भुवनेश्वर रस आयुर्वेद की एक और महत्वपूर्ण औषधि है | यह अतिसार, पेचिस, मरोड़ एवं संग्रहणी आदि रोगों में उपयोग होती है | अगर आप भुवनेश्वर रस के फायदे एवं उपयोग जानना चाहते है तो इस लेख में हम आपको इस आयुर्वेदिक रस औषधि की सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध करवाएंगे |
यह औषधि बिना वैद्य पर्चे के मिलने वाली दवा है जिसे विभिन्न आयुर्वेदिक फार्मेसी निर्माण करती है | बाजार में यह बैद्यनाथ, डाबर एवं साधना फार्मा आदि की उपलब्ध हो जाती है | हालाँकि औषधि को खरीदने के लिए आपको किसी वैद्यपत्रक की आवश्यकता नहीं पड़ती लेकिन फिर भी इसका सेवन बिना चिकित्सकीय सलाह के नहीं किया जाना चाहिए |
चलिए सबसे पहले इस औषधि के घटक द्रव्यों के बारे में जान लेते है –
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भुवनेश्वर रस के घटक द्रव्य | Bhuvneshwar Ras Ingredients in Hindi
- सेंधा नमक (Rock Salt)
- हरड (Chebulic myrobalan)
- बहेड़ा (Belliric myrobalan)
- आंवला (Gooseberry)
- अजवायन (Carom seed)
- बेलगिरी (Bilva)
- गृह धूम (चिमनी की धुमि) (Soot of Chimney)
बनाने की विधि: सेंधा नमक, हरड, बहेड़ा, आंवला, अजवायन, बेलगिरी एवं गृह धूम इन सभी को समान मात्रा में लेकर कूट – पीसकर चूर्ण बना लें | इस चूर्ण को खरल में डालकर जल मिलाकर मर्दन करके 3 – 3 रति की गोलिया बना ली जाती है | इस प्रकार से तैयार औषधि भुवनेश्वर रस कहलाती है |
भुवनेश्वर रस के चिकित्सकीय उपयोग | Bhuvneshwar Ras Uses in Hindi
इस औषधि का निम्न रोगों में चिकित्सकीय उपयोग होता है –
- अतिसार
- संग्रहणी
- पेचिस
- मरोड़
- मन्दाग्नि (भूख न लगना)
- अजीर्ण
- उदरशूल
- रसशेषजीर्ण
- उदरवात वृद्धि
भुवनेश्वर रस के फायदे | Benefits of Bhuvneshwar Ras
अतिसार: तीव्र अतिसार में भुवनेश्वर रस का सेवन सुबह – शाम जल के साथ करने से जल्द ही अतिसार बंद हो जाता है |
संग्रहणी में फायदे: इसे पंचामृत पर्पटी एवं रस पर्पटी में मिलाकर नित्य सेवन करने से बहुत जल्द ही संग्रहणी रोग खत्म हो जाता है |
उदरशूल एवं वात में फायदेमंद: अगर वात वृद्धि के कारण उदर में समस्या है या पेट दर्द हो रहा है तो इसे शंख भस्म के साथ सेवन करने से उदरशूल (पेटदर्द) एवं उदरवात वृद्धि में आराम मिलता है |
भूख न लगना: इस रस औषधि में त्रिफला एवं अजवायन एक घटक के रूप में विद्यमान है | अत: मन्दाग्नि के कारण भूख न लगने की समस्या इसके सेवन से दूर होती है |
अजीर्ण: खाया – पीया अगर सही तरीके से न पचा हो तो अजीर्ण की समस्या हो जाती है | एसे में भुवनेश्वर रस का सेवन करने से अपच एवं अजीर्ण से मुक्ति मिलती है |
मरोड़ में फायदेमंद: मरोड़ की समस्या में भी भुवनेश्वर रस अत्यंत लाभदायक है | यह अतिसार एवं संग्रहणी में आने वाली मरोड़ को रोकती है | मरोड़ में इसे शंख भस्म के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है |
सेवन की विधि / Dosage
इसका सेवन 2 से 4 गोली दिन में दो बार शहद या जल के साथ सेवन किया जाता है | रोगानुसार इसे वैद्य निर्देशित अनुपान में लेना चाहिए |
संभावित नुकसान / Side Effects
यह पूर्णत: सुरक्षित आयुर्वेदिक दवा है | इसके कोई भी ज्ञात साइड इफेक्ट्स नहीं है | हालाँकि औषधि नुकसान रहित है फिर भी इसे वैद्य सलाह अनुसार ही सेवन करना चाहिए | क्योंकि अधिक मात्रा एवं गलत अनुपान कुछ संभावित शारीरिक नुकसान दिखा सकते है | जैसे सिरदर्द, पेट दर्द आदि |
धन्यवाद |