इस लेख में गुग्गुलु क्या है, गुग्गुलु का पेड़ कैसा होता है, गुग्गुलु से कौन कौन सी दवाएं बनाते हैं एवं इनका उपयोग किस किस रोग की दवा के रूप में किया जाता है, आदि की सम्पूर्ण जानकारी मिलेगी |
गुग्गुलु (guggulu) या गुग्गल भारत में राजस्थान, बिहार, कर्नाटक एवं मध्यप्रदेश में पाए जाने वाला 3 से 4 मीटर का पेड़ है, जो मुख्यतः वर्षा ऋतू में ही पनपता है | इस पेड़ के तने से सफ़ेद रंग का गोंद निकलता है जिसे भी गुग्गुलु ही बोला जाता है | किसी किसी स्थान पर गुग्गुलु से प्राप्त गोंद का रंग हल्का पीलापन लिए हुए या सफ़ेद भी होता है |
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गुग्गुलु क्या है एवं इसके गुण / Guggulu kya hai ?
यह गोंद होता है जो गुग्गुलु के वृक्ष से प्राप्त होता है | गुग्गुलु का पौधा भारत के अलावा अफगानिस्तान एवं पाकिस्तान में भी होता है | यह पौधा वर्षा ऋतू में ही बढ़ता है, इसी समय इसके टहनियों पर पत्ते दिखाई देते हैं | गुग्गुलु के तने से निकलने वाला गोंद बहुत उपयोगी होता है जिससे आयुर्वेद में गुग्गुलु प्रकरण की दवाओं का निर्माण किया जाता है | यह औषधियां बहुत गुणकारी मानी जाती हैं | गुग्गुलु के गुण निम्न प्रकार हैं :-
- वीर्य :- उष्ण
- रस :- तिक्त या कटु
- सुगंध :- यह सुगन्धित है, इससे मीठी सुगंध आत है |
- रंग :- सफेद, पीलापन लिए हुए या हल्का लाल
- गुण :- कफ एवं वात नाशक
गुग्गुलु कहाँ पाया जाता है एवं इसकी खेती कैसे होती है ?
यह सामान्यतः शुष्क जलवायु वाले क्षेत्रो में पाया जाता है | भारत में यह राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक एवं बिहार में पाया जाता है | इसके अलावा अफगानिस्तान एवं पाकिस्तान में भी इसकी खेती होती है | इसके खेती करने के लिए निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए :-
- यह वर्षा ऋतू में पनपता है अतः इसकी बुवाई वर्षा ऋतू में ही करनी चाहिए |
- इसके बुवाई पहले पौध तैयार करके करना ज्यादा सही रहता है |
- गुग्गुलु की खेती के लिए वर्षा ऋतू से पहले ही खेत तैयार कर लेना चाहिए |
- खेत में गोबर की खाद डालना चाहिए और दीमक नाशक दवाओं का उपयोग करना चाहिए |
- इसको अधिक खाद एवं पानी की आवश्यकता नहीं होती है |
- इसको तैयार होने में 8 वर्ष का समय लगता है |
- गोंद के प्राप्ति के लिए मार्च एवं दिसम्बर का महिना उपयुक्त होता है |
- गुग्गुलु से 10-15 दिन के अन्तराल में गोंद प्राप्त किया जा सकता है |
गुग्गुलु के औषधीय गुण / Medicinal properties of Guggulu
यह एक दिव्य औषधि के रूप में जाना जाता है | गुग्गुलु का उपयोग आयुर्वेद में सदियों से आंतरिक ट्यूमर, मोटापा, यकृत विकार, घातक घावों जैसे अल्सर, मूत्र संबंधी शिकायतें, आंतों के कीड़े, ल्यूकोडर्मा (विटिलिगो), साइनस, शोफ और अचानक लकवा आदि रोगों के इलाज के लिए किया जाता रहा है | समस्त प्रकार के वात रोगों में इसका उपयोग होता है | गुग्गुलु के कुछ प्रमुख गुण एवं उपयोग निम्न प्रकार हैं :-
- यह सर्वरोगनाशक दवा के रूप में काम आता है |
- इसके गुण कबाब चीनी से मिलते हैं |
- यह रक्त वर्धक है |
- गुग्गुलु श्लेषमा झिली को उत्तेजित करता है |
- यह पाचन शक्ति को बढाता है |
- गर्भाशय को उत्तेजित करता है |
- इसके उपयोग से मासिक धर्म नियमित हो जाता है |
- यह मूत्रल है, इसका उपयोग मूत्र विकारों में भी किया जाता है |
- कफ निकालने के लिए भी यह बहुत उपयोगी है क्योंकि इसमें कफ़ निसारक गुण होते हैं |
- गुग्गुलु कृमिनाशक भी है |
- श्वेतप्रदर जैसे रज: विकारों में यह बहुत लाभकारी होता है |
गुग्गुलु प्रकरण की दवा का निर्माण कैसे होता है / Guggulu aushdhi banane ki vidhi
आयुर्वेद में गुग्गुलु का विशेष महत्व है | गुग्गुलु को इसके वृक्ष के तने से प्राप्त किया जाता है | अन्य जड़ी बूटियों एवं द्रव्यों के साथ योग करके विभिन्न औषधियों का निर्माण गुग्गुलु के साथ किया जाता है | इसका शास्त्रोक्त विधि से शोधन करने के बाद अच्छे से मर्दन करके औषधियों का निर्माण किया जाता है | जितना अधिक इसको कुटा जाता है उतनी ही ज्यादा कारगर दवा बनती है |
गुग्गुलु प्रकरण की दवाएं दो प्रकार से बनती हैं | एक गुग्गुलु को पाक करके और दूसरा गुग्गुलु के साथ कूट करके या मर्दन करके | प्राचीन वैद्यों ने बताया है की अगर गुग्गुलु के उपर एक लाख बार मूसली की चोट पड़ जाये तो यह सर्वरोग नाशक हो जाता है | अर्थात जितना अधिक गुग्गुलु प्रकरण की दवाओं का मर्दन किया जायेगा ये उतनी ही अधिक प्रभावी होंगी |
सभी गुग्गुलु औषधियों के नाम / Name of all guggulu medicine
गुग्गुलु का उपयोग बहुत सी औषधियों में होता है | यहाँ पर हम गुग्गुलु प्रकरण की सभी दवाओं के नाम एवं उनके उपयोग (Guggulu medicine name with uses in hindi) आपको बता रहें हैं | निचे दी गयी लिस्ट से आप इसके बारे में जान सकते हैं :-
गुग्गुलु का नाम | गुण एवं उपयोग | गुग्गुलु का नाम | गुण एवं उपयोग |
अमृतादि गुग्गुलु | आमवात, सुजन, अर्श, मन्दाग्नि नाशक एवं रक्त शोधक | कैशोर गुग्गुलु | वातरक्त, कुष्ठ एवं रक्त विकारों में उपयोगी |
आभा गुग्गुलु | गिरने से लगी मोच, जमे हुए खून आदि को ठीक करने के लिए | गोक्षुरादि गुग्गुलु | मूत्र विकारों एवं शुक्र दोष में लाभदायक औषधि |
एकविशंति गुग्गुलु | त्वचा एवं रक्त विकारों के लिए | त्रयोदशांग गुग्गुलु | लकवा, वातशूल, पक्षघात जैसे रोगों में विशेष गुणकारी |
कांचनार गुग्गुलु | गलगंड, गलमाला, कुष्ठ एवं भगंदर रोग नाशक | त्रिफला गुग्गुलु | भगंदर, सुजन, बवासीर, वातजशूल जैसे सभी विकारों में उपयोगी |
पंचतिक्त घृत गुग्गुलु | विष दोष, वात रोग, पांडू रोग, अर्श प्रमेह, यक्ष्मा, भगंदर | पुनर्नवादि गुग्गुलु | वात रोग, आमवात, शोथ, जलोदर |
पंचामृतलौह गुग्गुलु | स्नायुदौर्बल्य, मस्तिष्क की कमजोरी सर दर्द, अनिद्रा, धातु क्षय | महायोगराज गुग्गुलु | वात, पित्त एवं कफ जनित रोगों में गुणकारी दीपक एवं पाचक औषधि |
योगराज गुग्गुलु | वात एवं आम दोष नाशक धातु वर्धक | रास्नादि गुग्गुलु | आमवात, गठिया, संधिवात कर्ण रोग, शिरो रोग |
लाक्षादि गुग्गुलु | अस्थि विकारों में उपयोगी ह्रदय रोग एवं धातु क्षीणता में कारगर | सप्त विशंति गुग्गुलु | भगंदर, बवासीर, नाड़ीव्रण गुदा मार्ग एवं मूत्र नाली के विकार |
सिंहनाद गुग्गुलु | आमवात, पक्षाघात, संधि वात | हरितक्यादि गुग्गुलु | आमवात, पीठ, कमर, जांघ आदि में दर्द |
गुग्गुलु औषधियों के घटक, बनाने की विधि एवं फायदे / guggulu medicine ingredients, preparation and benefits
आयुर्वेद औषधियों का भंडार है | वटी गुटिका, पाक अवलेह, रस रसायन, भस्म, क्वाथ काढ़ा, चूर्ण, अर्क एवं गुग्गुलु प्रकरण की दवों का वर्णन आयुर्वेद शास्त्रों में किया गया है | गुग्गुलु को प्रधान द्रव्य बनाकर तैयार की जाने वाली औषधियां गुग्गुलु प्रकरण की दवा कहलाती हैं | इस प्रकार की लगभग 20 से भी अधिक दवाओं का वर्णन शास्त्रों में मिलता है जिसके बारे हम यहाँ पर आपको बताने वाले हैं |
हरित्क्यादि गुग्गुलु के घटक बनाने की विधि एवं फायदे / Haritkyadi guggulu benefits in hindi
यह दीपन पाचन और मृदु विरेचक औषधि है | इसमें निम्न घटक उपयोग में लिए जाते हैं :-
- हर्रे, सोंठ एवं विधारे की जड़ – सभी एक एक तोला
- गुग्गुलु – ६ तोला
Haritkyadi guggulu को बनाने के लिए सभी जड़ी बूटियों का चूर्ण बना कर गुग्गुलु में मिला लें | अब इसे एक दिन तक कूटें | इसके बाद इसकी छोटी छोटी गोलियां बना लें |
हरितक्यादि गुग्गुलु के फायदे :-
- इसके सेवन से पाचक रस की उत्पति होती है एवं भूख लगती है |
- यह आमवात की समस्या में फायदेमंद है |
- ये गुग्गुलु पौष्टिक रसायन है, इसके सेवन से रस रक्तादी धातुओं की वृधि होती है एवं शरीर बलवान बनता है |
- इसके सेवन से कब्जीयत दूर होती है |
- यह पीठ, कमर एवं जांघ आदि के दर्द में फायदेमंद है |
सिंहनाद गुग्गुलु के फायदे, घटक द्रव्य एवं बनाने की विधि / singhnad guggulu benefits in hindi
इसके सेवन से कठिन से कठिन आमवात रोग दूर हो जाता है | आइये जानते हैं इसके बारे में :-
घटक द्रव्य | त्रिफला, शुद्ध गंधक, शुद्ध गुग्गुल, एरंड तेल |
बनाने की विधि | सभी चूर्ण को गुग्गुलु में मिला कर अच्छे से कुटाई करें | जितना ज्यादा मर्दन किया जायेगा उतना ही गुणकारी गुग्गुलु बनेगा | जब अच्छे से कूट जाए तो इसकी 3 रत्ती की गोलियां बना लें | |
अनुपान कैसे करें | एक – एक गोली सुबह शाम गर्म जल या दूध के साथ सेवन करें |
फायदे एवं उपयोग | वात रक्त, गुल्म, शूल, उदर, कुष्ठ तथा कठिन से कठिन आमवात रोग दूर हो जाते हैं | आमवात की यह प्रसिद्ध दवा है | |
सप्तविशंति गुग्गुलु के फायदे, घटक द्रव्य एवं बनाने की विधि / Saptvishanti guggulu uses and benefits in hindi
घटक द्रव्य | त्रिकटु, त्रिफला, नागरमोथा, वायविडंग. चित्रकमुल, कचूर, बड़ी इलायची, पिपरामूल, हाउबेर, देवदारु, तुम्बुरु, पोहकर मूल, चव्य, इन्द्रायण की जड़, हल्दी, दारूहल्दी, वीडनमक, कालानमक, यवक्षार, सज्जीखार, सेंधा नमक, गजपिप्पली, शुद्ध गुग्गुलु |
बनाने की विधि | सभी जड़ी बूटियों का चूर्ण बना लें एवं गुग्गुलु के साथ अच्छे से कूट लें एवं छोटी – छोटी गोली बना लें |
अनुपान की मात्रा | 2-4 गोली दिन में दो बार शहद के साथ सेवन करें |
फायदे | भगंदर, बवासीर, नासूर, नाड़ी व्रण, दुष्टव्रण, ह्रदय एवं पसली के दर्द, गुदा मार्ग एवं मूत्रनली के विकार |
लाक्षादि गुग्गुलु के घटक, अनुपान की विधि एवं फायदे / Lakshadi guggulu uses and benefits in hindi
घटक द्रव्य | लाख, अर्जुन की छाल, असगंध, अस्थिसंहार, नागबला मूल एवं छाल, शुद्ध गुग्गुलु |
बनाने की विधि | सभी जड़ी बूटियों का चूर्ण बना लें एवं गुग्गुलु के साथ अच्छे से कूट लें एवं छोटी – छोटी गोली बना लें |
अनुपान की मात्रा | 2-4 गोली दिन में दो बार शहद के साथ सेवन करें |
फायदे | अस्थि विकारों में गुणकारी, ह्रदय रोग, धातु क्षीणता एवं वात विकार |
रास्नादि गुग्गुलु के फायदे, घटक एवं बनाने की विधि / rasnadi guggulu uses and benefits
घटक द्रव्य | रास्ना, एरंड मूल, गिलोय, देवदारु, सोंठ एवं शुद्ध गुग्गुलु |
बनाने की विधि | सभी जड़ी बूटियों का चूर्ण बना लें एवं गुग्गुलु के साथ अच्छे से कूट लें एवं 4 रत्ती गोली बना लें |
अनुपान की मात्रा | 1-1 गोली सुबह शाम दशमूल क्वाथ या रास्नादि क्वाथ के साथ |
फायदे | कर्ण रोग, शिरोरोग, नाड़ीव्रण, भगंदर, गठिया, संधिवात एवं वात विकार |
योगराज गुग्गुलु के फायदे, घटक एवं बनाने की विधि / yograj guggulu ke fayde or ghatak
घटक द्रव्य | चित्रक, पीपलामूल, अजवायन, कालाजीरा, अजमोद, वायविडंग, जीरा, देवदारू, चव्य, छोटी इलायची, सेंधानमक, गोखरू, रास्ना, धनियाँ, हर्रे, बहेड़ा, आंवला, नागरमोथा, सोंठ, मिर्च, पीपल, दालचीनी, खस यवक्षार, तालिसपत्र, तेजपत्र, शुद्ध गुग्गुलु, घी (कूटने के लिए) |
बनाने की विधि | सभी जड़ी बूटियों का चूर्ण बना लें एवं गुग्गुलु के साथ अच्छे से कूट लें एवं 3 रत्ती गोली बना लें |
अनुपान की मात्रा | 1-1 गोली सुबह शाम दशमूल क्वाथ या रास्नादि क्वाथ के साथ |
फायदे | यह योगवाही रसायन है धातुओं को पुष्ट करता है | आमवात, गठिया, भगंदर, एवं स्त्री पुरुषों के जननेन्द्रीए विकारो में गुणकारी औषधि है | |
महायोगराज गुग्गुलु के फायदे, घटक एवं बनाने की विधि / Mahayograj guggulu ke fayde or upyog
घटक द्रव्य | चित्रक, पीपलामूल, अजवायन, कालाजीरा, अजमोद, वायविडंग, जीरा, देवदारू, चव्य, छोटी इलायची, सेंधानमक, गोखरू, रास्ना, धनियाँ, हर्रे, बहेड़ा, आंवला, नागरमोथा, सोंठ, मिर्च, पीपल, दालचीनी, खस यवक्षार, तालिसपत्र, तेजपत्र, घीमें सेकी हुयी हिंग, सरसों, गिलोय, दशमूल क्वाथ, वंग भस्म, रोप्य भस्म लौह भस्म, अभ्रक भस्म, मंडूर भस्म, रस सिन्दूर एवं शुद्ध गुग्गुलु, घी (कूटने के लिए) |
बनाने की विधि | सभी जड़ी बूटियों का चूर्ण बना लें एवं गुग्गुलु के साथ कूट लें एवं 2 रत्ती की गोली बना लें |
अनुपान की मात्रा | 1-1 गोली सुबह शाम रास्नादि क्वाथ, गिलोय क्वाथ, पीपल क्वाथ एवं शहद के साथ |
फायदे | वात, पित्त एवं कफ़ रोग नाशक, जलोदर, नासूर, गंडमाला, नष्टार्त्व एवं स्नायु शूल में लाभदायक यह रसायन दीपन एवं पाचक है | धातुओं को पुष्ट करता है एवं शरीर में बल्य एवं औज की वृद्धि करता है | |
पंचामृत लौह गुग्गुलु के उपयोग, फायदे एवं घटक द्रव्य / Panchamrut lauh guggulu uses and benefits
घटक द्रव्य | शुद्ध पारा, गंधक, रोप्य भस्म, अभ्रक भस्म, स्वर्णमाक्षिक भस्म, लौह भस्म एवं शुद्ध गुग्गुलु |
बनाने की विधि | पारा एवं गंधक की कज्जली बना लें एवं जड़ी बूटियों का चूर्ण बना लें एवं गुग्गुलु के साथ कूट लें एवं 3 रत्ती की गोली बना लें |
अनुपान की मात्रा | 1-1 गोली सुबह शाम रास्नादि क्वाथ, गिलोय क्वाथ, पीपल क्वाथ एवं शहद के साथ |
फायदे | वात, पित्त एवं कफ़ रोग नाशक, जलोदर, नासूर, गंडमाला, नष्टार्त्व एवं स्नायु शूल में लाभदायक यह रसायन दीपन एवं पाचक है | धातुओं को पुष्ट करता है एवं शरीर में बल्य एवं औज की वृद्धि करता है | |
पुनर्नवादि गुग्गुलु के उपयोग, फायदे एवं घटक द्रव्य / Punarnavadi guggulu uses and benefits in hindi
घटक द्रव्य | पुनर्नवा मूल, एरंड मूल, सोंठ, हरड, बहेड़ा, सोंठ, पीपल, काली मिर्च, चित्रक मूल छाल, सेंधा नमक शुद्ध भिलावा, वायविडंग, स्वर्ण माक्षिक भस्म, दंतीमूल चूर्ण, एरंड तेल एवं शुद्ध गुग्गुलु |
बनाने की विधि | पुनर्नवा मूल, एरंड मूल, सोंठ और गुग्गुलु को एरंड तेल के साथ लौहे की कडाही में पाक कर लें | अब इसमें अन्य जड़ी बूटियों का चूर्ण मिला कर एरंड तेल डाल कर कूट लें | अच्छे से कुटाई करने के बाद इसकी ३ रत्ती की गोलियां बना लें | |
अनुपान की मात्रा | 2-2 गोली सुबह शामपुनर्नवादि क्वाथ के साथ |
फायदे | वात, पित्त एवं कफ़ रोग नाशक, जलोदर, नासूर, गंडमाला, नष्टार्त्व एवं स्नायु शूल में लाभदायक यह रसायन दीपन एवं पाचक है | धातुओं को पुष्ट करता है एवं शरीर में बल्य एवं औज की वृद्धि करता है | |
पंचतिक्त घृत गुग्गुलु क्या है, इसके फायदे एवं घटक द्रव्य
घटक द्रव्य | नीम की छाल, गिलोय, बांसा, पटोल पत्र, कटेरी छोटी एवं शुद्ध गुग्गुलु, पंचतिक्तघृत के सभी द्रव्य |
बनाने की विधि | नीम की छाल, गिलोय, बांसा, पटोल पत्र, कटेरी छोटी का क्वाथ बना लें एवं इसके बाद अन्य द्रव्यों के कल्क के साथ घृत पाक विधि से सिद्ध कर लें |
अनुपान की मात्रा | एक तोला रोजाना दूध के साथ |
फायदे | विष रोग, पांडू रोग, फोड़ा फुंसी, वात रोग, प्रमेह, यक्ष्मा, श्वास, कास, अरुचि, गंडमाला, कुष्ठ, भगंदर |
त्रिफला गुग्गुलु क्या है इसे कैसे बनाते हैं एवं इसके फायदे / Triphala guggulu ke fayde
घटक द्रव्य | त्रिफला चूर्ण, पीपल चूर्ण एवं शुद्ध गुग्गुलु, घी कूटने के लिए |
बनाने की विधि | सभी जड़ी बूटियों को चूर्ण बना गुग्गुलु के साथ अच्छे से कूट लें |
अनुपान की मात्रा | 2-4 गोली सुबह शाम त्रिफला क्वाथ या गो मूत्र के साथ |
फायदे | वातज शूल, भगंदर, सुजन, बवासीर, वायु शामक |
त्रयोदशांग गुग्गुलु के फायदे, घटक द्रव्य एवं बनाने की विधि / trayodashang guggulu benefits
घटक द्रव्य | बबूल की फली, असगंध, हाउबेर, गिलोय, शतावर, गोखरू, काला निशोथ, रास्ना, सौंफ, कचूर, अजवायन, सोंठ का चूर्ण, शुद्ध गुग्गुलु एवं घी |
बनाने की विधि | सभी जड़ी बूटियों को चूर्ण बना गुग्गुलु के साथ अच्छे से कूट लें |
अनुपान की मात्रा | 2-4 गोली सुबह शाम गर्म जल या दूध के साथ |
फायदे | गठिया, लकवा, पक्षाघात, वात शूल, वात नाशक |
गोक्षुरादि गुग्गुलु क्या है, इसके घटक एवं फायदे / Gokshuradi guggulu ke fayde
घटक द्रव्य | गोखरू पंचांग, सोंठ, मिर्च, पीपल, बहेड़ा, आंवला, नागरमोथा, शुद्ध गुग्गुलु एवं घी |
बनाने की विधि | गोखरू पंचांग को जल में अच्छे से पकाएं, जब आधा जल रह जाये तो गुग्गुलु डाल गुड़पाक की तरह गाढ़ा कर लें अब इसमें अन्य जड़ी बूटियों का चूर्ण मिलाकर घी के साथ अच्छे से कुटाई करें और 3 रत्ती की गोली बना लें | |
अनुपान की मात्रा | 1-1 गोली सुबह शाम गोखरू क्वाथ या प्रमेहहर क्वाथ के साथ |
फायदे | सभी प्रकार के मूत्र विकारों में रामबाण औषधि, शुक्रप्रमेह एवं शुक्र दोष में लाभदायक |
कैशोर गुग्गुलु के फायदे उपयोग एवं घटक / Kaishore guggulu ke fayde
घटक द्रव्य | त्रिफला, गिलोय, जमालघोटे की जड़, सोंठ, मिर्च, पीपल, वायविडंग, शुद्ध गुग्गुलु, निशोथ,एवं घी या एरंड तेल |
बनाने की विधि | त्रिफला एवं गिलोय का काढ़ा बना लें, जब आधा जल रह जाये तो गुग्गुलु डाल गुड़पाक की तरह गाढ़ा कर लें अब इसमें अन्य जड़ी बूटियों का चूर्ण मिलाकर घी के साथ अच्छे से कुटाई करें और 3 रत्ती की गोली बना लें | |
अनुपान की मात्रा | 2-4 गोली सुबह शाम मंजीस्ठादि क्वाथ, गर्म जल या दूध के साथ |
फायदे | सभी प्रकार के वायु एवं रक्त विकारों में लाभदायक, खांसी, कोढ़, गुल्म, उदररोग, अग्निमांध |
कांचनार गुग्गुलु क्या है, कांचनार गुग्गुलु के फायदे एवं घटक / Kanchnar guggulu ke fayde
घटक द्रव्य | कांचनार, की छाल, त्रिफला, त्रिकुटा, वरुण की छाल, इलायची, तेजपता, दालचीनी, शुद्ध गुग्गुलु, एरंड तेल |
बनाने की विधि | सभी जड़ी बूटियों का चूर्ण बना, गुग्गुलु के साथ अच्छे से कूट लें एवं 3 रत्ती की गोली बना लें |
अनुपान की मात्रा | 2-4 गोली सुबह शाम कांचनार की छाल,वरुण की छाल एवं गोरखमुंडी की छाल के क्वाथ के साथ |
फायदे | गलगंड, गंडमाला, रसौली, नाक एवं गले में गांठे बनना आदि रोगों में लाभदायक |
एकविशंति गुग्गुलु के फायदे, घटक एवं बनाने की विधि / ekvishanti guggulu ke fayde
घटक द्रव्य | चित्रक, त्रिफला, त्रिकटु, काला जीरा, कलौंजी, वच, सेंधा नमक, अतीस, कुठ, चव्य, वायविडंग, इलायची यवक्षार, अजमोदा, नागरमोथा, देवदारु |
बनाने की विधि | सभी जड़ी बूटियों का चूर्ण बना, गुग्गुलु के साथ अच्छे से कूट लें एवं 4 रत्ती की गोली बना लें |
अनुपान की मात्रा | 2-4 गोली सुबह शाम नीम की छाल के क्वाथ के साथ |
फायदे | इसके सेवन से सभी प्रकार के कुष्ठ, कृमि, दाद, घाव, संग्रहणी, बवासीर रोग नष्ट हो जाते हैं | |
आभा गुग्गुलु के फायदे, घटक एवं उपयोग / Aabha guggulu ke fayde
घटक द्रव्य | बबूल की छाल, सोंठ, पीपल, मिर्च, आंवला हर्रे, बहेड़ा |
बनाने की विधि | सभी जड़ी बूटियों का चूर्ण बना, गुग्गुलु के साथ अच्छे से कूट लें एवं 3 रत्ती की गोली बना लें |
अनुपान की मात्रा | 2-4 गोली दिन में 2-3 बार गर्म जल के साथ |
फायदे | हड्डी टूट जाने पर, मोच आ जाने पर उपयोगी, यह संधानकारक एवं पीड़ानाशक है | |
अमृतादि गुग्गुलु क्या है इसके घटक एवं फायदे / Amritadi guggulu kya hai
घटक द्रव्य | गुर्च, आंवला, हर्रे, बहेड़ा, दंतीमूल, त्रिकुटा, वायविडंग, त्रिफला, दालचीनी, निशोथ, गुग्गुलु |
बनाने की विधि | गुर्च, आंवला, हर्रे, बहेड़ा एवं गुग्गुलु को जौकुट कर पानी में काढ़ा बना लें जब गाढ़ा हो जाये तो अन्य जड़ी बूटियों का चूर्ण मिला लें और ठंडा होने पर छोटी छोटी गोली बना लें |
अनुपान की मात्रा | 2-4 गोली सुबह शाम गुर्च के क्वाथ के साथ |
फायदे | इसका उपयोग वातरक्त, कोष्ठ, गुल्म, अर्श, मन्दाग्नि, प्रमेह, भगंदर आदि रोगों में किया जाता है | |
धन्यवाद !
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- सिंहनाद गुग्गुलु क्या है एवं इसके फायदे
- त्रिफला गुग्गुलु के उपयोग
संदर्भ (reference) :-
- Pharmacology and Phytochemistry of Oleo-Gum Resin of Commiphora wightii (Guggulu)
- Clinical efficacy of Shiva Guggulu and Simhanada Guggulu in Amavata (Rheumatoid Arthritis)
- Comparative Anti-hyperlipidaemic activity of Navīna (fresh) and Purāṇa (old) Guggulu
- The guggul for chronic diseases: ancient medicine, modern targets
- Therapeutic effects of guggul and its constituent guggulsterone: cardiovascular benefits
- A case study on the management of dry gangrene by Kaishore Guggulu, Sanjivani Vati and Dashanga Lepa
- गुग्गल एक दिव्य औषधी है।