वृद्ध दंड चूर्ण आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति की ताकतवर दवा है | यह पुरुषों के लिए उपयोगी है | यह धातुक्षीणता, स्वप्नदोष, एवं वातज शूल में प्रयोग की जाने वाली आयुर्वेदिक दवा है | इस दवा का वर्णन रसतंत्रसार व सिद्ध प्रयोग संग्रह के प्रथम ग्रन्थ में होता है |
आज के इस लेख में हम आपको वृद्ध दंड चूर्ण के फायदे, घटक, सेवन विधि एवं सेवन की सावधानियों के बारे में बताएँगे | तो चलिए जानते है इसके घटक द्रव्यों के बारे में |
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वृद्ध दंड चूर्ण के घटक द्रव्य | Ingredients of Vriddhadand Churna
इसमें निम्न जड़ी-बूटियों का समावेश होता है –
- सफ़ेद मुसली
- सेमलकंद की छाल
- गिलोय सत्व
- आंवला
- कौंच के बीज
- गोखरू
- एवं मिश्री
इन घटक द्रव्यों के वृद्ध दंड चूर्ण में निम्न फायदे होते है | इन्हें आप यहाँ समझ सकते है –
घटक का नाम | उपयोग |
---|---|
सफ़ेद मुसली | यह वीर्य को गाढ़ा करने एवं स्खलन को रोकने में फायदेमंद है | |
सेमलकंद की छाल | धातुओं को मजबूती देने एवं पुष्टिकारक है | |
गिलोय सत्व | यह रोगप्रतिरोधक क्षमता का वर्द्धन करता है एवं शरीर में उष्णता नहीं बढ़ने देता |
आंवला | विटामिन सी से भरपूर एवं एंटीओक्सिडेंट गुणों से युक्त |
कौंच के बीज | वीर्य स्तम्भन करने एवं यौन दुर्बलताओं को दूर करने में उपयोगी |
गोखरू | मूत्र विकारों में लाभदायक |
मिश्री | शीतल |
वृद्ध दंड चूर्ण के फायदे | Vriddhadand Churna Benefits in Hindi
इस आयुर्वेदिक चूर्ण के निम्न लाभ है –
- धातुक्षीणता में फायदेमंद – वृद्ध दंड चूर्ण धातुक्षीणता को दूर करने में अत्यंत लाभदायक है | इस चूर्ण के सेवन से धातुओं की कमजोरी दूर होने लगती है |
- स्वप्नदोष – स्वप्नदोष की समस्या में वृद्ध दंड चूर्ण को 5 से 10 ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार दूध के साथ सेवन करने से जल्द ही समस्या में लाभ मिलता है |
- यौनदुर्बलता – यौन दुर्बलताओं में यह लाभदायक औषधि है | इसका सेवन महीने भर करने से सभी प्रकार की यौन दुर्बलताओं जैसे नपुंसकता, शीघ्रस्खलन आदि में लाभ मिलता है |
- वातजमेह – वृद्धावस्था में वात दोष के असंतुलन के कारण वातजमेह की समस्या हो जाती है | इसमें भी वृद्ध दंड चूर्ण अच्छा लाभ देता है | यह वात असंतुलन को दूर करता है |
- कटीशूल – कमर दर्द की समस्या वात के असंतुलन के कारण अगर हो तो वृद्धदण्ड चूर्ण का सेवन करवाने से लाभ मिलता है |
- मूत्र विकार – मूत्र संस्थान के विकार जैसे मूत्रकृच्छ्ता, प्रोस्टेट की समस्या एवं धातु गिरना आदि समस्याओं में यह लाभ देती है |
सेवन की विधि | Dosage
इस चूर्ण का सेवन सुबह – शाम 6 से 12 ग्राम की मात्रा में सामान्यत: करवाया जाता है | अनुपान के लिए गुनगुने दूध का विधान है | अर्थात इसे सुबह शाम गुनगुने दूध के साथ प्रयोग करना चाहिए | रोग एवं रोगी की प्रकृति के अनुरूप वैद्य इसका सेवन अलग अनुपान एवं मात्रा में करवा सकते है | अत: सेवन से पहले वैद्य सलाह अवश्य लें |
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सावधानियां | Precautions
वृद्ध दंड चूर्ण पूर्णत: सुरक्षित औषधि है | इसका प्रयोग करने से किसी भी प्रकार का साइड इफेक्ट्स प्रकट नहीं होता | हालाँकि इसे निर्धारित मात्रा में ही सेवन करना चाहिए | अगर अधिक मात्रा में लिया जाये तो सीने में जलन एवं एसिडिटी जैसी समस्या हो सकती है |
धन्यवाद