आयुर्वेद में बहुत सी सौदर्य प्रसादन की दवाएं उपलब्ध है | कुंकुमादि तैलम त्वचा के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्द्धन करने एवं त्वचा के सामान्य विकार जैसे – कील – मुंहासे, तेलिय त्वचा, दाग – धब्बे आदि को दूर करने के लिए प्रमुखता से उपयोग में लिया जाता है |
वैसे आयुर्वेद चिकित्सा में कुमकुमादि तेल से नस्य (नाक में मेडिकेटिड आयल या घी डालना) भी दिया जाता है |
अगर आप त्वचा के सामान्य विकारों जैसे – दाग – धब्बे, कील – मुंहासे, रेसेज, तेलिय त्वचा आदि से परेशान है तो इस आयुर्वेदिक मेडिकेटिड आयल का इस्तेमाल कर सकती है | कुछ लोग इसे केसर का तेल भी कहते है |
यह कुमकुम अर्थात केसर के साथ अन्य विभिन्न जड़ी – बूटियों के सहयोग से निर्मित किया जाता है | आज इस आर्टिकल में हम आयुर्वेद के अनुसार कुंकुमादि तैलम बनाने की विधि, इसके निर्माण में काम आने वाली जड़ी – बूटियाँ अर्थात घटक द्रव्य, इसके फायदे एवं उपयोग के बारे में बताएँगे |
कुंकुमादि / कुमकुमादि तेल के घटक द्रव्य (जड़ी – बूटियाँ)
इस मेडिकेटिड आयुर्वेदिक तेल के निर्माण में लगभग 25 से अधिक आयुर्वेदिक जड़ी – बूटियों का प्रयोग किया जाता है | कुंकुमादि आयुर्वेदिक तेल का वर्णन भैषज्य रत्नावली आयुर्वेदिक ग्रन्थ में किया गया है | इसी के अनुसार हमने यहाँ इसमें प्रयुक्त जड़ी – बूटियों के बारे में बताया है –
- कुमकुम (केसर)
- मुलेठी |
- मंजिष्ठ |
- चन्दन |
- नील कमल |
- पद्माख |
- अग्निमंथ |
- स्योनाक |
- पृषनप्रणी |
- शालप्रणी |
- गंभारी |
- पाटला |
- गोखरू |
- हल्दी |
- कमल केशर |
- दारूहरिद्रा |
- महुआ |
- लाख |
- कटेरी |
- वृहती |
- उशीर |
- बेल |
- वचा |
- पतंगा |
- बरगद जटा |
- गोदुग्ध |
- तिल तेल |
कैसे बनता है कुंकुमादि तैलम (तेल) / बनाने की विधि
भैषज्य रत्नावली में इस आयुर्वेदिक तेल की निर्माण विधि का वर्णन किया गया है | उपरोक्त औषध द्रव्यों / जड़ी – बूटियों में से कुछ जड़ी – बूटियाँ क्वाथ निर्माण में काम में ली जाती है | कुछ से कल्क अर्थात लुग्दी बनायीं जाती है एवं तेल और गोदुग्ध में इन सभी द्रव्यों को पका कर तेल का निर्माण किया जाता है |
कुंकुमादि / कुमकुमादि तेल बनाने के लिए सबसे पहले क्वाथ का निर्माण किया जाता है | क्वाथ निर्माण के लिए मंजिष्ठ, चन्दन, श्योनाक, पाटला, गंभारी, बेल, बरगद, उशीर, अग्निमंथ, शालप्रणी, पृषनप्रणी, कटेरी, गोखरू, वृहती एवं दारूहल्दी को कूट छंट करके समान मात्रा में लेकर लगभग 8 लीटर जल में उबाल कर जब काढ़ा एक चौथाई बचे तब आग से निचे उतार कर छान लेते है |
अब कल्क (पेस्ट) का निर्माण किया जाता है | कल्क निर्माण के लिए पतंगा, लाख, महुआ आदि द्रव्यों को कूटकर पानी मिलाकर लुग्दी जैसा बना ले |
अब तैयार काढ़े में तिल का तेल (4 गुना) एवं गाय का दूध 8 गुना डालकर मंद आंच पर पकावे जब सब पानी उड़ जाए एवं केवल तेल बचे तो इसे आंच से उतार ले | केसर को खरल में डालकर थोड़ा गुलाब जल मिलाकर पेस्ट बना लें | इस पेस्ट को निर्मित तेल में मिलाकर अच्छी तरह से मिलालें | कुंकुमादि तेल तैयार है |
इस प्रकार से कुंकुमादि तेल का निर्माण किया जाता है |
कुंकुमादि / कुमकुमादि तैलम के फायदे
त्वचा से सम्बंधित रोगों में इस तेल का प्रयोग नस्य एवं बाहरी रूप से लगाने के लिए किया जाता है | यह सभी प्रकार की स्किन के लिए प्रयोग कर सकते है लेकिन ड्राई स्किन (सुखी त्वचा) में अधिक फायदेमंद है |
- हाइपर पिगमेंटेशन से डार्क हुई त्वचा में कुंकुमादि तेल लाभदायक है | यह डार्कनेस को हटाने में कारगर है |
- यह त्वचा की रंगत को सुधारने का कार्य करता है | इस आयुर्वेदिक तेल की मालिश करने से त्वचा में निखार आता है |
- पिम्पल्स अर्थात कील – मुंहासों में कुंकुमादि तेल की मालिश करने से छुटकारा मिलता है |इसके एंटीबैक्टीरियल गुण एवं एंटी इन्फ्लामट्री गुण कील – मुंहासों को हटाने में सहायक होते है |
- चेहरे की ड्राईनेस को दूर करने में उत्तम आयुर्वेदिक मेडिकेटिड आयल है | यह रुखी त्वचा पर अधिक फायदेमंद सिद्ध होता है | अगर आपकी स्किन ड्राई है तो इसकी मालिश करनी चाहिए |
कुमकुमादि फायदे
- आँखों के निचे पड़े काले घेरे में इस तेल का इस्तेमाल फायदेमंद रहता है | यह डार्क सर्किल को हटाने में समर्थ है | अगर आप डार्क सर्किल से परेशान है तो कुंकुमादि तेल की 4 – 5 बूंदों को प्रभावित स्थान पर 2 मिनट तक अच्छी तरह मालिश करने पर लाभ मिलता है |
- झाईयों की समस्या में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है | उम्र बढ़ने एवं अन्य शारीरिक विकारों के कारण चेहरे पर झाइयाँ पड़ जाती है | इस समस्या में कुमकुमादि तैलम की नियमित मालिश लाभदायक सिद्ध होती है | यह त्वचा के ऑक्सीडेशन को बढ़ा कर आपको जवान दिखाने में मदद करता है |
- इसे आप प्राकृतिक सनस्क्रीन (SunScreen) कह सकते है | कुंकुमादि तेल का मुख्य घटक कुमकुम (केशर) प्राकृतिक सनस्क्रीन होता है | यह आपको UV rays से बचाने का प्राकृतिक तरीका साबित होता है | धुप के कारण बेजान पड़ी त्वचा को सुधारने के लिए इसका प्रयोग किया जा सकता है |
- त्वचा के काले घेरे, झाइयों, पिम्पल्स एवं एक्ने में इस तेल का नस्य भी लिया जाता है | अष्टांग ह्रदय में कुंकुमादि तेल से नस्य का वर्णन मिलता है | नस्य – आयुर्वेद चिकित्सा में नाक के माध्यम से औषधीय तेल ग्रहण करना |
कुंकुमादि तेल की उपयोग विधि
इस तेल की त्वचा पर मालिश की जानी चाहिए | उपयोग करने के लिए सबसे पहले अपने हाथों को अच्छी तरह से धौलें |
अब कुंकुमादि तेल की 3 से 5 बुँदे लेकर चेहरे या प्रभावित स्थान पर अच्छी तरह से हल्के हाथों से मालिश करें |
मालिश करने के 3 घंटो तक इस अपनी त्वचा पर लगा रहने दें | इसके पश्चात पानी से धोलें |
अगर आपकी त्वचा ऑयली है तो आप इसे घंटे भर पश्चात साफ़ करलें | रुखी त्वचा में 3 से 4 घंटे तक लगा रहने दें |
कुंकुमादि तेल की प्राइस
विभिन्न आयुर्वेदिक फार्मेसी में इस तेल का निर्माण किया जाता है | वस्तुत: यह थोड़ा महंगा आयुर्वेदिक तेल है | यहाँ हमने कुछ अधिक प्रचलित फार्मेसी के कुमकुमादि आयल की प्राइस उपलब्ध करवाई है –
- Kerala Ayurveda Kumkumadi Oil Price (30ml) – RS. 930
- Kottakal KunKumadi Oil Price (10ml) – RS. 350
- Kama Ayurveda KumKumadi Oil Price (12ml) – RS. 2395
- Vasu KumKumadi Tailam Oil Price (25ml) – RS. 180
धन्यवाद |
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