त्रिविक्रम रस गुर्दों में पत्थरी (Kidney Stone) की रामबाण आयुर्वेदिक दवा है | यह औषधि मूत्राशय के विकारों में भी उपयोगी है | गुर्दे की पत्थरी गुर्दे से लेकर मूत्राशय के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकती है | सामान्यतः पत्थरी बनती और निकलती रहती है, लेकिन कभी कभी अधिक बड़ा हो जाने या किसी हिस्से में रुक जाने से बहुत भयंकर दर्द झेलना पड़ता है |
सामान्य परिस्थियों में पानी अधिक पिने से पत्थरी धीरे धीरे गल के निकल जाती है | लेकिन विशेष परिस्थितियों में अगर यह मूत्राशय में फंस जाये तो संक्रमण होने का खतरा भी हो जाता है | ऐसे में दवाओं की सहायता से इसे निकालने की आवश्यकता होती है | त्रिविक्रम रस पत्थरी को गला कर निकालने के लिए एक अहम औषधि है | आइये जानते हैं इसके बारे में :-
त्रिविक्रम रस क्या है इसके घटक एवं बनाने की विधि |
यह एक शास्त्रोक्त आयुर्वेदिक औषधि है जिसका उपयोग गुर्दे की पत्थरी को निकालने के लिए किया जाता है | इस औषधि के सेवन से पत्थरी (Kidney Stone) गल जाती है एवं मूत्र के साथ निष्काषित हो जाती है |
त्रिविक्रम रस के घटक द्रव्य :-
- ताम्र भस्म – 20 तोला
- शुद्ध पारद – 20 तोला
- बकरी का दूध – 20 तोला
- शुद्ध गंधक – 20 तोला
- सम्भालू के पत्तो का रस – घोंटने के लिए
बनाने की विधि / Trivikram Ras Banane ki vidhi
त्रिविक्रम रस को बनाने के लिए निम्न विधि का उपयोग होता है :-
- इस औषधि को बनाने के लिए सबसे पहले ताम्र भस्म को बकरी के दूध में मंद आंच पर पकाएं |
- जब दूध पूरी तरह सुख जाये तो इसमें पारा एवं गंधक मिला दें |
- इसके बाद इस मिश्रण की कज्जली बना लें |
- अब इस कज्जली को अब एक दिन तक सम्भालू के रस में घोंट लें |
- अच्छे से घोंट लेने के बाद इसको सम्पुट में बंद कर दें |
- इस सम्पुट को बालुका यंत्र पर रख कर तीव्र आंच में पकाएं |
- एक प्रहार पकाने के बाद श्वांग शीतल होने दें |
- जब ठंडा हो जाये तो पिस कर रख लें |
त्रिविक्रम रस के फायदे एवं उपयोग / Trivikram Ras Benefits in Hindi
यह रस बहुत ही फायदेमंद औषधि है | जब पत्थरी गुर्दे या मूत्राशय में अटक जाये तो व्यक्ति को असहनीय दर्द सहना पड़ता है | त्रिविक्रम रस पत्थरी को गला देता है और धीरे धीरे गल के मूत्र के साथ इसका निकाश हो जाता है | जब मूत्रनली में पत्थरी फंस जाने से मूत्र में रूकावट उत्पन्न हो जाती है तो इसके साथ यवक्षार एवं शीतल प्रपटी के उपयोग करने से शीघ्र लाभ मिलता है | यह गुर्दे की पत्थरी निकालने एवं मूत्राशय के विकार दो दूर करने के लिए सबसे उपयोगी औषधि है |
सेवन एवं अनुपान कैसे करें :-
इसका सेवन एक से दो रत्ती की मात्रा में हजरुलयहूद की भस्म (3 रत्ती) शहद के साथ सेवन करें | इसके अलावा निम्बू की जड़ के रस को पानी में उबाल कर उसके साथ सेवन करें |
दुष्प्रभाव एवं सावधानियां / Precautions and Side Effects
इस औषधि में पारद, गंधक एवं ताम्र भस्म जैसे खनिजों एवं द्रव्यों का उपयोग होता है | इस कारण इसका उपयोग बहुत सावधानीपूर्वक करना चाहिए | ध्यान रखें की ज्यादा दिन तक इसका सेवन ना करें इससे दुष्प्रभाव हो सकते हैं | हमेशां चिकित्सक के दिशा निर्देशों के अनुसार ही इसका सेवन करें |
गुर्दे की पत्थरी का आयुर्वेदिक इलाज