जिनको पत्थरी बनने की समस्या है अश्मरीहर कषाय उनके लिए अमृत के समान औषधि है | इस औषधि के सेवन से पत्थरी बहुत जल्दी गल जाती है |
पेशाब के साथ निकलने वाले क्षारीय तत्व जब इक्कठा होकर कंकड़ का रूप ले लेते हैं तो इसे पत्थरी बोलते हैं | सामान्यतः सभी को छोटी छोटी पत्थरी बनती रहती हैं और समय के साथ गल कर निकल जाती है | लेकिन कभी कभी बड़ा हो जाने पर यह गुर्दे या मूत्राशय में नलिकाओं में अटक जाती है इससे कभी कभी बहुत पीड़ा होती है | पत्थरी के कारण होने वाला दर्द असहनीय होता है और उल्टी एवं बुखार की समस्या भी हो जाती है | पत्थरी की समस्या के लिए आयुर्वेद में बहुत सी जड़ी बूटियां एवं दवाएं हैं जैसे त्रिविक्रम रस, कुल्थी, गोखरू एवं अश्मरीहर कषाय आदि |
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अश्मरीहर कषाय क्या है / What is Ashmari Har Kashaya ?
यह क्वाथ प्रकरण की औषधि है, क्वाथ बनाने के लिए उपयोग में ली जाने वाली जड़ी बूटियों को जौकुट करके उन्हें 16 गुणा पानी में डाल कर मंद आंच पर पकाया जाता है जब तक की पानी चौथाई ना रह जाये | और इसके बाद इस क्वाथ को हल्का गर्म रहने पर रोगी को पिलाया जाता है | अश्मरीहर कषाय भी इसी तरह से बनाया एवं उपयोग में लिया जाता है | पत्थरी की समस्या में यह सबसे कारगर औषधि मानी जाती है | इसमें पाषाणभेद, गोखरू, पपीते की जड़ जैसे द्रव्य होते हैं जो पत्थरी को गलाने में बहुत उपयोगी होते हैं एवं अन्य प्रकार के मूत्र विकारों में भी लाभ पहुंचाते हैं |
अश्मरीहर कषाय के घटक द्रव्य / Ashmari Har Kashaya ingredients
इस प्रभावी आयुर्वेदिक औषधि में निम्न जड़ी बूटियों/ घटक द्रव्यों का उपयोग किया जाता है :-
- पाषाणभेद
- सागौन के फल
- पपीते की जड़
- गोखरू
- वरुण की छाल
- कुश की जड़
- कास की जड़
- ककड़ी के बीज
यह सभी जड़ी बूटियां समान मात्रा में लें एवं इसके अलावा खुरासीनी अजवायन तथा जटामांसी २ – २ तोला की मात्रा में लें |
अश्मरीहर कषाय बनाने की विधि / Ashmari Har Kashaya preparation
यह औषधि बनाने में बहुत सरल है, इसे क्वाथ विधि से तैयार किया जाता है | आइये जानते हैं अश्मरीहर कषाय घर पर कैसे बनायें :-
- सबसे पहले सभी जड़ी बूटियों को लेकर उन्हें जौकुट कर लें |
- अब इन सब को मिला लें |
- क्वाथ बनाने के लिए जड़ी बूटियों की मात्रा से १६ गुणा अधिक जल लें |
- अब मिट्टी के बर्तन में डाल कर धीमी आंच पर इसे पकाएं |
- इन सब को तब तक पकाएं जब तक पानी एक चौथाई शेष रह जाये |
- इस तरह से अश्मरीहर कषाय तैयार हो जाता है |
सेवन या अनुपान कैसे करें / How to use Ashmari har kashaya
क्वाथ प्रकरण की औषधियों का सेवन ताजा रहते ही किया जाता है | इन्हें बाद में इस्तेमाल करने के लिए नहीं रखा जाता है | अश्मरीहर कषाय को गर्म रहने पर शिलाजीत या क्षार पर्पटी के साथ सेवन कराएँ | इसकी २ से ४ तोला की मात्रा में दिन में २ बार या आवश्यकतानुसार सेवन कराएं |
अश्मरीहर कषाय के फायदे एवं उपयोग / Benefits of Ashmari Har Kashaya
जैसा पहले भी बताया है की यह पत्थरी की समस्या में बहुत उपयोगी दवा है | इसके अलावा इससे पेट में वायु भर जाने एवं भारीपन की समस्या में भी बहुत फायदा होता है | आइये जानते हैं अश्मरीहर कषाय के फायदे :-
- यह कषाय सोम्य गुण वाला होता है |
- इसमें क्षार पर्पटी मिलाने से इसके क्षार गुणों में वृद्धि हो जाती है |
- जिससे यह पत्थरी को गला कर निकालने में बहुत लाभकारी सिद्ध होता है |
- पत्थरी की वजह से पेट एवं वृक्कशूल में दर्द की समस्या में भी यह बहुत उपयोगी है |
- इसके सेवन से पेशाब खुल कर आने लगता है |
- यह पेट में भारीपन की समस्या में भी कारगर है |
अश्मरीहर कषाय के नुकसान / Ashmari har kashaya side effects
यह औषधि सौम्य प्रकृति की है सामान्यतः इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं देखने को मिलता है | लेकिन गर्भवती महिलाओं एवं बच्चों का इसका इस्तेमाल चिकित्सक की सलाह से ही करना चाहिए | Ashmari har kashaya का उपयोग ताजा बना कर ही करें |
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- पत्थरी में त्रिविक्रम रस के फायदे
- कुल्थी से पत्थरी का इलाज
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- पत्थरी कीलर पौधा
सन्दर्भ / Reference
Ashmarihar kwath : world journal of pharmaceutical research