गंधक रसायन क्या है ? इसके फायदे, उपयोग, नुकसान एवं सेवन का तरीका

गंधक रसायन आयुर्वेद की प्रशिद्ध औषधि है | गंधक (Sulphur) को शुद्ध करके अन्य आयुर्वेदिक द्रव्यों के साथ इसका मर्दन गंधक रसायन का निर्माण किया जाता है | आयुर्वेद में गंधक का वर्णन चरक संहिता में मिलता है एवं संहिता काल से वर्तमान तक इसका प्रयोग औषध उपयोग में बढ़ता ही रहा है |

आज के इस लेख में हम गंधक रसायन क्या है, गंधक रसायन के फायदे, उपयोग एवं खुराक आदि के बारे में जानेंगे | इन सबसे पहले गंधक के बारे में जान लेते है एवं इसका शोद्धन कैसे होता है के बारे में जान लेते है |

गंधक क्या है? | What is Gandhak (Sulphur)

गंधक को अंग्रेजी में सल्फर (Sulphur) कहते है | इसका मॉलिक्यूलर फार्मूला S8 है | आयुर्वेद शास्त्रों में इसका वर्णन चरक संहिता से प्राप्त होता है | आमलासार गंधक को आयुर्वेद में श्रेष्ठ माना गया है | इसको शुद्ध करके ही औषधीय योगों में प्रयोग करवाया जाता है | गंधक को गौरीपुष्प, कटीद्यन, कुष्ठारी, नवनीत, शुल्वारी, शुकपुच्छ एवं बलि आदि नामों से जाना जाता है |

महत्वपूर्ण: गंधक का अच्छी तरह शोद्धन करके ही दवा निर्माण में प्रयोग किया जाता है | अशुद्ध गंधक घातक होता है | अत: आयुर्वेद में इससे दवा निर्माण करने से पहले आमलासार गंधक का शोधन करते है एवं उसके पश्चात ही औषध निर्माण के लिए प्रयोग करते है |

गंधक रसायन क्या है ? | What is Gandhak Rasayana?

गंधक रसायन

गंधक रसायन टेबलेट या चूर्ण के रूप में आने वाली आयुर्वेदिक दवा है | यह क्लासिकल फार्मूलेशन है जिसका वर्णन आयुर्वेदिक ग्रंथों में मिलता है | इसका निर्माण भी ग्रंथो अनुसार ही किया जाता है | यह अत्यंत बलवान दवा है जो विभिन्न रोगों को दूर करने में महत्वपूर्ण है |

विशेषकर इसे कुष्ठ रोग नाशक, रक्त की अशुद्धि से हुए त्वचा विकार, फोड़ा – फुंसी, प्रमेह एवं धातु क्षय आदि रोग दूर होते है | इसे निपुण वैद्य की देख रेख में ही सेवन करना चाहिए |

गंधक रसायन के घटक | Ingredients of Gandhak Rasayana

निर्माण विधि | Manufacturing Process

गाय के दूध से 3 बार शोद्धित किया हुआ गंधक लिया जाता है | उसको पत्थर के खरल में डालकर रख दें | ऊपर से दालचीनी, तेजपत्र, छोटी इलायची, नागकेशर के बारीक़ चूर्ण को रात्रि में जल में भिगोकर रख दिया जाता है | सुबह उसे हाथ से मसलकर जल को छान कर | इस जल के साथ इसका 8 दिन तक मर्दन किया जाता है |

इसी प्रकार क्रमश: हरीतकी स्वरस, आंवला स्वरस, गिलोय स्वरस, बहेड़ा स्वरस, अदरक स्वरस एवं भांगरा स्वरस इन सब से भी 8 – 8 दिन तक मर्दन करके इसे सुखाकर वटी का निर्माण कर लिया जाता है | इस प्रकार से तैयार औषधि गंधक रसायन के नाम से जानी जाती है | इसे आप बनी बनाई बाजार से भी प्राप्त कर सकते है |

गंधक रसायन के फायदे | Benefits of Gandhak Rasayan

  1. इसे कुष्ठ एवं त्वचा विकारों की उत्तम आयुर्वेदिक दवा माना जाता है |
  2. रक्त की अशुद्धि से त्वचा पर होने वाले फोड़े – फुंसियों में गंधक रसायन के सेवन लाभ मिलता है | यह रक्त को शुद्ध करके त्वचा को निरोगी बनाने में फायदेमंद है |
  3. कुष्ठ, फोड़े-फुंसियों एवं त्वचा विकारों में इसे घी एवं शक्कर मिलाकर सेवन करवाया जाता है |
  4. शुक्र की कमजोरी एवं दुष्टता में इसे दूध के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है |
  5. पाचन को सुधारने में भी गंधक रसायन फायदेमंद है |
  6. जिन रोगों में पित्त दोष की प्रधानता होती है उन सभी रोगों में इसका सेवन करवाया जाता है | पित्तज रोगों के साथ जलन भी होती हो तो इसे अत्यंत बलवान आयुर्वेदिक दवा माना जाता है |
  7. गंधक रसायन के सेवन से शरीर की धातुओं की वृद्धि होती हैं एवं शुक्र शुद्ध होता है | इसे दुबले पतले व्यक्तियों के लिए प्रयोग करवाने से उनका शरीर बलवान बनता है |
  8. पुरुषों की नपुंसकता, वीर्य विकृति एवं शुक्र की कमी में भी गंधक रसायन के सेवन से फायदा मिलता है |
  9. अतिसार, ग्रहणी, दर्द, जीर्ण ज्वर, एवं उदर रोगों में गंधक रसायन के सेवन से लाभ मिलता है |
  10. आयुर्वेद में इसे अनेक व्याधियों को दूर करने वाली दवा माना जाता है | लेकिन इसका प्रयोग एक विशेष दोष के संयोग में किया जाता है | यह रक्त एवं पित्त दोषों में अच्छा कार्य करता है |

सेवन विधि | Dosage

इसे 1 से 2 रति की मात्रा में दूध, घी, जल, मंजिष्टदी क्वाथ के अनुपान के साथ सुबह – शाम वैद्य सलाह अनुसार लिया जाना चाहिए | इस औषधि का प्रयोग करते समय नमक, खट्टे पदार्थ, चाय, कॉफ़ी, स्त्री समागम, आदि का परहेज किया जाना चाहिए | साथ ही गोघृत, शक्कर, चावल, सेंधा नमक, शहद, आम एवं केला आदि पथ्य माने गए है |

गंधक रसायन के नुकसान | Side Effects of Gandhak Rasayana

इस औषधि के कोई भी ज्ञात दुष्प्रभाव नहीं है | लेकिन गंधक रसायन हेर्बो मिनरल दवा है अत: आयुर्वेदिक चिकित्सक की देख रेख में ही सेवन करना चाहिए | इसकी कम मात्रा लम्बे समय तक सेवन की जा सकती है; परन्तु अगर इसे अधिक मात्रा में सेवन कर लिया जाये तो यह नुकसान भी कर सकती है | अधिक मात्रा में सेवन करने से पेट दर्द, उष्णता एवं सिरदर्द जैसी समस्याएँ हो सकती है |

सामान्य सवाल – जवाब | FAQ

गंधक रसायन क्या है ?

गंधक रसायन आयुर्वेद की शास्त्रोक्त दवा है | इसका प्रयोग त्वचा विकारों , पाचन विकृति, शुक्र की दुष्टि एवं कुष्ठ रोग में किया जाता है |

गंधक रसायन कौन सी कंपनी का आता है ?

सभी आयुर्वेदिक दवा निर्माता कंपनियां इसका निर्माण करती है | यह बैद्यनाथ, डाबर, पतंजलि, धूतपापेश्वर, साधना, उंझा आदि का बाजार में आसानी से उपलब्ध हो जाता है |

गंधक रसायन का मुख्य घटक क्या है ?

इसका मुख्य घटक गंधक (sulphur) है |

गंधक रसायन का सेवन कब करना चाहिए ?

इसका सेवन कुष्ठ रोग, फोड़े-फुंसियों एवं जलन के साथ प्रमेह में वैद्य सलाह से करना चाहिए |

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