चंदनादि वटी (Chandanadi Vati) : उपयोग, गुण, फायदे एवं नुकसान

चंदनादि वटी (Chandanadi Vati) : चंदन का आयुर्वेद में बहुत महत्व है | शीत वीर्य एवं मूत्रल होने के कारण इसका उपयोग सभी प्रकार के मूत्र रोगों में किया जाता है | चंदन का उपयोग अनेकों शास्त्रोक्त औषधियों में किया जाता है | चंदनादि वटी इसी तरह की आयुर्वेदिक दवा है | यह औषधि लगभग सभी प्रकार के मूत्र रोगों में उपयोगी है | आइये जानते हैं इसके बारे में :-

औषधि का नाम (Name)चंदनादि वटी (Chandanadi Vati)
स्वरुप (Type)गोली / वटी
परिकल्पना (Hypothesis)वटी प्रकरण
प्रमुख द्रव्य (Main ingredient)चंदन
उपयोग (Uses)मूत्र विकार, मूत्रकृछ, पेशाब में जलन / मवाद
सेवन का तरीका (How to use)2 से 3 गोली दिन में तीन बार ठन्डे जल से
रोग (Disease)सुजाक, मूत्र विकार, पेशाब में जलन आदि
दुष्प्रभाव (side effects)कोई ज्ञात दुष्प्रभाव नहीं
चंदनादि वटी (Chandanadi Vati)

चंदनादि वटी क्या है / What is Chandanadi vati ?

सफ़ेद चंदन, सफ़ेद राल, कबाब चीनी जैसे घटकों से बनी यह औषधि अत्यंत गुणकारी है | इसका उपयोग सभी प्रकार के मूत्र विकारों में किया जाता है | शरीर में अत्यधिक गर्मी या अन्य कारणों से पेशाब में जलन होना, मूत्र मार्ग में मवाद पड़ जाना, सुजाक जैसे रोगों में इसका उपयोग बहुत फायदेमंद होता है | इसका उपयोग चिकित्सक की सलाह से करने पर इन सभी रोगों में बहुत जल्दी राहत मिलती है |

गुणकर्म एवं प्रभाव / medicinal properties

  • मूत्र विकार नाशक
  • शीतल
  • व्रणरोपक
  • दाह शामक

चंदनादि वटी के घटक / Contents of Chandanadi vati

  • श्वेत चंदन का बुरादा
  • छोटी इलायची के बीज
  • कबाबचीनी
  • सफ़ेद राल
  • गंध बिरोजा का सत्व
  • कत्था
  • आमला

यह सभी चार चार तोला की मात्रा में लें | इनके अलावा गेरू 2 तोला, कपूर 1 तोला, 1 तोला उत्तम चंदन तेल और 4 तोला रसोत का उपयोग होता है | रसोत को शुद्ध करके उपयोग में लें |

बनाने की विधि / Preparation process

इसको बनाने के लिए सभी चूर्ण बनाने योग्य जड़ी बूटियों का महीन चूर्ण बना लें | अब इसमें उत्तम चंदन तेल और रसोत मिला कर ३-३ रत्ती की गोलियां बना लें |

चंदनादि वटी के फायदे

चंदनादि वटी के उपयोग एवं फायदे / Chandanadi vati uses and benefits

चंदन के गुणों से भरपूर यह औषधि सभी प्रकार मूत्र रोगों में अत्यंत गुणकारी है | सुजाक या मूत्रकृच्छ होने पर पेशाब में भयंकर जलन और वेदना होती है | ऐसे में चंदनादि वटी का उपयोग करने से बहुत फायदा होता है | यह शीत वीर्य एवं मूत्रल गुणों वाली दवा है | इसके सेवन से मूत्र विकारों का नाश होता है |

सुजाक रोग में फायदे :- यह रोग होते ही रोगी को मूत्रनली के मुंह पर खुजली होना जलन होना आदि होने लगता है |पेशाब गर्म और लाल होती है एवं पेशाब करते समय अत्यंत जलन होती है | जैसे जैसे यह रोग बढ़ता है मवाद पड़ जाना, अंडकोष में दर्द होना जैसी समस्याएं होने लगती हैं | ऐसी अवस्था में चंदनादि वटी का उपयोग करने से शीघ्र लाभ होने लगता है | इसका प्रभाव सीधा मूत्र नली पर होता है एवं जल्द ही मूत्र विकारों का नाश होने लगता है |

मूत्रकृच्छ रोग में उपयोग :- चंदनादि वटी शीत वीर्य, मूत्रल एवं व्रणरोपक होने के कारण मूत्रकृच्छ रोग में बहुत उपयोगी है | इसका उपयोग करने पर पेशाब खुल कर साफ आने लगता है |

नुकसान और सावधानियां / Side effects

यह औषधि पुर्णतः सुरक्षित है इसके कोई ज्ञात दुष्प्रभाव नहीं है | चिकित्सक के बताये अनुसार इसका उपयोग करने से बहुत लाभ होता है | ध्यान रखें किसी भी दवा का उपयोग चिकित्सक के दिशा निर्देशों पर ही करना चाहिए |

FAQ/ सवाल जवाब

चंदनादि वटी का उपयोग किसे करना चाहिए ?

यह औषधि मुख्यतः मूत्र विकारों में उपयोगी है | इसका उपयोग सभी प्रकार के मूत्र विकारों में चिकित्सक की सलाह से किया जा सकता है |

क्या इस दवा का उपयोग करने से नींद आती है ?

चंदनादि वटी के उपयोग से ऐसा कोई प्रभाव नहीं होता है |

क्या चंदनादि वटी का उपयोग अंग्रेजी दवाओं के साथ किया जा सकता है ?

हाँ इसका उपयोग अंग्रेजी दवाओं के साथ कर सकते हैं | 15 से 20 मिनट का अंतराल रखें |

चंदनादि वटी का प्रधान द्रव्य क्या है ?

जैसा नाम से प्रतीत हो रहा है इसका प्रधान द्रव्य चंदन (श्वेत) है |

चंदनादि वटी का सेवन कैसे करें ?

इसकी दो से तीन गोली दिन में तीन बार ठन्डे जल के साथ लेनी चाहिए |

क्या चंदनादि वटी का उपयोग करने से नशा होता है ?

नहीं |

धन्यवाद ||

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