गुर्दे की पत्थरी का इलाज
पेशाब के साथ निकलने वाले क्षारीय तत्व जब किन्ही कारणवश मूत्र के द्वारा बाहर नहीं निकल पाते और ये मूत्राशय , गुर्दे और मूत्र नलिका में एकत्र होकर कंकड़ का रूप ले लेते है इसे ही पत्थरी कहा जाता है | यह रोग मूत्र संसथान से संबंधित रोग है | इस रोग से पीड़ित व्यक्तियों की संख्या लगातार बढ़ रही है | आयुर्वेद एवं घरेलु चिकित्सा पद्धति के द्वारा आप इस रोग से छुटकारा पा सकते है | निचे बताये गए नुस्खो को आजमा कर आप गुर्दे की पत्थरी से राहत प्राप्त कर सकते है |
गुर्दे की पत्थरी में उपयोगी घरेलु नुस्खे
» गुर्दे की पथरी में कुल्थी का उपयोग रामबाण सिद्ध होता है | 250 ग्राम कुल्थी को 3 लीटर पानी में रात भर के लिए भिगो दे | सुबह इस पानी को आंच पर चढ़ा दे , जब पानी आधा रह जाए तब इसे निचे उतार कर ठंडा कर ले | अब 50 ग्राम गाय के देशी घी का इसमें छोंकन लगाये | छोंक में जायके के लिए सेंधा नमक , हल्दी , जीरा और काली मिर्च अल्प मात्रा में दाल सकते है | इस तैयार औषधि का उपयोग 250 ग्राम से 500 ग्राम की मात्रा में कर सकते है | इसका इस्तेमाल 1 से 2 सप्ताह तक लगातार करने से गुर्दे की कैसी भी पथरी हो गल कर निकल जायेगी |
» 250 ग्राम गाय के मट्ठे में 6 ग्राम जवाखार डालकर रोगी को सुबह शाम पिलाने से गुर्दे की पत्थरी के कारण होने वाले दर्द से छुटकारा मिलता है |
» 10 ग्राम इलायची के दाने , 10 ग्राम शिलाजीत एवं 6 ग्राम पीपल – इन सभी को बारीक़ पीसले | तैयार चूर्ण में 25 ग्राम की मात्रा में पीसी हुई मिश्री मिलाएं | इस चूर्ण का इस्तेमाल 1 – 1 चम्मच की मात्रा में सुबह – शाम करने से जल्द ही गुर्दे की पत्थरी से निजात मिलती है |
» गुर्दे की पत्थरी में मुली के बीज भी काफी फायदेमंद होते है | दो गिलास पानी में 30 ग्राम मुली के बीज डालकर आग पर अच्छी तरह उबाले | जब एक गिलास पानी बचे तो इसे छानकर दिन में दो बार सेवन करे | यह प्रयोग भी गुर्दे की पत्थरी में काफी लाभ देता है |
» गुर्दे की पत्थरी से होने वाले दर्द से बचने के लिए – काले लोहे की अंगूठी अपने सीधे हाथ की मध्यमा अंगुली में पहने | इससे गुर्दे की पत्थरी का दर्द कम होता है | दरश्ल मध्यमा अंगुली का दबाव बिंदु गुर्दे से संबंधित होता है | इसलिए अंगूठी पहनने से गुर्दे की पत्थरी के कारण होने वाले दर्द में आराम मिलेगा |
» पालक का रस एक कप एवं नारियल का पानी एक कप दोनो को मिलाकर नित्य 15 दिनों तक सेवन करने से गुर्दे की पत्थरी गल कर बाहर निकल जाती है |
» गाजर के बीज और शलजम के बीज – दोनों को 3 – 3 ग्राम की मात्रा में लेकर एक मुली को अन्दर से खोखला कर के इसमें भर दे | इस मुली का मुंह गाजर की छीलन से भर दे और इसे उपलों की आग में दबा दे | जब मुली भुन जाए तब इसे उपलों की आग से बाहर निकाल कर इसमें से बीज निकाल ले | बीजो को 2 – 2 ग्राम की मात्रा में सुबह – शाम सेवन करने से मूत्र की वर्द्धि होगी एवं पत्थरी भी गल कर बाहर निकल जायेगी |
» गोखरू का चूर्ण 10 की मात्रा में 25 ग्राम शहद में मिलाकर चाटने से भी गुर्दे की पथरी में आराम मिलता है | इसके साथ में प्याज का 4 चम्मच रस सुबह और शाम पीना काफी फायदेमंद साबित होता है |
गुर्दे की पत्थरी में पथ्य और अपथ्य आहार
जिस व्यक्ति को गुर्दे की पत्थरी हो उसे शीघ्र पचने वाले आहार ग्रहण करने चाहिए | गेंहू और जौ की रोटी , हरी सब्जियां, मुंग की दाल , मौसमी फल और इसका रस , जौ और नारियल का पानी का सेवन करना चाहिए | इसके आलावा पुराने चावल , मुली , गाजर , अदरक , दूध , मट्ठा , दही और निम्बू का रस भी पथरी के रोगी के लिए काफी लाभदायक सिद्ध होता है | अधिक पानी का सेवन करे ताकि मूत्र के आने की परवर्ती बढे और पथरी जल्दी ही बाहर निकले
मीठा , मक्खन , घी , तेल , चीनी , शराब , मांस , चाय , कोफ़ी और नशीले पदार्थो का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए | क्योकि इनके इस्तेमाल से पत्थरी और अधिक सख्त बनती है |
धन्यवाद |
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