चंदन (SandalWood)
परिचय – भारतीय उपमहाद्वीप में संसार का सबसे उत्तम कोटि का चंदन प्राप्त होता है | भारत में भी कर्नाटक राज्य में उच्च कोटि का चंदन पाया जाता है | चंदन के वृक्ष मध्यमाकृती के 15 से 20 मीटर तक ऊँचे होते है | सदा हरे – भरे रहने वाले बहुशाखीय वृक्ष होते है जो भारत में समुद्र तट से 600 से 900 मीटर ऊँचे स्थान एवं मलाय्द्विप में अधिक देखने को मिलते है | चंदन के तने में सुगन्धित तेल पाया जाता है जिसे आसवन विधि द्वारा प्राप्त किया जाता है | वृक्ष की जैसे – जैसे उम्र बढती है इसके तने और जड़ो में तेल की मात्रा भी बढ़ने लगती है |
चंदन के पते मुलायम , नुकीले और अंडाकार आकृति के होते है जो श्रंखलबद्ध तरीके से लगे रहते है | इसके फुल बैंगनी रंग के होते है जिनमे गंध नहीं आती , इसके बीज अकार में छोटे , कुच्छ कालापन लिए रहते है जो मांसल और गोल होते है |
चंदन का रासायनिक संगठन
चन्दन में एक प्रकार का उड़नशील तेल – सेंटलोल होता है , इसके अलावा चंदन में राल , टैनिक एसिड और सेंटलोल होता है जिसका उपयोग इत्र बनाने और अरोमाथेरेपी में किया जाता है |
चंदन के गुण – धर्म और रोगप्रभाव
चंदन का रस -तिक्त एवं मधुर होता है | यह रुक्ष, लघु, शीत और ग्राही गुणों से युक्त होता है | चंदन शीत वीर्य होता है एवं इसका विपाक कटु होता है | मुख्य रूप से कफपित्त शामक , खाज -खुजली और त्वचा विकारो में लाभकारी परिणाम देता है | चंदन में भी लाल चंदन ज्यादा औषध उपयोगी होता है | यह अतिसार ( दस्त ) , रक्तातिसार (खुनी दस्त) , दाह ( जलन ), छर्दी, तृषा, रक्तपित्त, मधुमेह और हृय्त्कंप आदि रोगों में प्रभावी होता है |
आयुर्वेदिक विशिष्ट योग – चन्दनादी लौह, चन्दनासव, चन्दनादी चूर्ण आदि |
मात्रा – चंदन के चूर्ण का सेवन 3 से 5 ग्राम तक किया जा सकता है एवं इसके तेल का उपयोग 5 बूंद तक करना चाहिए |
विभिन्न भाषाओँ में पर्याय
संस्कृत – चंदन , भद्र श्री, गंधसार , मलयज्ञ , श्री खंड, चन्द्रध्युती , तैलपर्णिका , कालीयक, हरिचंदन, हरिप्रिय , कालसार
हिंदी – चंदन , लालचंदन , सफ़ेद चंदन |
गुजराती – सुखड़ |
मराठी – चंदन |
बंगला – श्वेत चन्दन |
अंग्रेजी – Indian Sandal Wood |
लेटिन – Santam Album |
चंदन के फायदे / लाभ / Chandan ke Fayde
कील मुंहासो में चंदन का उपयोग
चंदन में एंटीबैक्टीरियल गुण प्रचुर मात्रा में होते है | चंदन के त्वचा पर प्रयोग से यह त्वचा के इन्फेक्शन को दूर करता है | चहरे पर अगर कील – मुंहासे और दाग धब्बे हो तो चन्दन के पाउडर का लेप चहरे पर करना चाहिए , जल्द ही इनसे छुटकारा मिलता है | चहरे की ग्लोविंग स्किन और कील – मुंहासो में बेहतर परिणाम पाने के लिए – आप चन्दन के साथ बराबर मात्रा में मंजिष्ठ , लोध्र , मुल्तानी मिटटी और हरिद्रा का चूर्ण मिलाकर फसपैक तैयार करले | इस फसपैक में गुलाबजल मिलाकर पेस्ट बनाले और चहरे पर इसका प्रयोग करे | कील – मुंहासो की समस्या के साथ – साथ चहरे की त्वचा भी निखर आएगी |
कंडू ( खुजली ) की समस्या में चंदन के फायदे
शरीर में कंही भी खाज – खुजली हो गई हो तो चन्दन के साथ हल्दी का पाउडर मिलाले | दोनों के मिश्रण में एक निम्बू निचोड़ दे | इस लेप का प्रयोग खुजली से प्रभावित त्वचा पर करे | जल्द ही आप देखेंगे की जहाँ खुजली थी वो अब ख़त्म हो चुकी है |
शरीर की बदबू को मिटाता है चन्दन
चंदन एक सुगन्धित द्रव्य है | इसका छोटा सा नुस्खा आपको शरीर में पसीने के कारण आने वाली दुर्गन्ध से दूर रख सकता है | अगर आप भी शरीर की दुर्गन्ध से परेशान है तो चन्दन के एक चम्मच पाउडर को एक कप पानी में अच्छी तरह मिला ले | इसका प्रयोग अपनी बगलों और पसीने वाली जगह पर करे | इस पानी का नियमित इस्तेमाल करने से आपके शरीर से आने वाली दुर्गन्ध चली जाएगी |
महिलाओं के दुर्गन्ध वाले मासिक स्राव में चन्दन के फायदे
महिलाओं में अक्सर मासिक धर्म से जुडी कई समस्याएँ होती है जिनमे से एक दुर्गंधित मासिक स्राव भी है | अगर आप भी अपने मासिक स्राव में दुर्गन्ध से परेशान है तो चंदन का काढ़ा इसका अच्छा उपाय है | 10 ग्राम चन्दन के पाउडर को 250 ml पानी में डाल कर उबाले , जब पानी एक चौथाई बच्चे तब इसे ठंडा करके उपयोग में ले | जल्द ही दुर्गन्ध वाला मासिक स्राव बंद हो जायेगा |
गर्भावस्था का बुखार में चंदन
महिलाओं में ग्रभावस्था के दौरान कई बार बुखार आ जाती है तब चंदन का काढ़ा फायदेमंद होता है | चंदन के साथ बराबर मात्रा में लोध्र , सारिवा और मुन्नका मिलाकर काढ़ा बना ले | काढ़े में मिश्री मिलाकर गर्भवती महिला को दिन में दो बार पीलावे , जल्द ही बुखार में राहत मिलेगी |
जलने पर चंदन के फायदे
अगर शरीर कंही से जल जावे और जलने से घाव बन जावे तो चंदन को पानी में घिस कर घाव वाली जगह लगाने से जल्दी ही घाव भरता है |
बालों के लिए चंदन का प्रयोग
बालों को सुन्दर और स्वस्थ बनाने के लिए चंदन के तेल का प्रयोग किया जा सकता है | चंदन का तेल शीतल और एंटीसेप्टिक गुणों से युक्त होने के कारण यह आपके बालों के स्वास्थ्य में भी अच्छा विकल्प साबित होता है | इसकी भीनी खुशबु आपको प्रशन्न और एक्टिव रखती है | रूखे और रुसी वाले बालो में चंदन का तेल उपयोग में लाना चाहिए |
धन्यवाद |
Sir mujhse nightfall dhat ki problem h iska madcine batye