अभयारिष्ट (Abhyarishta) सिरप – फायदे, घटक द्रव्य एवं निर्माण विधि

अभयारिष्ट Abhyarishta in Hindi :- आयुर्वेद में आसव एवं अरिष्ट कल्पना की औषधियों का अपना एक अलग महत्व है | ये दवाएं रोगों पर शीघ्र असर करती है एवं ग्रहण करने में भी आसान होती है | अपने इन्ही गुणों के कारण आसव – अरिष्ट कल्पना की दवाएं आयुर्वेद में विशेषरूप से सराहनीय मानी जाती है |

अभयारिष्ट भी अरिष्ट कल्पना की आयुर्वेदिक दवा है | यह पाचन, कब्ज एवं बवासीर में विशेषकर उपयोगी औषधि है | साथ ही भूख बढ़ाने, मूत्रल एवं आमपाचक जैसे गुणों से युक्त होने के कारण वैद्यों द्वारा विश्वनीय है |

आज इस आर्टिकल में हम आपको अभयारिष्ट के उपयोग, फायदे, घटक द्रव्य एवं बनाने की विधि का सम्पूर्ण विवरण देंगे |

अभयारिष्ट

अभयारिष्ट के घटक द्रव्य / Ingredients

इस औषधि के निर्माण में लगभग 15 आयुर्वेदिक द्रव्यों का प्रयोग होता है | आयुर्वेद की अरिष्ट कल्पना के तहत इसका निर्माण होता है | अरिष्ट कल्पना आयुर्वेद की वह कल्पना होती है जिसमे औषध द्रव्यों का क्वाथ बनाकर इनको महीने भर तक संधान करके औषधि का निर्माण किया जाता है |

01हरीतकी2400 Gram
02वायविडंग240 Gram
03महुआ के फुल240 Gram
04निशोथ48 Gram
05धाय फुल48 Gram
06दाख960 Gram
07इन्द्रायण की जड़48 Gram
08चव्य48 Gram
09मोचरस48 Gram
10दस्तीमूल48 Gram
11सौंठ48 Gram
12मोचरस48 Gram
13धनिया48 Gram
14गोखरू48 Gram
15गुड़2400 Gram

अभयारिष्ट निर्माण विधि / Making Process

अभ्यारिष्ट का निर्माण करने के लिए आयुर्वेद की अरिष्ट कल्पना का प्रयोग किया जाता है | अरिष्ट कल्पना के तहत सबसे पहले कुछ द्रव्यों का क्वाथ निर्माण किया जाता है फिर संधान पात्र में क्वाथ डालकर अन्य जड़ी – बूटियों को मिलाकर महीने भर के लिए निर्वात स्थान पर रखा जाता है |

Total Time: 30 days

जड़ी – बूटियों का काढ़ा बनाना

सर्वप्रथम हरीतकी, महुआ, दाख एवं वायविडंग को ऊपर बताई गई मात्रा में लेकर यवकूट करलें | अब इन सभी जड़ी – बूटियों को 10 गुणा जल में डालकर क्वाथ बना लें | जब पानी एक चौथाई बचे तब इसे आंच से निचे उतार कर ठंडा करलें |

काढ़े में शेष जड़ी – बूटियों को मिलाना

अब बाकी बची जड़ी – बूटियों को कूट लें | जब क्वाथ ठंडा हो जाए तो इन सभी जड़ी – बूटियों को काढ़े में मिला दें |

गुड़ मिलाना

गुड़ को भी कूटपीसकर छोटे – छोटे टुकड़ों में करलें | जब ये अच्छी तरह छोटे – छोटे टुकड़ों में हो जाये तो इस 2400 ग्राम गुड़ को भी क्वाथ में मिला दें और अच्छी तरह एक लकड़ी की साफ शलाका से एक सार करदें |

संधान करना

अब इस तैयार मिश्रण को ऊपर से अच्छी तरह बंद करके एक महीने के लिए निर्वात स्थान अर्थात जहाँ कोई आता – जाता न हो एवं धुप और हवा से सीधा सम्पर्क न हो एवं अँधेरा हो वहाँ इस पात्र को महीने भर के लिए रख दें |

अभयारिष्ट को छानना

महीने भर पश्चात संधान परिक्षण के बाद इसे छान कर उपयोग में लिया जा सकता है | इस प्रकार से अभयारिष्ट का निर्माण होता है |

अभयारिष्ट के फायदे / Abhayarishta Syrup Benefits in Hindi

  • कब्ज की समस्या में यह औषधि रामबाण की तरह कार्य करती है | अन्य औषधियों के तरह यह कब्ज को दूर तो करती ही है लेकिन साथ में बार – बार कब्ज बनने की प्रवृति को भी रोकती है |
  • बवासीर में फायदेमंद – बवासीर या अर्श आदि की समस्या का मुख्य कारण बिगड़ा हुआ पाचन एवं कब्ज होती है | अत: यह पाचन को सुधार कर कब्ज को ख़त्म करती है | कब्ज ख़त्म करके बवासीर को ठीक करने में सहायक सिद्ध होती है |
  • भूख की कमी – भूख न लगने की समस्या अधिकतर मन्दाग्नि एवं अजीर्ण के कारण होती है | अभयारिष्ट पाचक गुणों से युक्त आयुर्वेदिक दवा है | अत: यह पाचन संसथान के सभी विकारों को दूर करके भूख बढ़ाती है | खाया – पिए को अच्छे से पचाती है जिससे खुलकर भूख लगती है |
  • मूत्रकृच्छ – अर्थात पेशाब ठीक ढंग से न लगने की समस्या में यह फायदेमंद दवा है | इसमें मूत्रल गुण होते है जो मूत्र कम आने या न लगने की समस्या को ठीक करते है |
  • यकृत एवं आँतों की खराबी को ठीक करने में भी उत्तम है | कब्ज आदि के कारण आंते कमजोर हो जाती है | इसमें प्रयुक्त जड़ी – बूटियाँ आँतो को सुदर्ड करने एवं यकृत को बल देने में फायदेमंद है |

सेवन की मात्रा एवं विधि / Doses

अभयारिष्ट का सेवन 10 से 20 मिली की मात्रा में बराबर पानी मिलाकर सुबह – शाम किया जा सकता है | इसका सेवन आयुर्वेदिक चिकित्सक के परामर्शनुसार दिन में दो बार या एक बार जैसा वैद्य निर्धारित करें; करना चाहिए |

सावधानियां / Precautions

वैसे इस दवा के कोई ज्ञात साइड इफ़ेक्ट नहीं है लेकिन फिर भी उचित मात्रा में ही सेवन करना चाहिए | चिकित्सक के परामर्श के पश्चात ही छोटे बच्चों एवं कमजोर व्यक्तियों को दिया जाना चाहिए |

Note : – गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन नहीं करना चाहिए | गर्भवती एवं प्रसूति अवस्था की महिलाओं के लिए यह आयुर्वेद में निषिद्ध औषधि है | अत: सेवन न करें |

धन्यवाद |

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