स्मृतिसागर रस स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए परमुपयोगी रसायन है | मष्तिष्क की कमजोरी से होने वाले रोग जैसे हिस्टीरिया, मूर्छा, उन्माद एवं मिर्गी में इस औषधि का सेवन बहुत लाभ देता है |
मानसिक कमजोरी होने के कारण निम्न कमजोरियां या रोग उत्पन्न हो सकते हैं :-
- किसी काम में मन नहीं लगना या उन्माद की स्थिति हो जाना |
- भूल पर भूल होना या जरुरी काम भूल जाना |
- आलस्य होना, नींद नहीं आना या ज्यादा नींद आना |
- मनोविभ्रम हो जाना |
- मानसिक असंतुलन हो जाना |
- अत्यधिक गुसा आना |
- हिस्टीरिया, उन्मांद, मूर्छा एवं मिर्गी जैसे रोग हो जाना |
उपर बतायी गयी समस्या निम्न कारणों से हो सकती हैं :-
- मानसिक कमजोरी या तनाव की वजह से |
- अत्यधिक शराब, गांजा भांग आदि का सेवन करने से |
- माथे पर चोट लगने की वजह से |
- किसी दुःख, शोक या चिंता के कारण |
- अत्यधिक तनावपूर्ण एवं अनुचित दिनचर्या के कारण |
- मस्तिष्क में किसी प्रकार की विकृति के कारण |
- कुपोषण की वजह से |
स्मृतिसागर रस क्या है, बनाने की विधि एवं घटक द्रव्य |
यह बहुत ही गुणकारी औषधि है जिसका निर्माण पारा, गंधक, हरताल एवं मैनशील जैसे द्रव्यों के योग से किया जाता है | स्मृतिसागर रस का उपयोग मुख्यतः मानसिक रोगों में किया जाता है | इसके अलावा इसका उपयोग स्मरण शक्ति बढाने एवं बच्चों के धनुष्टन्कार रोग में भी किया जाता है | आइये जानते हैं इसके घटक द्रव्य क्या क्या हैं :-
- शुद्ध पारद एवं गंधक |
- ताम्र भस्म एवं स्वर्णमाक्षिक भस्म |
- शुद्ध मैनशील व शुद्ध हरताल |
- बच क्वाथ एवं ब्राह्मी क्वाथ |
- माल्काग्नी तेल |
बनाने की विधि :-
स्मृतिसागर रस बनाने के लिए सबसे पहले पारा एवं गंधक की कज्जली बनायीं जाती है | अब इस कज्जली में अन्य औषधियां मिला ली जाती हैं | फिर इस मिश्रण को बच के क्वाथ की २१ भावना दी जाती है | अब ब्राम्ही क्वाथ के भी २१ भावना देनी होती है | इसके बाद मल्काग्नी तेल की १ भावना देकर छोटी छोटी गोलियां बना ली जाती हैं | अब इन गोलियों को छायाँ में सुखा लें |
सेवन कैसे करें:-
सुबह शाम एक एक गोली गाय के देशी घी के साथ या दूध में ब्राह्मी घृत मिलाकर उसके साथ सेवन करें |
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स्मृतिसागर रस के फायदे एवं उपयोग के बारे में जाने |
यह रसायन स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए अत्यंत उपयोगी है | दिमाग से जुडी कमजोरियों एवं रोगों को ठीक करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है | आइये जानते हैं स्मृति सागर रस के फायदे एवं उपयोग क्या हैं :-
- बच्चों को धनुष्टन्कार रोग पाया जाता है, जिसके कारण उन्हें बार बार दौरा पड़ना, बेहोशी हो जाना एवं अन्य शारीरिक एवं मानसिक विकार हो जाते हैं | इस रोग में यह औषधि बहुत उपयोगी होती है | इससे प्रकुपित वाट शांत हो जाती है एवं रोग ठीक हो जाता है |
- हिस्टीरिया (गर्भाशयोंमाद) रोग मुख्यतः जवान लडकियों को होता है | इसका कारण सम्भोग इच्छा की तृप्ति नहीं होना, अधिक चंचलता, दुःख एवं उन्माद आदि हो सकता है | इस अवस्था में स्मृति सागर रस का उपयोग करने से अच्छा लाभ होता है |
- अत्यधिक शराब, भांग, गांजा आदि के उपयोग के कारण उत्पन्न उन्माद आदि में इस दवा से बहुत लाभ होता है |
- पित्त अस्थिर हो जाने के कारण भी मानसिक असंतुलन हो जाता है | यह रसायन इस रोग में बहुत फायदेमंद होता है |
- उन्माद रोग में स्मृति सागर रस के साथ सर्पगंधा चूर्ण का उपयोग करने से शीघ्र लाभ मिलता है |
- ठंडी हवा लगने, गिले वस्त्र ज्यादा समय तक पहनने आदि से किसी अंग में आक्षेप उप्पन्न हो जाता है या विकृति आ जाती है |
- वात प्रकुपित हो जाने से भी शरीर के एक भाग के अंग को विकृत कर देती है |
- स्मृति सागर रस प्रकुपित वात को ठीक कर देता है |
- यादाश्त बढाने के लिए भी यह बहुत उपयोगी है |
- इसके सेवन से ज्ञान वाहिनी नाड़ियो को बल मिलता है |
नुकसान एवं सावधानियां :-
मानसिक रोगी का इलाज बहुत ही सावधानी पूर्वक करने की आवशयकता होती है | अतः उन्माद, हिस्टीरिया, क्षोभ एवं मिर्गी जैसे रोगों के इलाज के लिए चिकित्सक के पास ही जाना चाहिए एवं बताये गए निर्देशों का पालन करना चाहिए |
धन्यवाद !
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