पथ्य अपथ्य (Pathya Apathya in Hindi) की जानकारी |

आयुर्वेद एक बहुत ही विस्तृत चिकित्सा पद्धति है | यह पुर्णतः वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर तैयार की गयी है | अगर हम आयुर्वेद में वर्णित सिद्धांतो के अनुरूप जीवन यापन करें तो हमें कदापि दवाओं पर आश्रित नहीं रहना पड़े | इसी आधार पर पथ्य अपथ्य (Pathya Apathya) का वर्णन आयुर्वेद ग्रंथो में किया गया है |

पथ्ये सति गदार्तस्य किमौषधनिषेवणे : || पथ्ये असति गदार्तस्य किमौषधनिषेवणे : ||

अर्थात अगर आप अपने जीवन में पथ्य आहार का सेवन करते हैं तो आपको औषध की जरुरत ही नहीं पड़ेगी एवं अगर आप अपथ्य आहार का सेवन कर रहें है तो चाहे कितनी ही कारगर दवा क्यों न हो आपको उससे कुछ खास लाभ नहीं होगा | अतः हमेशा पथ्य अपथ्य का खयाल रख कर ही आहार लें |

पथ्य अपथ्य क्या है
पथ्य अपथ्य क्या है

हालांकि वर्तमान समय में अपथ्य आहार से बच पाना इतना आसन नहीं है फिर भी यथासंभव प्रयास करना चाहिए | एक सुखी एवं निरोगी जीवन के लिए जरुरी है कि पथ्य अपथ्य का खयाल रख कर ही आहार का सेवन करें |

इस लेख में हम आहार के बारें में निम्न बाते बतायेंगे :-

  • पथ्य आहार कोनसे हैं ?
  • कोनसे आहार अपथ्य आहार में आते हैं ?
  • खाद्य पदार्थों के अनुचित संगम की जानकारी |
  • दूध के साथ कोनसे खाद्य पदार्थ नहीं खाने चाहिए |
  • पानी पिने का सही तरीका एवं पानी का पथ्य के रूप में सेवन |
  • रोगानुसार पथ्य अपथ्य की जानकारी |
  • दूध को पथ्य के रूप में सेवन करने से ख़त्म होने वाले रोग |
  • बच्चों के लिए पथ्य अपथ्य आहार की जानकारी |

Post Contents

पथ्य अपथ्य क्या है ? What is Pathya Apathya in Ayurveda ?

आयुर्वेद में खाद्य पदार्थों का वर्गीकरण उनके गुणधर्मों के आधार पर किया गया है | कुछ खाद्य पदार्थ आसानी से पचने वाले होते हैं जबकि कुछ अपच आहार होते हैं | कुछ आहार सुबह के समय खाने पर गुणकारी होते हैं एवं कुछ रात्रि के समय | इसी प्रकार किसी रोग विशेष में कुछ आहार औषधि का काम करते हैं तो कुछ विष का | इन्ही बातों को ध्यान में रखकर पथ्य अपथ्य आहार का वर्गीकरण किया गया है |

आयुर्वेदानुसार पथ्य आहार कोनसे हैं ?

आसानी से पचने वाले आहार पथ्य आहार में आते हैं | जैसे पुराने चावल का भात, पुराने जौ का दलिया, ज्वार का आटा, मूंग की दाल, अरहर की पतली दाल एवं दूध की पतली खीर इत्यादि | आइये अब जानते हैं पथ्य आहार के बारे में :-

  • मसाले :- धनियाँ, जीरा, सौंफ, तेजपता आदि मसाले सौम्य प्रकृति के होते हैं | प्रमेह, कफ, खांसी, बवासीर एवं नेत्ररोगो में हितकारी होते हैं |
  • फल वाले शाक (सब्जी) :- ककोड़ा, लौकी, बैंगन, तुरई, भिन्डी आदि पथ्य गुणों वाली सब्जियां हैं |
  • पते वाले शाक (सब्जी) :- पुनर्नवा, पालक, चौलाई, बथुवा, गोभी के पते, गाजर के पते एवं मेथी |
  • कंद वाले शाक (सब्जी) :- मूली, गाजर, जमीकंद, शकरकंद एवं आलू इन्हें भून कर या उबाल कर भाजी बनाने पर यह पथ्य आहार में आते हैं |
  • पथ्य फल :- मीठा अनार, अंगूर, मीठे आम, सेब, सीताफल, मौसमी, अन्नानास एवं कागजी निम्बू |

जानें अपथ्य खाद्य पदार्थो के बारे में |

इन्हें मुख्य रूप से तीन भागो में विभाजित किया गया है | आइये जानते हैं :-

पित्तवर्धक खाद्य पदार्थ :-

निम्न वर्णित पदार्थ पित्त बढाने वाले हैं | अगर पित्त बढ़ गया हो तो इन पदार्थो का सेवन न करें | ये सर दर्द, चक्कर आना, लकवा एवं धात का पतला होना आदि रोगों में सेवन न करें |

  • दही छाछ, तेल एवं तेल में तले हुए पदार्थ |
  • गुड़, नमक, मिर्च एवं हींग |
  • मूंगफली, सहजन की फली, करेला, शराब |
  • बासी खाना, चाय, तम्बाखू, गांजा |

कफवर्धक पदार्थ :-

कफ दूषित हो जाने या अधिक कफ बनने की समस्या से बहुत से रोग उत्पन्न हो जाते हैं | अस्थमा, खांसी, न्यूमोनिया जैसे रोग हो जाने निम्न पदार्थो का सेवन न करें | इन रोगों में यह अपथ्य आहार में आते हैं |

  • केला, नया अन्न, दही छाछ, ठन्डे पदार्थ |
  • ज्यादा ठंडा पानी, नयी ईमली |
  • खट्टे बेर, कच्चे अमरुद, आंवला |
  • चिरोंजी का तेल, कच्चा घी, कच्चे नारियल का पानी |

वात वर्धक पदार्थ :-

कुछ पदार्थ वायुकारक होते हैं | कमजोर पाचन शक्ति होने, पेट के रोग एवं अजीर्ण आदि की समस्या में इनका परहेज करना चाहिय |

  • चना, मटर, मसूर का साग, दाल |
  • बेसन के लड्डू, आलू, कटहल, |
  • बासी एवं खट्टा भोजन |
  • खट्टे फल एवं फ़ास्ट फ़ूड |

पथ्य अपथ्य के रूप में दूध का उपयोग (Milk as pathya apathya)

दूध एक सात्विक आहार है | बाल्यवस्था से लेकर बूढ़े होने तक सभी के लिए दूध अत्यंत उपयोगी है | यह पचने में आसान होता है एवं रक्त को बढाता है | बहुत से रोगों क इलाज सिर्फ दूध को पथ्य के रूप में सेवन करके किया जा सकता है | अब जानते हैं पथ्यापथ्य के रूप में दूध का इस्तेमाल कैसे करें :-

  • दूध को अच्छे से गर्म करके मलाई निकाल कर ठंडा करके सेवन करें |
  • यह पचने में बहुत आसान होता है |
  • अगर गाय का दूध न मिले तो भैस के दूध में बराबर मात्रा में पानी मिलाकर ही रोगी को दें |
  • पाचन कमजोर होने पर थोड़ा थोड़ा करके दूध दें |
  • दूध में शक्कर मिला कर सेवन ना करें और करें भी तो बहुत ही कम मात्रा में शक्कर डालें |

दूध के साथ उपयुक्त खाद्य पदार्थ :-

अगर अलग प्रकृति के पदार्थों का सेवन साथ में किया जाए तो यह बहुत हानिकारक होता है | ऐसे अनुचित मेल वाले आहार का सेवन करने से बहुत से रोग हो जाते हैं | दूध के साथ उन्ही पदार्थो का सेवन उपयुक्त होता है जिनकी प्रकृति दूध से मिलती हो | निम्न पदार्थों का सेवन दूध के साथ करना गुणकारी होता है |

दूध के साथ पथ्य अपथ्य
दूध के साथ पथ्य अपथ्य
  • अच्छा पका हुवा आम दूध के साथ सेवन कर सकते हैं |
  • मीठे अनार का भी उपयोग कर सकते हैं |
  • जमीकंद एवं छुहारा खा सकते हैं |
  • इलायची एवं लौंग भी उपयुक्त है |
  • मुंग की दाल का सेवन कर सकते हैं |
  • कवाब चीनी या मिश्री भी उपयोग में ले सकते हैं |

निम्न पदार्थो क सेवन दूध के साथ भूल कर भी ना करें |

कुछ खाद्य पदार्थो की प्रकृति दूध के विपरीत होती है | इन्हें दुध में मिलाने या उसके साथ सेवन करने से दूध बिगड़ जाता है एवं इसके सात्विक गुण नष्ट हो जाते हैं | आइये जानते है दूध के साथ किन पदार्थो का सेवन नहीं करना चाहिए :-

  • खट्टे पदार्थों एवं फलों को दूध के साथ सेवन नही करना चाहिए |
  • केला दूध के साथ सेवन न करें इसकी प्रकृति दूध से भिन्न होती है |
  • अन्नानास, जामुन, नारंगी एवं मौसमी को दूध के साथ न खाएं |
  • मूली, धनियाँ, मोठ, लहसुन दूध के साथ प्रयोग न करें |
  • दही – छाछ, ईमली एवं अमचुर का सेवन दूध के साथ नहीं करना चाहिए |

बाल्यावस्था में दूध का पथ्य अपथ्य के रूप में उपयोग |

जन्मोंपरांत शिशु के लिए माँ का दूध ही श्रेष्ठ आहार है | यह पचने में आसान एवं सभी गुणों से युक्त होता है | लेकिन किसी अवस्था में अगर माँ बीमार हो एवं उसका दूध दूषित हो गया हो तो शिशु को माँ का दूध सेवन कराना हानिकारक होता है | इस अवस्था में उसे दाई या गाय का दूध देना उचित रहता है | गाय का दूध पतला होता है एवं पचने में आसान रहता है | अगर गाय का दूध उपलब्ध नहीं होतो बकरी का दूध भी दिया जा सकता है | भैस का दूध शिशु के लिए उपयुक्त नहीं होता |

रोगानुसार पथ्य अपथ्य की जानकारी |

अगर हम पथ्य अपथ्य को ध्यान में रखकर भोजन करें तो हमें किसी प्रकार का रोग होने की सम्भावना कम होती है | लेकिन रोग हो जाने पर औषधियों के साथ परहेज रखना बहुत जरुरी होता है | वैध हकीम द्वारा बताये गए परहेज को ध्यान में रखकर ही आहार ग्रहण करना चाहिए नहीं तो दवाओं का असर ना के बराबर होता है और रोग ठीक हो जाने के बाद भी दुबारा होने की संभावना बनी रहती है | यहाँ पर हम रोगानुसार आहार विहार की जानकारी दे रहें हैं जिससे आपको पता रहेगा की किस रोग में क्या खा सकते हैं और क्या नहीं |

सामान्य ज्वर में पथ्यापथ्य (Pathya apathya in fever in hindi) :-

  • पथ्य :– चावल, मीठा अनार, मूली एवं चौलाई का साग, मूंग का दलिया, साबूदाना एवं गर्म करके ठंडा किया हुवा पानी |
  • अपथ्य :- ठन्डे पदार्थ एवं पानी का सेवन, शारीरिक एवं मानसिक परिश्रम और संभोग |

अतिसार, पेचिस एवं संग्रहीणी में पथ्यापथ्य (Pathya apathya in Diarrhea, Dysentery and IBS) :-

  • पथ्य :– पुराने चावल, पुराने मुंग का दलिया, गाय का दूध, मक्खन, मट्ठा, ककड़ी |
  • अपथ्य :- आटा, मैदा से बने खाद्य पदार्थ, दाल, गुड़ एवं देर से पचने वाले पदार्थ |

नेत्र रोगों में पथ्यापथ्य :-

  • पथ्य :– शीतल जल, गेंहू के आटे से बनी चीजें, चावल, मूंग की दाल, छाछ, पेठा, परवल, घी, शक्कर, मक्खन, खुली हवा एवं साफ़ जगह पर रहना |
  • अपथ्य :- ज्यादा गर्म पानी से नहाना, मोबाइल टीवी पास से देखना, नंगी आँखों से सूर्य की तरफ देखना आदि |

मूत्र रोगों (मूत्रकृच्छ, मूत्राघात एवं पथरी) में पथ्य अपथ्य |

  • पथ्य :– पुराने लाल चावल, गाय का दूध एवं छाछ, पेठा, परवल, कवाबचिनी, चन्दन का तेल, मीठा आम एवं नागकेशर आदि |
  • अपथ्य :- मटर, दही, राई, चना, हींग, धुप में घूमना, मैथुन आदि |

प्रमेह रोग में पथ्यापथ्य (Pathya apathya in Gonorrhoea) :-

  • पथ्य :– बकरी एवं गाय का दूध, पुराने चावल, सरसों, गेंहू, पुराने मूंग, अरहर, एवं चना दाल, केला और ककड़ी आदि |
  • अपथ्य :- दही, सोयाबीन, धुम्रपान, दिन में सोना, आलस, शराब, अंजीर, शक्कर आदि |

मधुमेह एवं बहुमूत्र में पथ्यापथ्य (Pathya apathya in Diabetes) :-

  • पथ्य :– ककोड़ा, करेला, जामुन, कम परिश्रम करना, कषैले फल एवं सब्जियां |
  • अपथ्य :- मीठे खाद्य पदार्थ, ज्यादा मेहनत |

प्रसूता के लिए पथ्य अपथ्य (Pathya apathya after Delivery) :-

  • पथ्य :– गेंहू, ज्वार, घी, शक्कर, बादाम, किशमिश, ज्यादा घी डालकर बनाया गेंहू का हलवा, शतावरी आदि |
  • अपथ्य :- खट्टी चीजें, सीढियों पर चढ़ना, परिश्रम करना एवं मैथुन करना |

बवासीर में पथ्य अपथ्य (Pathya apathya in Piles) :-

  • पथ्य :– पुराने चावल, जौ का दलिया, जल्दी पचने वाले आहार, पेठा, कच्चा केला, जमीकंद |
  • अपथ्य :- मूली, बैंगन, राई, ज्यादा खट्टी चीजें, मसाले वाले भोजन, लहसुन, अदरक, कालीमिर्च आदि |

विषमाशन, अध्याशन, एवं समशन क्या हैं ?

विषमाशन :- कभी कम, कभी, ज्यादा एवं असमय भोजन करना विषमाशन कहलाता है | उचित समय पर भोजन नहीं करना स्वास्थय के लिए हानिकारक होता है |

अध्याशन :- खाना खाने के बाद उसके हज्म हुए बिना ही दुबारा खा लेना अध्याशन कहलाता है |

समशन :- पथ्य एवं अपथ्य खाद्य पदार्थो का एक साथ सेवन करने को समशन कहते हैं | इससे पथ्य पदार्थ के सात्विक गुण भी नष्ट हो जाते हैं | इस प्रकार का खाना अनेक रोगों का कारण बनता है |

निष्कर्ष :– स्वस्थ एवं निरोगी जीवन के लीये आयुर्वेद को अपनाना अत्यंत आवश्यक है | पथ्य अपथ्य अपनाकर एवं सात्विक दिनचर्या से ही आप रोगों से मुक्त रह सकते हैं | अनुचित खान-पान भविष्य में बहुत से रोगों का कारण बनता है |

धन्यवाद

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