बबूल के फायदों से आप सभी परिचित होंगे | बबुलारिष्ट में प्रधान द्रव्य बबूल है | यह अरिष्ट प्रकरण की औषधि है जिसका उपयोग रक्तविकार, मूत्र विकार, क्षय एवं कफ़ रोगों में किया जाता है | क्षय रोग में जब खांसी और ज्वर अधिक हो रहा हो, शरीर अत्यधिक दुर्बल हो गया हो इस अवस्था में बबूल अरिष्ट का उपयोग करने से विशेष लाभ होता है |
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बबुलारिष्ट क्या है / What is babularisht in hindi
बबूल से बनी यह दवा आयुर्वेद में अरिष्ट प्रकरण की दवाओं में आती है | यह दवा बहुत गुणकारी है | आयुर्वेद में इसे अमृत के समान गुणों वाला बताया गया है | पुराने एवं विषम ज्वर, बार बार होने वाला ज्वर, कफ़ एवं क्षय रोग, रक्त विकार जैसे सभी रोगों में इस दवा का इस्तेमाल करने से लाभ मिलता है |
बबुलारिष्ट के घटक द्रव्य / babularisht ingredients
इस औषधि में प्रधान द्रव्य बबूल की छाल होती है इसके अलावा इसमें निम्न घटक द्रव्य और जड़ी बूटियां उपयोग में ली जाती हैं :-
- बबूल की छाल – 10 सेर
- गुड़ – 25 सेर
- धाय के फुल – 64 तोला
- पीपल का चूर्ण – 8 तोला
- जायफल, लौंग, कंकोल – सभी चार – चार तोला
- बड़ी इलायची, दालचीनी, तेजपता – प्रत्येक चार तोला
- नागकेशर एवं काली मिर्च – प्रत्येक चार तोला
बबुलारिष्ट बनाने की विधि / babularisht kaise banaye
इस औषधि को बनाने के लिए अरिष्ट विधि का उपयोग होता है | आइये जानते हैं कैसे बनायें बबुलारिष्ट –
- सबसे पहले बबूल की छाल को दोगुने पानी में डाल कर अच्छे से उबाल लें |
- जब चौथाई पानी शेष रह जाए तो इसको ठंडा होने के लिए छोड़ दें |
- अब अन्य जड़ी बूटियों का मोटा चूर्ण बना लें |
- इस पानी में अब गुड़ एवं अन्य जड़ी बूटियों का चूर्ण मिला लें |
- इस मिश्रण को मिट्टी के घड़े में डाल कर छोड़ दें |
- इसे एक माह तक संधान करके रखें |
- एक माह के बाद इसे छान कर रख लें |
- इस तरह से बबुलारिष्ट तैयार हो जाता है |
सेवन या अनुपान कैसे करें / How to use babularisht in hindi ?
इसकी एक से दो तोला की मात्रा का सेवन दोपहर एव शाम को खाने के बाद बराबर मात्रा में जल मिलाकर करें |
बबुलारिष्ट के फायदे एवं उपयोग / Babularisht uses and benefits in hindi
यह औषधि कफ़ विकार, क्षय रोग, ज्वर के कारण आई दुर्बलता, रक्तविकार एवं मूत्र विकारों में लाभदायक है | इसका इस्तेमाल करने से शरीर हष्ट पुष्ट एवं बलवान हो जाता है एवं समस्त विकारों का नाश होता है | आइये जानते हैं बबुलारिष्ट के क्या क्या फायदे एव उपयोग हैं :-
- क्षय रोग में ज्वर एवं कफ की अधिकता में इस दवा का उपयोग फायदेमंद रहता है |
- सोमरोग में यह औषधि बहुत उपयोगी है |
- रक्त विकार एवं रक्त पित्त की समस्या में भी इससे विशेष लाभ होता है |
- यह रक्त रसादि धातुओं की वृद्धि कर शरीर को बल प्रदान करती है |
- दमा एवं खांसी की समस्या में इसका उपयोग द्राक्षारिष्ट के साथ करने से शीघ्र लाभ होता है |
- यह मूत्र विकारों में भी उपयोगी है |
- सुखी खांसी होने पर इसका उपयोग सितोपलादि चूर्ण के साथ करने से खांसी से छुटकारा मिल जाता है |
- कफ़ एवं खांसी के कारण भूख न लगने की समस्या में भी यह लाभ करता है |
- इसके अलावा बबुलारिष्ट अतिसार, प्रमेह एवं कुष्ठ रोगों में भी लाभकारी है |
धन्यवाद
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