जानें प्रवाल पिष्टी कैसे बनती है ?

प्रवाल पिष्टी प्रवाल अर्थात जिसे मूंगा (Corallium Rubrum) भी कहते से बनने वाली एक आयुर्वेदिक दवा है | यह अत्यंत ठंडी तासीर की होती है अत: पित्त एवं वात से जनित रोगों में इसका प्रयोग किया जाता है |

एसिडिटी, ज्वर, मूत्र जलन, पेट की जलन, यौन विकार एवं पित्त की अधिकता से सम्बंधित सभी रोगों में इसका इस्तेमाल किया जाता है | रक्तपित्त, अम्लपित्त एवं महिलाओं के रक्त प्रदर के रोग में इसका प्रयोग करवाने से अच्छे परिणाम मिलते है | प्रवाल पिष्टी को बनाने की विधि बताने से पहले हम आपको प्रवाल क्या है के बारे में थोडा बता देतें है |

प्रवाल / मूंगा / Corallium Rubrum

आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में प्रवाल को जान्तव द्रव्यों (herbs) में गिना जाता है | क्योंकि यह समुद्र में पाए जाने वाले एक विशिष्ट जीव के द्वारा निर्मित भित्तियां होती है | ये जीव मधुमक्खियों की तरह एक जगह बैठ कर इस सरंचना का निर्माण करते है | प्रवाल रक्तवर्णी, स्निग्ध एवं लघु होता है |

प्रवाल

इन प्रवाल भित्तियों का निर्माण कैल्शियम कार्बोनेट के द्वारा होता है | वस्तुत: प्रवाल इन छोटे जीवों का निवास स्थान माना जा सकता है | इसी प्रवाल का इस्तेमाल आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में शोद्धित करके दवा के रूप में काम में लिया जाता है | इससे बनने वाली मुख्य दवा प्रवाल पिष्टी एवं प्रवाल भस्म है |

प्रवाल पिष्टी एवं प्रवाल भस्म में सिर्फ इतना अंतर है कि इन दोनों की निर्माण विधि अलग है | पिष्टी का निर्माण बिना मारण विधि के किया जाता है जबकि भस्म का निर्माण अग्नि के सहयोग से किया जाता है |

प्रवाल पिष्टी बनाने की विधि

सबसे पहले शोद्धित प्रवाल को चिकित्सार्थ लिया जाता है | प्रवाल में बहुत सी अशुद्धियाँ मिली हुई रहती है अत: औषधि के निर्माण के लिए सबसे पहले इसे शुद्ध किया जाता है | अब शोद्धित प्रवाल को गुलाब जल की भावना देकर खरल में घोंटा जाता है |

प्रवाल पिष्टी

जब यह पूरी तरह सुख जाता है तब फिर से गुलाब जल की भावना देकर इसे खरल में मर्दन किया जाता है | इस प्रकार बार – बार मर्दन करने से बहुत ही महीन गुलाबी रंग का पाउडर प्राप्त होता है | यही प्रवाल पिष्टी कहलाती है |

सेवन की मात्रा

इसका सेवन 125mg से 500mg तक अधिकतम किया जा सकता है | विभिन्न रोगों में इसे विभिन्न आयुर्वेदिक औषधियों के योग स्वरुप दिया जाता है | सेवन से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए |

प्रवाल पिष्टी के फायदे पढ़ें

धन्यवाद |

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