हीरक भस्म (हीरा भस्म) की जानकारी, रोगोपयोग एवं गुणधर्म

हीरक भस्म की जानकारी : हीरक भस्म जिसे हीरा भस्म या वज्र भस्म के नाम से आयुर्वेद में जानते है | हीरक भस्म को गंभीर रोगों के चिकित्सार्थ आयुर्वेद में प्रयोग करवाया जाता है | कैंसर जैसे रोग एवं आज के समय की भीषण पेंड़ेमिक परिस्थिति में आयुर्वेद में वज्र भस्म को जीवन रक्षक एवं जीवनीय शक्ति का संचार करने लायक आयुर्वेदिक औषधि माना गया है |

विभिन्न वैद्यों द्वारा आज covid-19 के उपचार में भी हीरक भस्म का प्रयोग करवाया जाता है | यह रोग को ख़त्म करने एवं उपचार में सहायक सिद्ध हो रही है | परन्तु इसका प्रयोग बैगर रसवैद्य के परामर्श से नहीं करना चाहिए |

हीरक भस्म

आयुर्वेद में हीरा को आयु बढ़ाने वाला, तत्काल विभिन्न रोगों पर असर करने वाला, वृष्य (आयु बढ़ाने वाला) एवं तीनो दोषों का शामक माना गया है | यह शरीर में उपस्थित समग्र रोगों का नाशक है | पारद को बांधता है, भस्म बनाता है एवं उसके रासयानादी गुणों को बढाता है |

हीरे को अग्नि प्रदीपक एवं मृत्यु को नष्ट करने वाला माना गया है | इसीलिए गंभीर रोगों में हीरक भस्म का प्रयोग करवाया जाता है |

आयुर्वेदिक शास्त्रों में हीरे से भस्म बनाने की विभिन्न विधियाँ बताई गई है | लेकिन इनमे से एक दो – विधियाँ ही है जो हीरक भस्म को सिद्धि देती है |

हीरा भस्म हीरे के मूल्यवान कणों से बनती है | इसके कणों को शोधन, मारण एवं पुट आदि देकर भस्म का निर्माण किया जाता है | तो चलिए आपको बताते हैं हीरक भस्म के घटक द्रव्य एवं निर्माण विधि के बारे में | यहाँ आपको हीरक भस्म बनाने की विधि बताने का एक मात्र उद्देश्य आयुर्वेद के प्रति जागरूक करना है |

हीरक भस्म के घटक द्रव्य / Hirak Bhasma Ingredients

  • शुद्ध हीरा कण
  • शुद्ध हरिताल
  • शुद्ध गंधक
  • शुद्ध हिंगुल
  • सुवर्ण माक्षिक भस्म
  • पिप्पली छाल का क्वाथ
  • बड़े बेर का क्वाथ

हीरक भस्म बनाने की विधि / Manufacturing Process of Hirak Bhasma In Hindi

हीरा भस्म बनाने के लिए शुद्ध हीरे कण को शुद्ध हरिताल, शुद्ध गंधक, शुद्ध हिंगुल, सुवर्ण माक्षिक भस्म, समान भाग में मिलाकर पत्थर की खरल में घोंटा जाता है | इसमें बड़े बेर एवं पिप्पली छाल के क्वाथ में 7 – 7 भावना देकर सुखाया जाता है | एवं प्रत्येक बार गजपुट में फूंका जाता है | गजपुट आयुर्वेद में एक अग्नि देने का परिणाम होता है जिसके माध्यम से भस्म का निर्माण किया जाता है |

इस प्रकार से हीरे की भस्म होने तक 14 बार या अधिक बार गजपुट देते है | गजपुट के बारे में अधिक जानने के लिए यहाँ पढ़ें –

गजपुट क्या होता है ?

इस विधि से भस्म बनाते समय सुवर्णमाक्षिक भस्म एक ही बार मिलायी जाती है | लेकिन अन्य द्रव्य हर गजपुट में फिर से मिलाये जाते है | अर्थात जीतनी बार गजपुट दि जाती है उतने ही बार सुवर्ण भस्म को छोड़कर अन्य द्रव्य मिलाये जाते है |

हीरक भस्म के गुणधर्म / Hirak Bhasma Gun Dharma

यह भस्म सभी प्रकार के वातरोग, पित्तप्रकोप, कफवृद्धि, त्रिदोष शोष, क्षय, भ्रम, भगंदर, प्रमेह, मेद, पांडू, उदररोग,नपुंसकता आदि रोगों को दूर करती है |

टीबी की दूसरी अवस्था में यह लाभ पहुंचाती ही है, परन्तु तीसरी अवस्था में वज्रभस्म का सेवन करवाने से अतिउत्तम लाभ प्राप्त होते है | यह विभिन्न रोगों के कीटाणुओं का नाश करने वाली औषधि है | शरीर में किसी भी रोग के कीटाणु एवं विषाणुओं को ख़त्म करने के लिए हीरक भस्म अत्यंत लाभदायक है |

हीरा भस्म शरीर के भीतर होने वाले पुयक्षत,अर्बुद (गांठ), कैंसर, गुल्म आदि पर सफलतापूर्वक कार्य करती है | अपने इन्ही गुणों के कारण हीरक भस्म को गंभीर रोगों में चिकित्सार्थ प्रयोग करवाया जाता है |

हीरक भस्म के रोगोपयोग या फायदे / Benefits of Hirak Bhasma

  • हीरक भस्म 1 रति के साथ सुवर्णभस्म, मुक्तापिष्टी और अभ्रक भस्म 2 – 2 माशे मिलाकर 48 पुड़िया बनाकर नित्य प्रतिदिन सुबह और शाम 1 पुड़ी मलाई मिश्री मिलाकर चटाने से कैंसर की ग्रंथियां कट गलकर रोग से छुटकारा मिलता है |
  • हीरा भस्म अर्थात वज्रभस्म उत्तम हृद्य, उतेजक और शूलहर (दर्द को ख़त्म करने वाली), होने के कारण छाती में तीव्र दर्द होकर बेहोश होने की समस्या में तत्काल असर दिखाती है |
  • हृदय की धमनियों में रक्तसंग्रह हो गया हो या थक्का जम गया हो तो भी हीरक भस्म तत्काल कार्य करती है |
  • यह हृदय विकारों में वातनाड़ियों को बल देकर रोग का शमन करती है |
  • यह शरीर को वज्र की तरह मजबूत बनाती है |
  • मानसिक निर्बलता में भी इसके अत्यंत फायदे है |
  • नपुंसकता एवं पौरुष शक्ति की कमी में भी हीरक भस्म बहुत फायदेमंद है |
  • यह आयुर्वेदिक भस्म शरीर को कांतिवान, बलवान एवं आयु को बढ़ाने वाली औषधि है |
  • तीनो दोषों की शामक औषधि है एवं समग्र रोगों का नाशक है |

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