पूर्णचन्द्र रस / पूर्णचंद्र रस (वृहत) : फायदे, उपयोग एवं बनाने की विधि

पूर्णचंद्र रस एक वाजीकारक औषधि है, यह स्त्री, पुरुष एवं दुर्बल रोगियों के लिए अत्यंत उत्तम दवा है | यह दो प्रकार का होता है पूर्णचंद्र रस और पूर्णचंद्र रस (वृहत) | इसमें लौह भस्म, अभ्रक भस्म, रस सिंदूर एवं शिलाजीत जैसे द्रव्य होते हैं जो सभी प्रकार की कमजोरियों को दूर करने के लिए जाने जाते हैं |

इस लेख में हम दोनों प्रकार के पूर्णचंद्र रस के फायदे, उपयोग, घटक द्रव्य एवं बनाने की विधि के बारे में बतायेंगे |

पूर्णचन्द्र रस क्या है / What is purn chandra ras ?

यह रस रसायन परिकल्पना की औषधि है जिसमें स्वर्णमाक्षिक भस्म, अभ्रक भस्म, लौह भस्म, वायविडंग एवं शिलाजीत जैसी गुणकारी औषधियों का योग होता है | जैसा ऊपर बताया है यह दो प्रकार का होता है :-

  • पूर्ण चन्द्र रस (सामान्य)
  • पूर्ण चन्द्र रस (वृहत)

सामान्यतः इन दोनों रसायनों का उपयोग एक बल्यवर्धक दवा के रूप में किया जाता है | यह सप्त धातुओं की वृद्धि करता है एवं शरीर में स्फूर्ति एवं बल का संचार करता है | पुरुषों में शुक्रविकारों के कारण आयी कमजोरी में यह बहुत कारगर दवा का काम करता है |  स्त्रियों में श्वेत प्रदर एवं रजो विकार के कारण आयी कमजोरी में भी इसका उपयोग बहुत लाभकारी होता है |

पूर्णचन्द्र रस (सामान्य) : घटक द्रव्य, बनाने की विधि एवं फायदे

घटक द्रव्य :-

पूर्ण चन्द्र रस को बनाने के लिए निम्न घटक द्रव्यों का उपयोग होता है | इन सभी द्रव्यों को समान मात्रा में लेना होता है |

बनाने की विधि :

इस औषधि को बनाने के लिए सभी घटकों को समान मात्रा में लें | इन सब का महीन चूर्ण बना कर इन्हें मिला लें | इस मिश्रण को खरल में दाल घृत (घी) या मधु के साथ मर्दन करें
| जब यह गोली बनाने लायक हो जाए तो इसकी छोटी छोटी गोलियां बना लें | इस तरह से पूर्णचंद्र रस (सामान्य) तैयार हो जाता है |

पूर्ण चन्द्र रस के फायदे

पूर्णचंद्र रस (सामान्य) के फायदे एवं उपयोग :-

यह बलवर्धक, वाजीकर एवं स्तंभक है | इसके सेवन से सभी प्रकार के धातु रोग नष्ट हो जाते हैं | अत्यधिक हस्तमैथुन एवं स्वप्नदोष के कारण उत्पन्न दोषों में यह बहुत फायदेमंद दवा है | आइये जानते हैं इसके फायदे :-

  • स्वप्नदोष की समस्या में यह बहुत उपयोगी है | इसके सेवन से सोते समय वीर्यपात होने की समस्या समाप्त हो जाती है |
  • यह शरीर में नवीन खून का निर्माण करता है |
  • किसी भी प्रकार का धातु रोग हो पूर्ण चन्द्र रस के सेवन से नष्ट हो जाता है |
  • इसके सेवन से दिल और दिमाग में ताक़त आती है |
  • रात्री में बार बार पेशाब लगने की समस्या में यह उपयोगी है |
  • लगातार कुछ महीनों तक इसका सेवन करने से शरीर हष्ट पुष्ट, कांति युक्त एवं शक्तिशाली हो जाता है |
  • यह कामशक्ति जागृत करता है |

पूर्ण चन्द्र रस (सामान्य) का सेवन कैसे करें ?

यह बहुत गुणकारी रसायन है | धातु रोगों से दुखी पुरुष को इसका सेवन करना चाहिए | इसकी एक गोली सुबह और एक शाम को मखन मलाई या मिश्री मिले गुनगुने दूध के साथ सेवन करना चाहिए |

पूर्णचन्द्र रस (वृहत) : फायदे, घटक द्रव्य, बनाने की विधि

इसमें सामान्य पूर्ण चन्द्र रस की अपेक्षा अधिक वाजीकारक जड़ी बूटियों एवं द्रव्यों का उपयोग किया जाता है | यह बलवर्धक एवं कामशक्ति वर्धक रसायन है | इसका उपयोग यौन कमजोरियों के अलावा खांसी, श्वास, अग्निमांध, अपच, अतिसार, संग्रहणी एवं प्रमेह रोगों में भी किया जाता है |

पूर्णचंद्र रस (वृहत) के घटक द्रव्य :

  • शुद्ध पारा एवं गंधक – प्रत्येक दो तोला
  • लौह भस्म एवं अभ्रक भस्म – दोनों चार चार तोला
  • चांदी भस्म और बंग भस्म – प्रत्येक दो तोला
  • सुवर्ण भस्म, ताम्र भस्म, कांस्य भस्म – सभी एक एक तोला
  • जायफल, लौंग, इलायची, जीरा – प्रत्येक एक तोला
  • दालचीनी, कपूर, फूल प्रियंगु, नागरमोथा – प्रत्येक एक एक तोला
  • ग्वारपाठा, त्रिफला एवं एरंड मूल का रस – भावना देने के लिए

पूर्णचन्द्र रस(वृहत) बनाने की विधि :

इसऔषधि को बनाने के लिए सबसे पहले पारा और गंधक की कज्जली बना लें | अब अन्य जड़ी बूटियों का महीन चूर्ण बना कर सब को अच्छे से मिला लें | इस मिश्रण में अब ग्वारपाठा, त्रिफला और एरंड मूल के रस से एक एक भावना दें |

पूर्णचन्द्र रस

भावना देने के बाद इसे एरंड के पत्तो में लपेट कर अनाज के ढेर में दबा दें | 3 दिन बाद इसे निकाल कर खरल में अच्छे से मर्दन कर छोटी छोटी गोलियां बना लें | इन गोलियों को छाया में सुखाकर सुरक्षित रख लें | इस तरह से वृहत पूर्णचंद्र रस तैयार हो जाता है |

सेवन एवं अनुपान की विधि :

इसकोभी सामान्य पूर्ण चन्द्र रस की तरह एक एक गोली सुबह शाम मखन या मिश्री मिले दूध के साथ सेवन करें | लगाए हुए पान में रखकर भी इसका सेवन कर सकते हैं |

वृहत पूर्णचन्द्र रस के फायदे एवं उपयोग :

यह औषधि सभी प्रकार के रोगों एवं रोग के कारण आयी दुर्बलता में उपयोगी है | लेकिन खास तौर पर इसका उपयोग प्रमेह विकार, नपुंसकता एवं जननांगो की कमजोरी के लिए किया जाता है | इसके सेवन से शुक्राणुओं की वृद्धि होती है एवं वीर्यवाहिनी नाड़ी में चेतना आती है | यह सभी धातुओं को पुष्ट कर शरीर को बल एवं कांतियुक्त बनाता है | आइये जानते हैं पूर्ण चन्द्र रस (वृहत) के फायदे :-

  • पूर्ण चन्द्र रस वृहत एक वाजीकारक औषधि है |
  • यह नवीन शुक्राणुओं का निर्माण कर वीर्य को गाढ़ा करता है |
  • प्रमेह रोग में यह बहुत लाभकारी है |
  • इसके सेवन से मेधा और वाकशक्ति में वृद्धि होती है |
  • पाचन की समस्या एवं अतिसार में इसका सेवन करने से लाभ होता है |
  • पांडूरोग और कामला में यह गुणकारी औषधि है |
  • संग्रहणी रोग में पूर्ण चन्द्र रस वृहत के सेवन से लाभ मिलता है |
  • यह दिल, दिमाग और जननेन्द्रियों को शक्ति प्रदान करता है |
  • शुक्रक्षय के कारण आई नपुंसकता में यह बहुत फायदेमंद है |
  • महिलाओं में जननांगो की कमजोरी एवं श्वेत प्रदर की समस्या में यह उपयोगी है |
  • शुक्र स्राव एवं बहुमूत्र को यह शीघ्र ठीक करता है |

धन्यवाद !

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