चांगेरी (Indian sorrel) : यह भारत वर्ष में सभी उष्ण प्रदेशों में पाए जाने वाली वनस्पति है | इसकी दो प्रजातियां होती हैं छोटी चांगेरी एवं बड़ी चांगेरी | औषधीय गुणों के आधार पर छोटी चांगेरी का उपयोग ही चिकित्सा के लिए किया जाता है | इस वनस्पति का वर्णन चरक संहिता में मिलता है जिसमें मुख्यतः इसे अतिसार और अर्श जैसे रोगों के लिए उपयुक्त बताया गया है |
चांगेरी एक परिचय :-
जड़ी बूटी का नाम (Name of Herb) | चांगेरी (Indian sorrel) |
कुल (Family) | Oxalidaceae |
प्रकार (type) | जमीन पर फैलने वाला पौधा |
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Oxalis corniculata Linn. |
अंग्रेजी नाम (English Name) | Indian sorrel |
संस्कृत नाम (Sanskrit Name) | चांगेरी, दंतशठा, कुशली |
उत्पति स्थान (place) | भारत में उष्ण प्रदेशो में |
औषधीय गुण (Medicinal Properties) | कफ़ एवं वात शामक, पित्त वर्धक, दीपन, ज्वरघ्न |
रासायनिक संघटन (Chemical composition) | वाईटेसिन, ओक्सेलिक अम्ल, विटामिन सी साइट्रिक अम्ल, टारटरिक अम्ल |
रोगों में प्रयोग (uses ) | नेत्र रोग, शिरो रोग, कर्ण रोग, उदर रोग, त्वचा रोग |
चांगेरी (indian sorrel) क्या है, इसका परिचय औषधीय गुण एवं रोगानुसार लाभ
यह भारत में उष्ण प्रदेशों एवं हिमालय में पाई जाने वाली वनस्पति है | यह सभी ऋतुओं में पाई जाती है | इसका उपयोग आयुर्वेद औषधियों में किया जाता है | उदर रोगों में यह बहुत लाभदायक है | इस लेख में हम चांगेरी के बारे में सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध करा रहें है |
लिंग का ढीलापन कैसे दूर करें ?
चांगेरी का वानस्पतिक एवं अन्य भाषाओँ में नाम / Changeri Botanical and other names
संस्कृत में भी इसे चांगेरी के नाम से ही जाना जाता है | भारत में अलग अलग स्थानो एवं भाषाओँ में इसे अलग अलग नाम से जाना जाता है | आइये जानते हैं इसके बारे में :-
चांगेरी (Changeri) :-
- Botanical Name (वानस्पतिक नाम ) – Oxalis corniculata linn.
- English name (अंग्रेजी नाम) – Indian sorrel, Sour weed
- Hindi Name (हिंदी नाम) – चांगेरी, तिनपतिया, अंबिलोना, चूकालिपती
- Sanskrit Name (संस्कृत नाम) – चांगेरी, दंतशठा, कुशली, अम्लपत्रक
- Urdu (उर्दू) – तिनपतिया
- Kannad (कन्नड़) – सिबर्गी
- Gujarati Name (गुजराती नाम) – आम्बापोती, अम्बोली
- Telagu Name (तेलगु नाम) – पुलि चिन्ता
- Tamil name (तमिल नाम) – पुलियारी
- Bengali Name (बंगाली) – अमरुल
- Punjabi name (पंजाबी नाम) – खट्टी बूटी, अमरुल, सुरची
- marathi name (मराठी नाम) – आंबुटी (Ambuti)
- malayalam name (मलयालम नाम) – पोलियाराला
चावल के औषधीय गुण एवं उपयोग की जानकारी
चांगेरी का स्वरुप एवं प्रकार :-
इसकी दो प्रजातियां होती हैं |
- छोटी चांगेरी – यह ६ से २५ सेमी. लंबी जमीन पर फैलने वाली, आरोही और शाकीय होती है | इसके पत्र छोटे एवं गोलाकार होते हैं | इसके पुष्प पीले वर्ण के गुच्छों में लगे होते हैं | इसके फल २ सेमी तक लम्बे होते हैं जिनमें बीज होते हैं | आयुर्वेद में अधिकतर इसी चांगेरी का औषधीय उपयोग होता है |
- बड़ी चांगेरी – यह ५ से १५ सेमी. लंबा पौधा होता है | कोमल, काण्डरहित एवं शाकीय पौधा है | इसके पत्र छोटी चांगेरी के अपेक्षा बड़े होते हैं एवं इसके फूल सफ़ेद वर्ण के होते हैं | इसके फल भी थोड़े बड़े होते हैं |
रासायनिक संघटन / Chemical properties
इसमें निम्न रासायनिक तत्व पाए जाते हैं :-
- वाईटेसिन
- ओक्सेलिक अम्ल
- विटामिन सी
- साइट्रिक अम्ल
- टारटरिक अम्ल
चांगेरी के औषधीय गुण और प्रभाव / Medicinal properties of changeri
छोटी चांगेरी :- यह आयुर्वेद में अधिक उपयोग में ली जाती है इसका उपयोग अनेक रोगों एवं दवाओं में किया जाता है | आइये जानते हैं इसके औषधीय गुण एवं प्रभाव क्या हैं :-
- कषाय एवं उष्ण होती है |
- कफ़ एवं वात का शमन करने वाली होती है |
- यह पित्तवर्धक है |
- यह शोथहर (सुजन कम करने वाली) है |
- रुचिवर्धक और दीपनीय है |
- यह विटामिन C का अच्छा स्रोत है |
- वेदनाशामक, पाचक और वातानुलोमक है |
बड़ी चांगेरी :- यह शीतल, मूत्रल और शीतादरोधी गुणों वाली है |
खाज खुजली और दाद की आयुर्वेदिक दवा
चांगेरी के रोगानुसार प्रयोग एवं फायदे / Changeri uses and benefits in ayurveda
यह जड़ी बूटी विटामिन C और अन्य रासायनिक अम्लों का अच्छा स्रोत है | इसका उपयोग अतिसार, अजीर्ण एवं अर्श जैसे रोगों में अधिक किया जाता है | आइये जानते हैं रोगानुसार इसका उपयोग कैसे किया जाता है और क्या क्या फायदे हैं :-
उदर रोगों को ठीक करने के लिए चांगेरी का उपयोग बहुत फायदेमंद है :-
चांगेरी का उपयोग उदर के सभी विकारों में लाभकारी है | इसका निम्न पेट के रोगों में उपयोग किया जाता है :-
- पेट दर्द :- चांगेरी के पत्र का क्वाथ भुनी हुयी हींग के साथ सेवन करें |
- जलन और बेचैनी :- पत्रों को पीस कर मिश्री मिलाकर सेवन करें |
- अतिसार :- चांगेरी का स्वरस पियें |
- जीर्ण अतिसार :- चांगेरी के पत्तो को तक्र या दूध में उबाल कर दिन में दो से तीन बार सेवन करें |
- अग्निमांध :- इसके पत्रों और पुदीना पत्रों को पीस कर पिने से लाभ होता है |
- मंदाग्नि :- चांगेरी के पत्तों की चटनी बना कर खाने से पाचन ठीक होता है और भूख बढती है |
बवासीर रोग में चांगेरी के फायदे एवं उपयोग :-
चांगेरी का उपयोग सभी प्रकार के गुदा रोगों में किया जाता है | इनका उपयोग निम्न प्रकार किया जाता है –
- बवासीर – निशोथ, दंती, पलाश, चांगेरी, चित्रक के पत्तों के शाक को घी या तेल में भुनकर दही मिलाकर सेवन करने से शुष्कअर्श में बहुत लाभ होता है |
- गुदभ्रंश – चांगेरी घृत का सेवन करने से इसमें बहुत लाभ होता है |
- 5 – 10 मिली चांगेरी पंचांग का स्वरस का सेवन करने से अर्श में लाभ होता है |
- चांगेरी पंचांग को घी में सेंक कर शाक बनाकर दही के साथ सेवन करने से बवासीर में फायदा होता है |
सर दर्द होने पर करें चांगेरी का उपयोग :-
चांगेरी के रस में समान मात्रा में प्याज का रस मिलाकर सेवन सर पर लेप करने से दर्द में राहत मिलती है |
नेत्रों के लिए गुणकारी है चांगेरी का उपयोग करना :-
आँखों में जलन, पानी आना आदि रोगों में यह जड़ी बूटी बहुत उपयोगी है | इसके स्वरस को आँखों पर लगाने से इन सभी समस्याओं में लाभ मिलता है |
कान के रोगों में भी उपयोगी है चांगेरी :-
इसके पंचांग के स्वरस को कान में डालने से कान में दर्द एवं सुजन की समस्या में लाभ होता है |
त्वचा रोगों में चांगेरी का क्या उपयोग है ?
इसका उपयोग पित्त जन्य त्वचा विकारों में किया जाता है | इसके पंचांग के स्वरस को काली मिर्च चूर्ण तथा घृत के साथ मिलाकर लगाने से पित्त जन्य त्वचा रोगों में बहुत फायदा होता है |
धतूरे का नशा उतारने के लिए भी उपयोगी है चांगेरी :-
धतूरे का नशा उतारने के लिए चांगेरी के पत्तो का स्वरस पीना चाहिए | 20 से 40 ml इसके पत्तो का रस पिने से धतूरे का नशा उतर जाता है |
चांगेरी के दुष्प्रभाव क्या हैं / side effects of changeri
यह जड़ी बूटी अनेकों रोगों के इलाज के लिए काम आती है | सामान्यतः इसका कोई विशेष दुष्प्रभाव देखने को नहीं मिलता है | यह पित्त वर्धक है इसलिए पित्त वृद्धि के कारण होने वाले रोगों में इसका उपयोग नहीं करना चाहिए | ध्यान रखें की चिकित्सक की सलाह से ही इसका उपयोग करें |
FAQ / सवाल जवाब
यह भारतवर्ष में सभी उष्ण प्रदेशो में पायी जाती है |
Oxalis corniculata Linn.
indian sorrel और sour weed
यह उष्ण वीर्य एवं कषाय गुणों वाली है | कफ और वात का शमन करती है एवं पित्त वर्धक है |
इसकी दो प्रजातियां होती हैं | छोटी चांगेरी एवं बड़ी चांगेरी
छोटी चांगेरी का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है |
उदर रोग, अजीर्ण, अतिसार, अर्श, कानों के रोग, नेत्र रोग आदि में किया जाता है |