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Asthma in Hindi / अस्थमा
अस्थमा एक गंभीर बीमारी है | वर्तमान समय के वातावरण , खान – पान एवं प्रदुषण के कारण इस रोग में काफी इजाफा हुआ है | भारत में प्रतिवर्ष इसके रोगियों में 5% की बढ़ोतरी हो रही है | अस्थमा को हिंदी में दमा रोग भी कहा जाता है | इस रोग में रोगी के द्वारा आसानी से श्वास – प्रश्वास की क्रिया करने में परेशानी आती है , इसीलिए इसे श्वास रोग / Asthma in Hindi भी कहा जाता है |
इस रोग में श्वासनलिकाओं की एंठन एवं वायुमार्ग के संकरा होने के कारण , श्वास लेने में कठिनाई और श्वासनली में सु – सु की आवाज आने के साथ – साथ श्वासनलिकाओं में श्लेष्मा और बलगम का इक्कठा होना भी एक प्रमुख समस्या होती है | श्लेष्मा और बलगम के कारण रोगी श्वास लेने में असमर्थता एवं कठिनाई महसूस करता है , यह स्थिति ही अस्थमा Asthma in Hindi कहलाती है | रोगी को कई बार अस्थ्मटिक अटैक भी आते है जो इसे और भी भयंकर रोग साबित करते है |
अस्थमा के कारण / Causes of Asthma (Asthma in Hindi)
इस रोग के कोई प्रमाणित कारण नहीं है , यह रोग अनुवंसिकता के कारण भी पनपता है एवं इसके नए रोगी भी देखने को मिलते है | मुख्यत: इस रोग का कारण एलर्जी और मौसम परिवर्तन को माना जा सकता है | दमा रोग की शुरुआत एलर्जी से शुरू होती है , अर्थात पहले जिन पदार्थो से एलर्जी है उनके संपर्क में आने से एलर्जी होगी , उसके बाद हलकी जुकाम और बलगम बनने के बाद श्वासनली में सुजन के साथ – साथ सु-सु की आवाज से इस रोग की शुरुआत होती है | फिर बाद में इसके दौरे पड़ने शुरू हो जाते है | ये दौरे कुछ समय से लेकर कुछ दिनों तक आ सकते है | अस्थमा दौरा आने के निम्न कारण हो सकते है |
आनुवंशिकता – के कारण
विशेष रूप से बाल्यावस्था में आने वाला अस्थमा रोग आनुवंसिकता के कारण होता है , अगर माता और पिता में से किसी में भी अस्थमा रोग का इतिहास रहा है तो 70 से 80% उनके बच्चों को अस्थमा होने की सम्भावना रहती है | इसके अलावा एलर्जिक इतिहास भी इसका प्रमुख कारण माना जा सकता है |
एलर्जी – के कारण
एलर्जी से तात्पर्य वातावरण में पाए जाने वाले कुछ पदार्थो के प्रति शरीर में अत्यधिक प्रतिक्रिया होना | इन पदार्थो के अंतर्गत फूलों के परागकण , पौधों के बीजाणु , फंगस, जानवरों के बाल , घर की धुल एवं कुच्छ भोज्य पदार्थ जिनसे शरीर अत्यधिक प्रतिक्रिया करता है | इन एलर्जी के कारणों में से जब व्यक्ति के द्वारा कुछ ग्रहण किया जाता है तो ये पदार्थ छोटी – छोटी श्वास – नलिकाओं में एंठन और सुजन पैदा करते है जिस कारण से अस्थमा की स्थिति बनती है |
इमोशन (Emotion) – भावुकता के कारण
दमा से संवेदनशील व्यक्ति जब क्रोध , चिंता , निराशा , अत्यधिक भय आदि करता है तो उसे असमय ही दमा का दौरा पड़ने की सम्भावना बढ़ जाती है |
- लम्बे समय तक जुकाम और खांसी से पीड़ित रहने से भी इस रोग की संभावनाएं बढ़ जाती है |
- श्वसननलिका का संक्रमण होना भी इस रोग को पैदा कर सकता है |
- अधिक वसा युक्त खान – पान एवं फ़ास्ट फूड का सेवन |
- एलर्जी से पीड़ित व्यक्ति का अचानक से ठन्डे मौसम या ठंडी हवाओं में जाना |
- अस्थमा का प्रकोप उस समय भी अधिक होता है जब दो ऋतुओ का मिलन काल होता है | अर्थात मौसम परिवर्तन के कारण भी अस्थमा रोग में बढ़ोतरी होती है |
- अधिक धुम्रपान एवं नशीले पदार्थो का सेवन भी इसका एक कारण बनता है |
- फेफड़ों का कमजोर होना |
- सर्दियों की शुरुआत में ठन्डे पदार्थो का सेवन करना , जैसे ठंडी कोफ़ी , ठंडा दही , ठंडी चोकलेट , ठंडा पेय पदार्थ या ठंडी आइसक्रीम आदि का सेवन करने से पूरी सर्दियों इस रोग से ग्रषित रहना पड़ता है |
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अस्थमा के लक्षण / Symptoms of Asthma (Asthma in hindi)
अस्थमा / Asthma in Hindi का दौरा प्राय: श्वसनक्रिया में सूं – सूं की आवाज के साथ शुरू होता है और छाती में जकड़न व् कसावट महसूस होने लगती है | जब अस्थमा का रोग अपने चरम पर होता है उस समय रोगी को आराम नहीं आता एवं रोगी घुटन महसूस करता है , उसे श्वास लेने में कठिनाई होती है |
- रोगी श्वास लेने में कठिनाई महसूस करता है |
- गले में कफ और बलगम की अधिकता हो जाती है |
- श्वास लेते समय घर्रर – घर्रर की आवाज या सिटी सुनाई देना |
- सिने में जकड़ाहट महसूस होना |
- हलके परिश्रम के बाद ही श्वास फूलना एवं बोलते समय भी आवाज में घर्र – घराहट होना |
- रोगी को बैठने पर आराम मिलता एवं सोने पर स्थिति और अधिक बिगड़ जाती है |
- रात्रि के समय अस्थमा अधिक दुःख दाई होता है |
- रोगी को नींद नहीं आती |
- पूरा शरीर थका हुआ महसूस करता है |
- दौरे की अधिकता होने पर रोगी पर मूर्छा छाने लगती है |
- इस प्रकार के लक्षण दिखाई देते ही तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए , क्योंकि अधिक स्थिति बिगड़ने से रोगी की मृत्यु भी हो सकती है |
अस्थमा का घरेलु इलाज / आयुर्वेदिक उपचार
आयुर्वेद में अस्थमा का इलाज संभव है | इसके लिए आपको किसी भी आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए | आयुर्वेदिक चिकित्सक इलाज के तौर पर पहले आपकी शारीरिक स्थिति का जायजा लेता है एवं उसके बाद उचित औषध निर्धारण से इलाज प्रारंभ करता है | श्वास रोग का इलाज आयुर्वेद में पुरातन समय से किया जाता रहा है | आयुर्वेद की पंचकर्म चिकित्सा पद्धति से शरीर का शोधन करवाके , इसके पश्चात औषध ग्रहण करना अधिक फायदेमंद है |
पंचकर्म चिकत्सा में सबसे पहले रोगी के दोषों के आधार पर कर्म निर्धारित किये जाते है उसके पश्चात , बस्ती , नश्य या वमन – विरेचन के द्वारा शरीर से अशुद्धियों को दूर करके शरीर को दोषहिन् किया जाता है | संसर्जन कर्म से पुन: रोगी को औषध ग्रहण करने योग्य बनाया जाता है एवं इसके पश्चात औषधियां दी जाती है | पंचकर्म के माध्यम से शरीर को शोधित करवाने के पश्चात औषधियां दुगना असर करती है एवं रोग को जड़ से निकालने में समर्थ होती है |
कुछ घरेलु इलाज जो अस्थमा में राहत देते है वो निम्न है – Asthma in Hindi
- पेठे की जड़ निकालकर उसे सुखा ले | फिर इसे पीसकर चूर्ण बनायें , इसमें से 5 ग्राम की मात्रा में चूर्ण का नित्य प्रयोग करे |
- हल्दी , काली मिर्च , कचूर, किशमिश और पीपल – इन सभी को 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर पिसले | इसमें थोडा सा पुराना गुड मिलकर, बेर की आकार की गोलियां बना ले | सुबह – शाम एक – एक गोली पानी के साथ खाएं |
- धतूरे के दो बीज प्रतिदिन दो माह तक खाने से दमा रोग से छुटकारा मिल सकता है |
- 30 ग्राम आक के पेड़ की कोपलें, 50 ग्राम अजवायन तथा 50 ग्राम पुराना गुड – इन तीनो को मिलाकर पीसकर चटनी बनाले , इसमें से 4 ग्राम की मात्रा में चटनी सुबह -शाम गरम पानी के साथ खाएं |
- लौकी को उबालकर उसके 50 ग्राम रस में शहद मिलाकर पियें |
- प्याज का रस 10 ग्राम , लहसुन का रस 3 ग्राम और तुलसी के पतों का 5 ग्राम रस – इन तीनो को मीलाकर इनमे शहद मिलाकर 40 दिनों तक सेवन करे |
- कपूर को गरम पानी में डालकर दिन में तीन या चार बार कम से कम सूंघे | इससे श्वास नली खुलती है एवं दमा रोग में लाभ मिलता है |
- पीपल , कालीमिर्च , सोंठ तथा चीनी – इन सभी को 50 ग्राम की मात्रा में लेकर चूर्ण बना ले | प्रतिदिन सुबह – शाम 5 – 5 ग्राम चूर्ण गुनगुने पानी के साथ ले | अस्थमा रोग में लाभ मिलेगा |
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Asthma in Hindi
- मुलहठी के चूर्ण की चाय बना कर पिने से भी अस्थमा रोग में लाभ मिलता है |
- 1 ग्राम भुना नीला थोथा , 2 ग्राम आक का दूध एवं 10 ग्राम गुड़ – इन तीनो को मिलाकर , बराबर मात्रा में बाँट ले और इसे सुबह – शाम सेवन करे |
- 5 ग्राम अडूसा , 5 ग्राम अदरक एवं 10 ग्राम शहद – इन तीनो को मिलाकर दिन में चार – चार घंटे बाद सेवन करे | इस प्रयोग को लगातार 40 दिन तक करने से दमा रोग को जड़ से खत्म कर सकता है |
- पीपल के फल को सुखाकर , इसका चूर्ण बना ले | इसमें से 4 ग्राम चूर्ण सुबह और 4 ग्राम चूर्ण शाम के समय लगातार 60 दिनों तक प्रयोग करने से दमा में लाभ मिलता है |
- लहसुन के तेल व् बादाम के तेल की मालिश छाती पर निरंतर करते रहने से सर्दियों में दमा व अन्य जुकाम आदि रोगों से लाभ मिलता है |
- प्रतिदिन दो अंजीर खाने से शरीर में व्याप्त अतिरिक्त कफ बाहर निकल जाता है | जिससे दमा रोग में लाभ मिलता है |
- हरसिंगार के पेड़ की छाल को पानी में उबालकर रोजाना पिने से दमा रोग में लाभ मिलता है |
दमा (Asthma) रोग में करे ये आयुर्वेदिक उपचार
इस Asthma in Hindi योग को बनाने के लिए आपको निम्न सामग्री चाहिए , जिसे आप किसी अच्छे पंसारी की दुकान से ले सकते है | Asthma in Hindi
- वायविडंग
- सफ़ेद पुनर्नवा
- चित्रक की जड़ की छाल
- सतगिलोय
- सौंठ
- कालीमिर्च
- छोटी पिप्पल
- अश्वगंधा
- असली विधारा
- बड़ी हरड का छिलका
- बहेड़ा का छिलका
- सुखा आंवला
इन सभी को किसी अच्छे पंसारी की दुकान से प्रत्येक 200 – 200 ग्राम की मात्रा में खरीद ले | सबको अच्छी तरह साफ़ कर अलग – अलग बारीक कूट-पीसकर बारीक़ छलनी से छान ले | अब बढ़िया गुड की एक तार की चासनी बना कर , इन सभी चूर्ण को मिलकर , इसकी 5 – 5 ग्राम की गोलियां बना ले | इस प्रकार Asthma in Hindi के लिए यह योग तैयार है |
जिन लोगो को अस्थमा की शिकायत है वे अस्थमा का आयुर्वेदिक उपचार करे | प्रात: काल एक गोली गाय के ताजा दूध के साथ ले | निरंतर सेवन करने से अस्थमा रोग से छुटकारा मिल जाएगा |
धन्यवाद |