आयुर्वेद में भस्मों का बहुत अधिक महत्व है | अनेकों रोगों एवं औषधियों के लिए विभिन्न भस्मों का उपयोग किया जाता है | यशद भस्म (जस्ता) शीतल एवं पित्त नाशक गुणों वाली भस्म है | यह नेत्र रोगों में बहुत लाभदायी है | इस भस्म (Zinc Oxide) का उपयोग विभिन्न रोगों की दवा बनाने के लिए भी किया जाता है | Yashad Bhasma Uses in hindi में हम जानेंगे की इस भस्म का उपयोग किन किन रोगों एवं औषधियों के निर्माण में किया जाता है |
इस लेख के मुख्य बिंदु :-
- यशद भस्म क्या है एवं इसे कैसे बनाते हैं ?
- जस्ता (यशद) भस्म के फायदे क्या हैं ? Yashad Bhasma benefits in hindi
- नेत्रों के लिए यह भस्म कितनी गुणकारी है ?
- इस भस्म का उपयोग किन किन रोगों में किया जाता है ?
- यशद भस्म की प्रकृति क्या है ?
- संग्रहणी (I.B.S) एवं अतिसार में इसका उपयोग कैसे करें ?
- इसका सेवन एवं अनुपान कैसे करें ?
- धातुक्षय (शीघ्रपतन एवं स्वप्नदोष) को रोकने के लिए यह कितनी उपयोगी है ?
- क्या इसके कोई दुष्प्रभाव हैं ?
- यशद भस्म का सेवन करते समय क्या क्या सावधानियां बरतें ?
यशद भस्म क्या है, इसके उपयोग, फायदे एवं बनाने की विधि |
जस्ता या यशद एक धातु है | भारत में यह मद्रास, बंगाल, राजस्थान एवं पंजाब में पाया जाता है | प्राचीन आयुर्वेद ग्रंथों में इसे खर्पर सत्व के नाम से जाना जाता था | इसकी भस्म का उपयोग आयुर्वेद में अनेक रोगों के लिए किया जाता है | आधुनिक विज्ञानं में भी यशद (Zinc Oxide) का उपयोग नेत्रों के लिए दवा, काजल एवं सुरमा आदि में किया जाता है | यह आँखों के लिए बहुत गुणकारी होता है |
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जस्ता (यशद) भस्म बनाने की विधि / Preparation of Yashad Bhasma in Hindi
यशद भस्म को बनाने के लिए सबसे पहले जस्ते का शोधन करना जरुरी होता है | इसके लिए सफ़ेद रंग का एवं भारी जस्ते का ही प्रयोग करना चाहिए क्यूंकि यही जस्ता (यशद) सबसे उत्तम समझा जाता है | यशद का शोधन निम्न प्रकार किया जाता है :-
- सबसे पहले यशद को गर्म करके सात सात बार तक्र एवं गो मूत्र से बुझायें (ठंडा करें)
- अब इसको अत्यंत तीव्र आंच पर पिघला कर गो दुग्ध से ठंडा करें |
- इस तरह से इसको 21 बार करने से यह शुद्ध हो जाता है |
भस्म (Yashad Bhasma) बनाने की विधि :-
शुद्ध यशद (Zinc Oxide) का इस्तेमाल भस्म बनाने के लिए किया जाता है | इस भस्म को निम्न प्रकार बनाया जाता है :-
- यशद (शुद्ध) को कड़ाही में डाल कर गर्म करके पिघला लें |
- पिघल जाने पर इस पर नीम के पत्तो का रस या चूर्ण डाल कर नीम के डंडे से हिलाते रहें |
- कुछ समय आंच देने पर इसका चूर्ण हो जायेगा |
- चूर्ण हो जाने पर इसको ढककर 4-5 घंटे तक तीव्र आंच दें |
- अब इसे स्वांग शीतल होने दें |
- एक बर्तन के मुंह पर कपड़ा बांध कर उसपर धीरे धीरे यह चूर्ण एवं पानी डाल कर भस्म को छान लें |
- अब पानी को नितार कर अलग कर दें एवं यशद भस्म को सुखा दें |
- सुख जाने पर ग्वारपाठा स्वरस की भावना दें एवं टिकिया बना लें |
- अब इसे सराबों में रख कर कपडमिटटी से संधि बंद कर तेज आंच में पुट दें |
- 10-11 पुट देने पर पीले रंग (ललाई लिए) भस्म तैयार हो जाती है |
- इसको अच्छे से घोंट कर बहुत महीन कर लें |
- इस तरह से उत्तम गुणकारी यशद भस्म तैयार हो जाती है |
यशद भस्म के फायदे एवं उपयोग क्या हैं ? Yashad Bhasma uses and Benefits in hindi
आयुर्वेद में भस्म प्रकरण की औषधियां बहुत महत्व रखती हैं | ये औषधियां अत्यंत बलदायी एवं जीवनीय शक्ति वर्धक होती हैं | यशद या जस्ता भस्म के बेनेफिट्स इन हिंदी में हम उन सभी फायदों के बारे में बतायेंगे जो आप इस भस्म का सेवन करके प्राप्त कर सकते हैं |
यशद भस्म के फायदे :-
- यह नेत्रों के लिए बहुत गुणकारी औषधि है |
- आँखों में दर्द होना, पानी गिरना एवं लाल हो जाना जैसी समस्याओं में इसका सेवन करें |
- इसके सेवन से पैत्तिक रतौंधी दूर हो जाती है |
- यह त्वचा रोगों में भी अत्यंत गुणकारी औषधि है |
- फोड़ा फुंसी एवं त्वचा सफ़ेद पड़ जाना आदि में इसका उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है |
- बच्चों में माथे पर होने वाली सुजन (गांठ) में भी इसका उपयोग किया जाता है |
- यह भस्म कषाय एवं शीतल होती है |
- इसके सेवन से पित्त जनित प्रमेह नष्ट हो जाते हैं |
- यह कफ एवं पित्त शामक है |
- कफज विकार, पांडू रोग, क्षय, जीर्ण ज्वर, अतिसार एवं संग्रहणी आदि में इसका सेवन बहुत फायदेमंद होता है |
- वीर्य का पतलापन एवं धातु क्षय जैसे रोगों में इसका उपयोग करने से बहुत लाभ मिलता है |
- नपुंसकता में भी यशद भस्म (Yashad) अत्यंत प्रभावशाली औषधि काकाम करती है |
- मूत्र विकारों में भी इसका उपयोग किया जाता है |
- आधुनिक चिकित्सा (अंग्रेजी दवाओं) में भी नेत्र रोगों में इस भस्म का उपयोग किया जाता है |
- काजल एवं सुरमा आदि बनाने में भी इसका प्रयोग होता है |
यशद भस्म के रोगानुसार उपयोग :-
यह भस्म अनेकों रोगों में काम आती है | आइये जानते हैं रोगानुसार इसका सेवन या उपयोग कैसे करें :-
- नेत्र रोग :- गो घृत दो तोला एवं एक माशा यशद भस्म को कांसे की थाली में बासी पानी के साथ हथेली से अच्छे से मथ लें एवं पानी निकाल दें | इस क्रिया को 108 बार करें | इस तरह से तैयार अंजन को इस्तेमाल करने से नेत्र रोगों में तुरंत लाभ होता है |
- त्वचा रोग :- इसको घी या नारियल के तेल के साथ लेप करने से फोड़े फुंसी नष्ट हो जाते हैं |
- रसौली में :– जस्ता भस्म को प्रवाल पिष्टी एवं सरसों के तेल के साथ मिलकर लेप करें |
- दाह रोग :- पेट में जलन (दाह) होने पर इसको प्रवाल पिष्टी, जामुन की गुठली का चूर्ण एवं शहद के साथ मिलाकर सेवन करें |
- पैत्तिक प्रमेह में :- इस भस्म के साथ गिलोय सत्व एवं शिलाजीत को मिलाकर सेवन करने से बहुत शीघ्र लाभ होता है |
- अतिसार में :- एक रत्ती यशद भस्म एवं चार रत्ती मिश्री को मिलाकर सुबह शाम शहद या ताजा छाछ के साथ सेवन करें |
- धातुक्षय एवं शीघ्रपतन में :- जस्ता (यशद) भस्म एक रत्ती एवं शिलाजीत एक रत्ती को मलाई के साथ सेवन करें |
- नपुंसकता में :- कौंच बीज चूर्ण एवं मिश्री के साथ उपयोग करें |
- मूत्र विकारों में :- गोखरू क्वाथ के साथ यशद भस्म का सेवन करने से पेशाब साफ आता है |
- मन्दाग्नि में :- पंचकोल चूर्ण के साथ इसका सेवन करने से शीघ्र लाभ होता है |
- पांडु रोग में :- मंडूर भस्म के साथ उपयोग करें |
यशद भस्म के दुष्प्रभाव एवं सावधानियां / Yashad bhasma Side Effects in Hindi
यूँ तो यह भस्म अत्यंत गुणकारी है लेकिन इसका सेवन करते समय विशेष सावधानियां रखनी बहुत जरुरी है | इसका अच्छा प्रभाव पित्तज प्रमेह में ही देखने को मिलता है अतः अन्य कारणों से उत्पन्न प्रमेह में इसका सेवन चिकित्सक की सलाह से ही करें | इसका सेवन करते समय मात्रा एवं पथ्य अपथ्य का ध्यान रखना भी बहुत जरुरी है | भिन्न रोगों में इसका सेवन अलग अलग तरह से किया जाता है | इसलिए किसी भी दुष्प्रभाव से बचने के लिए चिकित्सक द्वारा बताये गए दिशा निर्देशों के अनुसार ही यशद भस्म का उपयोग करें |
Baidyanath Yashad Bhasma Benefits and Uses in Hindi :-
हम यहाँ पर आपको Baidyanath की Yashad Bhasma के Benefits एवं Uses के बारे में हिंदी में बतायेंगे | दोस्तों Baidyanath हमारे देश ही नहीं दुनिया की जानी मानी आयुर्वेद औषधियां बनाने वाली कंपनी है | इसके उत्पाद विश्वसनीय एवं गुणकारी होते हैं | यहाँ पर आप सभी शास्त्रोक्त एवं आधुनिक आयुर्वेदिक औषधियां प्राप्त कर सकते हैं | आइये जानते हैं Baidyanath Yashad Bhasma के बारे में :-
- Uses (उपयोग) :- नेत्र रोग, त्वचा विकार, पैतिक प्रमेह एवं धातु क्षय |
- Benefits (फायदे) :- यह सभी प्रकार के पैतिक प्रमेह में लाभ देती है | इसके सेवन से शीघ्रपतन एवं धातु क्षय रोग खत्म हो जाते हैं |
- Quantity (मात्रा) :- 10 ग्राम
- Baidyanath Yashad Bhasma Price (कीमत) :- 110 रुपये
धन्यवाद
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