चित्रक हरीतकी अवलेह आयुर्वेद की शास्त्रोक्त औषधि है | इसे आयुर्वेदिक ग्रन्थ भैषज्य रत्नावली के नासरोगाधिकार से लिया गया है | यह कफज व्याधियों की उत्तम आयुर्वेदिक दवा है | जुकाम, साइनस एवं खांसी आदि रोगों में बेहतरीन परिणाम देती है |
यह अवलेह एवं चूर्ण दोनों रूपों में बाजार में आसानी से उपलब्ध हो जाता है | पतंजलि, बैद्यनाथ, धुतपापेश्वर आदि फार्मेसी इसका निर्माण करती है |
अवलेह आयुर्वेद औषध निर्माण की कल्पना है जिसमे औषधि को आसानी से खाने योग्य बनाने के लिए शर्करा या शहद आदि को मिलाकर कर चाटने योग्य लेप बनाया जाता है |
इस चित्रक हरीतकी अवलेह में चित्रक एवं हरीतकी की प्रधानता होती है | इसलिए इसे चित्रक हरीतकी कहा जाता है |
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चित्रक हरीतकी अवलेह के घटक द्रव्य / Ingredients of Chitrak Haritaki Avleha in HIndi
- चित्रक
- हरीतकी
- आंवला
- गिलोय
- दशमूल (लघु पंचमूल एवं वृहत पंचमूल)
- त्रिकटु (सौंठ, मरीच एवं पिप्पली)
- तेजपता
- दालचीनी
- यवक्षार
- गुड
- शहद
इन घटक द्रव्यों से चित्रक हरीतकी अवलेह का निर्माण किया जाता है | यहाँ हमने इसकी निर्माण विधि के बारे में भी बताया है |
चित्रक हरीतकी बनाने की विधि / How to Make
सबसे पहले चित्रक, दशमूल, आंवला एवं गिलोय इन सभी को सामान मात्रा में लेकर काढ़े का निर्माण किया जाता है |
अब इस काढ़े में गुड एवं हरीतकी चूर्ण मिलाकर गरम किया जाता है | जब घोल गाढ़ा होने लगे तब इसे निचे उतार कर ठंडा कर के ऊपर से तेजपता, सौंठ, कालीमिर्च, पिप्पली, दालचीनी एवं शहद मिलाकर अवलेह तैयार कर लिया जाता है |
इस प्रकार से चित्रक हरीतकी का निर्माण किया जाता है |
निर्माण के लिए निम्न मात्राएँ निर्देशित है
- चित्रक, दशमूल, आंवला एवं गिलोय प्रत्येक 4.8 किग्रा
- गुड – 4.8 किग्रा
- हरीतकी 3.072 किग्रा
- त्रिकटु (कालीमिर्च, सौंठ एवं पिप्पली) – 96 ग्राम
- दालचीनी – 96 ग्राम
- तेजपता – 96 ग्राम
- यवक्षार – 24 ग्राम
- शहद – 384 ग्राम
चित्रक हरीतकी अवलेह के फायदे / Benefits of Chitrak Haritaki Avleha in Hindi
विशेष रूप से यह खांसी, जुकाम, अस्थमा एवं बार – बार होने वाले साइनस की समस्या में उपयोगी है | इसके आलावा अपने उष्ण प्रभाव के कारण पाचन गुणों से युक्त होकर कब्ज आदि की समस्याओं में भी फायदा देती है |
चित्रक हरीतकी फॉर साइनस / Chitrak haritaki for Sinusitis in Hindi
अगर साइनस की समस्या से पीड़ित है तो चित्रक हर्ताकी अवलेह आपके लिए लाभदायक होगा | आयुर्वेदिक चिकित्सक मुख्यत: बार – बार होने वाले साइनस में इसका उपयोग करवाते है |
यह प्राकृतिक रूप से आपके साइनस की समस्या में लाभदायक सिद्ध होती है |
सर्दी जुकाम एवं अस्थमा में चित्रक हरीतकी के फायदे
यह क्रोनिक अस्थमा, जुकाम एवं खांसी के उपचार में लाभदायक है | अस्थमा के उपचार में अन्य सहायक औषधियों के साथ इसका सेवन करवाया जाता है | यह शरीर में वात एवं कफ का शमन करती है | अत: सभी कफज व्याधियों में फायदेमंद रहती है |
सर्दी – जुकाम, खांसी एवं श्वांस आदि की समस्या में लाभदायक है |
इन रोगों के अलावा निम्न समस्याओं में इसका सेवन फायदेमंद रहता है |
- खांसी, जुकाम एवं अस्थमा में फायदेमंद |
- अपच एवं अजीर्ण में लाभदायक |
- कब्ज एवं पाचन विकारों में लाभदायक |
- अर्श |
- कृमि रोग |
- भूख की कमी |
- हाई कोलेस्ट्रोल
- मोटापा में भी प्रयोग करवाई जाती है |
- फ्लू |
चित्रक हरीतकी अवलेह सेवन की मात्रा
बच्चों में – 2 ग्राम तक की मात्रा में दिन में दो बार दूध के साथ सेवन करना चाहिए |
व्यस्क – 5 ग्राम तक दिन में दो बार दूध के साथ सेवन किया जा सकता है |
बुजुर्ग – 2 से 3 ग्राम सुबह – शाम दूध के साथ |
चित्रक हरीतकी मूल्य / Price of Chitrak Haritaki Avleha in Hindi
- Dubur Chitrak Haritaki – RS. 239
- Jhandu Chitrak Haritaki Avleha – RS. 111
- Nagarjuna’s Chitrak Haritaki Avleha – Rs. 132
- Baidyanath Chitrak Haritaki – Rs. 90 (50gram)
- Patanjali Chitrak Haritaki – Rs.
धन्यवाद |