आयुर्वेद में भस्म प्रकरण की दवाओं का बहुत महत्व है | ये भस्म बहुत ताक़तवर एवं रोगनाशक गुणों वाली होती हैं | इस लेख में हम स्वर्ण भस्म को बनाने की विधि, इसके गुण एवं उपयोग व फायदों के बारे में जानेंगे | स्वर्ण भस्म को बनाने के लिए पहले सोने को शुद्ध किया जाता है एवं इसके बाद भस्म विधि से भस्म बनाई जाती है |
लगभग सभी प्रकार के रोगों में स्वर्ण भस्म का उपयोग फायदेमंद रहता है | इसका उपयोग बहुत सी आयुर्वेदिक औषधियों में किया जाता है | राजयक्ष्मा, क्षय, नपुंसकता, कास, अस्थमा जैसे अनेकों रोगों में यह भस्म रामबाण दवा का काम करती है |
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स्वर्ण भस्म बनाने की विधि / Swarna Bhasma Banane ki vidhi
इस भस्म को बनाने के लिए शुद्ध सोने (स्वर्ण) की आवश्यकता होती है | जो सोना चांदी एवं तांबे से रहित हो, स्निग्ध एवं मुलायम हो तथा भारी हो ऐसा सोना स्वर्ण भस्म बनाने के लिए उत्तम माना जाता है | इसे बनाने से पहले सोने को शुद्ध करना जरुरी होता है | शुद्ध करने के लिए निम्न दो विधियों का उपयोग होता है :-
स्वर्ण भस्म के लिए स्वर्ण शोधन की पहली विधि :-
- सोने का बहुत पतला पत्र बना लिया जाता है |
- इसको आग में तपाया जाता है |
- इसके बाद तेल, तक्र, गोमूत्र, कांजी और कुल्थी के क्वाथ में 3 – 3 बार बुझाया जाता है |
- इस तरह से सोना शुद्ध हो जाता है इसका उपयोग भस्म बनाने के लिए कर सकते हैं |
शोधन की दूसरी विधि :-
- सोने के बहुत पतले पत्र के छोटे छोटे टुकड़े कर लें |
- इन टुकड़ों को मिट्टी से लिप्त कांच के पात्र में रख लें |
- इस कांच के पात्र को त्रिपादिका में रख कर इसके निचे सुरादिपक जलाएं |
- अब इसमें थोड़ा थोड़ा करके लवण द्रव डालें |
- लवण द्रव तब तक डालते रहें जब तक सोना गल नही जाए |
- सोना गल जाने के बाद इसको पकाते रहें |
- अब इस पात्र में थोडा जल डाल कर पकाएं |
- इसके उपरांत ओक्सालिक एसिड (Oxalic Acid) डाल कर पकाएं |
- जब स्वर्ण के अति सूक्ष्म कण कांच के पात्र में निचे बैठ जाएँ तो इसको जल से अच्छे से धो लें |
- इसे तब तक धोएं जब तक अम्लीयता ख़त्म हो जाए |
- इस तरह से प्राप्त सोने के कण पुर्णतः शुद्ध होते हैं |
स्वर्ण भस्म बनाने की विधियाँ :-
स्वर्ण भस्म बनाने के लिए बहुत सी विधियों का उपयोग किया जाता है | इस लेख में हम दो विधियों के बारे में बतायेंगे जिनका उपयोग करके स्वर्ण भस्म का निर्माण किया जा सकता है | आइये जानते हैं :-
1. स्वर्ण भस्म बनाने की प्रथम विधि / Swarna Bhasma Banane ki Pratham vidhi
- शुद्ध सोने के बहुत बारीक़ पत्र लें |
- इन पत्रों कोकैंची से छोटे छोटे टुकड़ो में काट लें |
- दोगुनी मात्रा में पारा मिला लें |
- इस मिश्रण को घोंट कर पिट्ठी बना लें |
- इस पिट्ठी को तुलसी पत्र के रस में तीन दिन तक लगातार मर्दन करें |
- इसकी टिकिया बना कर सुखा लें |
- अब इसको सम्पुट में रख आधा सेर कंडो की आंच दें |
- 5 – 7 पुट देने पर भस्म तैयार हो जाती है |
2. स्वर्ण भस्म बनाने की दूसरी विधि / Swarna Bhasma Banane ki dusari vidhi
- शुद्ध सोने के पत्रों को खरल में डाल उसमें समभाग में पारद मिला लें |
- इस मिश्रण में निम्बू का रस मिला कर तीन दिन तक मर्दन करें |
- अब इसमें सोने से आधी मात्रा में संखिया मिला कर जम्बीरी निम्बू के रस में तीन दिन तक मर्दन करें |
- अब इस चूर्ण में स्वर्ण के बराबर भाग में गंधक (शुद्ध) मिला कर सम्पुट में बंद करें |
- इसको अब लघुपुट में तब तक पुट दें जब तक चन्द्रिका रहित भस्म तैयार न हो जाये |
- इस भस्म को अब कचनार की छाल के स्वरस की भावना देकर तीन पुट दें |
- अब इस तरह से तैयार भस्म जामुन के रंग की होती है |
स्वर्ण भस्म के गुण, उपयोग एवं फायदे |
यह भस्म बहुत गुणकारी एवं बलदायक होती है | स्वर्ण भस्म में निम्न गुण होते हैं :-
- यह स्निग्ध मधुर एवं रसायन गुण वाली होती है |
- इसका वीर्य शीत होता है |
- यह हृदय एवं स्वर शुद्धिकारक होती है |
- स्वर्ण भस्म प्रज्ञा, कांति, स्मृति एवं ओज बढ़ाने वाली होती है |
- यह वाजीकर, शुक्रल, मस्तिष्क एवं यकृत को बल देने वाली होती है |
स्वर्ण भस्म का उपयोग एवं अनुपान कैसे करें ?
इसका उपयोग चौथाई से आधी रत्ती की मात्रा में मधु, मक्खन, मलाई या गिलोय सत्व के साथ करें | रोगानुसार इसका अनुपान निम्न प्रकार किया जा सकता है :-
- वात प्रकोपयुक्त ज्वर में :- रस सिंदूर में मिलाकर बेल की छाल के स्वरस के साथ |
- पित्त ज्वर में :- रस सिंदूर में मिलाकर पित्त पापड़ा के स्वरस के साथ |
- पांडू रोग में :- गुर्च सत्व, लौह भस्म एवं स्वर्ण भस्म को मिलाकर शहद के साथ दें |
- राजयक्ष्मा में :- स्वर्ण भस्म, मुक्तापिष्टी, रस सिंदूर एवं अभ्रक भस्म को शहद के साथ सेवन करें |
- नपुंसकता में :- स्वर्ण घटित मकरध्वज, स्वर्ण भस्म एवं मुक्तापिष्टी को मलाई के साथ सेवन करें |
- इसके अलावा भी इसका उपयोग बहुत से रोगों में अन्य औषधियों के साथ किया जाता है |
स्वर्ण भस्म के फायदे के बारे में जानें :-
यह बहुत ही उपयोगी भस्म है | इसका उपयोग करने से बहुत से रोगों का नाश हो जाता है | अन्य औषधियों के साथ इसका उपयोग करने से उन औषधियों के गुणों में वृद्धि होती है | यह शरीर की सभी प्रकार की व्याधियों को दूर करने की क्षमता रखती है | राजयक्ष्मा, जीर्ण ज्वर, पांडू रोग, स्नायु दौर्बल्य एवं नपुंसकता जैसे रोगों में इससे बहुत लाभ होता है |
आइये जानते हैं यह किन किन रोगों में फायदेमंद है :-
- यह हृदय को ताक़त पहुँचाने वाली भस्म है |
- इसका उपयोग दिल की कमजोरी को दूर करने के लिए उपयोग में ली जाने वाली सभी औषधियों में किया जाता है |
- स्वर्ण भस्म वातवाहिनी एवं रक्त वाहिनी नाड़ियों को सबल करती है |
- धातु क्षीणता एवं रक्त रसादि धातुओं की कमी में यह बहुत फायदेमंद है |
- यह शुक्रल है | शुक्राणुओं की कमी एवं शुक्र दोष को दूर करती है |
- मस्तिष्क की निर्बलता को दूर करने में यह बहुत लाभ देती है |
- इसके सेवन से स्मरण शक्ति बढ़ती है |
- क्षय रोग में इसका उपयोग बहुत गुणकारी होता है |
- यह शरीर में ओज एवं कान्ति का संचार करती है |
- स्वर्ण भस्म कीटाणु नाशक होती है |
- कुष्ठ रोगों में भी इसका उपयोग लाभकारी होता है |
- नेत्र विकारों में भी यह फायदेमंद है |
- नपुंसकता में इसका सेवन करने से बहुत लाभ होता है |
Reference :-
Swarna Bhasma and gold compounds: An innovation of pharmaceutics for illumination of therapeutics
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