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गोक्षुरादि गुग्गुलु / Gokshuradi Guggulu In Hindi
आयुर्वेद की गुग्गुलु कल्पना के तहत बनाये जाने वाली आयुर्वेदिक दवा है | गोक्षुरादि गुग्गुलु में गोक्षुर (गोखरू) एवं गुग्गुलु प्रधान औषध द्रव्य होते है | गोक्षुर को आयुर्वेद चिकित्सा में मूत्रल, वीर्य वर्द्धक, बल वर्द्धक एवं कफ नाशक माना जाता है एवं इसी प्रकार से गुग्गुलु भी बल वर्द्धक, वीर्य वर्द्धक, सुजन एवं दर्द को दूर करने वाला, कफ, श्वास का नाश करने वाला होता है | वैसे गुग्गुलु को एंटीबायोटिक दवा के रूप में भी प्रयोग किया जाता है | गोक्षुरादि गुग्गुलु का प्रयोग मूत्र विकारों एवं पत्थरी जैसी समस्या में प्रमुखता से किया जाता है | पेशाब में रूकावट, कम आना, पेशाब के साथ जलन एवं पत्थरी की समस्याओं में इसके सेवन से लाभ मिलता है | साथ ही इसके सेवन से कब्ज, गैस एवं शारीरिक सुजन में लाभ मिलता है | इस दवा का विशेष असर मूत्राशय, मूत्रनली एवं वीर्य वाहिनियों पर पड़ता है | अत: प्रमेह, अश्मरी एवं मूत्रकृच्छ में या उपयोगी साबित होती है | बाजार में पतंजलि, बैद्यनाथ, डाबर, धुतपापेश्वर, श्री मोहता आदि कंपनियों की गोक्षुरादि गुग्गुलु आसानी से उपलब्ध हो जाती है | आप इसे ऑनलाइन भी खरीद सकते है |गोक्षुरादि के घटक द्रव्य
गोक्षुरादि गुग्गुलु के निर्माण के लिए निम्न आयुर्वेदिक औषध द्रव्यों का प्रयोग किया जाता है |- गोक्षुर 28 भाग ev
- गुग्गुलु 8 भाग
- सौंठ – 1 भाग
- हरीतकी – 1 भाग
- विभितकी – 1 भाग
- आमलकी 1 भाग
- नागरमोथा 1 भाग
- कालीमिर्च 1 भाग
गोक्षुरादि गुग्गुलु बनाने की विधि
सबसे पहले त्रिफला एवं गोखरू को यवकूट करके 16 पानी में क्वाथ का निर्माण किया जाता है | जब पानी अर्धांश रहता है तब इसे आग से उतार कर ठंडा करके छान लिया जाता है | अब तैयार क्वाथ में गुग्गुलु को डालकर फिर से आंच पर गरम किया जाता है | जब सारा गुग्गुलु पिघल जाता है तब छान कर गुग्गुलु एवं क्वाथ के घोल को मंदाग्नि पर गरम किया जाता है | धीरे – धीरे गुग्गुलु गाढ़ा होने लगता है | गुग्गुलु के गाढ़ा होने के पश्चात इसमें बाकी सभी औषध द्रव्य – नागरमोथा, कालीमिर्च एवं सोंठ का बारीक़ पीसा हुआ चूर्ण डालकर अच्छी तरह मिलालिया जाता है | सबसे अंत में इन सभी को इमामदस्ते में घी डालकर मुलायम होने तक कुटा जाता है | अच्छी तरह मुलायम होने पर इनकी गोलियां बना ली जाती है | तो इस प्रकार से आयुर्वेदिक गोक्षुरादि गुग्गुलु का निर्माण होता है | आईये अब जानते है इसके सेवन से होने वाले फायदे एवं चिकित्सकीय उपयोगगोक्षुरादि गुग्गुलू के स्वास्थ्य प्रयोग
निम्न रोगों में इसका उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सक करते है –- वर्क्क शोथ
- पत्थरी
- प्रमेह
- प्रदर रोग
- वात रोग
- शुक्र दोष
- मूत्रकृच्छ (पेशाब का रुक – रुक के आना)
- वात रक्त
गोक्षुरादि गुग्गुलु के सेवन से होने वाले फायदे
- सभी प्रकार की सुजन में फायदेमंद होती है |
- पत्थरी की समस्या में लाभदायक होती है |
- प्रोस्टेट ग्रंथि की सुजन या बढ़ने पर इसका सेवन लाभ देता है |
- सभी प्रकार के वात विकारों में इसके सेवन से लाभ मिलता है |
- मूत्र मार्ग एवं किडनी के लिए गोक्षुरादि गुग्गुलु लाभदायक सिद्ध होती है |
- गोक्षुरादि गुग्गुलु के सेवन से पाचन सुधरता है |