अग्निकुमार रस / Agnikumar Ras Detail in Hindi

अग्निकुमार रस : आयुर्वेदिक रसौषधियां आयुर्वेद चिकित्सा में अपना अलग स्थान रखती है | इसी क्रम में हम आज अग्निकुमार रस के बारे में आप से बात करेंगे | जैसा कि इसका नाम है अग्निकुमार रस इसी की तरह यह मनुष्य की अग्नि को प्रदीप्त करने वाली औषधि है |

अर्थात अजीर्ण एवं अपच जैसी समस्याओं में आम पाचन का कार्य करने वाली औषधि है | यह मनुष्य की जठराग्नि को तेज करके भूख की कमी, अजीर्ण, अपचन, गैस एवं कब्ज जैसे रोगों में विशेष लाभ देती है |

साथ ही आँतों में मल इक्कठा होना, पेट में दर्द, पेट का भारी होना, पेचिस आदि शिकायतों में इसका अच्छा परिणाम मिलता है | अग्निकुमार रस का निर्माण लगभग 8 आयुर्वेदिक द्रव्यों के मिलने से होता है |

अग्निकुमार रस

बाजार में यह बैद्यनाथ अग्निकुमार रस, पतंजलि अग्निकुमार रस, डाबर, उंझा आयुर्वेद आदि कंपनियों का आसानी से उपलब्ध हो जाता है | आप इसे ऑनलाइन एवं आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर से खरीद सकते है |

अग्निकुमार रस के फायदे / उपयोग Health Benefits of Agnikumar Ras

इसका प्रमुखत: उपयोग कफ एवं वात प्रधान अजीर्ण रोग में किया जाता है | वात-कफ प्रधान अजीर्ण रोग में अग्निकुमार रस के अच्छे परिणाम मिलते है | अगर अजीर्ण पित्त के कारण हुआ है तो इस औषधि का उपयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि यह पित्त को बढ़ाकर रोग की स्थिति को और जीर्ण कर देता है |

गुल्म रोग में अग्निकुमार रस के फायदे

गुल्म (अर्थात पेट में वायु का गोला बनना) रोग में अग्निकुमार रस के सेवन से तीव्रता से लाभ मिलता है | यह अधोवायु की प्रवृति न बनने, पसली में दर्द, गले का सुखना आदि गुल्म के कारण आई स्थितियों को भी ठीक करने में फायदेमंद रहती है |

खांसी में अग्निकुमार रस के उपयोग

यह औषधि कफ को दूर करने वाली दवा है | श्वांस नली में कफ का आधिक्य होने पर खांसी होने लगती है | भोजन में रूचि नहीं रहती, कफ परेशान करता है, वमन जैसी स्थिति उत्पन्न होने लगती है | एसी स्थिति में अग्निकुमार रस को गरम जल के साथ सेवन करवाने से कफ शरीर से बाहर निकलता है | एवं खांसी में आराम मिलता है |

वमन (उल्टी) में उपयोग

शरीर में कफ का संचय हो जाने पर मन्दाग्नि की स्थिति हो जाती है | मन्दाग्नि के कारण भोजन अच्छे से पच नहीं पाता | पेट में अधपक्के अन्न के इक्कठा होने से वमन की इच्छा होती है एवं कभी – कभार उल्टी हो भी जाती है | एसी स्थिति में अग्निकुमार रस का सेवन अजवायन के अर्क के साथ करवाने से आम का पाचन होकर वमन से निजात मिलती है |

अजीर्ण रोग में अग्निकुमार रस के फायदे

अग्निकुमार रस प्रधानत: अजीर्ण रोग की मुख्य दवा मानी जाती है | यह मन्दाग्नि के कारण हुए अजीर्ण रोग में तीव्रता से लाभ देती है | पेट और देह भारी होना, खट्टी डकारें आना, आदि स्थिति होने पर उपवास करवाके इसका सेवन करवाना चाहिए | अजीर्ण रोग में अत्यंत लाभ मिलेगा |

अग्निकुमार रस के घटक / Ingredients of Agnikumar Ras in Hindi

इसके निर्माण में निम्न खनिज एवं जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल होता है |

  • शुद्ध पारद
  • शुद्ध गंधक
  • सुहागा
  • शुद्ध वत्सनाभ
  • कपर्दिका भस्म
  • शंख भस्म
  • काली मिर्च

अग्निकुमार रस बनाने की विधि / How to Make

इसका निर्माण करने के लिए सर्वप्रथम गंधक और पारद की कज्जली बना ली जाती है | इस तैयार कज्जली में कपर्दिका भस्म, शंख भस्म एवं बाकी बचे औषध द्रव्यों का महीन कपडछान चूर्ण मिलाकर जम्बिरी निम्बू के साथ मर्दन करके 125 mg की गोलियां बना ली जाती है |

इस प्रकार से अग्निकुमार रस का निर्माण होता है |

सेवन की विधि / Doses

इसका सेवन 1 से 2 गोली जल के साथ करना चाहिए | वर्षा ऋतू में होने वाले दस्तों में तथा अग्निमंध्य में मट्ठे के साथ लेना चाहिए | पान के रस और शहद के साथ भी यह दवा अच्छा परिणाम देती है | पुराने अतिसार (पतले दस्त) में चावल के मांड के साथ प्रयोग करना लाभदायक रहता है |

अग्निकुमार रस के नुकसान / Side Effects

यह रस औषधि है अत: अधिक मात्रा में सेवन करने से नुकसान हो सकते है | इसका सेवन आयुर्वेदिक वैद्य के परामर्शनुसार करना चाहिए |

धन्यवाद |

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