मेडिसिन के नाम एवं उनके उपयोग की लिस्ट दि है
- उन्माद गजकेशरी रस
- उपदंश कुठार वटी
- उपदंश सूर्य
- उपदंश हर क्वाथ
- उशिरासव
- उदरामृत योग
- उपदंशरिपु मलहम
V – W आयुर्वेदिक औषधि के नाम
- वंग भस्म
- वज्र भस्म
- वराटिका भस्म
- वर्तलौह भस्म
- वैक्रांत भस्म
- वैडूर्य भस्म
- व्याधिहरण रस
- विजय पर्पटी
- वातकुलान्तक रस
- वातगुंजाकुश रस
- वातेभकेशरी रस
- वान्तिहृदय रस
- विश्वतापहर रस
- वीर्य शोधन वटी
- वीर्य स्तंभक वटी
- वृद्धिवाधिका वटी
- वृष्य वटी
- विसूचिका हर वटिका
- व्योषादी गुटिका
- वज्रक्षार चूर्ण
- वासादी चूर्ण
- विरेचन चूर्ण
- वीर्य शोधन चूर्ण
- वृद्ध दंड चूर्ण
- वासरिष्ट
- विजयपुष्पद्यअवलेह
- वातहर तेल
- व्याघ्री तेल
- विषादी उदधुलान
- व्रणमृत श्वेत मलहम
X नाम से कोई भी आयुर्वेदिक औषधि नहीं है अत: हम इसके आगे Y से शुरू होने वाली दवाओं की सूचि दे रहें है |
Y / Z नाम से शुरू होने वाली आयुर्वेदिक शास्त्रोक्त औषधियां
- यशद भस्म
- योगेन्द्र रस
- योगराज गुग्गुलु
- याकुती रसायन
- योनीकंडूहर योग
- यकृतप्लिहारी लौह
- यक्रिदरी लौह
- यकृत विकारहरी वटी
- यशद भस्म
- योनी संकोचक योग
FAQ / सामान्य सवाल – जवाब
आयुर्वेदिक औषधि के नाम में क्या सभी औषधियों की जानकारी है ?
इस लेख में हमने आयुर्वेद की सभी शास्त्रोक्त औषधियों की सूचि आपको अंग्रेजी के अल्फाबेट के हिसाब से बताई है |
कितनी आयुर्वेदिक औषधि के नाम है यहाँ पर
यहाँ हमने लगभग 400 आयुर्वेद की औषधियों के नाम एवं कुछ का उपयोग बताया है |
क्या इन आयुर्वेदिक औषधियों का उपयोग यहाँ बताये गए अनुसार किया जा सकता है ?
जी नहीं , यह महज आयुर्वेद के प्रति आपके ज्ञान वर्द्धन के लिए लिखा गया आर्टिकल है | भले ही सभी दवाओ का उपयोग बिलकुल सही लेकिन सेवन वैद्य परामर्श से ही करना चाहिए |
अन्य आयुर्वेदिक औषधि के नाम की सूचि कहाँ मिलेगी ?
यहीं पर आपको अन्य आयुर्वेद की पेटेंट एवं नए फार्मूलेशन की जानकारी उपलब्ध करवाएंगे जो अधिकतर रोगोपचार में काम आती है |
क्या यह PDF में उपलब्ध है ?
जी हाँ, आप निचे दिए गए button के माध्यम से इस पुरे लेख को पीडीऍफ़ में डाउनलोड कर सकते है |
धन्यवाद ||