बेहद स्वादिष्ट एवं स्वास्थ्यवर्धक पेय है छाछ | भारतवर्ष में छाछ का बहुत महत्व है, विशेषकर उत्तर भारत में | इसे अंग्रेजी में इंडियन बटरमिल्क भी बोला जाता है | आप सभी जानते हैं की छाछ पिने से तृप्ति का एहसास होता है एवं गर्मियों में इसका उपयोग बहुत फायदेमंद होता है | लेकिन इस लेख में हम आज आपको छाछ (मट्ठा) के कुछ ऐसे औषधीय गुण बतायेंगे जिन्हें जानकर आपको हैरानी होगी |
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छाछ क्या है एवं इसे कैसे बनाते है ?
मट्ठा बनाने के लिए दही को मथनी से मथकर उसमे से मक्खन निकाल लिया जाता है | इस तरह से बना तरल पदार्थ छाछ कहलाता है | यह शीघ्र पचने वाला, भूख बढाने वाला, रूचिकर एवं स्वास्थ्य वर्धक स्वादिष्ट पेय है | ध्यान रखें पारंपरिक तरीके से दही को मथनी से मथ बनाई गयी छाछ ही गुणकारी होती है | आजकल बाजार में दूध के क्णिवन से बनी छाछ उपलब्ध है | यह ज्यादा गुणकारी नहीं होती है |
मट्ठा (छाछ) के औषधीय गुण एवं स्वास्थ्य लाभ |
यूँ तो आप सभी जानते हैं की मट्ठा का सेवन करने से शरीर को ठंडक मिलती है | इसलिए अधिकांश गर्मियों में इसका उपयोग ज्यादा किया जाता है | लेकिन आयुर्वेदानुसार इसमें बहुत अनमोल औषधीय गुण होते हैं और इसको पिने से बहुत से रोगों में लाभ मिलता है |
भोजनांते पिबेत्त तक्र, दिनान्ते च पिबेत पयः | निशान्ते पिबेत वारि: दोषों जायते कदाचनः |
यानि सुबह पानी, दोपहर में खाने के बाद छाछ एवं शाम को दूध पिने से शरीर दोषमुक्त रहता है |
मट्ठा के स्वास्थ्य लाभ एवं उपयोग :-
- खाने में रूचि पैदा करता है |
- पचने में हल्का होता है एवं मल मूत्र को साफ़ करता है |
- पीलिया रोग में बहुत लाभदायी है |
- भूख बढाता है |
- बवासीर रोग में बहुत फायदेमंद है |
- मधुमेह में छाछ पिने से फायदा होता है |
- गर्मियों में शरीर को ठंडा रखने के लिए उत्तम पेय है |
- उदर विकारो में लाभप्रद है |
- आँखों के लिए अमृत समान पेय है |
- कफ एवं ज्वर रोग में भी इसका उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है |
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रोगानुसार कैसे उपयोग करें ?
सामान्यतः छाछ का सेवन करने से शरीर स्वस्थ एवं दोषमुक्त रहता है | लेकिन आयुर्वेदानुसार विभिन्न रोगों एवं स्वास्थ्य लाभ के लिए इसका सेवन अलग अलग तरीके से एवं अन्य चीजो के साथ करना बताया गया है | आइये जानते है रोगानुसार छाछ (मट्ठा) का सेवन कैसे करें :-
- गर्मी से राहत के लिए :- सेंधा नमक एवं भुना हुवा जीरा मिलाकर सेवन करें |
- पीलिया रोग में : मट्ठा में चित्रक चूर्ण मिलाकर पियें |
- बवासीर में :- सेंधा नमक मिलाकर उपयोग करें |
- वात विकार में :- सेंधा नमक एवं जीरा मिलाकर सेवन करें |
- कफ विकार में :- पीपल, सोंठ, सेंधा नमक एवं काली मिर्च के साथ सेवन करें |
- पित्त विकार में :- शक्कर मिलाकर मट्ठा पियें |
- गृहणी रोग में :- अन्न का त्याग कर खाने पिने में मट्ठे का प्रयोग करें |
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सावधानियां एवं दुष्प्रभाव |
यूँ तो यह बहुत ही स्वादिष्ट एवं गुणकारी पेय है लेकिन कुछ सावधानियां भी जरुरी हैं |
- रात के समय छाछ का सेवन ना करें |
- हमेशा ताजा मट्ठे का ही उपयोग करें |
- अगर सर्दी जुखाम हो तो इसका सेवन सोंठ, पीपल एवं काली मिर्च मिलाकर ही करें |
- गठिया रोग में इसका सेवन ना करें |
- फ्रीज में ठंडी की हुई छाछ का सेवन न करें |
- बाजार में मिलने वाली छाछ की बजाय घर पर मथनी से बनी ज्यादा फायदेमंद होती है |
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