आयुर्वेद रसायन शास्त्र में पर्पटी प्रकरण का बहुत महत्व है | उदर रोग, आंतरिक विकार (गृहणी, संग्रहणी, अतिसार) एवं मन्दाग्नि जैसे रोगों में यह अमृत समान औषधि है | पंचामृत पर्पटी इस प्रकरण की सबसे प्रशिद्ध दवा है | संग्रहणी जैसे भयानक रोग में जब अन्य किसी दवा से असर न हो तो Panchamrit Parpati का उपयोग करने से आशातीत लाभ होता है |
इस लेख में हम पंचामृत पर्पटी के फायदे, गुण, उपयोग एवं दुष्प्रभाव के बारे में बतायेंगे | इससे पहले पर्पटी क्या है ये जान लेना जरुरी है | आयुर्वेद चिकित्सा में औषधियां अनेक प्रकार की होती हैं | इनमें रस प्रकरण, बटी प्रकरण, अवलेह प्रकरण एवं पर्पटी प्रकरण मुख्य हैं | पर्पटी निर्माण में मुख्यतः पारद (Mercury) का उपयोग किया जाता है | पारा, गंधक एवं अन्य घटकों की कज्जली बना कर फिर उसको पिघलाया जाता है | पिघलाने के बाद सूखने पर यह पापड़ के जैसे हो जाती है इसलिए इसे पर्पटी कहा जाता है |
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पंचामृत पर्पटी (Panchamrit Parpati) क्या है एवं इसे कैसे बनाते हैं ?
यह पर्पटी प्रकरण की सबसे कारगर दवा है | इसका उपयोग मुख्यतः संग्रहणी (IBS) जैसे आन्त्रिक विकारों में किया जाता है | यह पाचन शक्ति को बढ़ाती है एवं मन्दाग्नि की समस्या को दूर करती है | संग्रहणी रोग (Irritable Bowel Syndrome) में आंते कमजोर हो जाती हैं एवं अन्न का परिपाक अच्छे से नहीं हो पाता है जिसकी वजह से नवीन खून का निर्माण भी नहीं होता है | अतः शरीर अत्यंत दुर्बल हो जाता है एवं भूख भी नहीं लगती है | ऐसी अवस्था में पंचामृत पर्पटी अत्यंत फायदेमंद औषधि साबित होती है |
आइये अब जानते हैं इसके घटक द्रव्यों के बारे में :-
पंचामृत पर्पटी को बनाने के लिए निम्न घटक द्रव्यों का इस्तेमाल किया जाता है |
- शुद्ध पारा (मरकरी) – एक तोला
- लौह भस्म – एक तोला
- अभ्रक भस्म – एक तोला
- ताम्र भस्म – एक तोला
- शुद्ध गंधक – चार तोला
अब जानते हैं Panchamrit Parpati कैसे बनायी जाती है ?
इस पर्पटी का निर्माण भी रस पर्पटी की तरह ही किया जाता है | इसके लिए निम्न विधि का उपयोग किया जाता है |
- सबसे पहले पारद एवं गंधक की कज्जली तैयार की जाती है |
- जब अच्छी कज्जली बन के तैयार हो जाए तो उसमें अन्य सभी भस्में मिला दें |
- अब एक तवे के ऊपर एक अंगुल जितनी मिटटी बिछा लें |
- लौहे की कड़ाही को घी से लेप कर उसमें मिश्रण को डाल लें |
- इस कड़ाही को तवे के ऊपर रख कर गर्म करें |
- जब यह मिश्रण पिघल कर थोड़ा गाढ़ा हो जाए तो इसे एक केले के पत्ते पर निकाल लें |
- इस पत्ते को गाय के गोबर पर रख लें एवं उसके उपर दूसरा पत्ता तुरंत रखकर ऊपर फिर से गोबर डाल के दबा दें |
- अब इसे ठंडा होने दें |
- जब ये ठंडी हो जाए तो इसे महीन पीस कर किसी शीशी में डाल कर रखे लें |
- इस तरह से पचामृत पर्पटी तैयार हो जाती है |
पंचामृत पर्पटी के फायदे क्या हैं (Benefits in Hindi) ?
सभी पर्पटी में पंचामृत पर्पटी सर्वश्रेष्ठ है | यह शक्तिदायक, दोषनाशक एवं कीटाणु नाशक होती है | इसमें ताम्र भस्म, लौह भस्म, पारद एवं गंधक के गुण मौजूद होते हैं | ताम्र भस्म यकृत के लिए लाभदायक होती है, लौह भस्म पक्वाशय को शक्ति प्रदान करती है एवं पारे के कज्जली गृहणी के लिए लाभकारी होती है | यह औषधि संग्रहणी रोग में विशेष लाभ देती है | आइये जानते हैं इसके फायदे :-
- संग्रहणी रोग में यह दवा अत्यंत उपयोगी साबित होती है |
- यह मंदाग्नि की समस्या को ख़त्म कर देती है |
- इसके सेवन से आन्त्रिक विकार दूर हो जाते हैं |
- दूषित मल को बाहर निकाल देती है |
- यह पाचन शक्ति बढ़ाती है |
- पंचामृत पर्पटी यकृत को शक्ति प्रदान करती है |
- अतिसार एवं अम्लपित्त जैसे रोगों में भी यह बहुत गुणकारी साबित होती है |
- क्षय विकार के कारण यकृत एवं आंते दूषित हो जाने पर इसका सेवन करने से लाभ होता है |
- उपदंश विकार में भी इसका सेवन शहद के साथ करने से फायदा होता है |
इसका सेवन एवं अनुपान कैसे करें ?
इसका सेवन भुने हुए जीरे के चूर्ण या शहद के साथ करना चाहिए | इसकी एक रत्ती से तीन रत्ती की मात्रा को दिन में दो से तीन बार रोगी को सेवन करावें | इसके ऊपर से दूध, छाछ या दही का सेवन करना चाहिए | संग्रहणी विकार में इसका सेवन गाय के दूध या मट्ठा के साथ करने से बहुत लाभ मिलता है | उपयुक्त होगा की आप इसका सेवन चिकित्सक के बताये निर्देशों के अनुसार ही करें |
पंचामृत पर्पटी के दुष्प्रभाव एवं सावधानियां (Side effects and Precautions in Hindi)
यह संग्रहणी जैसे आंत्रविकारों की बहुत ही विश्वसनीय औषधि है | लेकिन इसका उत्तम लाभ लेने एवं दुष्प्रभाव से बचने के लिए इसका सेवन करने में विशेष सावधानी रखनी चाहिए | पंचामृत पर्पटी के साथ तीक्ष्ण एवं विदाही पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए | इसका उपयोग करते समय नमन का सेवन करने से भी बचना चाहिए | गाय के दूध, छाछ एवं मट्ठे के साथ सेवन करने पर यह बहुत उपयोगी साबित होती है | इसका एक या दो रत्ती से ज्यादा सेवन न करें और ध्यान रखें की चिकित्सक द्वारा बताई गयी विधि एवं पथ्य अपथ्य को ध्यान में रखकर ही सेवन करें |
विश्वसनीय पंचामृत पर्पटी की जानकारी :-
विश्वसनीयता के आधार पर आप Baidyanath Panchamrit Parpati एवं Dhootpapeshwar Panchamrit Parpati का उपयोग कर सकते हैं |
References:-
- A Prospective Study on Parpati Kalpana w.s.r to Panchamrut Parpati (Research gate)
- A CASE STUDY: ROLE OF PANCHAMRIT PARPATI IN GRAHANI(IBS)
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