वासारिष्ट (Vasarishta) :- गुण, उपयोग, फायदे एवं सेवन की विधि

वासारिष्ट अडूसा (वासा) के पंचांग से बनी एक आयुर्वेदिक औषधि है | अडूसा या वासा एक झाडीनुमा औषधीय पौधा है जो ऊँचे क्षेत्रों में पाया जाता है | इसके पंचांग का उपयोग दवा बनाने के लिए किया जाता है | वासा कफ़ नाशक, स्वर के लिए उत्तम, वातकारक, खांसी और श्वास में लाभदायक तथा प्रमेह नाशक होता है |

औषधीय नाम वासारिष्ट या वासारिष्टम
परिकल्पनाआसव अरिष्ट
प्रधान द्रव्य वासा पंचांग
गुण कफ नाशक, पौष्टिक, वीर्यवर्धक, पाचक
उपयोगकफ जनित शोथ, खांसी और श्वास की तकलीफ
दौर्बल्य, वीर्य की कमी, बन्ध्यत्व नाशक
नुकसान कोई ज्ञात दुष्प्रभाव नहीं है |
सेवन की विधि 10 से 20 ml खाने के बाद
अनुपानबराबर मात्रा में जल मिलाकर
सावधानियां बिना चिकित्सक की सलाह के सेवन ना करें
वासारिष्ट की जानकारी

वासारिष्ट क्या है / What is Vasarishta ?

आसव अरिष्ट प्रकरण की औषधियों का आयुर्वेद में बहुत महत्व है | ये औषधियां अत्यंत गुणकारी एवं शीघ्र लाभ करने वाली होती हैं | वासारिष्ट (Vasarishta) भी इसी परिकल्पना की औषधि है | यह सभी प्रकार की खांसी को दूर करने वाली और शरीर को हष्ट पुष्ट करने वाली दवा है | स्त्री पुरुष दोनों के बंध्यत्व दोष (बाँझपन) में भी यह फायदेमंद है |

वासारिष्ट के औषधीय गुण / Medicinal properties of vasarishta

कफ़ एवं श्वास रोगों के लिए यह अतिउत्तम औषधि है | इसमें निम्न औषधीय गुण होते हैं :-

  • पाचक
  • कफ़ नाशक
  • वीर्य वर्धक
  • बंध्यत्व नाशक
  • पौष्टिक एवं बल्य

वासरिष्ट के घटक क्या हैं / Vasarishta ingredients or composition and content

इस अरिष्ट को बनाने के लिए निम्न द्रव्यों की आवश्यकता होती है :-

वासा अरिष्ट को कैसे बनाते हैं / Vasarishta preparation

यह आसव अरिष्ट प्रकरण की औषधि है | इसे बनाने के लिए सबसे पहले अडूसा पंचांग को पानी में उबालें इसे तब तक उबाले जब पानी लगभग एक भाग शेष रह जाए | अब इसे छानकर इसमें गुड़ और धाय के फूल तथा अन्य जड़ी बूटियों का चूर्ण डाल लें और अच्छे से मिला लें |

वासारिष्ट के फायदे

इस मिश्रण को अब मिटटी के चिकने घड़े में डाल लें और संधान करके एक माह के लिए छोड़ दें | एक महीने बाद यह तैयार हो जाता है इसे छानकर सुरक्षित रख लें | इस प्रकार वासारिष्ट दवा तैयार हो जाती है |

वासारिष्ट का सेवन कैसे करें, उपयोग की विधि / How to use Vasarishta

इसकी 10 से 20 ml मात्रा दिन में दो बार बराबर मात्रा में जल मिलाकर लें | इसका सेवन करते समय सादा और पौष्टिक भोजन करें, मिर्च मसाला और तेल में तली चीजों से परहेज करें तथा कफवर्धक खाद्य पदार्थो का सेवन ना करें |

वासारिष्ट के फायदे एवं उपयोग / Vasarishta uses and benefits

अडूसा के औषधीय गुणों से भरपूर यह अरिष्ट खांसी के लिए बहुत हितकारी है | इसका सेवन करने से श्वास और कफ से छुटकारा मिलता है | इसके साथ ही यह पौष्टिक और वीर्यवर्धक है | पथ्य अपथ्य के अनुसार इसका सेवन किया जाये तो शरीर की कमजोरी दूर हो व्यक्ति वीर्यवान और हष्ट पुष्ट हो जाता है | स्त्रियों के लिए भी यह बहुत गुणकारी है | इसका प्रभाव गर्भाशय पर होता है एवं रक्त दोष में भी लाभदायक है |

आइये जानते हैं वासारिष्ट के स्वास्थ्य लाभ :-

खांसी और श्वास में उपयोगी है वासारिष्ट / Uses of Vasarishta in cough:-

कफ़ जनित खांसी और श्वास रोग को यह नष्ट कर देता है | अस्थमा की समस्या में वासा बहुत उपयोगी जड़ी बूटी है | इसके सेवन से कफ़ नष्ट हो जाता है और साँस लेने में होने वाली तकलीफ दूर होती है |

पुरुषों के लिए उपयोगी / Vasarishta benefits for men :-

जिन पुरुषों को वीर्य दोष के कारण शारीरिक कमजोरी आ गयी हो उन्हें इसका सेवन करना चाहिए | इसके सेवन से नवीन वीर्य का निर्माण होता है और दोष नष्ट हो शरीर पुनः हष्ट पुष्ट होने लगता है | यह कामशक्ति वर्धक है |

स्त्रियों के लिए वासारिष्ट के फायदे / Vasarishta benefits for women:-

इसका प्रभाव गर्भाशय पर भी होता है | ऐसी महिलाएं जिनका गर्भाशय मुख मोटापे के कारण बंद हो गया हो उन्हें इसका सेवन करना चाहिए | कुछ दिनों तक चंद्रप्रभा वटी के साथ इसका सेवन करने से स्त्री सन्तान उत्पन्न करने योग्य हो जाती है | वासा में लौहे की मौजूदगी के कारण यह रक्त वर्धक भी होता है | रजोविकारों में भी इसका सेवन लाभप्रद होता है |

कफ़ जनित शोथ को कम करता है वासारिष्ट :-

शरीर में कफ की अत्यधिक वृद्धि के कारण बहुत से विकार हो जाते हैं | रक्ताणुओं की कमी और जल की वृद्धि के कारण शरीर में सुजन आ जाती है | इस दोष में वासारिष्ट से विशेष लाभ होता है | इसके सेवन से रक्ताणुओं की वृद्धि होती है और कफ का नाश होकर सुजन कम हो जाती है |

नुकसान और सावधानियां / Side effects and precautions

सामान्यतः वासारिष्ट को कोई दुष्प्रभाव देखने को नहीं मिलता है | यह एक सुरक्षित आयुर्वेदिक औषधि है जिसका सेवन चिकित्सकीय सलाह के साथ किया जा सकता है | अगर आपको कोई एलर्जी हो तो चिकित्सक से परामर्श कर लें | आयुर्वेद चिकित्सक के बताए अनुसार ही इसका सेवन करें |

वासारिष्ट के सेवन से जुड़ी विशेष जानकारी / Important information related to vasarishta

स्त्री पुरुष दोनों में रज और वीर्य की कमजोरी या दोष के कारण बन्ध्यत्व की समस्या होने पर वासारिष्ट का सेवन लाभकारी होता है | यह वीर्यवर्धक है और गर्भाशय के विकार को दूर करता है | इस अवस्था में इसका सेवन करते समय ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और चिकित्सक द्वारा बताए गये समय के पश्चात ही संभोग करना चाहिए |

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सन्दर्भ / reference

वासारिष्ट से जुड़े आपके सवाल / FAQ related to Vasarishta

यह आसव अरिष्ट परिकल्पना की आयुर्वेदिक औषधि है | इसमें अडूसा (वासा) के पंचांग का उपयोग किया जाता है

वासा कफ नाशक और रक्त वर्धक गुणों वाला होता है | इस दवा का उपयोग खांसी, श्वास, वीर्य की कमी, दौर्बल्य, गर्भाशय के दोष, रक्त की कमी और स्वर सुधारने के लिए होता है |

सामान्यतः इसके साथ अन्य दवाओं का सेवन कर सकते हैं लेकिन इसके लिए चिकित्सक से आवश्यक सलाह लेना जरुरी है |

इसकी 10 से 20 ml मात्रा का सेवन बराबर मात्रा में जल के साथ करना होता है | इसके लिए आप चिकित्सक से सलाह जरुर लें |

अभी तक ऐसा कोई प्रमाण नहीं है | इसमें उपयोग में लिए गए द्रव्य सुरक्षित हैं और इसकी आदत लगने की संभावना नहीं है |

इसका सेवन समस्या के अनुसार एक से दो महीने चिकित्सकीय सलाह के साथ किया जा सकता है |

यह एक शास्त्रोक्त औषधि है आप डाबर, बैद्यनाथ, धूतपपेश्वर, उंझा और साधना जैसी किसी भी कम्पनी का वासारिष्ट उपयोग कर सकते हैं |

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