अजीर्ण / Dyspepsia in Hindi
अजीर्ण को आयुर्वेद में रोगों का मूल कहा गया है | जो मनुष्य अनात्मवान होकर पशुओं की तरह अत्यधिक मात्रा में गरिष्ठ भोजन करते उन्हें अजीर्ण (अपच) रोग हो जाता है | इस रोग को साधारण भाषा में अजीर्ण / अपच / Indigestion या आधुनिक चिकित्सा विज्ञानं में Dyspepsia रोग कहा जाता है |
Dyspepsia पाचन संस्थान का प्रमुख विकार होता है और यह अनेक अन्य विकारों का जनक भी माना जाता है | अजीर्ण से तात्पर्य खाए हुए आहार का सम्यक रूप से पाक न हो पाना | इसका कारण जठराग्नि का मंद होना होता है | जब शरीर की जठराग्नि मंद होती है तो खाए हुए आहार का पाचन नहीं हो पाता एवं अपक्व अर्थात अध् पचा हुआ आहार शरीर में आम दोष की उत्पति करता है | यह आम दोष शरीर की अन्य धातुओं को दूषित करता है अनके रोगों को जनम देता है |
अजीर्ण के प्रकार / Types of Dyspepsia in Hindi
आयुर्वेद में अजीर्ण को 7 प्रकार का माना है जो निम्न है –
- आमाजिर्ण
- विदग्धाजीर्ण
- विष्ट्ब्धाजीर्ण
- रसशेषाजीर्ण
- दिनपाकी जीर्ण
- प्राकृत अजीर्ण
- अन्नविष अजीर्ण
आधुनिक अनुसार Dyspepsia के निम्न प्रकार है – 1. Organic Dyspepsia – जब पाचन संस्थान के किसी अंग में दोष उत्पन्न हो जाता है एवं इसकी रचना एवं बनावट में कोई अवांछित परिवर्तन आ जाता है , जिसके कारण पाचन क्रिया सुचारू रूप से संपन्न नहीं होती है तो इसे organic dyspepsia या देहात्मक अजीर्ण कहते है | 2. Functional Dyspepsia – जब पाचन संस्थान की रचना एवं बनावट में परिवर्तन आकर अजीर्ण की समस्या उत्पन्न होती है तो इसे functional dyspepsia या क्रियात्मक अजीर्ण कहते है |
अजीर्ण के कारण / Reasons of Dyspepsia in Hindi
अपच के बहुत से कारण हो सकते है | अपच होने की स्थिति में उदर की पेशियों में दर्द, जलन एवं कष्ट होने लगता है | Dyspepsia के निम्न कारण हो सकते है –
- अधपका या अनुचित ढंग से पकाए गए भोजन के सेवन से अजीर्ण रोग हो सकता है |
- अधिक निम्न ताप पर भोज्य सामग्री को तलने से वे अधिक मात्रा में वसा को अवशोषित कर लेता है | अधिक वसीय पदार्थ परिणाम स्वरुप देरी से पचते है |
- अधिक उच्च ताप पर तल कर बनाये गए भोज्य पदार्थ भी dyspepsia (अजीर्ण) का कारण बन सकते है , क्योंकि अधिक ताप पर वसा में जलन उत्पन्न करने वाले कणों का निर्माण हो जाता है | अत: बाजार में बार – बार गरम किये गए भोज्य पदार्थो के सेवन करने से अजीर्ण की समस्या उत्पन हो जाती है |
- जल्द बाजी में किया गया भोजन अर्थात अच्छी तरह न चबा कर भोजन करने से भी अजीर्ण की समस्या हो जाती है |
- असंतुलित आहार के सेवन से भी यह रोग हो सकता है |
- अधिक गरिष्ठ भोजन , तले हुए भोज्य पदार्थ, अधिक वसा एवं मिर्च मसाले वाले पदार्थों का सेवन भी इसका एक कारण बन सकता है |
- अनियमित समय पर भोजन भी इसका एक कारण माना जा सकता है |
- अत्यधिक कॉफी एवं चाय के सेवन से |
- आंतो में किसी प्रकार के संक्रमण के कारण हानिकारक जीवाणु पाचन क्रिया को खराब कर देते है | परिणाम स्वरुप dyspepsia in hindi की समस्या उत्पन्न हो जाती है |
- मानसिक विकार जैसे – अत्यधिक क्रोध, चिंता, इर्ष्या एवं काम वेग भी इसका कारण बन सकता है |
- शरीर में अत्यधिक पित की व्रद्धी होने से |
अजीर्ण के लक्षण / Symptoms of Dyspepsia in Hindi language
अजीर्ण की स्थिति में निम्न लक्षण प्रकट हो ते है –
- खाना खाते ही पेट में भारीपन रहना एवं शरीर भी भारी – भारी महसूस होता है |
- पेट में दर्द रहना , जलन रहना एवं हृदय प्रदेश में भी जलन महसूस होना |
- जी मचलाना, चक्कर आना, मितली आदि की शिकायत महसूस होती है |
- अमाशय में HCL की अम्लीयता बढ़ जाती है |
- ज्वर एवं मूर्च्छा की स्थिति |
- भोजन में अरुचि होना |
- शारीरिक थकावट अर्थात आलस्य की स्थिति |
- पेट में आफरा रहना |
- जम्भाई, अंगो में दर्द एवं तृष्णा भी अजीर्ण के लक्षण होते है |
- पुरे दिन सिर भारी – भारी रहना एवं शिरशुल की समस्या |
- भ्रम |
अजीर्ण में रोगी का आहार / Diet in Dyspepsia
इस रोग में रोगी को कम मिर्च मसाले भोजन दिया जाना चाहिए | भोजन नरम , कोमल एवं सुपाच्य हो | शरीर में अम्लीयता उत्पन्न करने वाले भोज्य पदार्थो से रोगी को पूर्णत: परहेज करना चाहिए | Dyspepsia के रोगी को हमेशां निम्न रेशे युक्त आहार देना चाहिए |
रोगी को पर्याप्त रूप से विश्राम दिया जाना चाहिए साथ ही मानसिक चिंता एवं संवेगाताम्क तनावों से भी दूर रहना फायदेमंद रहता है | भोजन में रूचि पैदा करने वाली औषधियां दी जानी चाहिए | भोजन में रूचि पैदा करने के लिए पोदीने की चटनी, जीरा, एवं छाछ आदि का इस्तेमाल किया जा सकता है | भोजन के बाद आयुर्वेदिक हिंग्वाष्टक चूर्ण, अविपतिकर चूर्ण , शिवाक्षार पाचन चूर्ण आदि औषधियों का प्रयोग करवाना चाहिए | अजीर्ण रोग में रोगी के एक दिन की आहार तालिका हमने निचे बताई है आप इसका इस्तेमाल अपने चिकित्सक के परामर्शनुसार कर सकते है
सुबह 6 बजे | दूध, शक्कर या फलों का रस | 1 गिलास |
8.30 बजे (नास्ता) | ब्रेड / मक्खन या जैम / फल (पपीता, आम, सेब या अन्य मौसमी फल) | 4 स्लाइड्स / 2 चम्मच / 1 फल |
11.00 बजे | गाजर, टमाटर या पालक का सूप | 1 छोटा गिलास |
1.30 बजे (दोपहर का खाना) | रोटी / चावल का भात / लौकी की सब्जी / मुंग की दाल / दही / फलों का सलाद | 2 से 3 / 1 प्लेट / बाकि सभी एक कटोरी की मात्रा में लिए जा सकते है |
4.30 बजे | अनार का रस | 1 गिलास |
5.30 | चाय / नमकीन बिस्किट | 1 कप / 2 बिस्किट |
9.00 रात्रि का भोजन | चावल / परवल / आलू / टमाटर की सब्जी / रोटी / दही का रायता / सेवई की खीर आदि | 1 प्लेट / 1 प्लेट / रोटी 2 से 3 / बाकि सभी 1 कटोरी |
10.00 सोते समय | दूध और शक्कर | 1 गिलास |
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अजीर्ण का इलाज / Dyspepsia Treatment in Hindi
अजीर्ण का इलाज करने से पहले इसके संभावित कारणों की खोज करनी चाहिए | सबसे पहले यह देखना चाहिए की रोगी को अजीर्ण की स्थिति किस वजह से उत्पन्न हुई है | इसके पश्चात इन कारणों को दूर करने का प्रयास करना चाहिए | रोगी को उचित आहार की जानकारी दी जानी चाहिए ताकि रोगी अजीर्ण को बढाने वाले आहार का सेवन बंद करदे एवं रोग जल्द ठीक हो जावे | अजीर्ण के घरेलु उपचार में आप इन निम्न उपायों को अपना सकते है – ♦ लवण भास्कर चूर्ण का इस्तेमाल
बाजार में मिलने वाले लवण भास्कर चूर्ण के इस्तेमाल से अजीर्ण या अपच की समस्या से छुटकारा मिल सकता है | सुबह एवं शाम के भोजन के पश्चात एक चम्मच की मात्रा में लवण भास्कर चूर्ण का इस्तेमाल करे | चूर्ण के अनुपन स्वरुप शीतल जल, मट्ठा या अर्क अजवाइन के साथ लिया जा सकता है | ♦ Dyspepsia में चित्रकादी चूर्ण या वटी का प्रयोग
चित्रकादी वटी या चूर्ण उत्तम पाचन गुणों से युक्त होता है | इसके इस्तेमाल से रोगी का पाचन सुधरता है एवं अजीर्ण की समस्या जाती रहती है | चित्रकादी वटी को आप किसी भी आयुर्वेदिक दवाखाने से प्राप्त कर सकते है | इस औषधि के कोई साइड एफ्फेक्ट्स् नहीं है अत: आप इसे बेझिझक इस्तेमाल कर सकते है | इसका प्रयोग एक चम्मच सुबह – शाम या वटी के रूप में दो – दो गोली सुबह शाम इस्तेमाल की जा सकती है | इस औषधि के इस्तेमाल से भोजन में रूचि बढती है एवं पाचन सुधर कर अपच या अजीर्ण की समस्या का नाश होता है |
♦ Dyspepsia (अजीर्ण) में जामुन का सिरका
इसे आप किसी भी आयुर्वेदिक औषधालय से खरीद सकते है | 10 ML की मात्रा में पानी के अनुपन के साथ सुबह एवं शाम सेवन किया जा सकता है | यह उत्तम पाचन गुणों से युक्त होने के कारण अजीर्ण, अपच, Indigestion, उदर – शूल, मन्दाग्नि, आफरा आदि समस्याओं में लाभ देता है |
अजीर्ण के लिए घरेलु नुस्खे / Home Remedies for Dyspepsia
- अजीर्ण या indigestion की समस्या में दो लौंग, एक हरड का चूर्ण एवं थोडा सा सेंधा नमक मिलाकर पीने से अजीर्ण की समस्या में आराम मिलता है |
- घर पर आसानी से मिल जाने वाले मसालों से जैसे – 10 ग्राम धनिया, 5 कालीमिर्च एवं दो चुटकी काला नमक , इन सभी को बारीक़ पीसकर चूर्ण बना ले | इस चूर्ण का इस्तेमाल गुनगुने जल के साथ करे |
- 10 ग्राम जीरा, 5 ग्राम कालीमिर्च, 5 ग्राम सोंठ एवं 3 ग्राम सेंधा नमक – सभी को बारीक़ पीसकर चूर्ण बना ले | नित्य भोजन के पश्चात इस चूर्ण का इस्तेमाल करने से जल्द ही अजीर्ण की समस्या में लाभ मिलता है |
- पोदीना – 10 ग्राम , अजवायन – 10 ग्राम एवं देशी कपूर – 5 ग्राम इन सभी को मिलकर चटनी बना ले | इसका प्रयोग भी dyspepsia रोग में लाभदायक होता है |
- मूली का थोडा सा रस निकाल ले , अब इसमें थोड़ी मात्रा में शक्कर मिलाकर सेवन करने से भी अजीर्ण (Dyspepsia) में आराम मिलता है | इसका इस्तेमाल अन्य उदर विकार जैसे – गैस, आफरा आदि में किया जा सकता है |
- पिप्पल के चूर्ण में थोडा सा निम्बू का रस मिलाकर सेवन करने से भी लाभ मिलता है |
- कुल्थी के पतों का रस निकाल ले एवं एक चम्मच की मात्रा में नित्य सेवन से कुच्छ ही दिनों में अजीर्ण की समस्या जाती रहती है |
- सोंठ, कालीमिर्च, काली जीरी – इन सभी को बराबर की मात्रा में लेकर इनका चूर्ण बना ले | इस चूर्ण के प्रयोग से भी अजीर्ण की समस्या जाती रहती है |
- टमाटर का रस निकाल कर इसमें थोडा सा काला एवं जीरा डालकर सेवन करें |
- जामुन के पेड़ की छाल निकाल ले एवं इसे अच्छी तरफ सुखा ले | सूखने के बाद इसका चूर्ण बना ले एवं नित्य प्रयोग करें | अजीर्ण रोग जल्द ही ठीक हो जाता है |