संचेतनी बटी मानसिक चेतना को बल देने वाली आयुर्वेदिक औषधि है | इस बटी में ह्रदय मस्तिष्क एवं वातवाहिनी नाड़ियो को चेतना देने वाले गुण होते हैं | इस लेख में हम इस बटी के घटक द्रव्यों, बनाने की विधि एवं इसके फायदे एवं नुकसान के बारे में जानेंगे |
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जानें संचेतनी बटी के घटक द्रव्य एवं बनाने की विधि
यह औषधि बटी प्रकरण की दवा है इसे बनाने के लिए निम्न जड़ी बूटियों का उपयोग किया जाता है |
- सोंठ, पीपलामूल
- वायविडंग, चित्रक
- दालचीनी, तेजपात
- जावित्री, शुद्ध कुचला
- शुद्ध बच्छनाग, मल्ल भस्म
- ताम्र भस्म, कस्तूरी
- भांगरे का रस
संचेतनी बटी बनाने की विधि
उपर बताई गयी जड़ी बूटियों को समान मात्रा में लें | इन सभी जड़ी बूटियों का महीन चूर्ण बना लें | अब इन्हें खरल में डाल भांगरे के रस के साथ अच्छे से मर्दन करें | जब गोली बनाने लायक हो जाये तो एक एक रत्ती की गोलियां बना कर सुखा लें |
अनुपान एवं सेवन की विधि
तीव्र सन्निपात में एक एक गोली दो या तीन घंटे के अन्तराल से गुनगुने पानी के साथ दे | जब रोग का वेग कम हो जाए तो 6 घंटे के अन्तराल से सेवन कराएँ |
संचेतनी बटी के फायदे एवं उपयोग
यह औषधि ह्रदय, मस्तिष्क एवं वातवाहिनी नाड़ियो को चेतना देने वाली है | इसके सेवन से रक्त में गर्मी पैदा होती है एवं नाड़ी में रक्त का संचालन पैदा होता है | कफ़ एवं वात प्रधान सन्निपात में इसका उपयोग ज्यादा होता है | सन्निपात में बेहोशी की हालत में संचेतनी बटी का उपयोग करने से शीघ्र लाभ होता है |
ये हैं फायदे :-
- इस दवा के सेवन से शरीर में चेतना जागृत होती है |
- हृदय एवं मस्तिष्क सुन्न हो जाने पर इसके सेवन से रक्त का संचार शुरू होकर पुनः चेतना आ जाती है |
- यह मस्तिष्क की शक्ति बढाती है |
- मरणासन्न व्यक्ति को इसका सेवन कराने से एक बार शरीर में चेतना आ जाती है |
- उसके बाद व्यक्ति को हृदय को बल देने वाली औषधियां
- जैसे मकरध्वज, मोती भस्म, स्वर्ण भस्म आदि का सेवन करा के बचाया जा सकता है |
- यह वात एव कफ़ जनित सन्निपात में बहुत लाभदायक है |
संचेतनी बटी के नुकसान
यह औषधि शरीर में अत्यंत गर्मी पैदा करती है एवं सन्निपात जैसे रोग में ही उपयोग में ली जाती है | इसका उपयोग हमेशा चिकित्सक की सलाह से ही करना चाहिए |
धन्यवाद !
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