सूतशेखर रस का वर्णन आयुर्वेदिक सिद्ध योग संग्रह में मिलता है | यहाँ हम सूतशेखर रस बिना स्वर्ण का विवरण आपको उपलब्ध करवाएंगे | सिद्ध योग संग्रह में सूतशेखर नाम से जो योग है वह स्वर्ण युक्त है अर्थात इसमें स्वर्ण पत्रों का इस्तेमाल किया गया होता है | लेकिन जब उन्ही घटकों के साथ बिना स्वर्ण डाले इसका निर्माण किया जाता है तो यह सूतशेखर सादा या स्वर्ण रहित कहलाता है |
आयुर्वेद की यह दवा रस – रसायन प्रकरण की औषधि है | इसके निर्माण में विभिन्न प्रकार की जड़ी – बूटी एवं भस्मों का इस्तेमाल किया जाता है | इसके घटक द्रव्यों एवं बनाने की विधि के बारे में हमने निचे जानकारी दी है |
सूतशेखर रस अम्लपित्त, रक्तपित्त, मुंह के छाले, चक्कर आना आदि पित्त से उत्पन्न होने वाले रोगों के लिए उत्तम आयुर्वेदिक औषधि साबित होती है | यह अपने पित्त शामक गुणों के कारण नींद न आना, गला सुखना, आँखों में जलन होना एवं पेट में जलन आदि समस्याओं में भी चमत्कारिक रसायन की तरह कार्य करती है |
इसके फायदों एवं किस – किस रोग में कार्य करती आदि की जानकारी भी आपके लिए उपलब्ध करवाई है | तो चलिए सबसे पहले जानते है सूतशेखर रस के घटक द्रव्य
घटक द्रव्य / Ingredients
सूतशेखर रस के निर्माण में विभिन्न आयुर्वेदिक जड़ी – बूटियों, भस्म एवं रस आदि का इस्तेमाल किया जाता है | इस टेबल के माध्यम से आप इन्हें देख सकते है |
क्रमांक | द्रव्य का नाम | मात्रा |
१ | शुद्ध पारद | १ भाग |
२ | शुद्ध गंधक | १ भाग |
३ | रोप्य भस्म | १ भाग |
४ | शुद्ध टंकण भस्म | १ भाग |
५ | ताम्र भस्म | १ भाग |
६ | सोंठ | १ भाग |
७ | कालीमिर्च | १ भाग |
८ | शुद्ध धतूरे के बीज | १ भाग |
९ | पिप्पल | १ भाग |
१० | तेजपत्ता | १ भाग |
११ | नागकेशर | १ भाग |
१२ | छोटी इलायची | १ भाग |
१३ | शंख भस्म | १ भाग |
१४ | दालचीनी | १ भाग |
१५ | बेलगिरी | १ भाग |
१६ | कचूर | १ भाग |
१७ | भृंगराज स्वरस | आवश्यकता अनुसार भावना देने के लिए |
सूतशेखर रस कैसे बनता है ? / How to Make Sutshekhar Ras
इसे बनाने के लिए सबसे पहले शुद्ध पारद और शुद्ध गंधक को मिलाकर कज्जली बनाई जाती है | पारे और गंधक को मिलाकर इनका अच्छी तरह मर्दन करके कज्जली का निर्माण किया जाता है | अच्छी तरह से कज्जली बनने के पश्चात बाकि बची सभी जड़ी – बूटियों का महीन चूर्ण कर लिया जाता है |
अब तैयार कज्जली, जड़ी – बूटियों के चूर्ण और बाकि बची हुई भस्म इन सभी को मिलाकर भंगे के स्वरस की 21 भावना दी जाती है | भृंगराज स्वरस में 21 दिन तक मर्दन करने के पश्चात प्राप्त हुए मिश्रण की गोलियां बनाकर सुखा ली जाती है |
इस प्रकार से सूतशेखर रस का निर्माण होता है | यह पित्त एवं वात विकारों में कारगर औषधि है | चलिए अब जानते है सूतशेखर रस के फायदे एवं विभिन्न रोगों में उपयोग
सूतशेखर रस के चिकित्सकीय प्रयोग / Therapeutic Uses of Sutshekhar Rasa
इसका इस्तेमाल निम्न रोगों में किया जाता है |
- अपच एवं अजीर्ण
- पेट में पित्त बनना
- पेप्टिक अल्सर
- गैस की समस्या
- सिरदर्द
- पेटदर्द
- माइग्रेन की समस्या
- पेट में जलन
- आँखों में जलन
- चक्कर आना
- उल्टी होना
- अजीर्ण या अपच के कारण भूख की कमी
- पित्त वृद्धि के कारण आंतो की समस्या
- मुंह के छाले
- पित्त विकार के कारण मानसिक बीमारी
- जलन के साथ दस्त होना
- पेशाब का रुक – रुक के आना
- नींद की कमी
सूतशेखर रस के फायदे / Health Benefits of Sutshekhar Rasa in Hindi
यह प्रकुपित वात को शांत करता है एवं पित्त विकृति के कारण होने वाले विकारों को नष्ट करता है | पित्त प्रकोप के कारण नींद न आना, गला सुखना या आँखों में जलन होना जैसी समस्याएँ है तो इसके सेवन से तीव्रता से लाभ मिलता है |
- यह पित्त विकारों दूर करने में अत्यंत फायदेमंद आयुर्वेदिक दवा है | इसके घटक द्रव्य इसे पित्त शामक औषधि बनाते है |
- पित्त के साथ – साथ यह वात जनित विकार में भी फायदेमंद दवा है |
- पित्त विकृति के कारण आने वाली बुखार में भी इसका चिकित्सकीय प्रयोग लाभ देता है |
- यकृत की गड़बड़ी में अगर पित्त एक प्रमुख कारण है एवं भूख खुलकर नहीं लगती तो सूतशेखर रस का इस्तेमाल लाभ देता है |
- पेशाब की रूकावट या मासिक धर्म की रूकावट में प्रवाल पिष्टी के साथ सूतशेखर रस का सेवन करना फायदेमंद रहता है | यह सेवन चिकित्सक के परामर्शानुसार ही करना चाहिए |
- तनाव, दाह एवं वात पित्त प्रधान सिरदर्द में यह दवा फायदेमंद है |
- अम्लपित्त, उन्माद या चक्कर आना में इसका प्रयोग अत्यंत फायदेमंद साबित होता है | क्योंकि ये सभी पित्त के विकार है एवं पित्त विकारों का शमन इस औषधि का प्रमुख कार्य है |
- अनिद्रा अर्थात नींद न आने में भी यह लाभदायक है | यह व्यक्ति के मानसिक विकारों को दूर करके तनाव रहित बनाती है एवं रोगी को अच्छी नींद लाने में फायदेमंद साबित होती है |
- अम्लपित्त के कारण होने वाले उदर विकार जैसे भूख न लगना, पेटदर्द, पेट में जलन, गैस आदि रोगों में इसका प्रयोग लाभदायक होता है |
सूतशेखर रस की सेवन विधि एवं मात्रा / Dosages
एक वयस्क व्यक्ति को इसका सेवन 125 से 250 mg तक अपने चिकित्सक के परामर्श अनुसार करना चाहिए | सूतशेखर रस को दिन में 2 से 3 बार, जल, गुनगुने दूध या शहद के साथ सेवन किया जा सकता है | खाना खाने के पश्चात सेवन करना चाहिए |
ध्यान दें यह आयुर्वेद की रसोऔश्धि है अत: इसका सेवन बिना चिकित्सकीय परामर्श के नहीं करना चाहिए |
नुकसान / Side Effects of Sutshekhar Rasa in Hindi
वैसे इस आयुर्वेदिक दवा के कोई दुष्प्रभाव देखने को नहीं मिलते | लेकिन यह रसऔषधि है इसमें पारे और गंधक का इस्तेमाल किया गया है अत: निर्देशित मात्रा एवं समय तक ही इसका सेवन करना चाहिए | अत्यधिक मात्रा एवं लम्बे समय तक लेना नुकसान दायक हो सकता है |
इसका सेवन बैगर चिकित्सक परामर्श नहीं करना चाहिए |
धन्यवाद
आपके लिए अन्य महत्वपूर्ण स्वास्थ्य जानकारियां
सितोपलादि चूर्ण कैसे बनता है ?
अविपत्तिकर चूर्ण के फायदे एवं स्वास्थ्य प्रयोग