चाय (Tea) : औषधीय गुण, उपयोग, फायदे एवं नुकसान

चाय (Tea) : चाय से आप सभी परिचित हैं | एक सर्वे के अनुसार हमारे देश में लगभग 70 % लोग चाय पीते हैं | थकान दूर करने के लिए चाय का सेवन किया जाता है | भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी आने के बाद चाय का प्रचार हुवा एवं इसकी खेती होने लगी | भारत में अब ऐसी कोई जगह नहीं है जहाँ पर चाय नहीं पीते हों | लेकिन आयुर्वेद के अनुसार इसमें अनेकों औषधीय गुण होते हैं | इस लेख में हम चाय के औषधीय गुणों, रोगानुसार इसका क्या प्रयोग किया जा सकता है, घरेलु नुस्खे में चाय का उपयोग किस तरह करें आदि के बारे में बताएँगे |

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चाय (Tea) : वानस्पतिक नाम, कुल, प्रयोज्य अंग एवं गुण / Botanical Name, family and Useful part of Tea

श्यामपर्णी (संस्कृत नाम) या चाय भारत में आसाम, कोचीन, बंगाल, बिहार, सिक्किम, उड़ीसा, दार्जिलिंग आदि जगहों में उगती है | यहाँ पर इसकी खेती की जाती है | भारत के अलावा यह चीन, जापान, श्रीलंका एवं दक्षिण पूर्वी एशिया के कुछ देशो में पायी जाती है | भारत की चाय विश्व में सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है |

चाय पिने के फायदे

चाय (Tea) का स्वरुप : यह झाड़ीनुमा पौधा होता है | जो 10 से 15 मी ऊँचा होता है | इसको समय समय पर काट दिया जाता है खेती में सरलता के लिए इसलिए सामान्यतः इसकी इतनी ऊंचाई देखने को नहीं मिलती है |इसके पत्ते हरे रंग के सरल एवं 5 से 15 सेमी आकार के होते हैं | चाय के फूल सफ़ेद रंग के सुगन्धित एवं गोलाकार होते हैं | इसके फल त्रिकोणीय होते हैं जिसमें दो बीज रहते हैं |

चाय : वानस्पतिक एवं अन्य नाम (Botanical and other names of tea)

इसका वानस्पतिक नाम Camellia Sinensis (linn) Kuntze है | यह Theaceae (थिएसी) कुल का पौधा है जिसे अंग्रेजी में हम Tea के नाम से जानते हैं | आइये जानते हैं है चाय का :-

  • वानस्पतिक नाम (Botanical Name) :- Camellia Sinensis (linn) Kuntze
  • संस्कृत नाम – श्यामपर्णी, चाहम, चविका
  • हिंदी – चाय
  • अंग्रेजी – tea
  • उर्दू – चाय
  • उड़ीया – चाई
  • कन्नड़ – चाय, चाहा
  • गुजराती – चाय, चहा
  • तमिल – करूप्पूत्तेयिलेई
  • तेलगु – थेयाक
  • बंगाली – चाई
  • नेपाली – चा
  • मराठी – घेयाले
  • मलयालम – चाहा
  • फारसी – चाईका थाई
  • अरबी – चाह

चाय के औषधीय गुण / Medicinal properties of tea

तीक्ष्णोंष्ण तुवरा चाहा दीपनी पाचनी लघु: | कफ़पित्तहरी चैव किन्चिद्वातप्रकोपिनी ||

अर्थात चाय में कषाय, उष्ण, लघु, तीक्ष्ण, कफपित्त शामक, वातप्रकोपक एवं दीपन पाचन गुण पाए जाते हैं |

  • यह कषाय रस वाली है |
  • उष्ण वीर्य है |
  • लघु गुण वाली है |
  • कफ एवं पित्त शामक है |
  • दीपन एवं पाचन गुणों से युक्त है |

त्रिदोष प्रभाव / Tridosh Effects :-

  • कफ शामक
  • पित्त शामक
  • वात प्रकोपक

चाय के प्रयोज्य अंग / Useful parts :-

  • पत्र – इसके पत्रों का उपयोग किया जाता है |
चाय के प्रयोग

चाय पिने के फायदे, औषधीय प्रयोग, रोगानुसार सेवन की जानकारी / Medicinal use of Tea, How to use according to disease, Benefits

इसमें निद्रानाशक गुण पाए जाते हैं | यह कफ़ एवं श्वास नाशक गुणों से भी युक्त है | थकान, सर दर्द, खांसी आदि रोगों में इसका प्रयोग लाभकारी होता है | आइये जानते हैं इसके औषधीय प्रयोग क्या क्या हैं :-

निद्रानाशक है चाय :-

निद्रानाशक गुणों के कारण चाय का उपयोग लगभग हर जगह किया जाता है | चाय की पत्तियों को उबाल कर पिने से निद्रा एवं थकान दूर हो जाती है |

सर दर्द दूर करने में सहायक है चाय :-

सर दर्द होने पर चाय के पत्तो का फाँट बना कर पिने से (5-15 ml) आराम मिलता है |

आँखों के लिए भी हितकारी है चाय :-

चाय के फाँट की एक या दो बूंद आँख में डालने से नेत्र रोगों में फायदा होता है | नेत्राभिष्यन्द रोग में इसका दो तीन दिन तक उपयोग करने से बहुत फायदा होता है |

गले में खराश होने पर करें चाय का सेवन :-

गले में खराश या कंठक्षत हो जाने पर चाय के पत्तो का क्वाथ दिन में दो तीन बार पिने से लाभ होता है |

खांसी और श्वास रोग में फायदेमंद है चाय का उपयोग करना :-

इन रोगों में चाय, हरड, बहेड़ा, आंवला, रेवंदचीनी का काढ़ा (15 – 20 ml) पिने से लाभ होता है |

सर्दी जुखाम में भी उपयोगी है चाय की पत्तियां :-

सर्दी जुखाम हो जाने पर चाय, मुलेठी, बनफ्सा को समान मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर पिने से लाभ होता है |

पेट दर्द होने पर अपनाएं चाय का यह घरेलु नुश्खा :-

पेट दर्द (वायु कारण) होने पर चाय का सेवन लाभकारी होता है | ऐसे में चाय में पुदीना और अकरकरा मिलाकर काढ़ा बना कर पीना फायदेमंद होता है |

मूत्र विकारों में बहुत उपयोगी हैं चाय की पत्तियां :-

पेशाब नहीं आने या जलन होना जैसे विकारों में चाय का फाँट बना कर पिने से लाभ होता है |

कामशक्ति बढाने में भी लाभदायक है चाय :-

सालममिश्री, दालचीनी और चाय को दूध में पकाकर पिने से कामशक्ति बढती है |

त्वचा विकारों में उपयोग करें चाय के ये घरेलु नुश्खे :-

गर्म पानी आदि से जल जाने पर चाय के क्वाथ को ठंडा करके उसमे कपड़े की पट्टी भिगोकर पिने लगाने से फफोले नहीं पड़ते एवं दाग आदि विकार उत्पन्न नहीं होते हैं |

दुष्प्रभाव / side effects of tea

यूँ तो चाय में अनेको औषधीय गुण होते हैं लेकिन इसके कुछ दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं | वातप्रकोपक गुणों के कारण अम्लपित्त एवं अनिद्रा जैसे दुष्प्रभाव इससे हो सकते हैं | चाय ज्यादा पिने से होने वाले दुष्प्रभाव :-

  • अम्लपित्त की समस्या हो जाना
  • हृदय दाह (जलन) की समस्या
  • अनिद्रा (नींद न आना)
  • अरुचि हो जाना

गर्भवती महिलाओं को चाय का सेवन अधिक मात्रा में बिल्कुल नहीं करना चाहिए | इसके कारण नवजात शिशु में अतिनिद्रा जैसा विकार होने की संभावना हो जाती है |

चाय के सेवन से जुड़े आपके सवाल / frequently asked questions

चाय में कफ एवं पित्तनाशक गुण होते हैं एवं यह निद्रानाशक है | चाय का सेवन अनेको रोगों में लाभकारी होता है |

भारत में आसाम, दार्जिलिंग, सिक्किम, केरल, बिहार, उड़ीसा आदि राज्यों में चाय की खेती की जाती है |

इसमें निद्रा नाशक गुण होते हैं | यह नींद और थकान को दूर करती है |

इसका अधिक सेवन करने से अम्लपित्त, गैस एवं अनिद्रा जैसे विकार हो जाते हैं |

Camellia Sinensis (linn) Kuntze

पेट दर्द, सर दर्द, थकान, सर्दी जुखाम एवं कफ आदि में इसका उपयोग लाभकारी है |

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