अग्निमुख चूर्ण के फायदे, बनाने की विधि, घटक एवं खुराक – Agnimukh Churna Details in Hindi

अग्निमुख चूर्ण के फायदे: अग्निमुख चूर्ण आयुर्वेद चिकित्सा की शास्त्रोक्त औषधि है । यह अत्यंत स्वादिष्ट एवं दीपन और पाचन वाला चूर्ण है जिसका प्रयोग भूख न लगने, खट्टी डकारें और जी मचलाना जैसी पाचन की समस्याओं में प्रमुख रूप से उपयोग किया जाता है । आज के इस लेख में हम आपको अग्निमुख चूर्ण के फायदे, घटक, खुराक एवं अग्निमुख चूर्ण बनाने की विधि के बारे में विस्तृत रूप से बताएँगे ।

अगर आप भूख न लगने, खाना खाने के बाद पेट दर्द या अजीर्ण, अपच या खट्टी डकारों से परेशान है तो आप इस चूर्ण के इस्तेमाल से तुरंत राहत पा सकते हैं । इस चूर्ण को घर पर भी बनाया जा सकता है एवं बाजार में किसी भी विश्वसनीय फार्मेसी में निर्मित को खरीद कर भी प्रयोग कर सकते हैं । तो चलिए जानते हैं सबसे पहले इस चूर्ण के बारे में

अग्निमुख चूर्ण क्या है ? (What is Agnimukh Churna in Hindi)

अग्निमुख चूर्ण

अग्निमुख चूर्ण एक शास्त्रीय योग है । जिसका विवरण योगरत्नाकर के अजीर्ण चिकित्सा अध्याय के 1 से 6 में वर्णन मिलता है । यह मन्दाग्नि, भोजन में अरुचि, अपच एवं अजीर्ण जैसी समस्याओं में विशेषत: आयुर्वेद उपचारों में प्रयोग लिया जाता है । इसमें हिंग, अजवायन, चित्रक, एवं पिप्पली जैसे आयुर्वेदिक घटक है जो इसे अजीर्ण रोग की चिकित्सा के लिए उपयोगी बनाते हैं । यह चूर्ण बहुत ही स्वादिष्ट होता है एवं मन्दाग्नि को ठीक करने में उत्तम औषधि माना जाता है । अगर रोगी को अपच या अजीर्ण के कारण मन्दाग्नि की समस्या हुई है तो उसे अग्निमुख चूर्ण का प्रयोग करवाने से लाभ मिलता है ।

अग्निमुख चूर्ण के घटक | Ingredients of Agnimukha Churna

निम्न टेबल के माध्यम से आप अग्निमुख चूर्ण के घटक द्रव्यों के हिंदी नाम, अंग्रेजी नाम एवं उनकी मात्रा के बारे में जान सकते हैं –

हिंदी नामअंग्रेज़ी नाममात्रा
भुनी हिंगRoasted Asafoetida10 ग्राम
चित्रक मूलLeadwort Root70 ग्राम
पिप्पलीLong Pepper30 ग्राम
बचSweet Flag50 ग्राम
सौंठDry Ginger40 ग्राम
अजवायनBishop’s Weed50 ग्राम
हरीतकीHaritaki60 ग्राम
कुष्टIndian Costus80 ग्राम

अग्निमुख चूर्ण बनाने की विधि | Agnimukha Churna Manufacturing Process

अग्निमुख चूर्ण को बनाना बहुत ही आसान है । इसे बनाने के लिए सबसे पहले उपरोक्त बताये गए सभी घटक द्रव्यों को बताई गई मात्रा में ले लिया जाता है । सबसे पहले भुनी हुई हिंग को 10 ग्राम की मात्रा में, चित्रक मूल को 70 ग्राम की मात्रा में, पिप्पली 30 ग्राम, बच 50 ग्राम, सौंठ 40 ग्राम, अजवायन 50 ग्राम, हरीतकी 60 ग्राम एवं कुष्ट 80 ग्राम लेकर इन सभी को प्रथक – प्रथक कूट पीसकर महीन चूर्ण बना लिया जाता है ।

इस चूर्ण को बताई गई मात्रा में मिलाकर रखने से यह अग्निमुख चूर्ण कहलाता है । यह इसकी एक साधारण विधि है जिसका वर्णन योगरत्नाकर में किया गया है । इसे और अधिक स्वादिष्ट बनाने के लिए इसमें निम्बू स्वरस की भावना एवं पिप्पेरमेंट भी मिलाया जाता है ।

इस प्रकार से अग्निमुख चूर्ण का निर्माण होता है । इसे आप बना बनाया किसी भी आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर से खरीद सकते हैं । विश्वसनीय फार्मेसी का चूर्ण आप खरीद सकते हैं ।

अग्निमुख चूर्ण का त्रिदोष पर प्रभाव

यह चूर्ण वात एवं कफ को संतुलित करता है । अर्थात इसके सेवन से शरीर में बढ़ी हुई वात एवं कफ दोष शांत होता है । यह त्रिदोषों को वात एवं पित्त की असंतुलिताता को दूर करके संतुलन में लाता है ।

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अग्निमुख चूर्ण के फायदे | Benefits of Agnimukh Churna in Hindi

इस आयुर्वेदिक चूर्ण का विशेष प्रयोग मन्दाग्नि (भूख न लगना), उदावर्त, एवं अजीर्ण में किया जाता है । यह पाचक अग्निवार्द्धक और रूचि उत्पन्न करने वाला है । कब्ज एवं पेट में हवा भर जाये तो भी अग्निमुख चूर्ण बहुत फायदेमंद साबित होता है । इसके अलावा अर्श, मन्दाग्नि, उदरशूल, पार्श्वशूल, गुल्म आदि रोगों को ख़त्म करता है । यह वात एवं कफ रोगों में भी विशेष लाभदायक है ।

अग्निमुख चूर्ण के सेवन से निम्न रोगों में फायदे मिलते है –

  • मन्दाग्नि (भूख न लगना)
  • खट्टी डकारें
  • अजीर्ण (Indigestion)
  • अपच
  • आफरा
  • पेटदर्द
  • कफ
  • अस्थमा
  • अर्श एवं बवासीर रोग
  • गैस एवं कब्ज
  • पार्श्वशूल आदि रोगों में

खुराक | Dosage

अग्निमुख चूर्ण को 3 से 5 ग्राम की मात्रा में भोजन से पूर्व या पश्चात जैसा आयुर्वेदिक वैद्य द्वारा निर्देशित किया जाये लेना चाहिए । आमतौर पर इसे दिन में दो बार 3 ग्राम की मात्रा में जल के साथ सेवन करवाया जाता है । हालाँकि रोग की स्थिति के आधार पर आपका चिकित्सक इस खुराक की मात्रा को कम या ज्यादा एवं अनुपान बदल सकता है । अत: सेवन से पहले अपने आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह अवश्य लें ।

संभावित नुकसान | Side Effects

सामान्यत: अग्निमुख चूर्ण के सेवन से कोई भी साइड इफेक्ट्स नहीं होते हैं । यह चूर्ण पूर्णत: खाद्य घटकों एवं आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों से निर्मित है जिनका प्रयोग वास्तव में सुरक्षित है । इसमें ऐसा कोई भी घटक विद्यमान नहीं है जो आपको शारीरिक नुक्सान पहुंचाए । हालाँकि इस चूर्ण को निर्देशित मात्रा में ही सेवन करना चाहिए । अधिक मात्रा में सेवन करने से कुछ नुकसान जैसे सीने में जलन या सिरदर्द जैसी समस्या हो सकती है ।

धन्यवाद ।

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