अम्लपित्त रोग (Amlapitta): Dyspepsia या अम्लपित्त रोग अन्नावाहा स्रोत (gastro intestinal disorder) विकार के कारण उत्पन्न रोग है | भारत में लगभग 20 प्रतिशत आबादी इस रोग से ग्रस्त है | नैदानिक विशेषताओं के आधार पर इस रोग को gastroesophageal reflux disease से जोड़ा जाता है | विभिन्न आयुर्वेद ग्रंथो में इस रोग का वर्णन मिलता है | सीने में जलन, खट्टी डकारें, गैस बनना, जी मतलाना, सर दर्द, भूख न लगना जैसे विकार इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं |
इस लेख में आज हम आयुर्वेद ग्रंथो के अनुसार अम्लपित्त रोग के उपचार और दवा के बारे में बतायेंगे | निचे दी गयी टेबल से आप इस रोग के बारे में समझ सकते हैं :-
रोग (disease) | अम्लपित्त रोग (Dyspepsia) |
रोग का प्रकार (Nature of Disease) | अन्नवाह स्रोत रोग (Gastro Intestinal) |
लक्षण (Symptoms) | खट्टी डकारें आना, सीने में जलन, उल्टी गैस बनना, घबराहट, भूख न लगना |
कारण (Causes) | विषमासन ( सही समय पर भोजन नहीं करना) अध्याशन (खाने के बाद फिर से खाना) अपथ्य आहार, अपच प्रकुपित दोष चाय कॉफ़ी का अधिक सेवन |
पथ्य आहार ( Food to Consume) | आंवला, अनार, गाय का दूध, खिचड़ी, दलिया, हरी सब्जियां जल्दी पचने वाला भोजन |
अपथ्य आहार (Food to avoid) | मिर्च मसाला, तेल में तली चीजें, खट्टी चीजें रिफाइंड फ़ूड, फ़ास्ट फ़ूड, चाय, कॉफ़ी |
दिनचर्या (Lifestyle) | सही समय पर खाना, उचित दिनचर्या, योग प्राणायाम, रात में देर तक न जागना |
आयुर्वेदिक दवा (Medicine) | कामदुधा रस, सूतशेखर रस, प्रवाल पिष्टी, धात्री लौह अविपतिकर चूर्ण, शंख भस्म, चित्रकादि वटी, अम्लपित्तान्तक लौह अम्लपित्त मिश्रण, नारिकेल लवण, दाड़ीमाष्टक चूर्ण, बालादी मंडूर |
Post Contents
जानें अम्लपित्त रोग (Dyspepsia) रोग क्या है, इसके कारण, लक्षण, उपचार एवं आयुर्वेदिक दवा / Amlapitta ayurvedic medicine
Hyperacidity, dyspepsia या अम्लपित्त रोग एक साधारण रोग है जो सभी वर्ग, उम्र और स्थान के लोगो में पाया जाता है | यह खान पान और दिनचर्या से जुड़े विकारों के कारण उत्पन्न व्याधि है | खाने को पचाने के लिए जरुरी अम्ल या रस जब अधिक मात्रा में बनने लग जाये या असंतुलित हो जाए तो ये समस्या हो जाती है | अम्लपित्त रोग की आयुर्वेदिक दवा क्या है ये जानने से पहले हम इस रोग के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देंगे जिससे आपको इसे समझने और इसका उपचार Amlapitta ayurvedic treatment करने में आसानी रहेगी |
Hyperacidity (अम्लपित्त रोग) के कारण / Causes of Hyperacidity in hindi
Hurry, Worry और Curry इस रोग ,के प्रमुख कारण हैं यानि मानसिक तनाव में रहना, जल्दबाजी की वजह से असंतुलित दिनचर्या और खान पान, अधिक मिर्च मसाला और तेल में तली चीजों आदि का सेवन करना | अम्लपित्त रोग निचे दिए कारणों से होता है :-
आहार (Diet) :-
- खट्टी मीठी और चटपटी चीजों का अधिक सेवन करने से
- अधिक मात्रा में फ़ास्ट फ़ूड खाने से
- तेल में तली चीजो का सेवन करने से
- चाय कॉफ़ी अधिक मात्रा में पिने से
- शराब का अत्यधिक सेवन
- पानी कम पिने से
- उचित समय पर खाना नहीं खाने से
- विरुद्ध आहार (खाद्य पदार्थो का अनुचित संगम)
- खाना पचने से पहले ही दुबारा खा लेना
- भूखा रहना
- रात में देर से खाना
विहार (Lifestyle) :-
- अत्यधिक श्रम (विश्राम नहीं करना )
- कम सोना
- खाना खाते ही सो जाना
- रात में देर तक जागना
- धुप में काम करना
- सुबह देर तक सोते रहना
मानसिक कारण (Mental Stress) :-
- चिंता / मानसिक तनाव
- गुस्सा और घबराहट
- असंतुष्टि
अम्लपित्त रोग के लक्षण / Hyperacidity Sign and symptoms
- सीने में जलन
- घबराहट
- पैर के तलवों में जलन
- खट्टी डकारें
- गैस बनना
- पेट में भारीपन
- अपच
- पेट दर्द
- सर दर्द या भारीपन
- अधिक प्यास लगना
- मुंह के छाले पड़ जाना
- थकान रहना
अम्लपित्त बढ़ जाने के कारण होने वाले रोग और व्याधियां / Complications of Hyperacidity (Amlapitta)
- गैस की समस्या
- ulcer
- संग्रहणी रोग (IBS)
- पेट दर्द
- पाचन विकार
अम्लपित्त रोग का आयुर्वेदिक उपचार / Amlapitta ayurvedic treatment
प्रमुख आयुर्वेद ग्रंथो एवं संहिताओ में इस रोग का वर्णन किया गया है एवं इसके उपचार के बारे में बताया गया है | यह रोग मुख्यतः ख़राब और असंतुलित खान पान और दिनचर्या के कारण होता है | इसलिए अम्लपित्त रोग को ठिक करने के लिए पथ्य अपथ्य के अनुसार भोजन करना, सात्विक दिनचर्या अपनाना और अम्लपित्त रोग की आयुर्वेदिक दवा लेना महत्वपूर्ण है | इस रोग का प्रबंधन निम्न प्रकार किया जा सकता है :-
- सात्विक खान पान एवं दिनचर्या अपनाकर
- पंचकर्म चिकित्सा से
- आयुर्वेद दवाओं से
- घरेलु चिकित्सा से
अम्लपित्त रोग की प्रमुख आयुर्वेदिक दवाएं / Amlapitta (Hyperacidity) ayurvedic medicine names and uses
- कामदुधा रस – दिन में दो बार (250 mg) शहद के साथ
- अम्लपित्त मिश्रण – दिन में दो बार (10 ml) बराबर पानी मिला के
- सूत शेखर रस – दिन में दो बार (250 mg) शहद के साथ
- प्रवाल पिष्टी – 125 mg दिन में दो बार आंवला जूस से
- धात्री लौह – 1 ग्राम रात में खाने से पहले घी के साथ
- शंख भस्म – दिन में दो बार (250 mg) शहद के साथ
- नारिकेल लवण – 1 ग्राम नारियल पानी के साथ
- अविपतिकर चूर्ण – तीन से छ ग्राम दिन में दो बार पानी से
- शतावरी घृत – 6 से 12 ग्राम दिन में दो बार
- आमलकी रसायन – 6 से 12 ग्राम दिन में दो बार
- पतोलादी क्वाथ – 10 से 15 ml दिन में दो बार
उपरोक्त सभी दवाएं अम्लपित्त रोग को ठीक करने वाली आयुर्वेदिक दवाएं हैं, इन दवाओं का चिकित्सक की सलाह से उपयोग करके इस रोग को ठीक किया जा सकता है |
कुछ घरेलु उपाय / Home remedies :-
10 ग्राम सोंफ एक ग्लास पानी में थोड़ी मिश्री के साथ मिटटी के बर्तन में रात के समय भिगो दें | सुबह इसको अच्छे से पीस कर पानी को पि लें | अम्लपित्त को कम करने के लिए यह बहुत गुणकारी नुस्खा है | इससे जलन रहना और खट्टी डकारे आना भी बंद हो जाती हैं |
नारियल पानी पीना इस समस्या में बहुत लाभकारी है | hyperacidity (अम्लपित्त) कम करने के लिए रोजाना 100 से 500 ml नारियल पानी दो बार पीना चाहिए |
खाना खाने के बाद एक चम्मच सौंफ और मिश्री का सेवन करें |
धनियाँ और मिश्री का सेवन करना भी इस समस्या में लाभदायक है |
तीन से पांच ग्राम आंवला चूर्ण खाने से पहले पानी के साथ सेवन करें |
अम्लपित्त को कम करने वाली जड़ी बूटियां / Single herbs for Hyperacidity (Amlapitta)
आयुर्वेद में ऐसी बहुत सी जड़ी बूटियां हैं जिनका उपयोग करके अम्लपित्त को कम किया जा सकता है | Hyperacidity को ठीक करने के लिए इन जड़ी बूटियों का उपयोग करें :-
- शतावरी – 3 ग्राम दिन में दो बार दूध के साथ
- यष्टिमधु – 3 ग्राम दिन में दो बार दूध के साथ
- आंवला – 3 से 5 ग्राम पानी के साथ दिन में दो बार
- सोंठ – एक से दो ग्राम दिन में दो बार पानी से या शहद से
अम्लपित्त रोग से बचाव के उपाय / Prevention
आयुर्वेद में रोग के उपचार से अधिक महत्व उसके बचाव को दिया जाता है | यानि ऐसा खान पान और दिनचर्या रखें की रोग हो ही ना और दवाओं की आवश्यकता ही न पड़े | इसलिए अम्लपित्त बढ़ने से बचने के लिए निम्न बातों को अपनाएं :-
- पथ्य अपथ्य का पालन करें |
- खाना सही समय पर और सही मात्रा में खाएं |
- अधिक मसाले और तेल में तली चीजो का सेवन न करें |
- खट्टी और चटपटी चीजों का कम सेवन करें |
- चाय कॉफ़ी का अत्यधिक सेवन करने से बचें |
- खाना खाने के तुरंत बाद सोना और विश्राम करने की आदत छोड़े |
- भूखे पेट न रहें, सही समय पर खाना अवश्य खाए |
- खाने के तुरंत बाद दुबारा खाने से बचें |
- उचित विश्राम अवश्य करें |
- रात में देर तक न जागें |
- रात्रि का भोजन जल्दी करें |
- शराब और धुम्रपान से बचें |
पथ्य / Do’s :-
- खाने के समय का पालन करें |
- नारियल पानी, गाय का दूध, हरी सब्जियां, अनार, गेंहू, पुराने चावल आदि का सेवन करें |
- अंगूर, मौसमी, तरबूज, सेब आदि का सेवन करें |
- गुलकंद, दाड़िमपाक, आंवला मुरब्बा
- प्रयाप्त आराम और नींद
- नित्य योग प्राणायाम करें
अपथ्य / Don’ts
- अत्यधिक खाना
- खाना खाने के तुरंत बाद सो जाना
- फ़ास्ट फ़ूड, रिफाइंड फ़ूड, मिर्च मसाला और तेल में तली चीजें
- खाली पेट रहना
- असमय खाना
- रात में देर तक जागना
- विरुद्ध आहार
मुख्य सवाल जवाब / Most frequently asked
फ़ास्ट फ़ूड, मिर्च मसाला, तेल में तली चीजें, असमय खाना, विश्राम नहीं करना, देर तक जागना, विरुद्ध आहार, पानी कम पीना
नारियल पानी, अनार का जूस, सादा भोजन, गाय का दूध, हरी सब्जियां आदि
ज्यादा मसालेदार भोजन, गरिष्ठ खाद्य पदार्थ, तेल में तली चीजें, फ़ास्ट फ़ूड, चाय कॉफ़ी, शराब आदि
प्रकुपित दोष या खाने के अनुचित संगम एवं अन्य कारणों से भी ऐसा हो सकता है |
खाली पेट न रहें, उचित समय पर खाना अवश्य खाएं |
पंचकर्म से प्रकुपित दोषों का निवारण होता है एवं ऐसी समस्या में बहुत लाभ होता है |
NSAID ड्रग्स के अधिक समय तक उपयोग से यह समस्या हो जाती है |
पथ्य अपथ्य, संतुलित दिनचर्या और आयुर्वेद दवाओं के उपयोग से यह समस्या ठीक हो सकती है |
कामदुधा रस, सूतसेखर रस, नारिकेल लवण, अविपतिकर चूर्ण, शंख भस्म, प्रवाल पिष्टी आदि दवाएं इस रोग में लाभदायक हैं |
यह भी पढ़ें :-
- नारिकेल खंड पाक के फायदे एवं उपयोग
- चाय के औषधीय गुण
- पञ्चविध कषाय कल्पना क्या है ?
- स्वर्ण भस्म के फायदे
सन्दर्भ / reference :-
- Clinical efficacy of Baladi Manduram in the management of Amlapitta
- Effectiveness of Ayurveda treatment in Urdhwaga Amlapitta: A clinical evaluation
- A comparative clinical study of Shatapatrayadi churna tablet and Patoladi yoga in the management of Amlapitta
- A clinical study to evaluate the role of Doshik predominance in the management of Amlapitta
- A comparative clinical trial of Chincha kshara and Kadali kshara on Amlapitta
- GASTRITIS/ ACID PEPTIC DISEASE/ HYPERACIDITY