क्रव्याद रस पाचन शक्ति बढाने वाली प्रसिद्ध आयुर्वेदिक औषधि है | आधुनिक समय में आहार विहार बहुत विकृत हो चूका है | इस आधुनिकता की चकाचोंध में हम न तो स्वस्थ दिनचर्या का पालन करते हैं और न ही पथ्य आहार का सेवन करते हैं | इस तरह की असंतुलित जीवन शैली के कारण आज अनेकों रोगों ने हमें घेर लिया है | अपच रहना, भूख ना लगना, गैस की समस्या, अम्लपित्त, अग्निमांध, अजीर्ण एवं जलोदर जैसे रोग आज आम बात है |
हमारा पाचन इतना ख़राब हो गया है की थोडा सा गरिष्ठ भोजन (देर से पचने वाला) कर लेने से पेट दर्द, गैस एव कब्ज जैसी समस्या हो जाती है | क्रव्याद रस इन सब परेशानियों को दूर करने की क्षमता रखता है | यह गरिष्ठ से गरिष्ठ भोजन को भी 6 घंटे में पचा देता है |
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क्रव्याद रस बनाने की विधि एवं घटक द्रव्य :-
यह एक शास्त्रोक्त आयुर्वेदिक औषधि है | इसको बनाने के लिए निम्न घटक द्रव्यों या जड़ी बूटियों को उपयोग में लिया जाता है :-
- ताम्र भस्म – २ तोला
- लौह भस्म – २ तोला
- शुद्ध टंकण (भूना सुहागा) – १६ तोला
- काला नमक – ८ तोला
- काली मिर्च – ४० तोला
- शुद्ध पारा – ४ तोला
- गंधक (शुद्ध) – ८ तोला
- जम्बिरी निम्बू का रस – ४ सेर
- पीपल, पिपलामुल, चव्य, सोंठ का क्वाथ – भावना देने के लिए
- अम्लबेत क्वाथ (भावना देने के लिए)
- चने के क्षार का पानी (भावना देने के लिए )
अब जानते हैं क्रव्याद रस को बनाने की विधि के बारे में :-
- सबसे पहले पारा और गंधक की कज्जली बना लें |
- इसमें लौह और ताम्र भस्म डालकर खूब अच्छी तरह घोंट लें |
- इसको गला कर पर्पटी बना लें, इस पर्पटी का चूर्ण बना लें |
- इस चूर्ण को लौहे के बर्तन में डाल कर ४ सेर जम्बिरी निम्बू का रस डाल दें |
- अब इसे धीमी आंच पर पकाएं |
- जब यह गाढ़ा हो जाये तो इसमें पीपल, चव्य, चित्रक, पिपलामुल एवं सोंठ के क्वाथ की ५० भावना दें |
- इसके बाद अम्लबेत के क्वाथ की भी ५० भावना दें |
- सुख जाने पर भूना हुवा सुहागा, काला नमक एवं काली मिर्च का चूर्ण मिला लें |
- इस चूर्ण में अब चने के क्षार के पानी की ७ भावना देकर सुखा लें |
- अब इसकी छोटी छोटी गोलियां बना लें |
जानें इसके फायदे एवं उपयोग के बारे में |
यह जठराग्नि बढाने वाला रसायन है | इसके सेवन से पाचन शक्ति दोगुणा हो जाती है | जब किसी भी दवा से खाना न पच रहा हो तो इस दवा का सेवन करना चाहिए | क्रव्याद रस गरिष्ठ भोजन को भी शीघ्रता से पचा देता है | आइये जानते हैं यह किन किन रोगों में फायदेमंद है :-
- यह रस पाचक और अग्निदीपक है |
- अपच एवं अजीर्ण की समस्या में बहुत लाभदायक है |
- यह आम एवं कफ को पचा कर पित्त को सबल बनाता है |
- यह जठराग्नि को प्रज्वलित करता है |
- भूख बढाने के लिए भी यह उपयोगी है |
- अजीर्ण एवं कब्ज की समस्या से कोष्ठ में मल संचय हो जाता है, इससे विष उत्पन्न होता है जिससे हैजा, पीलिया जैसे रोग हो जाते हैं | क्रव्याद रस संचित मल को बाहर निकाल देता है |
- गृहणी एवं संग्रहणी जैसे भयानक रोगों में भी यह लाभदायक है |
- पेट की वृद्धि (तोंद निकलना) को कम करता है |
- अपच के कारण पेट में दर्द, गैस एवं कब्ज आदि की समस्या से छुटकारा दिलाता है |
क्रव्याद रस के सेवन की विधि
इसकी दो से चार गोली सेंधा नमक मिली हुई छाछ, निम्बू के रस या पानी के साथ सेवन करना चाहिए | इसका सेवन खाना खाने के बाद (भोजनोत्तर) करना चाहिए |
सावधानियां :-
क्रव्याद रस का सेवन करते समय दूध मलाई एवं फलो का अत्यधिक सेवन करना चाहिए | इसका सेवन हमेशा चिकित्सक की सलाह से ही करना चाहिए एवं बताई गयी मात्रा में ही सेवन करें |
धन्यवाद !