अर्श कुठार रस : अर्श एवं बवासीर में इस दवा का प्रमुख रूप से किया जाता है | जब बवासीर ज्यादा दिन पुराना न हो तो इसके सेवन से मस्से सुख जाते है | अर्शकुठार रस कब्ज नहीं बनने देता एवं साफ़ दस्त लगाकर बवासीर की पीड़ा में राहत देता है | मस्से में होने वाले दर्द को भी यह दवा ठीक करती है |
आयुर्वेद अनुसार बादी एवं खुनी बवासीर में इसका प्रयोग किया जाता है | दोनों प्रकार की बवासीर में सख्त मल एवं वायु परेशान करती है | अर्शकुठार रस के सेवन से रोगी को कब्ज की समस्या खत्म होती है एवं बादी बवासीर में होने वाली वात विकृति में भी यह लाभ करती है |
यह आयुर्वेद चिकित्सा के रस प्रकरण की दवा है | जिसका निर्माण शुद्ध पारद, गंधक एवं लौह भस्म जैसे कुल 12 घटकों को मिलाकर किया जाता है | तो चलिए जानते है अर्श कुठार रस के घटक द्रव्य :
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अर्श कुठार रस के घटक द्रव्य / Ingredients of Arsha Kuthar Ras in Hindi
इस दवा के निर्माण में निम्न आयुर्वेदिक द्रव्यों एवं औषध योगों का इस्तेमाल किया जाता है |
- शुद्ध पारद
- शुद्ध गंधक
- लौह भस्म
- ताम्र भस्म
- दंतीमूल
- सोंठ
- कालीमिर्च
- पीपल
- सुरणकंद
- वंशलोचन
- शुद्ध टंकण
- यवक्षार
- सेंधा नमक
- गोमूत्र
- स्तुहि दूध
अर्शकुठार रस बनाने की विधि : इसे बनाने के लिए सबसे पहले शुद्ध पारद 4 तोला, शुद्ध गंधक 8 तोला, लौह एवं ताम्र भस्म प्रत्येक 8 तोला लिया जाता है | अब दंतिमुल से लेकर सेंधा नमक तक सभी द्रव्यों को 20 – 20 तोला प्रत्येक लिया जाता है | स्तुहि दूध को 32 तोला एवं गोमूत्र को 138 तोला लेकर | सर्वप्रथम पारद एवं गंधक की कज्जली बनाई जाती है |
इसके पश्चात बाकि बचे औषध द्रव्यों का चूर्ण (कपडछान) किया जाता है | एक कडाही में स्तुहि दूध एवं गोमूत्र को मन्दाग्नि पर पकाया जाता है | जब पकते – पकते दूध गाढ़ा होने लगता है तब पारद एवं गंधक की कज्जली के साथ सभी द्रव्यों का कपद्छान चूर्ण इसमें मिलाकर मर्दन किया जाता है |
अच्छी तरह मर्दन होने के पश्चात इसकी 2 – 2 रति अर्थात 250 mg की गोलियां बना ली जाती है | इस प्रकार से अर्शकुठार रस का निर्माण होता है |
अर्श कुठार रस के प्रयोग / Uses of Arsh Kuthar Ras
मुख्यत: इस दवा का प्रयोग अर्श अर्थात बवासीर के उपचार में किया जाता है | यह बवासीर के लिए एक अच्छी आयुर्वेदिक औषधि है | इसके सेवन से नविन बवासीर के मस्से जल्दी ही सुख जाते है | यह बवासीर में होने वाले सख्त मल की समस्या को दूर करने में अहम् कार्य करती है | अर्श कुठार रस के सेवन से आसानी से मल त्याग होता है | साथ ही वात नाशक गुणों से युक्त होने के कारण बवासीर के मस्सों में होने वाले दर्द से भी राहत देती है |
अर्श कुठार रस का प्रयोग बवासीर में वैद्य के दिशानिर्देशों अनुसार करना अधिक लाभदायक होता है | बवासीर दो प्रकार का होता है खुनी एवं बादी बवासीर | खुनी बवासीर में मस्सों से खून निकलता रहता है एवं बादी बवासीर में मस्सों से खून नहीं निकलता बल्कि मस्सों में वायु इक्कठा होने से इनमे सुई चुभने जैसी पीड़ा होती है |
यह दोनों प्रकार के बवासीर में लाभ करती है | खुनी बवासीर में मस्सों को सुखाकर एवं सख्त मल को पतला करके मलत्याग में आसानी पैदा करती है | बादी बवासीर में मस्सों में इक्कठा हुई वायु का शमन करके पीड़ा से मुक्ति मिलती है | मुख्य रूप से देखा जाये तो बवासीर के रोगी को कब्ज के कारण अधिक पीड़ा का सामना करना पड़ता है |
अर्शकुठार रस कब्ज को ख़त्म करने का कार्य करती है | यह कोष्ठ शुद्धि के लिए अति उत्तम आयुर्वेदिक दवा है | इसी लिए अर्श रोग में कोष्ठ शुद्धि (कब्ज को ख़त्म करने) एवं प्रकुपित वायु का शमन करने के लिए इस दवा का प्रयोग किया जाता है |
अर्श कुठार रस के लाभ / Health Benefits of Arsh Kuthar Rasa In Hindi
- खुनी एवं बादी दोनों प्रकार की बवासीर में लाभदायक औषधि है |
- कब्ज को ख़त्म करती है |
- प्रकुपित वात को शांत करने में भी लाभदायक है |
- बवासीर में होने वाले मलावरोध को ठीक करती है |
- कोष्ठ शुद्धि में परम सहायक औषधि है |
- मन्दाग्नि एवं प्रकुपित वात को ठीक करने में लाभदायक है |
- यह दीपन – पाचन एवं मल शुद्धिकरण में लाभदायक है |
- Arsh Kuthar Ras का प्रयोग विभिन्न अनुपानो अनुसार करना चाहिए | भिन्न – भिन्न प्रकार के अनुपान इसे अधिक लाभदायक बनाते है |
अर्श कुठार रस की सेवन विधि / Doses of ArshKuthar Ras
इसका सेवन 1 से 2 गोली प्रतिदिन जल, गुलकंद या कुट्जाव्लेह अनुपान के साथ किया जाना चाहिए | विभिन्न प्रकार के अर्श में आयुर्वेदिक वैद्य के परामर्श से इसका सेवन करना अधिक फलदाई होता है |
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धन्यवाद ||
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