गले एवं फेफड़ों से कफ निकालने की आयुर्वेदिक दवाएं एवं घरेलु उपाय

वर्तमान समय में गले में कफ एवं फेफड़ों में कफ जमने की समस्या आम हो चुकी है | इस पेंड़ेमिक महामारी से गुजरे लोगों को सबसे अधिक समस्या कफ जमने एवं उसके आसानी से न छूटने की रहती है | अधिकतर लोग कोरोना से रिकवर होने के पश्चात भी कफ जमने की समस्या से काफी लम्बे समय तक पीड़ित रहते है |

आप इसे पोस्टकोविड समस्या मान सकते है | अधिकतर लोग जो अब कोरोना को मात दे चुके उनमे छाती में कफ जमने की समस्या है | एसी समस्या में आयुर्वेद एवं घरेलु उपायों के माध्यम से आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है |

आज इस आर्टिकल में हम आपको गले से कफ निकालने की आयुर्वेदिक दवाएं एवं घरेलु उपायों के बारे में बताएँगे जो आसानी से 3 से 5 दिन में आपके गले एवं फेफड़ों में जमे कफ को बाहर निकालने में समर्थ है |

तो चलिए सबसे पहले जानते है आयुर्वेद चिकित्सा की दवाओं के बारे में जो जमे हुए कफ को निकालने के लिए प्रयोग की जाती है | इन दवाओं का प्रयोग आयुर्वेदिक चिकित्सक के परामर्श से ही करना चाहिए | क्योंकि प्रत्येक रोगी की शारीरिक प्रकृति एवं समस्या भिन्न – भिन्न हो सकती है | अत: वैद्य के निर्देशों अनुसार ही औषध का ग्रहण करना चाहिए |

गले एवं फेफड़ों से कफ निकालने की आयुर्वेदिक दवाएं / Lungs se cough Nikalane ke Liye Ayurvedic Davayen

1. सितोपलादि चूर्ण – फेफड़ों से जमा कफ निकालने की दवा

सितोपलादि चूर्ण आयुर्वेद की शास्त्रोक्त चूर्ण कल्पना की दवा है | इसका प्रयोग स्वांस, कास (खांसी), एवं कफज व्याधियों में किया जाता है | अगर गले एवं छाती में कफ जम गया है एवं छुट नहीं रहा है तो नित्य दिन में दो या तीन बार 5 – 5 ग्राम सितोपलादि चूर्ण शहद के साथ चाटने से 2 से 3 दिन में ही चिपका हुआ कफ छूटने लगता है |

सितोपलादि चूर्ण प्रतिश्याय
image – amazon.in

इस चूर्ण में दालचीनी, इलायची, कालीमिर्च, मिश्री एवं पिप्पली जैसी आयुर्वेदिक जड़ी – बूटियां है | जो इसे सुखी खांसी, बलगम वाली खांसी, छाती में जमे हुए कफ एवं श्वांस आदि रोगों में फायदेमंद बनाती है |

अगर छाती जकड़ी हुई मालूम हो तो सितोपलादि चूर्ण का सेवन करना चाहिए | सितोपलादि के बारे में अधिक जानने के लिए यहाँ क्लिक करके पढ़ें

2. लवंगादि वटी – खांसी, बलगम निकालने वाली आयुर्वेदिक दवा

खांसी का दौरा रोकने एवं कफ नहीं निकलता हो, अधिक देर तक खांसने पर भी थोडा सा कफ निकलता हो तब यह आयुर्वेदिक वटी काफी लाभदायक औषधि साबित होती है | लवंगादि वटी को मुंह में रखकर चूसने से खांसी रुक जाती है एवं जमा हुआ कफ निकलने लगता है |

अगर आप खांस – खांस के थक जाते है एवं काफी खांसने पर भी छाती से कफ नहीं निकलता तब लवंगादि वटी 1 से 2 गोली मुंह में रख कर चूसिये | यह जल्द ही कफ को पिघला कर बाहर निकालने में सहायता करेगी |

साथ ही गले में होने वाली खरास या झनझनाहट को भी दूर करने में उपयोगी दवा है | लवंगादि वटी का सेवन दिन में 3 से 4 बार किया जा सकता है | यह पूर्णत: सुरक्षित आयुर्वेदिक दवा है |

3. दाड़ीमादि वटी – कफ का शमन करने के लिए

यह वटी वैसे तो रुचिकारक, जायकेदार एवं अजीर्ण, अपच में काफी उपयोग की जाती है ; लेकिन इसका मुख्य कार्य शरीर में बढे हुए कफ को शांत करके पाचन को सुधारना होता है | अगर आपको कफ की वृद्धि होने से भोजन में स्वाद नहीं आता या मुंह में कफ लिपटा हुआ मालूम हो तो दाड़ीमादि वटी का सेवन करना चाहिए | यह कफ का शमन एवं मल संचय को दूर करके भोजन में रूचि पैदा करती है एवं व्यक्ति को खाने में स्वाद आने लगता है |

4. कर्पुरादि चूर्ण – चिपके हुए कफ को निकालने की आयुर्वेदिक दवा

कर्पूरादी चूर्णं

कपूर, दालचीनी, कंकोल, जायफल एवं तेजपता से बनने वाली यह आयुर्वेदिक दवा स्वरभंग एवं कंठ के रोगों के लिए उपयोग की जाती है | गले में कफ की वृद्धि के कारण एका एक दर्द होना एवं गले में सुजन होना, कफ चिपकना आदि समस्याओं में इसकी एक चुटकी लेकर दिन में 5 से 7 बार लेने से गले में अटका हुआ कफ पिघलकर निकल जाता है |

साथ ही गले में होने वाले दर्द में भी आराम मिलता है | यह हृदय गति कमजोर एवं नाड़ीदौर्बल्य में भी फायदेमंद है | हृदय को बल एवं उतेजना देने वाली आयुर्वेदिक औषधि है |

5. कंटकार्यवलेह – खांसी एवं श्वांस रोग में उपयोगी

अगर आपके गले या फेफड़ों में कफ जम गया है तो कंटकार्यवलेह आपके लिए काफी फायदेमंद है | वैसे इस आयुर्वेदिक अवलेह का प्रयोग श्वांस, खांसी एवं पुराने कफ को निकालने के लिए किया जाता है | इस दवा का निर्माण छोटी कटेरी, गिलोय, चव्य, सोंठ, जवासा, भारंगी, रास्ना एवं कचूर जैसी आयुर्वेदिक जड़ी – बूटियों से होता है |

कंटकार्यवलेह

इस अवलेह का प्रयोग गले एवं छाती में चिपे हुए कफ को निकालने, श्वांस एवं खांसी में किया जाता है | अगर कफ नहीं निकल रहा है तो आयुर्वेदिक वैद्य के परामर्श से कंटकार्यवलेह का प्रयोग कर सकते है | इसका सेवन सुबह – शाम उचित अनुपान के साथ करना चाहिए |

6. च्यवनप्राश – रसायन औषधि

च्यवनप्राश

च्यवनप्राश का सेवन भी शरीर में बढे हुए कफ को कम करने एवं चिपके हुए कफ को निकालने के लिए कर सकते है | यह आयुर्वेद का उत्तम रसायन है | शरीर को बल, वीर्य एवं कान्ति प्रदान करने वाला यह रसायन सभी रोगों में कार्य करता है | कफ जम गया हो या बार – बार खांसी आती हो तो नियमित सुबह शाम च्यवनप्राश का सेवन 10 ग्राम तक की मात्रा में किया जा सकता है |

7. वासावलेह – गले से कफ निकालने की आयुर्वेदिक दवा

वासा (अडूसा), पिप्पली एवं घी से तैयार होने वाली यह आयुर्वेदिक दवा जमे हुए कफ को निकालने एवं श्वांस रोग में बहुत उपयोगी आयुर्वेदिक औषधि है | निमोनिया या किसी वायरल के कारण पीड़ित रोगी ठीक होने के बाद भी उनमे खांसी की ठसक रह जाती है | एसी स्थिति में वासावलेह का नियमित सेवन आराम देता है |

वासावलेह

यह पुराने कफ को शरीर से बाहर निकालने एवं बार – बार आने वाली खांसी को ठीक करने के लिए आयुर्वेदिक वैद्य के परामर्श से सेवन कर सकते है | इसका सेवन दिन में दो बार 5 ग्राम की मात्रा में किया जा सकता है |

गले एवं फेफड़ों में चिपके कफ को निकालने के लिए घरेलु प्रयोग / Home Remedies for Cough & Cold in Hindi

  • अगर छाती में बलगम जम गया हो एवं फेफड़े में सुजन आ गई हो तो अलसी को पीसकर चूर्ण बना लें | इस चूर्ण को तवे पर भुन लें | अब इसे एक कपडे में बाँध कर छाती पर सहन योग्य होने तक मालिश करें | यह प्रयोग फेफड़ों की सुजन को दूर करता है एवं कफ को पिघलाकर बाहर निकालता है |
  • अगर खांसी लगातार आ रही है एवं खांसी के बाद भी बलगम नहीं छुट रहा तो अलसी 25 ग्राम को यवकूट करके 375 ग्राम पानी में डालकर क्वाथ बना लें | जब जल 125 मल रह जाये तब इसे आंच से उतार कर ठंडा करके किसी बोतल में रख लें | इस काढ़े की एक – एक चम्मच की मात्रा में दिन में कई बार लें | इससे कफ छाती को छोड़ने लगेगा |
  • दो – चार लौंग को आग के खीरे पर भुनकर दिन में चूसने से भी कफ छूटने लगता है | यह श्वांस नलियों के संकुचन को भी दूर करने में उपयोगी नुस्खा है |
  • सुखा आंवला एवं मुलेह्ठी दोनों को बराबर मात्रा में लेकर इनका महीन चूर्ण बना लें | इस चूर्ण को एक चम्मच की मात्रा में दिन में दो बार खाली पेट सेवन करने से छाती एवं गले में जमे हुए कफ का निकलना शुरू हो जाता है | इस प्रयोग को नियमित कुछ दिनों तक सेवन करना चाहिए |
  • देशी घी में सेंधा नमक मिलाकर हल्का गरम करें एवं इस घी की मसाज छाती पर 5 से 10 मिनट के लिए दिन में दो बार करें | कफ छूटने लगेगा |
  • खांसी एवं कफ की समस्या में खजूर खाना भी फायदेमंद रहता है |
  • मुलहठी की चाय बना कर सेवन करना भी फायदेमंद रहता है |

धन्यवाद ||

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