बिना मुँह वाले फोड़े का इलाज: फोड़े फुंसी ऐसे तो एक सामान्य समस्या है, अधिकांश समय ये खुद ही ठीक हो जाते हैं। लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में जैसे सेंसिटिव जगह जैसे गुप्तांग, आर्म पिट्स, कूल्हे, नाक आदि पर फोड़े होने पर या फिर बिना मुँह वाले फोड़े होने पर ये असहनीय हो जाते हैं। खासकर के बिना मुँह वाले फोड़े, क्योंकि मुँह (ओपनिंग) नहीं होने के कारण इनमे भरी पस बाहर नहीं निकल पाती है जिसकी वजह से बहुत भयानक दर्द होता है। इनका इलाज भी थोड़ा कॉम्प्लिकेटेड हो जाता है क्योंकि मुँह नहीं होने की वजह से पकने में ज्यादा समय लगता है।
इन विशेष बातों को ध्यान में रखकर हम स्वदेशी उपचार संस्था के विश्वसनीय चिकित्सकों द्वारा बताए बिना मुँह वाले फोड़े का इलाज घरेलू और आयुर्वेदिक दोनों के बारे में बात करेंगे।
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बिना मुँह वाले फोड़े का इलाज: घरेलू और आयुर्वेदिक
त्वचा रोगों में फोड़े फुंसी होना सबसे अधिक होने वाला रोग है। आम तौर पर मुंह पर, गर्दन के पास, पीठ और जांघों के आस पास फोड़े ज्यादा होते हैं। बच्चों में ये समस्या बड़ो के मुकाबले ज्यादा होती है। आयुर्वेद और मॉडर्न चिकित्सा में इसके होने के कारणों पर अलग अलग विचार हैं। मॉडर्न साइंस इसे पूरी तरह से बैक्टेरियल इन्फेक्शन की वजह से होने वाला रोग बताता है वहीं आयुर्वेद अनुसार यह दूषित खानपान और त्रिदोष में असंतुलन की वजह से होता है।
आयुर्वेद में खून में टॉक्सिंस (रक्तविकृति) या डाइजेस्टिव डिसऑर्डर होने को भी इस समस्या का कारण माना जाता है जोकि प्रासंगिक भी है। इनका इलाज घरेलू तरीको से बड़ी आसानी से किया जा सकता है। बिना मुँह वाले फोड़े का इलाज मुंह वाले फोड़ों के मुकाबले अधिक कठिन होता है। इसके कई कारण है लेकिन उनको जानने से पहले फोड़े फुंसी के कारणों और सामान्य जटिलताओं के बारे में आयुर्वेदिक डॉक्टर द्वारा बताई गई बातों को समझ लेते हैं।
आयुर्वेद में रोग के निदान से पहले रोग के कारण को जानना ज्यादा जरूरी समझा जाता है। बिना मुँह वाले फोड़े का इलाज जानने से पहले भी हम इसके कारणों और जटिलताओं के बारे में अपने एक्सपर्ट से जानेंगे।
बिना मुँह वाले फोड़े के कारण और जटिलताएं: जानिए क्या कहते हैं हमारे आयुर्वेदिक एक्सपर्ट
जब भी हम कुछ दूषित खान पान करते हैं (यहां पर दूषित खान पान का मतलब असंतुलित और अनियमित आहार से है) तो इसकी वजह से हमारे शरीर में टॉक्सिंस जमा हों जाते हैं। इन टॉक्सिंस की वजह से रक्त में भी गंदगी मिल जाती है फोड़े फुंसी होने की यह प्रमुख वजह है। जब फोड़ा हमारी स्किन के निचले हिस्से में ज्यादा रहता है यानी मवाद या दूषित खून निकलने के लिए मुंह नहीं बन पाता है तो इसे बिना मुँह वाला फोड़े कहते हैं।
डॉक्टर राजेश जी ने बहुत ही आसान भाषा में इसे समझाया। इसके अलावा उपवैद्य योगेन्द्र जी ने भी फोड़े फुंसी होने का यही कारण बताया। उन्होंने पेट की गर्मी और मीठा अधिक खाने को भी इसका एक प्रमुख कारण बताया, ये आपने देखा भी होगा जो बच्चे अधिक मीठा या गर्म खान पान करते हैं उनको यह समस्या ज्यादा होती है। आगे उन्होंने बताया की गर्मी और बारिश के मौसम में इन्फेक्शन के कारण भी फोड़े फुंसी ज्यादा होते हैं। डॉक्टर अभिजीत और उपवैद्य योगेन्द्र जी विश्वसनीय आयुर्वेद विशेषज्ञ हैं और स्वदेशी उपचार के साथ शुरू से जुड़े हैं। आसान भाषा में समझने के लिए नीचे दिए गए कारण और जटिलताएं पढ़ लें:
बिना मुँह वाले फोड़े के कारण
- असंतुलित खान पान
- प्रदूषण
- ब्लड इन्फेक्शन
- बैक्ट्रीयल इन्फेक्शन
- डाइजेशन की समस्या
- कब्ज
- पेट की गर्मी
- मसाले और गर्म भोजन
- फंगल इन्फेक्शन
- गर्मी और बारिश का मौसम
बिना मुँह वाले फोड़े की जटिलताएं
- बिना मुँह वाले फोड़े का इलाज ज्यादा जटिल होता है।
- इसका कारण है मवाद निकलने का रास्ता जल्दी नहीं बन पाना।
- जिसकी वजह से संक्रमण बढ़ता है।
- इससे स्किन में ज्यादा दूर तक इन्फेक्शन हो जाता है।
- साथ ही सूजन और दर्द भी ज्यादा होता है।
- दबाने या मवाद निकालने की कोशिश करने से भी बढ़ने का खतरा रहता है।
बिना मुँह वाले फोड़े के सामान्य लक्षण
- त्वचा के भीतर सूजन दिखना
- भयंकर दर्द होना
- लालिमा दिखाई देना
- फोड़े की जगह फूला हुवा दिखाई देना
- स्किन सख्त हो जाना
- कई दिनों से एक ही जगह पर सूजन होना
- मवाद दिखाई देना
बिना मुँह वाले फोड़े का इलाज
घरेलू इलाज
तुलसी: तुलसी में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं जो फोड़े को ठीक करने में मदद कर सकते हैं. तुलसी के पत्तों को पीसकर एक पेस्ट बना लें और इसे फोड़े पर लगाएं।
नीम: नीम में भी एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं. नीम के पत्तों को पीसकर एक पेस्ट बना लें और इसे फोड़े पर लगाएं।
हल्दी: हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं. हल्दी को पानी में मिलाकर पेस्ट बना लें और इसे फोड़े पर लगाएं।
आंवला: आंवला में विटामिन सी होता है जो एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है. आंवला का रस पीने से या आंवला के चूर्ण को पानी में मिलाकर पीने से फोड़े को ठीक करने में मदद मिल सकती है।
अदरक: अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं. अदरक की चाय पीने से या अदरक को पानी में उबालकर फोड़े पर लगाने से फोड़े को ठीक करने में मदद मिल सकती है।
एरंड की पत्तियां: फोड़े फुंसी में एरंड की पत्तियां सबसे अधिक प्रभावी इलाज मानी जाती हैं। हमारे यहां तो दादी नानी फोड़े फुंसी में सबसे पहला इलाज एरंड की पत्तियों का लेप बनाकर ही करती हैं। इसके अलावा एरंड की पत्ती को गर्म करके बिना मुँह वाले फोड़े पर लगाने से इस का इलाज हो जाता है।
बिना मुँह वाले फोड़े का इलाज आयुर्वेदिक इलाज योगों से
Note: यदि आपको बिना मुंह वाला फोड़ा है, तो आप इन घरेलू उपचारों को आजमा सकते हैं। यदि फोड़ा गंभीर है या ठीक नहीं हो रहा है, तो आपको हमारे आयुर्वेदिक डॉक्टर से परामर्श ले सकते हैं।
डॉक्टर को कब दिखाएं
मुंह वाले फोड़े में एक छोटा छेद होता है जो मवाद और अन्य सामग्री को बाहर निकालता है। बिना मुंह वाले फोड़े में कोई छेद नहीं होता है, इसलिए मवाद और अन्य सामग्री अंदर फंस जाती है। यह संक्रमण और सूजन का कारण बन सकता है।
मुंह वाले फोड़े आमतौर पर बिना मुंह वाले फोड़ों की तुलना में कम गंभीर होते हैं। ये आमतौर पर कुछ दिनों में अपने आप ठीक हो जाते हैं। बिना मुंह वाले फोड़े अधिक गंभीर होते हैं और उन्हें डॉक्टर द्वारा इलाज की आवश्यकता हो सकती है। अगर घर पर इलाज नहीं हो पा रहा है तो आयुर्वेदिक डॉक्टर को दिखाकर दवा लेनी चाहिए।
1. फोड़े – फुंसी रोधक क्वाथ
अगर आप किसी भी प्रकार के फोड़े – फुंसियों से ग्रषित हैं तो यह आपके रक्त विकृति का परिणाम हैं । अगर आप इसे जल्द ही ठीक करना चाहते हैं और भविष्य बिना मुंह वाला फोड़ा – फुंसी आपको नहीं हो तो इस रक्त शोधक एवं फोड़े – फुंसी रोधक क्वाथ का प्रयोग करना चाहिए ।
इसे बनाने के लिए चोपचीनी, उन्नाव, आंवला, हरड, बहेड़ा, सफ़ेद चन्दन, लालचंदन और ब्रह्मदंडी इन सभी को चार – चार माशे एवं जल चालीस तोला लेना है । अब सभी जड़ी बूटियों को कूटकर रात्रि के समय इस जल में भिगों दे, सुबह मिटटी के बर्तन में आंच पर चढ़ा कर काढ़ा बनायें । जब आधा पाव शेष बचे तो इसे अग्नि से उतार कर ठंडा कर लें और छान कर प्रयोग में लीजिये ।
इस काढ़े को 5 से 10 ग्राम की मात्रा में सुबह – शाम सेवन करने से अंदरूनी रक्त विकृति दूर होती है और फोड़े – फुंसियाँ नहीं होती । अगर आपको बिना मुंह वाला फोड़ा हुआ है तो वह भी इसके सेवन से कुछ ही दिनों में ठीक हो जायेगा । अगर सीधे सेवन नहीं कर सकते तो इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर प्रयोग में ले सकते हैं ।
2. नासूर मलहम
बिना मुँह वाले फोड़े का इलाज करने के लिए इस नासूर नाशक मलहम से बेहतरीन कोई भी आयुर्वेदिक योग नहीं है । इसके लिए आपको लाल कत्था, फिटकरी और तूतिया – इन तीनों को 2 तोले की मात्रा में सभी और राल को दस तोले की मात्रा में लेना है । साथ ही गाय का घी 15 तोले लीजिये ।
अब कत्था, फिटकरी और तूतिया को कूट छानकर रखें । इसे महीन पीसकर मोटे कपडे से छान लीजिये । अब इन्हें घी और राल में मिलाकर गरम करें । जैसे ही यह पिघले इसे महीन सूती कपडे से छान लीजिये । इसे छानना आवश्यक हैं क्योंकि राल में अशुद्धियाँ मिली होती हैं । अब इसमें पिसे हुए चूर्ण को मिला दीजिये । अच्छी तरह मिलाने के लिए दो से 4 घंटे तक खरल में मर्दन कीजिये ।
इस प्रकार से आपका नासूर नाशक मलहम तैयार हो जायेगा । इस मलहम को बिना मुँह वाले फोड़े के स्थान पर लगायें । 2 से तीन दिन लगाने पर ही बिना मुँह वाले फोड़े ठीक हो जायेंगे । साथ ही को भी पुराना घाव, नासूर और सड़े गले फोड़े भी इसके प्रयोग से ठीक हो जाते हैं ।
3. बिना मुंह वाले फोड़े फुंसी की मलहम
अगर बिना मुंह वाला फोड़ा – फुंसी पक नहीं रहा है तो आपको इस योग का इस्तेमाल करना चाहिए । इसके लिए आपको कली वाला चूना 5 तोले लेना है और सरसों का तेल 15 तोले लेना हैं ।
अब इनदोनो को मिलाकर खरल में तीन से चार घंटे तक मिलाना है । जब यह एक दिल जो जाये तो इसे एक डिब्बे में रख लीजिये । अब इसे प्रभावित स्थान पर लगाने से फोड़ा – फुंसी पक जायेगा और फिर यह फुट कर मवाद बाहर निकल जाएगी । इस योग का इस्तेमाल आप दाद के लिए भी कर सकते हैं । यह आयुर्वेदिक दवा दाद को भी कुछ ही दिनों के लिए लगाने पर ठीक कर देती है ।
सारांश
बिना मुँह वाला फोड़े और फुंसी आसानी से अगर ठीक नहीं हो रहें है तो उपरोक्त हमारे द्वारा बताएं गए घरेलु इलाज और आयुर्वेदिक योग बनाकर किये जाने वाले आयुर्वेदिक इलाज को अपनाकर आप आसानी से बिना मुँह वाले फोड़े – फुंसियों का इलाज आसानी से कर सकते हैं । इसके लिए आपको अधिक परेशान होने की आवश्यकता नहीं हैं । अगर इन आसान से घरेलु उपायों से भी आपको लाभ नहीं मिल रहा है तो आपको अपने नजदीकी आयुर्वेदिक चिकित्सक से इसके बारे में परामर्श लेना चाहिए । क्योंकि आपके रोग की स्थिति का पता वैद्य को पता चलने के बाद वैद्य आपकी स्थिति के आधार पर आपको विशेष आयुर्वेदिक दवाओं से उपचार मुहया करवाता है ।
धन्यवाद ।