जन्मघुंटी, इस नाम से आप सभी परिचित होंगे | भारतीय संस्कृति में नवजात शिशु को जन्म घुंटी पिलाने की परम्परा है, यह परम्परा प्राचीन काल से ही चली आ रही है | सामान्यतः ऐसा माना जाता है कि बच्चे को जो पहली घुंटी पिलायी जाती है बाद में शिशु उसी व्यक्ति के अनुसार आचरण करता है इसलिए बड़े बुजुर्गों और अच्छे आचरण वाले लोगों से पहली घुंटी पिलाने का प्रचलन है | यह एक प्रथा है जिसे आधुनिक युग में भी माना जाता है | लेकिन अभी कुछ चिकित्सक बच्चों को जन्म घुंटी नहीं पिलाने की सलाह देते हैं | इस वजह से आजकल माँ बाप इस दुविधा में रहते हैं कि बच्चों को घुंटी (जन्मघुंटी) पिलाना सही है या गलत ?
इस सवाल के जवाब के लिए हम जन्म घुंटी को आयुर्वेद के नजरिए से समझेंगे और जानेंगे कि :-
- जन्म घुंटी क्या है ?
- क्या जन्म घुंटी पिलाना सही है ?
- जन्मघुंटी से शिशु की सेहत पर क्या असर होता है ?
- नवजात शिशु को जन्म घुंटी पिलाने के क्या फायदे हैं ?
- जन्म घुंटी कैसे बनाते हैं एवं इसमें क्या क्या डाला जाता है ?
- बच्चों को जन्म घुंटी पिलाने के क्या क्या लाभ हैं ?
- जन्मघुंटी के नुकसान और सावधानियां क्या हैं ?
जन्मघुंटी क्या है एवं इसे कैसे बनाते हैं / What is Janam ghunti ?
बच्चों को पिलायी जाने वाली जन्म घुंटी आयुर्वेद में क्वाथ प्रकरण की एक औषधि है | इसे आप बालघुंटी या बच्चों का काढ़ा नाम से भी बुला सकते हैं | नवजात शिशु एवं बच्चों को यह घुंटी पिलाई जाती है ताकि बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहे और वो रोग मुक्त रहे | इस घुंटी से बच्चों को सर्दी जुखाम, बुखार, अजीर्ण आदि समस्या में लाभ मिलता है एवं शिशु तंदरुस्त रहता है | इसमें सौंफ, सौंफ की जड़, हरड एवं अजवायन जैसी जड़ी बूटियों का उपयोग किया जाता है |
जन्मघुंटी के घटक द्रव्य / Janam ghunti ingredients
बच्चों के लिए उपयोगी इस घुंटी में निम्न जड़ी बूटियों का उपयोग किया जाता है :-
- सौंफ एवं सौंफ की जड़
- वायविडंग
- अमलतास का गुदा
- सनाय की पत्ती
- छोटी हरड़ एवं बड़ी हरड का छिलका
- बच एवं अंजीर
- अजवायन
- गुलाब के फुल, ढाक के बीज
- मुन्नका, उन्नाव
- गुड़, शुद्ध टंकण
इन सभी जड़ी बूटियों को समान मात्रा में लेना होता है |
जन्मघुंटी बनाने की विधि / Janam ghunti kaise banaye
यह घुंटी आप आसानी से घर पर बना सकते हैं और प्राचीन काल से ही हमारी माताएं व बहने इसे बनाती आ रही हैं | जन्म घुंटी बनाने की लिए उपर बतायी गयी जड़ी बूटियों को जौकुट कर लें | अब एक माशा की मात्रा में लेकर उसमें १२ गुणा पानी मिलाकर धीमीं आंच पर पकाएं और एक चौथाई शेष रह जाने पर आंच बंद कर दें | इस तरह से इसका काढ़ा बना लें |
जन्मघुंटी के सेवन का तरीका / बच्चों को जन्म घुंटी का सेवन कैसे कराएं ?
इसकी १ तोला मात्रा का सेवन थोड़ा सा काला नमक मिलाकर कराना चाहिए | नवजात शिशु को अधिक मात्रा में सेवन ना कराएं एवं शिशु की अवस्था तथा उम्र के अनुसार इसकी मात्रा बढ़ा सकते हैं |
जन्मघुंटी के फायदे एवं उपयोग / uses and benefits of janam ghunti
बच्चों के लिए यह अत्यंत गुणकारी घुंटी है | इसके सेवन से बच्चे तंदरुस्त रहते हैं एवं किसी प्रकार के रोग का खतरा नहीं रहता है | इस जन्म घुंटी के निम्न फायदे हैं :-
- यह शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाती है |
- इसके सेवन से अजीर्ण एवं पेट दर्द की समस्या नहीं होती |
- यह सर्दी जुखाम एवं बुखार जैसे रोगों को भी दूर रखती है |
- इसके सेवन से बच्चों में कफ़ एवं खांसी की दिक्कत में शीघ्र लाभ होता है |
- अतिसार एवं उल्टी की समस्या में भी यह बच्चों के लिए हितकारी है |
जन्मघुंटी के नुकसान एवं सावधानियां / side effects of janam ghunti
हमारे यहाँ प्राचीन काल से चली आ रही घुंटी पिलाने की प्रथा और आयुर्वेद मतानुसार इस घुंटी का कोई दुष्प्रभाव नहीं देखने को मिलता है | हालांकि आधुनिक चिकित्सा के मतानुसार बच्चों को घुंटी नहीं पिलानी चाहिए ऐसा बोला जाता है | इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं है की यह जन्मघुंटी शिशु के लिए फायदेमंद है लेकिन घुंटी का सेवन शिशु की अवस्था और उम्र देख कर किया जाना चाहिए | घुंटी बनाते समय भी आयुर्वेद शास्त्रों में बताए अनुसार सही मात्रा में जड़ी बूटी और विधि का उपयोग करना चाहिए |
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