क्या है मृत संजीवनी सुरा, क्यों कहा जाता है इसे आयुर्वेदिक शराब?

आयुर्वेदिक शराब (दारू): दोस्तों मृत संजीवनी सुरा को आयुर्वेदिक शराब क्यों कहा गया है इस बारे में जानने से पहले शराब के ऊपर बात कर लेते हैं। शराब से कौन परिचित नहीं है, जो शराब के आदी हैं उन्हें या अमृत के समान लगती है और जो लोग शराब नहीं पीते हैं उनके लिए यह जहर है। लेकिन यह दोनों ही बातें ना तो पूरी तरह सही है और ना ही पूरी तरह गलत। आपने अपने बुजुर्गों से दवा दारू का नाम तो सुना ही होगा, दारू यानी शराब आयुर्वेदिक मेडिसिंस का एक स्वरूप है। 

आयुर्वेदिक शराब का उपयोग बहुत से रोगों को ठीक करने के लिए और फिजिकल हेल्थ बनाए रखने के लिए किया जाता था। अगर शराब का उपयोग आप नशे की बजाए अपने स्वास्थ्य और रोग को सही करने के लिए करते हैं तो यह बहुत लाभदायक होती है और ऐसे ही अगर आप किसी दवा का उपयोग भी नशे के लिए करने लग जाते हैं तो यह भी शराब के समान ही हानिकारक होती है। आयुर्वेद मैं कुछ ऐसी दवाई मौजूद है जिनकी तुलना आप शराब या दारू से कर सकते हैं।  मृत संजीवनी सुरा (Mrita Sanjivani Sura) भी ऐसी ही एक आयुर्वेदिक शराब है। इस लेख में हम इस आयुर्वेदिक शराब के सभी पहलुओं पर बात करेंगे।

Post Contents

क्या है मृत संजीवनी सुरा, क्यों कहा जाता है इसे आयुर्वेदिक शराब?

मृत संजीवनी सुरा

दोस्तों आयुर्वेद में मेडिसिंस के अलग अलग टाइप होते हैं जैसे वटी, चूर्ण, अवलेह, अर्क, आसव, अरिष्ट, भस्म और सुरा। इनमें से आसव अरिष्ट और सुरा ऐसी मेडिसिंस है जिनमें कुछ परसेंट एल्कोहल पाया जाता है। लेकिन इन दवाओं का उपयोग नशे की बजाए सामान्य दवा के रूप में किया जाता है। जिस तरह से आप दवा की थोड़ी सी मात्रा लेते हैं उसी तरह से आयुर्वेदिक मेडिसिंस जो सुरा स्वरूप की हैं, 20 से 30 ml तक की मात्रा में सेवन करना होता है। 

मृत संजीवनी सुरा भी फसल प्रकरण की आयुर्वेदिक शराब है जिसका उपयोग बहुत से रोगों को ठीक करने के लिए किया जाता है। आयुर्वेदिक मेडिसिन मुख्यतः पुरुषों के लिए बनाई गई है, लेकिन कुछ कंडीशन में इसका उपयोग महिलाएं भी कर सकती हैं। क्योंकि मृत संजीवनी सुरा में अल्कोहल की मात्रा ज्यादा होती है इसलिए इसे आयुर्वेदिक शराब कहा जाता है। जैसा कि आपको इसके नाम से ही प्रतीत हो रहा है यह बहुत ही प्रभावशाली दवा है माना जाता है कि इसका उपयोग करके मरते हुए व्यक्ति को भी जीवन प्रदान किया जा सकता है। 

जानिए आयुर्वेदिक शराब मृत संजीवनी सुरा के घटकों के बारे में | Mrita Sanjivani Sura Ingredients

मृत संजीवनी सुरा के गुण इसके इंग्रेडिएंट्स की वजह से ही हैं। बबूल की छाल, वासा, अतिविशा, अश्वगंधा, देवदारू, शालपर्णी, कंटकारी, गोक्षुर, बिल्व, श्योनक, धतूरा, अदरक आदि ऐसे घटक है जो फिजिकल और मेंटल हेल्थ के साथ साथ यौन शक्ति भी बढ़ाते हैं। इसी वजह से पुरुषों के लिए मृतसंजीवनी सुरा बहुत अधिक फायदेमंद होती है। यह अफ़रोडिसियक और इरॉटिक यानी पौरुष शक्ति और कामेच्छा दोनों बढ़ाती है। इसके सभी घटक नीचे दिए गए हैं

मृत संजीवनी सुरा के घटक

  • पुराना गुड़, अश्वगंधा, अतिविषा
  • बबूल त्वक, लाल चंदन, मोचरस
  • लज्जाली, वासा, देवदारु
  • बिल्व, श्योनाक, पाटला
  • शालप्रणी, प्रश्नप्रणी, बृहती
  • कंटकी, गोक्षुर, इंद्रावरूणी
  • कोला, लौंग, धतूरा
  • एरंड, पद्मका, उशीरा
  • शतपुष्प, यामिनी, जटामांसी
  • दालचीनी, कालीमिर्च, मुस्तक
  • ग्रंथिप्रणी, मेशाश्रृंगी, सफेद चंदन
  • जायफल, जीरा, इलायची

मृत संजीवनी सुरा के फायदे और उपयोग (Uses and Benefits)

मृत संजीवनी सुरा एक आयुर्वेदिक वाइन प्रोडक्ट है। यह बहुत ही पौष्टिक और देह को बल देने वाली आयुर्वेदिक शराब है। डाइजेशन की प्रॉब्लम और सन्निपात फीवर जैसी समस्याओं में इसका उपयोग करना बहुत फायदेमंद रहता है। ऐसे मरीज जिनका शरीर पूरी तरह से ठंडा पड़ जाता है उनके लिए यह शराब जीवनदायिनी है। पुरुषों के लिए बल्यवर्धक और यौन शक्ति बढ़ाने वाली यह आयुर्वेदिक मेडिसिन नपुंसकता जैसी समस्या में बहुत यूजफुल है। इसके फायदे और उपयोग नीचे दिए गए हैं।

Mrita Sanjivani Sura के फायदे और उपयोग ये हैं:

  • पौष्टिक और बलवर्धक
  • Digestion इंप्रूव करे
  • फीवर में उपयोगी
  • जीवनीय शक्तिदायक
  • वाजीकारक गुणों वाली शराब
  • ब्लड को प्यूरिफाई करे
  • स्किन टोन सुधारे
  • इम्यूनिटी बढ़ाए
  • भूख बढ़ाए

इस तरह से सेवन करेंगे तो गुणकारी होगी ये आयुर्वेदिक दवा | How to use Mrita Sanjivani Sura

दारू हो या दवा आप उसका उपयोग किस तरह से कर रहे हैं इस पर ही डिपेंड करता है की वो आपके लिए फायदेमंद होगी या नुकसान दायक। सही समय पर सही मात्रा में और सही पथ्य अपथ्य के साथ यूज की गई सभी मेडिसिन आपके लिए हमेशा फायदेमंद ही होंगी। इसलिए जब आप मृत संजीवनी सुरा का उपयोग करते हैं तो इसके बारे में पूरी तरह से जान लेना चाहिए की इसकी सही डोजेस क्या हैं और किस कंडीशन में इसका उपयोग नहीं करना चाहिए। 

ऐसे सेवन करेंगे तो मृत संजीवनी सुरा (Mrita Sanjivani Sura) बहुत लाभदायक होगी:

  • Doses – 10 से 20 ml मात्रा में
  • हल्के पथ्य भोजन के साथ
  • रात में खाने से पहले
  • रोगानुसार
  • तीन महीने के लिए

इन कंडीशन में बिल्कुल उपयोग नहीं करें या वैद्य की सलाह से ही सेवन करें:

  • डायबिटीज या हाई बीपी जैसी समस्या होने पर
  • शराब की लत होने पर
  • लिवर की समस्या होने पर
  • प्रेगनेंसी होने पर
  • दूध पिलाती महिला को बिना चिकित्सक की सलाह के उपयोग नहीं करना चाहिए
  • एलोपैथिक मेडिसिन के साथ
  • एलर्जिक रिएक्शन होने पर

कैसे बनती है आयुर्वेदिक शराब ”मृत संजीवनी सुरा”

Mrita Sanjivani Sura एक आयुर्वेदिक मेडिसिन है। यह आसव प्रकरण की दवा है। जिस तरह से वाइन बनाते हैं उसी तरह से मृत संजीवनी सुरा को बनाया जाता है। इसके लिए एक साल पुराना गुड़ पिघालकर उसमे अन्य सभी द्रव्यों का पाउडर मिला दिया जाता है। अब बर्तन को मुंह ढककर अनाज में दबा दिया जाता है। इसके बाद सोलह दिन हो जाने पर इसे मयूर यंत्र में डाल कर 4 दिन के लिए रखा जाता है। इस तरह से आपकी आयुर्वेदिक दारू मृत संजीवनी सुरा तैयार हो जाती है।

कितनी पुरानी मृत संजीवनी सुरा पी सकते हैं, इसका रख रखाव कैसे करें? 

जीवनीय शक्ति वाली इस आयुर्वेदिक शराब को आप 10 साल तक उपयोग कर सकते हैं। ध्यान रखें कि यह बोतल में बंद हो और ठंडी जगह पर रखी जाए। मृत संजीवनी सुरा एक आसव है और इसकी लाइफ अन्य आयुर्वेदिक मेडिसिन से ज्यादा होती है।

क्या मृत संजीवनी सुरा से नशा हो सकता है?

जी हां, ऐसी सभी दवाएं जो आसव, अरिष्ट और सुरा प्रकरण की हैं में एल्कोहल पाया जाता है। मृत संजीवनी सुरा की बात करें तो इसमें 12 से 16 प्रतिशत तक अल्कोहल की मात्रा होती हैं। इसका अधिक मात्रा मैं उपयोग करने पर नशा हो सकता है। ध्यान रखें कि यह एक आयुर्वेदिक मेडिसिन है इसका उपयोग शराब की तरह नहीं करना चाहिए।

मृत संजीवनी सुरा कहां से खरीदें, क्या यह ऑनलाइन उपलब्ध है?

क्योंकि मृत संजीवनी सुरा एक आयुर्वेदिक शराब है, बिना प्रिसक्रिप्शन के यह उपलब्ध नहीं है। आयुर्वैदिक मेडिसिन मैन्युफैक्चरर कंपनी बैद्यनाथ, डाबर और आर्य वैद्य साला कोट्टक्कल मृत संजीवनी सुरा बनाती है। अगर आप मृत संजीवनी सुरा का सेवन करना चाहते हैं तो पहले आयुर्वेदिक डॉक्टर को दिखाकर प्रिसक्रिप्शन प्राप्त करना पड़ेगा।

आयुर्वेदिक शराब मृत संजीवनी सुरा के नुकसान और प्रिकॉशंस

दवा और दारू में बस इतना ही फर्क होता है कि, दवा का उपयोग हम अपनी हेल्थ को बनाए रखने के लिए या किसी बीमारी को ठीक करने के लिए करते हैं और शराब/दारु का उपयोग नशे के लिए करते हैं। मृत संजीवनी सुरा में भी अल्कोहल की मात्रा पाई जाती है, इसलिए इसका उपयोग नशे के लिए किया जा सकता है। आयुर्वेदिक वैद्य के निर्देशानुसार दवा के रूप में मृत संजीवनी सुरा का उपयोग करने पर कोई भी नुकसान नहीं होता है। यह आयुर्वेदिक शराब जीवनी शक्ति दायक है और पुरुषों के लिए तो यह बहुत ही अधिक फायदेमंद है। इसलिए इसका उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सक द्वारा बताई गई विधि से और पथ्य अपथ्य का ध्यान रखकर ही करना चाहिए। 

ध्यान रखें: रेगुलेशंस के हिसाब से मृत संजीवनी सुरा के लिए अधिकतम अल्कोहल प्रतिशत 16% है। अगर कोई भी दवा कंपनी से अधिक एल्कोहल वाली मृत संजीवनी सुरा बनाती है तो यह ड्रग्स डिपार्टमेंट के नियमों के खिलाफ है। इसलिए इस दवा को खरीदने से पहले इसका अल्कोहल प्रतिशत जरूर चेक कर ले।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *