Sutshekhar Ras uses in Hindi: स्वर्ण सूतशेखर रस आयुर्वेद की एक क्लासिकल औषधि है । जिसका वर्णन आयुर्वेद के ग्रन्थ सिद्ध योग संग्रह में मिलता है । इसे हाइपर एसिडिटी (Hyper Acidity), संग्रहणी (IBS), भूख की कमी, पेट में आफरा, Hiccups और मितली की समस्या में एक उपचार के रूप में उपयोग किया जाता है । आज के इस लेख में हम आपको Sutshekhar Ras Uses in Hindi के 11 जबरदस्त फायदों के बारे में जानकारी देंगे ।
दवा: | सूतशेखर रस स्वर्ण युक्त |
निर्माता: | बैद्यनाथ, साधना, एवं दीनदयाल |
दवा का प्रकार: | रस प्रकरण |
रोगाधिकार: | अम्लपित्त, रक्तपित्त |
सन्दर्भ ग्रन्थ: | सिद्ध योग संग्रह |
मूल्य: | ₹ 1189 |
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What is Sutshekar Ras in Hindi? (सूतशेखर रस क्या है ?)
आयुर्वेद चिकित्सक की यह दवा रस – रसायन प्रकरण की उत्तम औषधि है । जिसका सन्दर्भ हम पहले ही आपको बता चुके हैं । यह अम्लपित, रक्तपित्त, खांसी, मुंह का अल्सर और पित्तज प्रकार के रोगों में विशेषकर उपयोगी है । इसमें शुद्ध पारद, शुद्ध गंधक, स्वर्ण भस्म, रौप्य भस्म आदि 17 प्रकार के घटक होते हैं ।
सूतशेखर रस दो प्रकार का होता है – (1) स्वर्ण सूतशेखर रस (2) सूतशेखर रस सादा । इन दोनों प्रकार के सूतशेखर रस में अधिक भिन्नता नहीं है । एक में स्वर्ण मिलाया जाता है जो इसे मष्तिष्क और हृदय के लिए भी उपयोगी बनाता है एवं दूसरा स्वर्ण रहित होता है ।
चलिए अब जानते हैं स्वर्ण सूतशेखर रस के घटक द्रव्यों के बारे में –
Ingredients of Sutshekhar Ras Gold (स्वर्ण सूतशेखर रस के घटक द्रव्य)
सूतशेखर रस में निम्न घटक द्रव्य मिलाएं जाते हैं –
Ingredient | Quantity |
---|---|
शुद्ध पारद | 1 Part |
शुद्ध गंधक | 1 Part |
स्वर्ण भस्म | 1 Part |
रौप्य भस्म | 1 Part |
शुद्धा सुहागा | 1 Part |
शुंठी (Rz.) | 1 Part |
मरीचा (Fr.) | 1 Part |
पिप्पली (Fr.) | 1 Part |
शुद्ध धत्तुरा बीज (Sd.) | 1 Part |
ताम्र भस्म | 1 Part |
दालचीनी | 1 Part |
पत्र (तेजपत्र) (Lf.) | 1 Part |
एला (इलायची) (Sd.) | 1 Part |
नागकेशर (Adr.) | 1 Part |
शंखभस्म | 1 Part |
बिल्व मज्जा (बिल्व) (Fr.P.) | 1 Part |
कर्चूर (Rz.) | 1 Part |
भृंगराज स्वरस (Pl.) | Q. S. मर्दन के लिए |
Note: “Q. S.” stands for “Quantum sufficit,” which means “the amount sufficient” or “as much as necessary.”
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Sutshekhar Ras uses in Hindi (सूतशेखर रस के 11 जबरदस्त उपयोग)
सूतशेखर रस एक बहुत ही सुप्रशिद्ध आयुर्वेदिक औषधि है । यह पित्तज दोष को शांत करता है एवं पित्त की वृद्धि के कारण होने वाले रोगों में आराम देता है । साथ ही वातनाशक गुणों से युक्त होने के कारण सूतशेखर रस निम्न प्रकार से अपने जबरदस्त फायदे दिखाता है –
1. अम्लपित्त (Hyper Acidity): यह तीव्र पीड़ादायक रोग है । इसमें रोगी को सीने में जलन, खाना खाने के बाद मितली, पेट दर्द होना एवं गैस जैसी समस्याएँ हो जाती है । इस समय सूतशेखर रस स्वर्ण की 125 mg की मात्रा में कामदुधा रस के साथ मिलाकर सेवन करने से अम्लपित्त में आराम मिलता है । इस रोग में सूतशेखर रस जबरदस्त फायदेमंद है ।
2. पेट में पित्त बनना: बहुत से लोगों में पेट में एसिड बनने की समस्या होती है । इस रोग में सूतशेखर स्वर्ण युक्त का सेवन करने से लाभ मिलता है । यह रस औषधि अम्ल को कम करने एवं शरीर में क्षारीयता को बढ़ाने में उपयोगी साबित होती है । इस लिए पेट में पित्त बनने की समस्या में सूतशेखर रस फायदेमंद है ।
3. वात रोगों में: यह रस रसायन औषधि पित्त विकारों के साथ – साथ वातशामक भी होती है । यह वातज विकारों को दूर करने में लाभदायक है । वात के कारण होने वाले शूल में इसका सेवन करने से लाभ मिलता है ।
4. संग्रहणी रोग में: यह पित्त को शांत करने एवं मल को बांधने का कार्य करता है । जिस कारण से संग्रहणी में बार – बार होने वाले पतले दस्तों में यह लाभ देता है । यह मल को बांध कर सख्त करता है एवं बढे हुए पित्त को शांत करके इस समस्या में होने वाले उपद्रवों से रोगी को बचाता है ।
5. पेट दर्द में जबरदस्त फायदेमंद: सूतशेखर रस के उपयोगों में पेट दर्द को ठीक करना भी एक मुख्य Sutshekhar Ras uses in Hindi है । मन्दाग्नि कम होकर या अपच एवं अजीर्ण के कारण पेट में अम्लीयता बढ़ने से पेट दर्द होना शुरू हो जाता है । इस स्थिति में स्वर्ण सूतशेखर रस का उपयोग करने से लाभ मिलता है ।
6. पेट के अल्सर: उपरोक्त लाभों में हमने बताया है कि यह हाइपर एसिडिटी को ठीक करता है । सूतशेखर रस पेट में अम्ल के उत्सर्जन को नियंत्रित करता है जिससे अमाशय के घावों में आराम देता है । यह अमाशय के इन घावों का रोपण अर्थात भरने का भी कार्य करता है । क्योंकि इन श्लेष्मिक कला के वर्णों के कारण ही अल्सर के रोगी को तीव्र पीड़ा होती है ।
7. माइग्रेन की समस्या: भयंकर सिरदर्द अर्थात माईग्रेन की समस्या में सूतशेखर रस फायदेमंद साबित होता है । यह पित्तज एवं वातज प्रकार के सिरदर्द को चुटकियों में ठीक कर सकता है । इसे उचित वैद्य सलाह से इन रोगों में लेने से जल्द ही माईग्रेन की समस्या में आराम मिलने लगता है ।
8. मुंह के छाले: मुंह के छाले में भी यह फायदेमंद है । क्योंकि मुंह के छालों में भी पित्त की गर्म्मी ही एक मुख्य कारण मानी जाती है । यह शरीर में अतिरिक्त पित्तज वृद्धि को नियंत्रित करता है । जो छालों को ठीक होने में मदद करते हैं ।
9. मासिकधर्म की अनियमितता: महिलाओं में पीरियड्स की इर्रेगुलारिटी एक बढती हुई समस्या है । अगर इसका उपचार समय पर नहीं किया जाये तो यह स्त्रियों के लिए एक पीड़ादायी स्थिति पैदा करते हैं । मासिक धर्म की अनियमितता के कारण महिलाऐं गर्भवती होने में भी परेशानी झेलती है । इस रोग में स्वर्ण सूतशेखर रस के साथ प्रवाल पिष्टी मिलाकर नियमित सेवन करवाने से महिलाओं का मासिक धर्म खुलकर आता है ।
10. तनाव: तनाव होने पर सूतशेखर रस अत्यंत लाभदायक माना जाता है । विभिन्न वैद्यों द्वारा यह दवा रोगी का तनाव कम करने के लिए अपनाया जाती है । तनाव में सूतशेखर में उपस्थित घटक अच्छा प्रभाव दिखाते हैं । आप इसे किसी भी वैद्य सलाह से ले सकते हैं ।
11. राजयक्ष्मा एवं श्वांस रोग: सूतशेखर रस का उपयोग टीबी और श्वांस रोग में भी किया जाता है । इसके घटक अस्थमा को ठीक करने एवं फेफड़ों को खोलने का कार्य करते हैं । इसमें प्राकृतिक घटक उपस्थित है जो टीबी के जीवाणुओं को शरीर में नहीं बढ़ने देते एवं रोगी को जल्द ही स्वस्थ करने में मदद करते हैं ।
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सूतशेखर रस के फायदे / Health Benefits of Sutshekhar Rasa in Hindi
यह प्रकुपित वात को शांत करता है एवं पित्त विकृति के कारण होने वाले विकारों को नष्ट करता है | पित्त प्रकोप के कारण नींद न आना, गला सुखना या आँखों में जलन होना जैसी समस्याएँ है तो इसके सेवन से तीव्रता से लाभ मिलता है |
👉यह पित्त विकारों दूर करने में अत्यंत फायदेमंद आयुर्वेदिक दवा है | इसके घटक द्रव्य इसे पित्त शामक औषधि बनाते है |
👉पित्त के साथ – साथ यह वात जनित विकार में भी फायदेमंद दवा है |
👉पित्त विकृति के कारण आने वाली बुखार में भी इसका चिकित्सकीय प्रयोग लाभ देता है |
👉यकृत की गड़बड़ी में अगर पित्त एक प्रमुख कारण है एवं भूख खुलकर नहीं लगती तो सूतशेखर रस का इस्तेमाल लाभ देता है |
👉पेशाब की रूकावट या मासिक धर्म की रूकावट में प्रवाल पिष्टी के साथ सूतशेखर रस का सेवन करना फायदेमंद रहता है | यह सेवन चिकित्सक के परामर्शानुसार ही करना चाहिए |
👉तनाव, दाह एवं वात पित्त प्रधान सिरदर्द में यह दवा फायदेमंद है |
👉अम्लपित्त, उन्माद या चक्कर आना में इसका प्रयोग अत्यंत फायदेमंद साबित होता है | क्योंकि ये सभी पित्त के विकार है एवं पित्त विकारों का शमन इस औषधि का प्रमुख कार्य है |
👉अनिद्रा अर्थात नींद न आने में भी यह लाभदायक है | यह व्यक्ति के मानसिक विकारों को दूर करके तनाव रहित बनाती है एवं रोगी को अच्छी नींद लाने में फायदेमंद साबित होती है |
👉अम्लपित्त के कारण होने वाले उदर विकार जैसे भूख न लगना, पेटदर्द, पेट में जलन, गैस आदि रोगों में इसका प्रयोग लाभदायक होता है |
सूतशेखर रस की सेवन विधि एवं मात्रा / Dosages
एक वयस्क व्यक्ति को इसका सेवन 125 से 250 mg तक अपने चिकित्सक के परामर्श अनुसार करना चाहिए | सूतशेखर रस को दिन में 2 से 3 बार, जल, गुनगुने दूध या शहद के साथ सेवन किया जा सकता है | खाना खाने के पश्चात सेवन करना चाहिए |
ध्यान दें यह आयुर्वेद की रसोषधि है अत: इसका सेवन बिना चिकित्सकीय परामर्श के नहीं करना चाहिए |
नुकसान / Side Effects of Sutshekhar Rasa in Hindi
सूतशेखर रस के कोई ज्ञात दुष्प्रभाव नहीं है | परन्तु यह रसऔषधि है इसमें पारे और गंधक का इस्तेमाल किया गया है अत: निर्देशित मात्रा एवं समय तक ही इसका सेवन करना चाहिए | अत्यधिक मात्रा एवं लम्बे समय तक लेना नुकसान दायक हो सकता है |