क्या आप जानते हैं तालकेश्वर रस क्या होता है, यह क्या काम आता है, इसके घटक क्या हैं? और यह कैसे बनता है व किन रोगों में काम में लिया जाता है? अगर नहीं तो आज हम आपको बताने वालें हैं आयुर्वेद की शास्त्रोक्त औषधि तालकेश्वर रस के बारे में
यह तालकेश्वर रस कुष्ठ के रोगियों के लिए आयुर्वेद की एक क्लासिकल मेडिसिन है जो बहुत ही असरदार मेडिसिन है। कुष्ठ जैसी भयंकर बीमारी में जल्दी कोई दवा असर नहीं करती है परंतु तालकेश्वर रस के सेवन से जल्द ही लाभ होता है। इसके साथ ही यह सभी प्रकार के दूषित पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने के लिए उपयोगी रस है।
तालकेश्वर रस के सेवन से सभी प्रकार के कुष्ठ रोग दूर होते हैं इसके साथ ही आयुर्वेद में तालकेश्वर रस के बारे में कहा गया है कि यह एकमात्र औषधि है जो कुष्ठ जैसी भयंकर और दुर्लभ बीमारी को दूर करती है। तालकेश्वर रस सब प्रकार के कुष्ठ रोगों की महा औषधि है।
यदि आप भी तालकेश्वर रस के बारे में संपूर्ण जानकारी जानना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को आप अंतिम तक अवश्य पढे।आज इस आर्टिकल में हम आपको ताल केश्वर रस के घटक द्रव्य,बनाने की विधि तथा गुण व उपयोग के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देंगे तो चलिए जानते हैं।
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तालकेश्वर रस के घटक द्रव्य | Talkeshwar Ras Ingredients
तालकेश्वर रस को बनाने के लिए जिन औषधीय को उपयोग में लिया जाता है वह इस प्रकार है-
- शुद्ध हरताल – एक तोला
- सोना मक्खी भस्म– एक तोला
- शुद्ध मैंनेशिला– एक तोला
- शुद्ध पारद– एक तोला
- सेंधा नमक-एक तोला
- शुद्ध सुहागा– एक तोला
- शुद्ध गंधक – दो तोला
- शंख भस्म -दो तोला
- जंबीरी नींबू का रस
- शुद्ध बच्छनाग
इत्यादि घटक द्रव्यों को तालकेश्वर रस बनाने के लिए उपयोग में लिया जाता है।
तालकेश्वर रस बनाने की विधि | How to make Talkeshwar Rasa
तालकेश्वर रस- तालकेश्वर रस बनाने के लिए बताई गई सभी औषधीय को उनकी उचित मात्रा में इकट्ठा कर लें।
- अब सबसे पहले शुद्ध पारद और शुद्ध गंधक को उचित मात्रा में लेकर कजली तैयार कर ले।
- जब पारद और गंधक की कजली तैयार हो जाए तो उसमें ऊपर बताई गई सभी भस्मों को मिला लें।
- अब बची हुई औषधीय को कूटकर उनका चूर्ण बना ले।
- जब पारद और गंधक की कजली तथा सभी भस्म आपस में मिल जाए तो उसमें अन्य औषधीयो के चूर्ण को भी मिला लें।
- अब कज्जली,भस्म तथा अन्य औषधीय के चूर्ण को मिलाकर जंबूरी नींबू के रस में अच्छी तरह मिलकर एक ले अर्थात घोट ले।
- जब सभी औषधीय को अच्छी तरह से घोट कर तैयार कर लें तो औषधीय की मात्रा का 30वा भाग शुद्ध बच्छनाग भी मिला ले।
- अब इन सबको महीन चूर्ण बनाकर तैयार कर ले।
- जब बारीक चूर्ण बनाकर तैयार हो जाए तो शीशी में भरकर रख ले। ध्यान रहे की शीशी कांच की ही लें।
- इस प्रकार उपयुक्त विधि द्वारा हमारा ताल केश्वर रस बनाकर तैयार हो जाता है।
तालकेश्वर रस के गुण व उपयोग
आयुर्वेद में तालकेश्वर रस कुष्ठ रोग के इलाज में उपयोगी माना जाता है। कुष्ठ रोग एक त्वचा संबंधित रोग है जिसमें त्वचा पर दाद, खुजली, और चकत्ते हो जाते हैं तथा कई बार यदि इसका समय पर इलाज न किया जाए तो यह एक भयंकर रूप ले लेता है। तालकेश्वर रस के उपयोग से निम्नलिखित तरीकों से कुष्ठ रोग में लाभ होता है-
- शोधन प्रभाव- तालकेश्वर रस को शोधन की दृष्टि से उपयोगी माना जाता है इसके सेवन से शरीर के विषैले पदार्थ को बाहर निकाला जाता है क्योंकि कुष्ठ रोग का मुख्य कारण शरीर में विषैला पदार्थो का होना ही माना जाता है।
- रक्त शोधन में मदद करता है तालकेश्वर रस- कई बार शरीर में दूषित रक्त होने के कारण कुष्ठ रोग उत्पन्न हो जाता है ऐसी स्थिति में तालकेश्वर रस का सेवन करने से रक्त शुद्ध होकर संपूर्ण शरीर में परिभ्रमण करता हैं जिसके कारण जल्द ही कुष्ठ जैसी भयंकर बीमारी में लाभ देखने को मिलता है।
- सूजन को कम करने में सहायक तालकेश्वर रस- कुष्ठ जैसी बीमारी होने पर शरीर के कई हिस्सों पर सूजन आ जाती है ऐसी स्थिति में तालकेश्वर रस के सेवन से सूजन को कम किया जा सकता है, क्योंकि तालकेश्वर रस सूजन को कम करने में सहायक है। जिसके कारण भी कुष्ठ रोग को दूर करने में जल्द सहायता मिलती हैं।
- कुष्ठ रोग की महा औषधि है तालकेश्वर रस- तालकेश्वर रस सब प्रकार के कुष्ठ रोगों की महा औषधि है। कुष्ठ जैसी बीमारी में जल्दी कोई दवा असर नहीं करती है अतः इस रोग में दवा सेवन कल में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए ,लगातार कुछ महीनो तक दवा सेवन करने से लाभ होता है। इसके साथ ही केवल औसध सेवन से ही इस रोग में लाभ नहीं होता है अतः साथ ही में परहेज भी करने चाहिए उपयुक्त नियमों का पालन करते हुए अगर तालकेश्वर रस का सेवन किया जाए तो अवश्य ही कुष्ठ रोग से छुटकारा मिल सकता है।
तालकेश्वर रस की सेवन विधि व मात्रा
- 250-250mg की मात्रा में सुबह शाम सेवन कर सकते हैं।
- तालकेश्वर रस के साथ बावची चूर्ण और शहद तथा घी को न्यूनाधिक मात्रा में मिलाकर देना चाहिए।
- इसके साथ ही ऊपर से खदरा अरेस्ट खदिरारिष्ट या मंजिष्ठादि क्वाथ या अर्क पिलाना चाहिए इससे जल्द ही लाभ देखने को मिलता है।
- कुष्ठ रोग में तालकेश्वर रस के सेवन के समय रोगी को तेल, मिर्च, मसाला, नमक, खटाई, दूध, दही, मछली, मांस,शराब आदि से परहेज करना चाहिए।
- कुष्ठ रोगी को तालकेश्वर रस के सेवन के समय गेहूं या जो के साथ चने मिलाकर पिसाई हुए आटे की रोटी बनाकर चीनी और घी के साथ खानी चाहिए तथा साथ ही में दवा का सेवन करना चाहिए इससे जल्द ही लाभ देखने को मिलता है।